Wednesday, June 18, 2014

बीजेपी का हिंदुत्व और श्री राम जन्मभूमि का सच


हिंदुत्व के सभी मुद्दों से बीजेपी ने पल्ला झाड लिया है बीजेपी के हिन्दू कार्यकर्ताओं की मौत पर कुछ नही लेकिन पुणे में मुल्ले की मौत पर 3 लाख की घोषणा बीजेपी ने की पश्चिम बंगाल में tmc द्वारा बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के मुल्लो कि पिटाई के लिए कमेटी गठित क्या हिन्दुओ ने बीजेपी को वोट नही दिया है।

बीजेपी का हिंदुत्व और श्री राम जन्मभूमि का सच :-

राम के नाम परखुद को खड़ी करने वालीभाजपा को , राम का श्राप सा लग गया है। कभी भाजपा के पास हिदुत्व और भाजपा के राम दोनोहुआ करते थे। आजकुछ भीनहीं। सच तो ये है , कि ना ही कभी भाजपा के राम थे और ना हीकभी देश को जोड़ने का हिन्दुत्व। कहां से शुरू हुआ हिन्दुत्व और कैसे भाजपा कोराम का मुद्दा मिला , इसे जानने के लिये थोड़ा पीछे भाजपा का सफरनामा देखना होगा। 1951 में संघने राजनतिकपहचान बनाने के लिये भारतीय जनसंघ का गठन किया । प्रो0 मधोक, डॉ0श्यामाप्रसाद मुखर्जी और प0 दीनदयाल उपाध्याय ने संघको लोकप्रिय बनाया और प्रतिष्ठा दिलायी। संक्षेप में भाजपा के हिन्दुत्व और राम को पहचानते की कोशिश करते है। 1968 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने जनसंघ के अध्यक्ष पदकी कमान संम्भाली । लेकिन कुछसमय बाद सदिग्ध परिस्थितियों में प0 दीनदयाल उपाध्याय की मौत हो गयी । इसके बाद संघके भावनाओं के अनुरुप अटल बिहारी भाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी आये। अटल जी 1977 में जनसंघके आणवाणी काजनसंघ में वचस्व कायम हो गया, और लोगो का पार्टी में आना जाना लगा रहा। यही से शुरुआत हुआ जनसंघमें सत्ता का लोभ। फिर 1975 में आपात काल कीघोषणा के बादजनसंघ पर प्रतिबंधलगाया गया। पर संघगुप्त रुप से काम करता रहा। 1977 में आपात काल के बाद हुये चुनाव में पहली बार पार्टीसत्ता में आयी । फिर मोरार जी देसाई के कार्य काल में बवाल हुआ और जनता पार्टी की सरकार टुट गयी। फिर 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। संघकी स्थापना पहले ही हो गयीथी, राष्ट्रीय आंदोलन के साथ । लेकिन राष्ट्रीय आंदोलन की दिशा तय नहीं हो पायी ।

बाद में यह आंदोलन साम्प्रदायिकऔर राष्ट्रवादके राहपर चल पड़ा, और संघ हिन्दुओं के नाम पर लोगो को एक करने लगा। जिसमें वहअसफल रहा । और यहां शुरु हुआ हिन्दुत्व , जिसमें संघ और भाजपा दोनो उलझ गये। लोगो को हिन्दुत्व की परिभाषा बतायीजाने लगी। हिन्दुत्व कोई धर्म नही जीवन शैली है, हिन्दुत्व राष्ट्र का प्राण है, हिन्दुत्व राष्ट्रका गौरव है, राष्ट्र की गरिमा है, हिन्दुत्व हमारा जीवन मूल्य है, हमारी आस्था है। हमारी निष्ठा है, हिन्दुत्व राष्ट्र भक्ति का पर्याय है, हिन्दुत्व का दूसरा नाम पुरुषोत्तमराम है। अब संघऔर भाजपा हिन्दुत्व में उलझ कर रहगये । क्योंकिअबतकयह समप्रदायिकता काप्रतिक हो बन चुका था, और यही से भाजपा अपने राम को निकालती है। और शुरु करती है राम जन्म भूमी आंदोलन । अब अयोध्या के राम का एक राजनीतिकरण होचुकाथा। और भाजपा के राम सच में कभी थे ही नहीं । क्योंकि यह महज राजनीति के एकहिस्सा थे क्योकि भाजपा के राम तोसिर्फराजनीति में थे।

 राम को राष्ट्रीय अस्मीता का मुद्दाबनाया गया और गली गली घूम कर भगवान श्री राम की सौगंधखायीगयी। जिसका आज की भी पता नहीं। सौगंध राम की खाते है, हम मंदिर वहीं बनायेगें।राम के नाम पर जनता को छला गया । श्री राम का नाम सुनते ही जनता में एकजूनून सवार हो गया । साराहिन्दू समाजउग्र था। अयोध्या में लोग भव्य राम मंदिर की कामनाकरने लगे । वहां एक तरफ स्वामी रामचंद्रपरमहंसथे निर्मोही अखाड़ा था ।तो दूसरी तरफ मुस्लिम वक्फ वाले । यही राजनीति रंग लाने लगी और राजनीतिक तांडव करने के लिये तैयार हो चुके थे। संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल जैसे हिन्दूवादी संगठन सक्रिय हो गये । भ्रम पैदा करने के लिये कुछ काम भी शुरु हुये। साध्वीरितम्भरा ,साध्वी उमा भारती और अन्य संत समाज से जुड़े लोग भाषण देने लगे। कुछतो राम के पुजारीथे कुछराजनीति के । पर लोग छले गये । लोग सोचे के यही असली राम भक्त है । इनके लिये मरने मारने को तैयार थे। जिसका लाभ मिला राजनीति में ।

 23 जून 1990को हरिद्घारमें सभी संत समाज ने यहफैसला लिया कि 30 अक्टूबर 1990 को मंदिर निर्माण शुरु होगा। भाजपा ने मौके का फायदा उठाया और इस आंदोलन में कूद गयी। और निकले एक रथ वाले बाबा , लालकृष्ण आडवाणी । जिन्होने 25 सितम्बर 1990 को सोभनाथ से अयोध्या कीयात्रा निकाली और करोड़ो के मसीहा बन गये। इधर असली राम स्नेही नियत समय में अयोध्या पहुंच कर ध्वज फहरा रहे थे। राजनीतिकअपना तवा गर्म कर रहे थे। वक्ता लोगो को शहीद करने की तैयारी कर रहे थे। दिल्ली में बैठे नेता एक अच्छा नाटक तैयार कर रहे थे। जो अयोध्याजाने के लिये शुरु होता है लेकिन गाज़ियाबादमें गिरफ्तारी के साथ ही खत्म होगया । उधर राम सेवको ने बाबरी मस्जिद विध्वंसकर दी गयी । देश में दंगा भड़क गया। और सैकड़ो निर्दोष लोग बलि चढ़ गये। लेकिन कोई नेता नहीं मारा गया, औरना ही किसी नेता ने यह स्वीकार किया की इसराम नाम में उनकी कोई भूमिका थी। अब तक जनता और राम दोनो लोग छलें जा चुके थे। क्योंकि रथयात्रा राम के नाम परलोग मारे जाचुके थे। 

तो क्या यही हिन्दुत्व था औरयही राम थे, ये तो महज वोट बैंक की राजनीति थी। जो चमक चुकी थी और हिन्दू वोट भाजपा खेमे में आ चुके थे। राम के सौगंध ने सत्ता भाजपाईयो को दे दी। पर सत्ता में आते ही भाजपा ने सबसे पहले अपना ऐजेंडा छोड़ दिया। श्री राम को भूल गयी। अनुच्छेद 370भी भूल गये । याद रहा तो सिर्फ भाजपा का झंडा जो राजद में सिमटगया था। भाजपा वाले कहने लगे मंदिर हमारे ऐजेंडे में नहीं है। जो अप्रिय होने के साथसत्य था और ये साफ हो गया । कि भाजपा के कभीराम थे ही नहीं । रथवाले बाबा यहकहना शुरु करदिये की मंदिर गिरा उसमें उनका कोई हाथनहीं था। सारे कश्मेवादे छू हो गये। अब यह तो रथ वाले बाबा ही जानेगें पर काश झूठ को झूठरहने देते ताकि लोगो की कुर्बानिया नाजायज तो नहीं जाती । अब तकयह साबित हो चुका था कि भाजपा के राम वो राम नहीं थे जिसके लिये जनता वहां गयी थी। यही कारण है कि लोगो का भाजपा से एतबार खत्म हो गया।

जहां तक श्री राम मंदिर कीबात है तो कानून कहता है कि अयोध्या में विवाद केवल 2.77 एकड़ का ही था निर्माण कार्य हो सकता था। पर सभी मुद्दे राजनीति के होके रह गये और बात करे वहां के लोगो की , तो मुस्लिम बंधुओं में तब भी कोई कटुता नहीं थी और आज भी सौहार्द है। और रही भाजपा की बात तो भाजपा को बीते कल से सबक लेना चाहिए।

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