Monday, September 1, 2014

हिन्दुस्तानी इतिहास फिर से लिखे जाने की आवशयकता

भारत दुनिया का शायद अकेला ऐसा देश होगा, जहां के आधिकारिक इतिहास की शुरुआत में ही यह बताया जाता है कि भारत में रहने वाले लोग यहां के मूल निवासी नहीं हैं. भारत में रहने वाले अधिकांश लोग भारत के हैं ही नहीं. ये सब विदेश से आए हैं.

इतिहासकारों ने बताया कि हम आर्य हैं. हम बाहर से आए हैं. कहां से आए? इसका कोई सटीक जवाब नहीं है. फिर भी बाहर से आए.


आर्य कहां से आए, इसका जवाब ढूंढने के लिए कोई इतिहास के पन्नों को पलटे, तो पता चलेगा कि कोई सेंट्रल एशिया कहता है, तो कोई साइबेरिया, तो कोई मंगोलिया, तो कोई ट्रांस कोकेशिया, तो कुछ ने आर्यों को स्कैंडेनेविया का बताया. आर्य धरती के किस हिस्से के मूल निवासी थे, यह इतिहासकारों के लिए आज भी मिथक है.


मतलब यह कि किसी के पास आर्यों का सुबूत नहीं है, फिर भी साइबेरिया से लेकर स्कैंडेनेविया तक, हर कोई अपने-अपने हिसाब से आर्यों का पता बता देता है. भारत में आर्य अगर बाहर से आए, तो कहां से आए और कब आए, यह एक महत्वपूर्ण सवाल है. यह भारत के लोगों की पहचान का सवाल है.


विश्‍वविद्यालयों में बैठे बड़े-बड़े इतिहासकारों को इन सवालों का जवाब देना है. सवाल पूछने वाले की मंशा पर सवाल उठाकर इतिहास के मूल प्रश्‍नों पर पर्दा नहीं डाला जा सकता है. आर्यन इन्वेजन थ्योरी का सच यह बहुत कम लोग जानते हैं कि आर्यन इन्वेजन थ्योरी (आर्य आक्रमण सिद्धांत) की उत्पत्ति की जड़ में ईसाई-यहूदी वैचारिक लड़ाई है.


आर्यन इन्वेजन थ्योरी की उत्पत्ति 18वीं शताब्दी में यूरोप, ख़ासकर जर्मनी में हुई. उस वक्त के इतिहासकारों एवं दार्शनिकों ने यूरोपीय सभ्यता को जुडाइज्म (यहूदी) से मुक्त करने के लिए यह थ्योरी प्रचारित की.
कांट एवं हरडर जैसे दार्शनिकों ने भारत और चीन के मिथकों तथा दर्शन को यूरोपीय सभ्यता से जोड़ने की कोशिश की. वे नहीं चाहते थे कि यूरोपीय सभ्यता को जुडाइज्म से जोड़कर देखा जाए. इसलिए उन्होंने यह दलील दी कि यूरोप में जो लोग हैं, वे यहूदी नहीं, बल्कि चीन और भारत से आए हैं. उनका नाम उन्होंने आर्य रखा.


समझने वाली बात यह है कि चीन और भारत के सभी लोग आर्य नहीं थे. उनके मुताबिक़, एशिया के पहाड़ों में रहने वाले सफेद चमड़ी वाले कबीलाई लोग आर्य थे, जो यूरोप में आकर बसे और ईसाई धर्म अपनाया. यूरोप में आर्य को एक अलग रेस माना जाने लगा. यह एक सर्वमान्य थ्योरी मानी जाने लगी. आर्यन इन्वेजन थ्योरी की उत्पत्ति मूल रूप से यूरोप के लिए की गई थी.


जब अंग्रेजों ने भारत का इतिहास समझना शुरू किया, तो आश्‍चर्य की बात यह है कि उन्होंने इस थ्योरी को भारत पर भी लागू कर दिया. 1866 से आर्यन इन्वेजन थ्योरी ऑफ इंडिया को भारत के इतिहास का हिस्सा बना दिया गया. बताया गया कि भारत के श्‍वेत रंग के, उच्च जाति के शासक वर्ग और यूरोपीय उपनिवेशक एक ही प्रजाति के हैं. यह थ्योरी अंग्रेजों के काम भी आई. अंग्रेज बाहरी नहीं है और उनका भारत पर शासन करना उतना ही अधिकृत है, जितना यहां के राजाओं का.


अंग्रेजों को भारत में शासन करने के लिए इन हथकंडों की ज़रूरत थी. लेकिन यह बात समझ में नहीं आती कि आज़ादी के बाद भी वामपंथी इतिहासकारों ने इस थ्योरी को जड़-मूल से ख़त्म क्यों नहीं किया?
जबकि हमें यह पता है कि इस मनगढ़ंत थ्योरी की वजह से हिटलर जैसे तानाशाह पैदा हुए. वह भी तब, जब यूरोप में विज्ञान के विकास के साथ-साथ रेस थ्योरी को अविश्‍वसनीय और ग़ैर-वैज्ञानिक घोषित कर दिया गया. पिछले 70 सालों से आर्यन रेस पर कई अनुसंधान हुए. अलग-अलग देशों ने इसमें हिस्सा लिया है, अलग-अलग क्षेत्र के वैज्ञानिकों ने अपना योगदान दिया है. सबने एक स्वर में आर्यन के एक रेस होने की बात को मिथक और झूठा करार दिया है. ये स़िर्फ वामपंथी इतिहासकार हैं, जो अभी तक इस रेस थ्योरी को पकड़ कर बैठे हैं.


10 दिसंबर, 2011 को एक ख़बर आई कि सेलुलर मोलिकुलर बायोलॉजी के वैज्ञानिकों ने कई महाद्वीपों के लोगों पर एक रिसर्च किया. इस रिसर्च में कई देशों के वैज्ञानिक शामिल थे. यह रिसर्च 3 सालों तक किया गया और लोगों के डीएनए की सैंपलिंग पर किया गया. इस रिसर्च से पता चला कि भारत में रहने वाले चाहे वे दक्षिण भारत के हों या उत्तर भारत के, उनके डीएनए की संरचना एक जैसी है. इसमें बाहर से आई किसी दूसरी प्रजाति या रेस का कोई मिश्रण नहीं है और यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि पिछले 60 हज़ार सालों से भारत में कोई भी बाहरी जीन नहीं है. इस रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि डीएनए सैंपलिंग के जरिये यह बिना किसी शक के दावा किया जा सकता है कि आर्यों के आक्रमण की कहानी एक मिथक है.


इस रिसर्च की रिपोर्ट को अमेरिकन जनरल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स में 9 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित किया गया. यह एक प्रामाणिक रिसर्च है.इसमें विज्ञान की सबसे उच्च कोटि की तकनीकों का इस्तेमाल हुआ है. कई देशों के वैज्ञानिक इसमें शामिल थे. यह रिपोर्ट आए तीन साल होने वाले हैं. देश के इतिहासकार क्यों चुप हैं? हक़ीक़त यह है कि भारत का इतिहास राजनीति से ग्रसित है. इतिहास की किताबों ने सच बताने से ज़्यादा सच को छिपाने का काम किया है.


भारत की सरकारी किताबों में आर्यों के आगमन को आर्यन इन्वेजन थ्योरी कहा जाता है. इन किताबों में आर्यों को घुमंतू या कबीलाई बताया जाता है. इनके पास रथ था. यह बताया गया कि आर्य अपने साथ वेद भी साथ लेकर आए थे. उनके पास अपनी भाषा थी, स्क्रिप्ट थी. मतलब यह कि वे पढ़े-लिखे खानाबदोश थे. यह दुनिया का सबसे अनोखा उदाहरण है. यह इतिहास अंग्रेजों ने लिखा था.


वर्ष 1866 में भारत में आर्यों की कहानी मैक्समूलर ने गढ़ी थी. इस दौरान आर्यों को एक नस्ल बताया गया. मैक्स मूलर जर्मनी के रहने वाले थे. उन्हें उस जमाने में दस हज़ार डॉलर की ‪#‎पगार‬ पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने ‪#‎वेदों‬ को समझने और उनका अनुवाद करने के लिए रखा था.


अंग्रेज भारत में अपना शासन चलाना चाहते थे, लेकिन यहां के समाज के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी. इसी योजना के तहत लॉर्ड ‪#‎मैकॉले‬ ने मैक्स मूलर को यह काम दिया था.


यह लॉर्ड मैकॉले वही हैं, जिन्होंने भारत में एक ऐसे वर्ग को तैयार करने का बीड़ा उठाया था, जो अंग्रेजों और उनके द्वारा शासित समाज यानी भारत के लोगों के बीच संवाद स्थापित कर सकें. इतना ही नहीं, मैकॉले कहते हैं कि यह वर्ग ऐसा होगा, जो रंग और खून से तो भारतीय होगा, लेकिन आचार-विचार, नैतिकता और बुद्धि से अंग्रेज होगा. इसी एजेंडे को पूरा करने के लिए उन्होंने भारत में शिक्षा नीति लागू की, भारत के धार्मिक ग्रंथों का विश्‍लेषण कराया और सरकारी इतिहास लिखने की शुरुआत की. आज़ादी से पहले और आज़ादी के बाद भारत के शासक वर्ग ने लॉर्ड मैकॉले के सपने को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इतिहासकारों ने भी इसी प्रवृत्ति का परिचय दिया. अंग्रेजों की एक आदत अच्छी है. वे दस्तावेज़ों को संभाल कर रखते हैं. यही वजह है कि वेदों को समझने और उनके अनुवाद के पीछे की कहानी की सच्चाई का पता चल जाता है.


‪#‎मैक्स‬ मूलर ने वेदों के अध्ययन और अनुवाद के बाद एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने साफ़-साफ़ लिखा कि भारत के धर्म को अभिशप्त करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है और अगर अब ईसाई मिशनरी अपना काम नहीं करते हैं, तो इसमें किसका दोष है.


मैक्स मूलर ने ही भारत में आर्यन इन्वेजन थ्योरी को लागू करने का काम किया था, लेकिन इस थ्योरी को सबसे बड़ी चुनौती 1921 में मिली. अचानक से सिंधु नदी के किनारे एक सभ्यता के निशान मिल गए.
कोई एक जगह होती, तो और बात थी. यहां कई सारी जगहों पर सभ्यता के निशान मिलने लगे. इसे सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाने लगा.


यहां की खुदाई से पता चला कि सिंधु नदी के किनारे कई शहर दबे पड़े हैं. इन शहरों में सड़कें थीं, हर जगह और घरों से नालियां निकल रही थीं. पूरे शहर में एक सुनियोजित ड्रेनेज सिस्टम था. बाज़ार के लिए अलग जगह थी. रिहाइशी इलाक़ा अलग था. इन शहरों में स्वीमिंग पूल थे, जिनका डिजाइन भी 21वीं सदी के बेहतरीन स्वीमिंग पूल्स की तरह था. अनाज रखने के लिए गोदाम थे. नदियों के किनारे नौकाओं के लिए बंदरगाह बना हुआ था.
जब इन शहरों की उम्र का अनुमान लगाया गया, तो पता चला कि यह दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है. यह आर्यों के आगमन के पहले से है.


अब सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि जब आर्य बाहर से आए थे, तो यहां कौन रहते थे. सिंधु घाटी सभ्यता के शहर स़िर्फ ज़मीन में धंसे हुए शहर नहीं थे, बल्कि इतिहास के सुबूतों के भंडार थे. अंग्रेज इतिहासकारों ने इतिहास के इन सुबूतों को दरकिनार कर दिया और अपनी आर्यों की थ्योरी पर डटे रहे. होना तो यह चाहिए था कि सिंधु घाटी सभ्यता से मिली नई जानकारी की रौशनी में इतिहास को फिर से लिखा जाता, लेकिन अंग्रेजी इतिहासकारों ने सिंधु घाटी सभ्यता का इस्तेमाल आर्यन इन्वेजन थ्योरी को सही साबित करने में किया.

Thursday, August 14, 2014

मोदी के भाषण की 10 खास बातें

मोदी के भाषण की 10 खास बातें

Aajtak.in [Edited By: विकास त्रिवेदी] | नई दिल्ली, 15 अगस्त 2014 | अपडेटेड: 09:52 IST




प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी की 68वीं वर्षगांठ पर लालकिले की प्राचीर से तिरंगा फहराकर देश को संबोधित किया. मोदी के भाषण में देश के विकास को लेकर कुछ खास बातों और योजनाओं का जिक्र रहा. यहां पढ़िए प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की 10 महत्वपूर्ण बातें.

मेरा क्या, मुझे क्या फायदा- 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज किसी भी काम कराने के लिए किसी के पास जाइए तो वो पहला सवाल यही पूछता है, इससे मुझे क्या फायदा होगा, इसके होने से मेरा क्या फायदा ?. मोदी ने इस सोच को गलत ठहराते हुए कहा कि हमें इस सोच से आगे बढ़कर यह सोचना होगा कि हमारे कुछ करने से किसी को फायदा होना चाहिए.

कम एंड मेक इन इंडिया- 

मोदी ने विश्व के बाकी देशों को भारत में आकर काम करने का निमंत्रण दिया. मोदी ने कहा, विश्व के सभी देश भारत आकर काम करें. हम मिलकर काम करेंगे और बेहतर विश्व के निर्माण की तरफ आगे बढ़ेंगे.

सांसद आदर्श ग्राम योजना-प्रधानमंत्री मोदी ने सांसद ग्राम योजना के जरिए देश के सांसदों से अपनी पसंद का एक गांव चुनकर उसे आदर्श गांव बनाए जाने की अपील की. मोदी ने कहा, प्रत्येक सांसद एक गांव को 2016 तक आदर्श गांव बनाने के लिए काम करे और 2019 तक 2 गांवों को आदर्श गांव बनाने का सराहनीय काम करने के बाद चुनावों में पहुंचे.

प्रधानमंत्री जन धन योजना- 

प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से प्रधानमंत्री जन धन योजना शुरू करने की बात कही. इस योजना के तहत देश के प्रत्येक नागरिक का बैंक अकाउंट खोले जाने की बात कही गई. मोदी ने कहा, इस योजना के जरिए देश के सभी गरीब लोगों का बैंक अंकाउट खोला जाएगा. इसके साथ ही अकाउंट खोलने वालों के लिए एक लाख रुपये का बीमा भी किया जाएगा. जिसे जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकेगा.

ई-गवर्नेंस, ईजी गवर्नेंस- 

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले से ई-गवर्नेंस के नारे में नए शब्द जोड़ते हुए कहा कि अब हमें ई-गवर्नेंस की तरह ईजी गवर्नेंस पर काम करना होगा. ई-गवर्नेंस के माध्यम से गुड गवर्नेंस हासिल की जा सकती है. हम टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहते हैं.

डिजिटल इंडिया- 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमें डिजिटल इंडिया का सपना देखना चाहिए. देश के दूर-दराज गांवों में भी डिस्टेंस एजुकेशन, टेलीमेडिसिन, मोबाइल से ज्यादातर काम करें. अगर हमें यह करना है तो हमें डिजिटल इंडिया की तरफ आगे बढ़ना होगा. डिजिटल इंडिया से हम देश के खजाने को भर सकते हैं.

स्किल डेवलपमेंट-

मोदी ने कहा, मैं देश में ऐसे नौजवान तैयार करना चाहता हूं जो जॉब क्रिएटर हों, जो जॉब क्रिएटर नहीं हैं वे ऐसे हों कि दुनिया की आंखों में आंखें डालकर देख सकें. अगर हमें नौजवानों को तैयार करना है तो हमें निर्माण क्षेत्र पर भी ध्यान देना होगा.

जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट- मोदी ने निर्माण क्षेत्र के विकास पर जोर देते हुए कहा, हमें बेहतर निर्माण इस फॉर्मूले के साथ करना है कि हमारे देश में जिस उत्पाद का निर्माण हुआ हो उसमें कोई कमी न हो. निर्माण से किसी को कोई नुकसान नहीं हो. हमें निर्माण में गुणवत्ता भी बनाए रखनी होगी.

योजना आयोग खत्म होगा- 

मोदी ने कहा, देश में ऐसी व्यवस्था का विकास करना मेरा सपना होगा.जिसके बाद योजना आयोग की जरूरत नहीं रह जाएगी. इसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा. मोदी ने कहा, हम बहुत जल्दी देश में योजना आयोग की जगह नई सोच और नए विश्वास के साथ नई संस्था का निर्माण करेंगे.

स्कूलों में बेटियों के लिए शौचालय- 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, देश में महिलाओं को शौच के लिए बाहर खुले में जाना पड़ता है. इससे शर्मनाक कुछ नहीं है. हमारी कोशिश रहेगी कि स्कूल में छात्राओं के लिए अलग शौचालय का निर्माण किया जाए. मोदी ने कॉर्पोरेट सेक्टर से सीएसआर के जरिए इस काम में सहयोग करने की अपील की.

Saturday, August 2, 2014

सहारनपुर के बलजीत सिंह जी की फेसबुक टाइमलाइन से:

सहारनपुर के बलजीत सिंह जी की फेसबुक टाइमलाइन
से:------------------------------------------
------------------------------------------अगर सहारनपुर
के # मुसलमानों को .............अपनी ईद मानने के लिए पैसे
चाहिए थे, .....तो हमको बता देते हम खुशी- खुशी उनके पर्व
में शामिल होते..... और अपने पैसे से भी उनकी पूरी मदद
करते...., मगर मुसलमानों के लिए जमीन का कोई
मुद्दा ही नहीं था .......उनको तो केवल हमारी दुकानें व घर
लुटकर .........अपनी ईद के लिए पैसा जमा करना था,....!!!
हम सरदारों का दिल बहुत बड़ा होता है .........यदि वो एक
बार कह देते ...कि हमको पैसे की जरुरत है ......तो हम
अपना सब कुछ खुशी- खुशी लुटा देते, ....मगर उन्होंने
ऐसा करके मेरे मन से इस्लाम के लिए रही- सही इज्जत
भी गवां दी...., खुद ....मेरे मुसलमान दोस्तों ने.....
दंगाईयों के साथ मिलकर मेरी दुकान व मेरा घर लुटा .....व
मेरी घर की महिलाओं के साथ बदसलूकी की,...खुद अपने
ही...... मुसलमान दोस्तों को ये सब करते देख...... मुझे
बड़ा अघात पहुँचा है,....!!!!!!! अब मैं कह सकता हूँ कि.....
कभी किसी मुसलमान की बातों का विश्वास मत करना....
वो भले ही ये कितना ही भाई- भाई क्यों न करे, ....क्योंकि ये
जात खुद...... अपने ही जात वालों 'SHIYAS' का आज
दुनिया भर में खून बहा रही है .....फिर ये जात कभी........
हम काफिरों के साथ सच्चा रिश्ता निभाएगी.. ये
सोचना भी बेकार है..!!!!

Thursday, July 31, 2014

कांग्रेसी नेता निकला सहारनपुर दंगो का मास्टरमाइंड:

कांग्रेसी नेता निकला सहारनपुर दंगो का मास्टरमाइंड: सहारनपुर दंगों का गिरफ्तार मुख्य आरोपी मुहर्रम अली उर्फ़ पप्पू ने लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी।। मतलब दंगे का मुख्य आरोपी कांग्रेसी निकला।

सहारनपुर मामले में दैनिक जागरण का कहना है कि शुरूआती जांच में सहारनपुर दंगों में कश्मीर से कनेक्शन की बात सामने आ रही है. आगजनी में जो केमिीकल इस्तेमाल हुये हैं उन केमिकलों का प्रय़ोग आमतौर पर कश्मीर घाटी मे होता रहा है। मुहर्रम अली के गुर्गों ने सबसे पहले फायर ब्रिगेड की गाड़ियों में आग लगा दी जिससे वो शहर में कहीं आग न बुझा सके उसके बाद इन्होने केमिकल की सहायता से हिन्दुओं और सिक्खों के प्रतिष्ठानों को निशाना वनाते हुए आग लगा दी।। 

पुलिस ने बुधवार को दंगे के मुख्य आरोपी मोहर्रम अली उर्फ पप्पू सभासद को कई साथियों के साथ गिरफ्तार किया तो इसका सनसनीखेज खुलासा हुआ. कि यह दंगा पूरी तरह से सुनियोजित था.आगे अखबार का कहना है कि आगजनी करने वालों में जम्मू-कश्मीर और दिल्ली से आए लोगों के शामिल होने की भी आशंका है. पुलिस का कहना है कि मोहर्रम अली के इशारे पर ही अंबाला रोड पर जमकर आगजनी,लूटपाट व फायरिंग हुई थी..

अमर उजाला ने लिखा है कि पुलिस ने दंगे भड़काने वाले मुख्य आरोपी पूर्व सभासद मोहर्रम अली उर्फ पप्पू समेत कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. उधर, प्रदेश के राज्यमंत्री राजेंद्र राणा और भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ितों से मुलाकात की है.


अखबार का कहना है कि हालांकि मुख्य आरोपी पप्पू ढील का फायदा उठाने की फिराक में था लेकिन पकड़ लिया गया. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गया था. सहारनपुर के एसएसपी राजेश कुमार पांडे का कहना है कि सहारनपुर को दंगे फैलाने वाले तीन मास्टर माइंड में से दो पूर्व सभासद मोहर्रम अली उर्फ पप्पू व इरशाद को कुतुबशेर थाना पुलिस ने मंडी थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया है. इरशाद पप्पू का भतीजा है और उनके साथ दानिश, शाहिद, इरफान भी पकड़े गए हैं।।


Tuesday, July 29, 2014

सहारनपुर दंगा - दंगाई योजनाबद्ध थे

दंगे की आग से झुलसे यूपी के सहारनपुर में दंगाइयों ने ऐसा कहर बरपाया था कि तबाही का मंजर रोंगटे खड़े करने वाला है।

अंबाला रोड पर शनिवार को सौ से ज्यादा दुकानों में लूटपाट और आगजनी से व्यापारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।

दुकानों के मलबे में टूटे पड़े ताले और वहां पड़ी केमिकल की केनों से साफ है कि दंगाइयों ने लूटपाट के बाद केमिकल डालकर दुकानों में आग लगाई थी।

जली हुई दुकानों के बाहर केमिकल के केन मिलने से साफ है कि दंगाई योजनाबद्ध थे। गुरुद्वारा रोड के निवासियों और व्यापारियों पर उपद्रवियों का कहर इस कदर रहा कि दंगे की बात आते ही वे सिहर जाते हैं।

सोमवार को अंबाला रोड की दुकानों से उठता धुआं और चारों ओर बिखरी राख तीन दिन पहले उन्मादियों के कहर की कहानी बयां कर रहा है।

हर दुकान में लाखों रुपये का माल था और त्योहारी सीजन के लिए व्यापारियों ने स्टॉक फुल किया हुआ था, मगर उन्हें क्या पता था कि उनके खून-पसीने की कमाई दंगाई लूट लेंगे और दुकानों को राख कर जख्म गहरा कर जाएंगे।

कुतुबशेर थाने से शहर की ओर बढ़ने पर सड़क के दोनों तरफ करीब 100 दुकानें दंगाइयों के निशाने पर रहीं। तीन दिन पहले जमीन विवाद को लेकर शुरू हुआ झगड़ा देखते-ही देखते दंगे में तब्दील हो गया था।

दुकानों की राख और मलबे से साफ है कि दंगाई पूरी तैयारी से आए थे और उनका इरादा केवल लूट था।

अंबाला रोड की जिन दुकानों को निशाना बनाया गया, उनमें इलेक्ट्रानिक्स शोरूम, ऑटो मोबाइल, स्पेयर पार्ट्स, बैटरी आदि की दुकानें थीं। कर्फ्यू में ढील के बाद जब व्यापारियों ने दुकानें खोली तो ज्यादातर दुकानों के ताले टूटे हुए थे और वहां केमिकल के केन पड़े मिले। इससे साफ है कि दंगाइयों ने पूरी तैयारी से लूटपाट की।

अंबाला रोड की दुकानों में लूटपाट और आगजनी से व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान हुआ है। चावला इलेक्ट्रानिक्स के मालिक बलजीत चावला ने बताया कि तीन तल के शोरूम में कई लाख का माल था, लेकिन अब केवल राख बची है।

अन्य दुकानों में भी लाखों का माल या मशीनरी थी। दंगाइयों ने लूटपाट के बाद दुकानों की मशीनों में भी तोड़फोड़ की है। ऐसे में माल के साथ दुकानों के जलने से उन्हें करोड़ों का नुकसान हुआ है।

दंगाइयों के कहर के बाद सबसे बड़ा सवाल उठता है ज्वलनशील केमिकल की इतनी बड़ी खेप कहां से आई। जिस तरह आगजनी की गई है, उसमें 50 से ज्यादा केनों का इस्तेमाल हुआ है। हालांकि प्रशासन के पास इसका कोई जवाब नहीं है।

Wednesday, July 16, 2014

हृदय परिवर्तन का वैदिक शास्त्र

हृदय परिवर्तन का वैदिक शास्त्र

बाबा रामदेव योग गुरु हैं, और तरह-तरह के आसन करने में माहिर हैं यह तो सभी जानते हैं। एक आसन और करते हैं वह। अपना पैर अपने मुंह में डालने का। अंग्रेजी में एक कहावत है: पुटिंग योर फुट इन द माउथ। इसका मतलब ऐसा कुछ बेवकूफी भरा कह देना कि बाद में पछतावा हो। वैदिक वाले मामले में यही हुआ फिर से। अच्छा खासा वैदिक ऐंड पार्टी मिल-मिला कर हाफिज सईद (मुरली मनोहर जोशी के मुताबिक 'श्री हाफ़िज़ सईद'...) के साथ मुलाकात को लीप-पोत रहे थे, और बाबा बोल पड़े।


बाबा मे बोला ऐसा कि अपनी टांग को बकलोलासन करते हुए अपने मुंह में घुसेड़ लिया और मचने लगी हाय-हाय। बोले कि वैदिक हृदय परिवर्तन के लिए गए थे। सियार को जब हुक्कार उठती है तो लाख मनाये कोई, बस उठी तो उठी, वह हुक्कार के ही दम लेगा। अब कोई पत्रकार हृदय परिवर्तन के लिए तो जाता नहीं, वह भी किसी ऐसे हैवान का, जो मज़हब के नाम पर पूरे देश और उसके लोगों का खून पीने के लिए बैठा हो। ये पत्रकार मसीहाई और फेथ हीलिंग कब से करने लगे? पतंजलि के किसी चूर्ण का असर है क्या?


सवाल यह तो है ही कि वैदिक मिलने क्यों गए? क्यों हाफिज सईद ने उनकी कार का दरवाज़ा खोला? क्यों हाफिज कई बाकी पत्रकारों से नहीं मिला। जहां तक मुझे याद पड़ता है, तवलीन सिंह से भी नहीं मिला था। जो फोटो फेसबुक पर आई है, उसमें रिकॉर्डिंग इंस्ट्रूमेंट कोई दिख तो नहीं रहा। कोई माइक, कॉलर माइक, टेप रिकॉर्डर, या कोई नोटबुक, पेन वगैरह। तो इंटरव्यू के बारे में वैदिक जो लिखे, क्या अपनी स्मृति से ही लिखे? या ऐसा कोई करार था दोनों के बीच? उनका कहना है कि उनके इंटरव्यू पर 36 अखबारों ने संपादकीय लिखे। आपने पढ़े थे?


सवाल यह नहीं कि एक पत्रकार को किसी आतंकवादी, मोस्ट वांटेड शैतान से मिलने का हक़ है या नहीं, सवाल यह है कि उनके बीच जो हुआ उसकी पूरी डिटेल जानने का हक इस देश को है। मुलाकात इस्लामाबाद के भारतीय दूतावास की जानकारी बगैर नहीं हो सकती, तो विदेश मंत्रालय को इसकी पूरी जानकारी देनी चाहिए। और मामला इसलिए गंभीर है कि वैदिक भाजपा के काफी करीबी हैं, और इसलिए खुद पीएम मोदी को इस पर एक बयान देना चाहिए। इस पूरी मीटिंग का एक-एक डिटेल।


रामदेव ने किस आधार पर कहा की वैदिक हाफिज का दिल बदलने गए थे? यह मान भी लिया जाय तो किसने भेजा उन्हें इस मिशन पर कि वह जाएं और शैतान का दिल बदल आवें। पर रामदेव को जानकारी कैसे मिली वैदिक के मिशन के बारे में? या तो यह माना जाए कि रामदेव उल-जलूल बोलते हैं, जो मन में आये वही।


अब वैदिक भाजपा से पल्ला झाड़ रहे हैं, और बीजेपी वैदिक से। वैदिक का कहना है कि वह तो नरसिम्हा राव के भी यार रहे थे और ऐसी सभाओं में भी बोले, जिसमें पूर्व पीएम मनमोहन मुख्य वक्ता थे। और बीजेपी कह रही है कि वैदिक पत्रकार हैं, जिससे चाहे मिलें और रामदेव बोल रहे हैं दिल बदलने के लिए गए थे। जनता कन्फ्यूज़्ड हुए जा रही है। आतंकवादियों का सरगना कह रहा है कि भारतीय सांसदों की सोच ही ओछी है। हद है साहब! झूठ और अर्धसत्य के इस बीहड़ जंगल में कौन ढूंढ कर लाये सच के घायल मृग को?



वैदिक को क्लियर करना चाहिए कि वह पत्रकारिता करना चाहते हैं, या भारतीयता। पेशा पहले है या देश। वे यह भी कह रहे हैं कि उन्होंने बड़ा साहस किया और कोई होता तो स्ट्रेचर पर लौटता। तो ऐसे खूंखार शैतान के साथ उन्होंने क्या किया कि उन्हें स्ट्रेचर पर नहीं लौटना पड़ा? योग सिखाया उसको? गीता पाठ किया उसके सामने? लोग जानना चाहते हैं वैदिक साहब, आप मसीहाई के राज़ शेयर तो करें। मैं एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में मिलता इस शैतान से तो सबसे पहले एक भारतीय के रूप में मिलता और पूरा डिटेल इस मुलाकात के बारे में खुल कर शेयर करता, न सिर्फ अपने देश वालों से बल्कि पूरी दुनिया से।


क्यों नहीं? ये तो इंसानियत के दुश्मन हैं। इनसे कोई गोपनीय बात करने का क्या मतलब? ये आपके देश की धज्जियां उड़ाने के लिए मौका ढूंढ रहे हैं और वैदिक और उनके संरक्षक किस्से सुना रहे हैं, उनके व्यक्तिगत साहस और पत्रकारिता के उसूलों के। हाफ़िज़ कह रहा है पाकिस्तान में मोदी का स्वागत है। आईएसआई और पाक सेना की सुरक्षा में रहता है यह बंदा और एक खबर तो यह भी है कि वैदिक साहब एक पाकिस्तानी अखबार में कश्मीर की आज़ादी की बात भी कर आये हैं। कौन किसके हाथ में खेल रहा है, ये क्या हो रहा है साहब! कोई कुछ बताये तो!


कुछ है जो छिपाया जा रहा है। ये हंगामा यूं ही नहीं। कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है! हो सकता है बंदा कहने कुछ और गया हो और कह आया हो कुछ और ही। हाफ़िज़ के सामने घिघिया कर बात ही बदल गयी हो और अब बताने में शर्म आ रही हो। एक शेर है न: 'घर से तो हर मुआमला करके चले थे साफ़ हम, कहने को उनके सामने बात बदल बदल गयी'।

Friday, July 11, 2014

गुजरात का प्रयोग - 'एटीएम' से कीजिए पुलिसवालों की शिकायत

'एटीएम' से कीजिए पुलिसवालों की शिकायत!नवभारतटाइम्स.कॉम | Jul 12, 2014, 10.47AM IST


कुछ इस एटीएम जैसी ही है शिकायत तर्ज करने वाली मशीन।


अहमदाबाद
पुलिस थाने में शिकायत दर्ज नहीं की जा रही है तो 'ATM' में जाइए! चौंकिए नहीं, गुजरात के अहमदाबाद में यही हो रहा है। गुजरात के साणंद में एक ऐसी 'एटीएम जैसी मशीन लगाई गई है, जहां पुलिस थाने मे शिकायत दर्ज न होने पर आप अपनी कंप्लेन दर्ज करा सकते हैं। यही नहीं आप शिकायत दर्ज न करने वाले पुलिसवाले की भी कंप्लेन भी कर सकते हैं। एटीएम जैसे इन कियोस्क के बारे में जानकर आप भी कहेंगे कि काश ये पूरे देश में लगाए जाएं।

अहमदाबाद के ग्रामीण इलाके साणंद के पुलिस स्टेशन ने यह एटीएम जैसा कियोस्क लगाया है। यहां आप बिना किसी डर और झंझट के अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इस मशीन में आपको बस बटन दबाने होते हैं। सबसे पहले आपसे अंग्रेजी या फिर गुजराती में शिकायत तर्ज करने का ऑप्शन दिया जाता है।

बटन दबाने के बाद मशीन पूछती है कि आपने अपनी शिकायत कब दर्ज कराने की कोशिश की थी। इसमें शिकायत दर्ज न करने वाले पुलिसवाले का नाम और दूसरी डीटेल्स पूछी जाती हैं। अगर आपकी किसी शिकायत पर कोई ऐक्शन नहीं हुआ है, तो भी इस मशीन के जरिए आप शिकायत कर सकते हैं। यहां से मिली शिकायत से आला अधिकारी सक्षम अधिकारी से जवाब तलब करते हैं।


डीएसपी (अहमदाबाद ग्रामीण) गगनदीप गंभीर के मुताबिक यह प्रयोग काफी सफल रहा है। उन्होंने बताया, 'अब मेरे ऑफिस में शिकायत न सुने जाने को लेकर आने वाले लोगों की तादाद कम हुई है। वे अब कियोस्क में जाते हैं और अपनी शिकायत दर्ज करते हैं। यह शिकायतें सीधे मेरे कंट्रोल रूम में आती हैं। इससे मुझे पता चल जाता है कि पुलिसकर्मी लोगों से कैसे बर्ताव कर रहे हैं।'

फर्जी शिकायतों को रोकने के लिए इस मशीन में कैमरा लगा है। यौन उत्पीड़न और रेप केस को छोड़कर यह मशीन शिकायतकर्ता की फोटो खींचती है। इसके साथ ही मशीन में अनपढ़ लोगों के लिए विडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा भी है।

Tuesday, July 8, 2014

क्या वाकई हम तैयार हैं ..??

क्या वाकई हम तैयार हैं ..??

बहावी विचारधारा वाले सुन्नी संगठन ISIS आधे इराक पर कब्जा जमा लिया। अपनी अदभुत छापामार युद्ध प्रणाली की वजह से इराकी सेना को हराने वाले इन कट्टरपंथियों का इराक अभियान कोई जोश में उठाया कदम नहीं है। ध्यान देने वाली बातें यह हैं कि कट्टरपंथियों के अति-आधुनिक हथियार और आपसी तारतम्यता व समझ यह सिद्ध करते हैं कि इस अभियान की तैयारी एक-दो दिन की नहीं महीनों की है। जिस तरीके से कट्टरपंथी उत्तरी इराक को जीतकर राजधानी बगदाद की ओर बढ़ रहे हैं वह साबित करता है कि यह पूर्व-सुनियोजित है।

एक बात और गौरतलब है कि सीरिया, इजिप्ट, सऊदी अरब, अफगानिस्तान और कई देशों से के सुन्नी कट्टरपंथी एक संगठन के झण्डे तले आ खड़े हुए हैं और इकठ्ठे हो रहे हैं... इन सबके बीच अगर किसी देश को अपनी सुरक्षा के लिए फ्रिकमन्द होना होगा तो वह भारत होगा क्यूँकि धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो भारत हमेशा से ही इस्लामिक आतंकियों के निशाने
पर रहा है और हाल में ही अल-कायदा धमकी दे चुका है कि जल्द इराक जैसे काफिले भारत भेजे जायेंगे।

इराकी संकट से भारत को सबक सीखने की जरूर है। जहाँ तक भारतीय सेनाओं का प्रश्न है उनका छापामार युद्ध से आज तक पाला नहीं पड़ा और वो भी ऐसे से तो कभी नहीं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने लिट्टों के प्रश्न पर पचास हजार सैनिक जाफना प्रायद्वीप में भेजे थे लेकिन लिट्टों की छापामार युद्ध तकनीक से भारतीय सेना को बहुत हानि उठानी पड़ी थी। यह बहावी सुन्नी कट्टरपंथी छापामार युद्ध में माहिर, अति-आधुनिक हथियारों से लैस हैं और धार्मिक रूप से जन्नत जाने को लालायित है। विचारणीय प्रश्न तो यह है कि हमारी सेनाएँ कितनी तैयार हैं?

अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए तो इराकी महिलाओं और बच्चों तक ने हथियार उठा लिये है, अगर भारत में कभी ऐसी कोई परिस्थिति बनती है तो हम तो वो भी नहीं उठा सकते। इराक में तो घर-घर में ऐके 47 और ACR मिल जायेंगी, जिन्हे वे बखूबी चलाना जानते हैं लेकिन हमारे यहाँ तो हथियार के नाम लाठियाँ, हाकियाँ और ज्यादा से ज्यादा देशी-तमन्चे ही मिल सकते है और रही बात हमारी पुलिस की तो वह इतनी सक्षम ही नहीं है कि एक उठाईगीरे को पकड़ ले, प्रशिक्षित आतंकियों को रोकना तो दूर की बात है।

देखा था ना 26/11 के हमले में तेरह हमलावरों के सामने भारत की तेज-तर्रार मुम्बई पुलिस घुटनों के बल रेंगती नजर आयी थी। पूरे दो दिन बाद सेना ने ही मोर्चा सम्भाला और आतंकियों को मार गिराया गया था। यही हमला अगर न्यूयार्क पर हुआ होता तो हमलावरों को अमेरिका की SWAT पुलिस ही मिनटों में धूल चटा चुकी होती, आर्मी तो दूर की बात है। हमारी पुलिस से बेहतर तो पाकिस्तान पुलिस है जिनको ट्रेनिंग आर्मी देती है और आतंकी हमले से लेकर बन्धकों को मुक्त करवाने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है।

खैर भारत की सुरक्षा अब जिनके हाथों में उनको भारत की सुरक्षा को लेकर चिन्ता तो करनी ही चाहिए और साथ में भारतीय सेना से घरेलू पुलिस तक को आधुनिक बनाने की जरूरत है।भारत की सुरक्षा एकमात्र सेना की जिम्मेदारी नहीं है, इसके लिए इजरायल से सबक सीखने की जरूरत है।

रेल बजेट - MAMTA v/s GOWDA

रेल बजेट में अंतर - MAMTA v/s GOWDA

पहली बार लगा कि हिंदुस्तान का रेल बजेट है ना कि बंगाल का या बिहार का |




और इसी बीच राहुल गांधी " से पूछा गया की आपने रेल बजट को खराब क्यों बताया? क्योकि ' अहमद पटेल ' ने कहा था की बजट कैसा भी हो अपने को खराब ही कहना हैं !

Saturday, July 5, 2014

बाबरी मस्जिद पर छाती कूटने वालों देखो ISIS क्या कहर ढा रहा है

बाबरी मस्जिद पर छाती कूटने वालों देखो ISIS क्या कहर ढा रहा है

source - http://justpaste.it/atrah

بسم الله الرحمن الرحيم

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الدولة الإسلاميّة - ولاية نينوى

 

تقرير عن هدم الأضرحة والأوثان في ولاية نينوى

 

.{ قال تعالى : { وَأَنَّ الْمَسَاجِدَ لِلَّهِ فَلا تَدْعُوا مَعَ اللَّهِ أَحَداً 

 



 



عن أَبِى الْهَيَّاجِ الأَسَدِيّ قَالَ: قَالَ لِي عَلِيُّ بْنُ أَبِي طَالِبٍ (رضي الله عنه): «أَلاَّ أَبْعَثُكَ عَلَى مَا بَعَثَني عَلَيْهِ رَسُولُ اللَّهِ (صلى الله عليه وسلم)؟ أَنْ لاَ تَدَعَ تِمْثَالاً إِلاَّ طَمَسْتَهُ، وَلاَ قَبْرًا مُشْرِفًا -أي مرتفعاً عن الأرض- إِلاَّ سَوَّيْتَهُ»  رواه مسلم


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وفي الصحيحين عن عائشة (رضي الله عنها) قالت: قال رسول الله (صلى الله عليه وسلم) في مرضه الذي لم يقم منه «لَعَنَ اللهُ اليَهُودَ اتَّخَذُوا قُبُورَ أنْبِيَائِهِمْ مَسَاجِدَ»، ولولا ذلك لأُبرز قبرُه، غير أنه خُشي أن يكون مسجداً.

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 قال تعالى :  وَالَّذِينَ اتَّخَذُواْ مَسْجِداً ضِرَاراً وَكُفْراً وَتَفْرِيقاً بَيْنَ الْمُؤْمِنِينَ وَإِرْصَاداً لِّمَنْ حَارَبَ اللّهَ وَرَسُولَهُ مِن قَبْلُ وَلَيَحْلِفَنَّ  إِنْ أَرَدْنَا إِلاَّ الْحُسْنَى وَاللّهُ يَشْهَدُ إِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ

  

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قال ابنُ القيم (رحمه الله) في إغاثة اللهفان: "أن رسول الله (صلى الله عليه وسلم) أمر بهدم مسجد الضرار، ففي هذا دليلٌ على هدم ما هو أعظم فساداً منه كالمساجد المبنية على القبور، فإن حكم الإسلام فيها أن تُهدم كلها حتى تُسوَّى بالأرض، وهي أولى بالهدم من مسجد الضرار، وكذلك القباب التي على القبور يجب هدمها كلها؛ لأنها أُسست على معصية الرسول


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وقال ابنُ كثيرٍ (رحمه الله) في تفسيره: "وقد روينا عن أمير المؤمنين عمر بن الخطاب (رضي الله عنه) أنه لما وَجَدَ قبرَ دانيال في زمانه بالعراق، أمر أن يُخفى عن الناس، وأن تُدفنَ تلك الرقعة التي وجدوها عنده



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والله أكبر
{وَلِلَّهِ الْعِزَّةُ وَلِرَسُولِهِ وَلِلْمُؤْمِنِينَ وَلَكِنَّ الْمُنَافِقِينَ لا يَعْلَمُونَ}


اللجنة الإعلامية لولاية نينوى


  
 


نسألكم الدعــــــــــــــاء


Wednesday, June 18, 2014

क्या वाकई हम तैयार हैं ?

क्या वाकई हम तैयार हैं ..??

बहावी विचारधारा वाले सुन्नी संगठन ISIS आधे इराक पर कब्जा जमा लिया। अपनी अदभुत छापामार युद्ध प्रणाली की वजह से इराकी सेना को हराने वाले इन कट्टरपंथियों का इराक अभियान कोई जोश में उठाया कदम नहीं है। ध्यान देने वाली बातें यह हैं कि कट्टरपंथियों के अति-आधुनिक हथियार और आपसी तारतम्यता व समझ यह सिद्ध करते हैं कि इस अभियान की तैयारी एक-दो दिन की नहीं महीनों की है। जिस तरीके से कट्टरपंथी उत्तरी इराक को जीतकर राजधानी बगदाद की ओर बढ़ रहे हैं वह साबित करता है कि यह पूर्व-सुनियोजित है।

एक बात और गौरतलब है कि सीरिया, इजिप्ट, सऊदी अरब, अफगानिस्तान और कई देशों से के सुन्नी कट्टरपंथी एक संगठन के झण्डे तले आ खड़े हुए हैं और इकठ्ठे हो रहे हैं... इन सबके बीच अगर किसी देश को अपनी सुरक्षा के लिए फ्रिकमन्द होना होगा तो वह भारत होगा क्यूँकि धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो भारत हमेशा से ही इस्लामिक आतंकियों के निशाने
पर रहा है और हाल में ही अल-कायदा धमकी दे चुका है कि जल्द इराक जैसे काफिले भारत भेजे जायेंगे।

इराकी संकट से भारत को सबक सीखने की जरूर है। जहाँ तक भारतीय सेनाओं का प्रश्न है उनका छापामार युद्ध से आज तक पाला नहीं पड़ा और वो भी ऐसे से तो कभी नहीं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने लिट्टों के प्रश्न पर पचास हजार सैनिक जाफना प्रायद्वीप में भेजे थे लेकिन लिट्टों की छापामार युद्ध तकनीक से भारतीय सेना को बहुत हानि उठानी पड़ी थी। यह बहावी सुन्नी कट्टरपंथी छापामार युद्ध में माहिर, अति-आधुनिक हथियारों से लैस हैं और धार्मिक रूप से जन्नत जाने को लालायित है। विचारणीय प्रश्न तो यह है कि हमारी सेनाएँ कितनी तैयार हैं?

अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए तो इराकी महिलाओं और बच्चों तक ने हथियार उठा लिये है, अगर भारत में कभी ऐसी कोई परिस्थिति बनती है तो हम तो वो भी नहीं उठा सकते। इराक में तो घर-घर में ऐके 47 और ACR मिल जायेंगी, जिन्हे वे बखूबी चलाना जानते हैं लेकिन हमारे यहाँ तो हथियार के नाम लाठियाँ, हाकियाँ और ज्यादा से ज्यादा देशी-तमन्चे ही मिल सकते है और रही बात हमारी पुलिस की तो वह इतनी सक्षम ही नहीं है कि एक उठाईगीरे को पकड़ ले, प्रशिक्षित आतंकियों को रोकना तो दूर की बात है।

देखा था ना 26/11 के हमले में तेरह हमलावरों के सामने भारत की तेज-तर्रार मुम्बई पुलिस घुटनों के बल रेंगती नजर आयी थी। पूरे दो दिन बाद सेना ने ही मोर्चा सम्भाला और आतंकियों को मार गिराया गया था। यही हमला अगर न्यूयार्क पर हुआ होता तो हमलावरों को अमेरिका की SWAT पुलिस ही मिनटों में धूल चटा चुकी होती, आर्मी तो दूर की बात है। हमारी पुलिस से बेहतर तो पाकिस्तान पुलिस है जिनको ट्रेनिंग आर्मी देती है और आतंकी हमले से लेकर बन्धकों को मुक्त करवाने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है।

खैर भारत की सुरक्षा अब जिनके हाथों में उनको भारत की सुरक्षा को लेकर चिन्ता तो करनी ही चाहिए और साथ में भारतीय सेना से घरेलू पुलिस तक को आधुनिक बनाने की जरूरत है।भारत की सुरक्षा एकमात्र सेना की जिम्मेदारी नहीं है, इसके लिए इजरायल से सबक सीखने की जरूरत है।

क्या वाकई हम तैयार हैं ?

क्या वाकई हम तैयार हैं ..??

बहावी विचारधारा वाले सुन्नी संगठन ISIS आधे इराक पर कब्जा जमा लिया। अपनी अदभुत छापामार युद्ध प्रणाली की वजह से इराकी सेना को हराने वाले इन कट्टरपंथियों का इराक अभियान कोई जोश में उठाया कदम नहीं है। ध्यान देने वाली बातें यह हैं कि कट्टरपंथियों के अति-आधुनिक हथियार और आपसी तारतम्यता व समझ यह सिद्ध करते हैं कि इस अभियान की तैयारी एक-दो दिन की नहीं महीनों की है। जिस तरीके से कट्टरपंथी उत्तरी इराक को जीतकर राजधानी बगदाद की ओर बढ़ रहे हैं वह साबित करता है कि यह पूर्व-सुनियोजित है।

एक बात और गौरतलब है कि सीरिया, इजिप्ट, सऊदी अरब, अफगानिस्तान और कई देशों से के सुन्नी कट्टरपंथी एक संगठन के झण्डे तले आ खड़े हुए हैं और इकठ्ठे हो रहे हैं... इन सबके बीच अगर किसी देश को अपनी सुरक्षा के लिए फ्रिकमन्द होना होगा तो वह भारत होगा क्यूँकि धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो भारत हमेशा से ही इस्लामिक आतंकियों के निशाने
पर रहा है और हाल में ही अल-कायदा धमकी दे चुका है कि जल्द इराक जैसे काफिले भारत भेजे जायेंगे।

इराकी संकट से भारत को सबक सीखने की जरूर है। जहाँ तक भारतीय सेनाओं का प्रश्न है उनका छापामार युद्ध से आज तक पाला नहीं पड़ा और वो भी ऐसे से तो कभी नहीं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने लिट्टों के प्रश्न पर पचास हजार सैनिक जाफना प्रायद्वीप में भेजे थे लेकिन लिट्टों की छापामार युद्ध तकनीक से भारतीय सेना को बहुत हानि उठानी पड़ी थी। यह बहावी सुन्नी कट्टरपंथी छापामार युद्ध में माहिर, अति-आधुनिक हथियारों से लैस हैं और धार्मिक रूप से जन्नत जाने को लालायित है। विचारणीय प्रश्न तो यह है कि हमारी सेनाएँ कितनी तैयार हैं?

अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए तो इराकी महिलाओं और बच्चों तक ने हथियार उठा लिये है, अगर भारत में कभी ऐसी कोई परिस्थिति बनती है तो हम तो वो भी नहीं उठा सकते। इराक में तो घर-घर में ऐके 47 और ACR मिल जायेंगी, जिन्हे वे बखूबी चलाना जानते हैं लेकिन हमारे यहाँ तो हथियार के नाम लाठियाँ, हाकियाँ और ज्यादा से ज्यादा देशी-तमन्चे ही मिल सकते है और रही बात हमारी पुलिस की तो वह इतनी सक्षम ही नहीं है कि एक उठाईगीरे को पकड़ ले, प्रशिक्षित आतंकियों को रोकना तो दूर की बात है।

देखा था ना 26/11 के हमले में तेरह हमलावरों के सामने भारत की तेज-तर्रार मुम्बई पुलिस घुटनों के बल रेंगती नजर आयी थी। पूरे दो दिन बाद सेना ने ही मोर्चा सम्भाला और आतंकियों को मार गिराया गया था। यही हमला अगर न्यूयार्क पर हुआ होता तो हमलावरों को अमेरिका की SWAT पुलिस ही मिनटों में धूल चटा चुकी होती, आर्मी तो दूर की बात है। हमारी पुलिस से बेहतर तो पाकिस्तान पुलिस है जिनको ट्रेनिंग आर्मी देती है और आतंकी हमले से लेकर बन्धकों को मुक्त करवाने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है।

खैर भारत की सुरक्षा अब जिनके हाथों में उनको भारत की सुरक्षा को लेकर चिन्ता तो करनी ही चाहिए और साथ में भारतीय सेना से घरेलू पुलिस तक को आधुनिक बनाने की जरूरत है।भारत की सुरक्षा एकमात्र सेना की जिम्मेदारी नहीं है, इसके लिए इजरायल से सबक सीखने की जरूरत है।

बीजेपी का हिंदुत्व और श्री राम जन्मभूमि का सच


हिंदुत्व के सभी मुद्दों से बीजेपी ने पल्ला झाड लिया है बीजेपी के हिन्दू कार्यकर्ताओं की मौत पर कुछ नही लेकिन पुणे में मुल्ले की मौत पर 3 लाख की घोषणा बीजेपी ने की पश्चिम बंगाल में tmc द्वारा बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के मुल्लो कि पिटाई के लिए कमेटी गठित क्या हिन्दुओ ने बीजेपी को वोट नही दिया है।

बीजेपी का हिंदुत्व और श्री राम जन्मभूमि का सच :-

राम के नाम परखुद को खड़ी करने वालीभाजपा को , राम का श्राप सा लग गया है। कभी भाजपा के पास हिदुत्व और भाजपा के राम दोनोहुआ करते थे। आजकुछ भीनहीं। सच तो ये है , कि ना ही कभी भाजपा के राम थे और ना हीकभी देश को जोड़ने का हिन्दुत्व। कहां से शुरू हुआ हिन्दुत्व और कैसे भाजपा कोराम का मुद्दा मिला , इसे जानने के लिये थोड़ा पीछे भाजपा का सफरनामा देखना होगा। 1951 में संघने राजनतिकपहचान बनाने के लिये भारतीय जनसंघ का गठन किया । प्रो0 मधोक, डॉ0श्यामाप्रसाद मुखर्जी और प0 दीनदयाल उपाध्याय ने संघको लोकप्रिय बनाया और प्रतिष्ठा दिलायी। संक्षेप में भाजपा के हिन्दुत्व और राम को पहचानते की कोशिश करते है। 1968 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने जनसंघ के अध्यक्ष पदकी कमान संम्भाली । लेकिन कुछसमय बाद सदिग्ध परिस्थितियों में प0 दीनदयाल उपाध्याय की मौत हो गयी । इसके बाद संघके भावनाओं के अनुरुप अटल बिहारी भाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी आये। अटल जी 1977 में जनसंघके आणवाणी काजनसंघ में वचस्व कायम हो गया, और लोगो का पार्टी में आना जाना लगा रहा। यही से शुरुआत हुआ जनसंघमें सत्ता का लोभ। फिर 1975 में आपात काल कीघोषणा के बादजनसंघ पर प्रतिबंधलगाया गया। पर संघगुप्त रुप से काम करता रहा। 1977 में आपात काल के बाद हुये चुनाव में पहली बार पार्टीसत्ता में आयी । फिर मोरार जी देसाई के कार्य काल में बवाल हुआ और जनता पार्टी की सरकार टुट गयी। फिर 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। संघकी स्थापना पहले ही हो गयीथी, राष्ट्रीय आंदोलन के साथ । लेकिन राष्ट्रीय आंदोलन की दिशा तय नहीं हो पायी ।

बाद में यह आंदोलन साम्प्रदायिकऔर राष्ट्रवादके राहपर चल पड़ा, और संघ हिन्दुओं के नाम पर लोगो को एक करने लगा। जिसमें वहअसफल रहा । और यहां शुरु हुआ हिन्दुत्व , जिसमें संघ और भाजपा दोनो उलझ गये। लोगो को हिन्दुत्व की परिभाषा बतायीजाने लगी। हिन्दुत्व कोई धर्म नही जीवन शैली है, हिन्दुत्व राष्ट्र का प्राण है, हिन्दुत्व राष्ट्रका गौरव है, राष्ट्र की गरिमा है, हिन्दुत्व हमारा जीवन मूल्य है, हमारी आस्था है। हमारी निष्ठा है, हिन्दुत्व राष्ट्र भक्ति का पर्याय है, हिन्दुत्व का दूसरा नाम पुरुषोत्तमराम है। अब संघऔर भाजपा हिन्दुत्व में उलझ कर रहगये । क्योंकिअबतकयह समप्रदायिकता काप्रतिक हो बन चुका था, और यही से भाजपा अपने राम को निकालती है। और शुरु करती है राम जन्म भूमी आंदोलन । अब अयोध्या के राम का एक राजनीतिकरण होचुकाथा। और भाजपा के राम सच में कभी थे ही नहीं । क्योंकि यह महज राजनीति के एकहिस्सा थे क्योकि भाजपा के राम तोसिर्फराजनीति में थे।

 राम को राष्ट्रीय अस्मीता का मुद्दाबनाया गया और गली गली घूम कर भगवान श्री राम की सौगंधखायीगयी। जिसका आज की भी पता नहीं। सौगंध राम की खाते है, हम मंदिर वहीं बनायेगें।राम के नाम पर जनता को छला गया । श्री राम का नाम सुनते ही जनता में एकजूनून सवार हो गया । साराहिन्दू समाजउग्र था। अयोध्या में लोग भव्य राम मंदिर की कामनाकरने लगे । वहां एक तरफ स्वामी रामचंद्रपरमहंसथे निर्मोही अखाड़ा था ।तो दूसरी तरफ मुस्लिम वक्फ वाले । यही राजनीति रंग लाने लगी और राजनीतिक तांडव करने के लिये तैयार हो चुके थे। संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल जैसे हिन्दूवादी संगठन सक्रिय हो गये । भ्रम पैदा करने के लिये कुछ काम भी शुरु हुये। साध्वीरितम्भरा ,साध्वी उमा भारती और अन्य संत समाज से जुड़े लोग भाषण देने लगे। कुछतो राम के पुजारीथे कुछराजनीति के । पर लोग छले गये । लोग सोचे के यही असली राम भक्त है । इनके लिये मरने मारने को तैयार थे। जिसका लाभ मिला राजनीति में ।

 23 जून 1990को हरिद्घारमें सभी संत समाज ने यहफैसला लिया कि 30 अक्टूबर 1990 को मंदिर निर्माण शुरु होगा। भाजपा ने मौके का फायदा उठाया और इस आंदोलन में कूद गयी। और निकले एक रथ वाले बाबा , लालकृष्ण आडवाणी । जिन्होने 25 सितम्बर 1990 को सोभनाथ से अयोध्या कीयात्रा निकाली और करोड़ो के मसीहा बन गये। इधर असली राम स्नेही नियत समय में अयोध्या पहुंच कर ध्वज फहरा रहे थे। राजनीतिकअपना तवा गर्म कर रहे थे। वक्ता लोगो को शहीद करने की तैयारी कर रहे थे। दिल्ली में बैठे नेता एक अच्छा नाटक तैयार कर रहे थे। जो अयोध्याजाने के लिये शुरु होता है लेकिन गाज़ियाबादमें गिरफ्तारी के साथ ही खत्म होगया । उधर राम सेवको ने बाबरी मस्जिद विध्वंसकर दी गयी । देश में दंगा भड़क गया। और सैकड़ो निर्दोष लोग बलि चढ़ गये। लेकिन कोई नेता नहीं मारा गया, औरना ही किसी नेता ने यह स्वीकार किया की इसराम नाम में उनकी कोई भूमिका थी। अब तक जनता और राम दोनो लोग छलें जा चुके थे। क्योंकि रथयात्रा राम के नाम परलोग मारे जाचुके थे। 

तो क्या यही हिन्दुत्व था औरयही राम थे, ये तो महज वोट बैंक की राजनीति थी। जो चमक चुकी थी और हिन्दू वोट भाजपा खेमे में आ चुके थे। राम के सौगंध ने सत्ता भाजपाईयो को दे दी। पर सत्ता में आते ही भाजपा ने सबसे पहले अपना ऐजेंडा छोड़ दिया। श्री राम को भूल गयी। अनुच्छेद 370भी भूल गये । याद रहा तो सिर्फ भाजपा का झंडा जो राजद में सिमटगया था। भाजपा वाले कहने लगे मंदिर हमारे ऐजेंडे में नहीं है। जो अप्रिय होने के साथसत्य था और ये साफ हो गया । कि भाजपा के कभीराम थे ही नहीं । रथवाले बाबा यहकहना शुरु करदिये की मंदिर गिरा उसमें उनका कोई हाथनहीं था। सारे कश्मेवादे छू हो गये। अब यह तो रथ वाले बाबा ही जानेगें पर काश झूठ को झूठरहने देते ताकि लोगो की कुर्बानिया नाजायज तो नहीं जाती । अब तकयह साबित हो चुका था कि भाजपा के राम वो राम नहीं थे जिसके लिये जनता वहां गयी थी। यही कारण है कि लोगो का भाजपा से एतबार खत्म हो गया।

जहां तक श्री राम मंदिर कीबात है तो कानून कहता है कि अयोध्या में विवाद केवल 2.77 एकड़ का ही था निर्माण कार्य हो सकता था। पर सभी मुद्दे राजनीति के होके रह गये और बात करे वहां के लोगो की , तो मुस्लिम बंधुओं में तब भी कोई कटुता नहीं थी और आज भी सौहार्द है। और रही भाजपा की बात तो भाजपा को बीते कल से सबक लेना चाहिए।

Wednesday, June 4, 2014

सत्ता बदलते ही रेल भवन से 13 'गोपनीय' फाइलें गायब!

सत्ता बदलते ही रेल भवन से 13 'गोपनीय' फाइलें गायब!

देश की सत्ता बदल चुकी है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार ने कमान संभाल ली है। इन सबके बीच रेल भवन से एक चौंकाने वाली खबर आ रही है। कहा जा रहा है कि यहां विभाग से जुड़ी 13 'गोपनीय' फाइलें गायब हो चुकी हैं।

ये सब कुछ नए रेल मंत्री के कमान संभालने से पहले हुआ है। ये खुलासा अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने किया है। अखबार के मुताबिक विभाग ने गायब फाइलों को खोजने के लिए खासी मशक्कत की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

कई दिनों की तलाश के बाद भी जब फाइलों का पता नहीं चला तो विभाग ने 23 मई को इन फाइलों को गायब बताकर सभी शाखाओं को इसे तलाशने के की जिम्मेदारी सौंपी है।

रेलवे बोर्ड ने इस बाबत अधिकारियों 16 जून तक गायब फाइलों को ढूढ़ने का निर्देश दिया है। ऐसा नहीं होने की सूरत में इन फाइलों को आधिकारिक तौर पर गायब होने का ऐलान किया जाएगा।

अंग्रेजी अखबार के मुताबिक गायब सभी फाइलें इससे संबंधित विभागों के कार्यालय से गायब हुई हैं। गायब फाइलों में कई ऐसे दस्तावेज हैं जो काफी गोपनीय हैं।

जो फाइलें गायब हुई उनमें मुख्य रूप से डिविजन रेलवे मैनेजर से जुड़ी फाइलें हैं। इनमें पूरे भारत में वरिष्ठ संयुक्त सचिव कि नियुक्ति के लिए चुने गए उम्मीदवारों के नाम शामिल थे।


एक फाइल डीआरएम के नियुक्ति पर रोक से जुड़ी हुई है। इसके साथ ही बीसीसीआई से बातचीत से जुड़ी फाइल भी शामिल है। इसके अलावा बड़े स्टेशनों पर इमरजेंसी रेस्पॉन्स रूम की स्थापना से जुड़ी फाइल, वरिष्ठ अधिकारियों के तबादलों से जुड़ी फाइल भी शामिल हैं।

इनमें भिलाई स्टील प्लांट में 'फोर लेवल क्रासिंग' बनाने से जुड़ी फाइल और मुंबई रेल विकास कॉरपोरेशन से जुड़ी फाइल भी शामिल है।

हालांकि रेलवे बोर्ड से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, "अगर ये फाइलें विभाग के कंप्यूटर में सेव की गई होंगी तो इन फाइलों में दर्ज दस्तावेज फिर से हासिल किए जा सकते हैं।

भाजपा ३००+ का लक्ष्य पूर्ण.......... अब नये सफर की शुरुवात...

 भाजपा ३००+ का लक्ष्य पूर्ण.......... अब नये सफर की शुरुवात...


 






अंतिम प्रहार - मिशन 2014 :::::: भाजपा 300+

एक समय आता है जब सर्प अपना केंचुली बदलते है । इस प्रक्रिया में सबसे पहले वो नयी चमड़ी तैयार करते है, जब पूर्ण रूप से अंदर की चमड़ी विकसित हो जाती फिर वो पुरानी चमड़ी को छोड़ कर नया यौवन प्राप्त करते है । पहचानने की कोशिश कीजिये ! ६६ वर्ष पुराना सांप एक बार फिर अपनी नयी चमड़ी विकसित कर चुका है ! नरेंद्र मोदी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए फेंका गया ‘आखिरी पत्ता’ हैं अरविंद! <br><br> समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध | जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध || :- गौरव,हरिद्वार

Saturday, May 17, 2014

नेहरु गंगा जी में जूता पहने आचमन कर रहा है



फर्क देखिये ... एक हिन्दू सभ्यता में पले बढ़े मोदी और नीच दोगले धूर्त कामुम नेहरु ... 
नेहरु गंगा जी में जूता पहने आचमन कर रहा है ..और मोदी जी ने नंगे पाँव आचमन किया

Wednesday, May 14, 2014

अपनी बेटी से दुष्कर्म करने पर बड़े बेटे हरिलाल से आहत थे बापू

अपनी बेटी से दुष्कर्म करने पर बड़े बेटे हरिलाल से आहत थे बापू

http://www.jagran.com/news/world-gandhis-letter-accusing-son-of-rape-up-for-auction-in-uk-11312679.html?src=p1
 
 
 
अपनी बेटी से दुष्कर्म करने पर बड़े बेटे हरिलाल से आहत थे बापू
लंदन। महात्मा गांधी बड़े बेटे हरिलाल के चाल-चलन को लेकर खासे आहत थे। उन्होंने हरि को तीन विस्फोटक पत्र लिखे। जिनकी नीलामी अगले सप्ताह इंग्लैंड में की जाएगी। इन पत्रों में गांधी ने बेटे के व्यवहार पर गहरी चिंता जताई थी।

नीलामीकर्ता 'मुलोक' को इन तीन पत्रों की नीलामी से 50 हजार पौंड (करीब 49 लाख रुपये) से 60 हजार पौंड (करीब 59 लाख रुपये) प्राप्त होने की उम्मीद है। ये पत्र राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जून, 1935 में लिखे थे। हरिलाल के अनुचित व्यवहार पर गांधी जी ने पत्र में लिखा, 'तुम्हें यह जानना चाहिए कि मेरे लिए तुम्हारी समस्या हमारी राष्ट्रीय स्वतंत्रता से अधिक कठिन हो गई है।' पत्र में उन्होंने कहा, 'मनु ने मुझे तुम्हारे बारे में बहुत सी खतरनाक बातें बताई हैं। उसका कहना है कि तुमने आठ वर्ष पहले उसके साथ दुष्कर्म किया था। जख्म इतना ज्यादा था कि उसे इलाज कराना पड़ा।' गौरतलब है कि मनु गांधी जी पोती और हरिलाल की बेटी थीं।
मुलोक द्वारा जारी बयान में कहा गया है, 'ये पत्र गुजराती में लिखे गए और अच्छी हालत में हैं। जहां तक हमारी जानकारी है इन्हें सार्वजनिक रूप ने पहले कभी नहीं देखा गया। इनसे गांधी जी के बेटे के संबंध में परेशानी की नई जानकारी मिलती है।'

हरिलाल पिता की तरह बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड जाकर पढ़ाई करना चाहते थे। गांधी जी ने इससे मना कर दिया। उनका मानना था कि पश्चिमी शिक्षा ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में मददगार साबित नहीं होगी। इसके बाद हरिलाल ने 1911 में परिवार से संबंध तोड़ लिया। फिर जीवनभर पिता से उनके संबंध खराब ही बने रहे। एक अन्य पत्र में गांधी जी ने कहा, 'मुझे बताओ कि क्या तुम अब भी अल्कोहल और विलासिता में रुचि रखते हो। मेरे विचार से अल्कोहल का सहारा लेने से ज्यादा अच्छा तो तुम्हारे लिए मर जाना है।'

Friday, April 25, 2014

आप पार्टी के भक्तो, ये रिश्ता क्या कहलाता है ?

आप पार्टी के भक्तो, ये रिश्ता क्या कहलाता है ??

कल तक जिस शीला को जेल भेजने की बात शाजिया करती थी आज जब वो त्रिवेन्द्रम प्रचार में गयी तो राजभवन में उनसे मुलाकात की और दोपहर का खाना भी साथ खाया ।

शीला दीछित ने भी प्रोटोकाल भूलकर उन्हें बाहर तक छोड़ने भी आई.........



अच्छा तो इसलिए Shila Jail नहीं गई और 380 page की फ़ाइल भी गायब हो गई
1.Yogander Yadev X Congress
2.Shazia Imli X Congress
3.Parshant Bhushan X Congress
4.Manish Sasodiya X Communist
5. केजरीवाल wife is X काँग्रेस

मुस्लिम तुष्टिकरण के बदले मुस्लिम कृतघ्नता

मुस्लिम तुष्टिकरण के बदले मुस्लिम कृतघ्नता !!

हिन्दी  में   यह कहावत   रसिद्ध है कि  कमजोर  व्यक्ति  को हर कोई   दबा   लेता है  . यानी  कमजोर  व्यक्ति या  समाज  को दूसरों   से सामने  झुकना  पड़ता  है  . यह   कहावत पूरी  तरह  से  भारत के   वर्त्तमान हिन्दुओं    पर    लागू  होती  . वैसे  इस बात  में  कोई  शंका  नहीं  है  ,कि हिन्दू  ज्ञान विज्ञानं  के क्षेत्र में  विश्वगुरु  माने  जाते है  .   और लगभग  सभी  देशभक्त  हैं , और   सभी  को  अपने  धर्म     पर  निष्ठां  है  .  लेकिन   आज हमें   इस  नयी  पीढ़ी  को  इन  सवालों  का  जवाब   देने  की  जरूरत   है  ,    कि हिन्दू  समाज के  देशभक्ति  ,  धर्म  निष्ठां    होने  के  बावजूद बाहर  से  आये हुए  मुस्लिम  हमलावर     वर्षों  तक  इस  देश  पर  हुकूमत कैसे  करते   रहे  , और  हिन्दू  धर्म  के पवित्र स्थानों को तोड  कर  कत्ले आम कैसे करते  रहे  , यही   नहीं  वह  कौन  से कारण  है कि आज  भी  उन  लुटेरों  की  औलाद  को    तुष्ट  करने  के लिए कुछ  हिन्दू अपने  ही  असली  भाइयों  के अधिकार  छीन  कर   देश द्रोही  और  हिन्दूद्वेषी   लोगों  को  दे  रहे  है  . फिर  भी मुसलमानों  की  मांगे  बढती  जाती  है  .

याद  रखिये  जब  तक  हम  हिन्दुओं  की  इस नयी  पीढ़ी  को   कोई संतोष जनक  उत्तर  नहीं  देंगे  नयी पीढ़ी  के  लोग  नाम से तो  हिन्दू   बने रहेंगे लेकिन  आचार विचार से     निधर्मी  , सेकुलर    यानि प्रोइस्लाम (Pro-islam  )   बनते  रहेंगे   . और मुसलमानों  को भारत में इस्लामी  राज  स्थापना  के लिए  ऐसे ही लोगों  की  जरुरत है  . क्योंकि ऐसे  ही  लोगों  की  मदद  से     मुसलमान बिना  खून  खराबा के और हिन्दुओं  के द्वारा  हिन्दुओं  को ही मिटा  कर  जल्द ही  अपना मकसद  पूरा  कर  लेंगे  , यदि हिन्दू अब  भी  नहीं  समझे  तो सन  2050  तक   हिंदुस्तान " जम्हूरियते इस्लामिये  हिन्द " बन  जायेगा  . क्योंकि  बीमार  व्यक्ति  या समाज शत्रु  का  मुकाबला  नहीं कर  सकता ,  और दुर्भाग्य  से आज हिन्दू  समाज अनेकों संक्रामक रोगों  से  ग्रस्त  है .और   इतिहास   साक्षी है कि जब जब  हिन्दू  समाज  इन  रोगों  से  बीमार  हुआ  है ,  हिन्दू  समाज  भारी  नुकसान  उठाना   पड़ा  है  .
1 -हिन्दुओं में व्याप्त संक्रामक  रोग 

हम इन रोगों  को संक्रामक  इसलिए   कहते  हैं  , क्योंकि  यह  रोग भारत में  मुसलमानों  के संपर्क   से  आया  था  और इसके  रोगाणु  आज भी  कुछ   हिन्दुओं   के  दिमागों  में मौजूद  हैं  . इनमे  कुछ खास रोग  इस प्रकार  हैं   , 1. सत्ता लोलुपता  2. वैदिक  हिन्दू  धर्म  का  अधकचरा  ज्ञान  3. देश  और  धर्म  की रक्षा  के  लिए शत्रु  को  मारने  की  जगह   खुद  मरने को श्रष्ठ समझना  4. विधर्मियों  द्वारा  किये  गए  अन्याय  और अत्याचारका उसी समय  मुंह तोड़  जवाब नहीं  देना  .5.जिहादी  विचारों का पर्दाफाश करने  वालों  का  साथ  नहीं  देना  और  सबसे  बड़ा  जानलेवा  रोग  तुष्टिकरण  है  , जिसे सेकुलरज्म  भी  कहते   हैं  , इस रोग के जीवाणु जिस भी  हिन्दू में प्रविष्ट  हो जाते है वह  हिन्दू  विरोधी   हो  जाता  है  , यह  बात इतिहास  से  साबित  होती  है  ,
अमेरिका  के एक ईसाई धर्मप्रचारक (  missionary   ) "डाक्टर मूरी  थर्सटन टाइटस -  Dr. Murray Thurston Titus  "( 1880 -31 अक्टूबर 1964 )  ने  1930  में एक पुस्तक  लिखी   थी  , जिसका  नाम  "Indian Islam , an Religious history of Islam in India" है  . इस  किताब  में  बताया गया  है की  सबसे   पहले  कुछ  हिन्दू  राजाओं  ने  अरबों   से व्यापर में  लाभ  कमाने के लिए और  मुसलमानों  के झूठे  धर्म  पर विश्वास करके   सारे भारत  को  मुस्लिम तुष्टिकरण  का रोग  लगा  दिया  .  और  वास्तव  में  जिसे हम  सेकुलरिज्म   का   प्रारम्भिक  रूप  कह  सकते  हैं   . किताब  में लिखा  है  ,

मौहम्मद साहब के जीवन काल से बहुत पहले से, अरब देशों का दक्षिणी-पूर्वी देशों से समुद्री मार्ग द्वारा भारत के मालाबार तट पर होते हुए बड़ा भारी व्यापार था। अरब नाविकों का समुद्र पर लगभग एकाधिकार था। मालाबार तट पर अरबों का भारत से कितना व्यापार होता था, वह केवल इस तथ्य से समझा जा सकता है कि अरब देश से दस हजार (10.000) घोड़े प्रतिवर्ष भारत में आयत होते थे  . और इससे कहीं अधिक मूल्य का सामान लकड़ी, मसाले, रेशम इत्यादि निर्यात होते थे। स्पष्ट है कि दक्षिण भारत के शासकों की आर्थिक सम्पन्नता इस व्यापार पर निर्भर थी। फलस्वरूप् भारतीय शासक इन अरब व्यापारियों और नाविकों को अनेक प्रकार से संतुष्ट रखने का प्रयास करते थे। मौहम्मद साहब के समय में ही पूरा अरब देद्गा मुसलमान हो गया, तो वहाँ से अरब व्यापारी मालाबार तट पर अपने नये मत का उत्साह और पैगम्बर द्वारा चाँद के दो टुकड़े कर देने जैसी चमत्कारिक कहानियाँ लेकर आये। वह भारत का अत्यन्त अवनति का काल था। न कोई केन्द्रीय शासन रह गया था और न कोई राष्ट्रीय धर्म। वैदिक धर्म का हास हो गया था और अनेकमत-मतान्तर, जिनका आधार अनेक प्रकार के देवी-देवताओं में विश्वास था, उत्पन्न हो गये थे। मूर्ति पूजा और छुआछूत का बोलबाला था। ऐसे अवनति काल में इस्लाम एकेश्वरवाद और समानता का संदेश लेकर समृद्ध व्यापारी के रूप में भारत में प्रविष्ट हुआ। मौहम्मद साहब की शिक्षाओं ने, जो एक चमत्कार किया है वह, यह है कि प्रत्येक मुसलमान इस्लाम का मिशनरी भी होता है और योद्धा भी। इसलिए जो अरब व्यापारी और नाविक दक्षिण भारत में आये उन्होंने इस्लाम का प्रचार प्रारंभ कर दिया। जिस भूमि पर सैकड़ों मत-मतान्तर हों और हजारों देवी-देवता पूजे जाते  हों वहाँ किसी नये मत को जड़ जमाते देर नहीं लगती विशेष रूप से यदि उसके प्रचार करने वालों में पर्याप्त उत्साह हो ओर धन भी हो  .

अवश्य ही इस प्रचार के फलस्वरूप हिन्दुओं के धर्मान्तरण के विरुद्ध कुछ प्रतिक्रिया भी हुई और अनेक स्थानों पर हिन्दू-मुस्लिम टकराव भी हुआ। क्योंकि शासकों की समृद्धि और ऐश्वर्य मुसलमान व्यापारियों पर निर्भर करता था, इसलिए इस प्रकार के टकराव में शासक उन्हीं का पक्ष लेते थे, और अनेक प्रकार से उनका तुष्टीकरण करते थे। फलस्वरूप् हिन्दुओं के धर्मान्तरण करने में बाधा उपस्थित करने वालों को शासन बर्दाश्त नहीं करता था। अपनी पुस्तक 'इंडियन इस्लाम' में टाइटस का कहना है कि ''हिन्दू शासक अरब व्यापारियों का बहुत ध्यान रखते थे क्योंकि उनके द्वारा उनको आर्थिक लाभ होता था और इस कारण हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन में कोई बाधा नहीं डाली जा सकती थी। केवल इतना ही नहीं, अत्यन्त निम्न जातियों से धर्मान्तरित हुए भारतीय मुसलमानों को भी शासन द्वारा वही सम्मान और सुविधाएँ दी जाती थीं जो इन अरब (मुसलमान) व्यापारियों को दी जाती थी।''  . ग्यारहवीं शताब्दी के इतिहासकार हदरीसों द्वारा बताया गया है कि ''अनिलवाड़ा में अरब व्यापारी बड़ी संखया में आते हैं और वहाँ के शासक और मंत्रियों द्वारा उनकी सम्मानपूर्वक आवभगत की जाती है और उन्हें सब प्रकार की सुविधा और सुरक्षा प्रदान की जाती है।'' . दूसरा मुसलमान इतिहासकार, मौहम्मद ऊफी लिखता है कि कैम्बे(खम्भात  गुजरात ) के मुसलमानों पर जब हिंदुओं ने हमला किया तो वहाँ के शासक सिद्धराज (1094-1143 ई.) ने, न केवल अपनी प्रजा के उन हिंदुओं को दंड दिया अपितु उन मुसलमानों को एक मस्जिद बनाकर भेंट   की . केरल का एक शासक  मरक्कार  तो अपने मंत्रियों समेत अरब देश जाकर मुसलमान ही हो गया .था 

2-कांग्रेस  के राज में तुष्टिकरण 

सब  जानते हैं कि  मुसलमानों  ने इस देश  के  विकास  और देश वासियों  की भलाई  के लिए कुछ  भी  नहीं  किया  , जब इनकी हुकूमत थी तो   हिन्दुओं  के  मंदिर तोड़  कर  मस्जिदें  , मजार , मकबरे   बनाते रहे  और  हिन्दू  लड़कियों  से अपनी  हरमें  भरते  रहे  . और  आजादी  के  बाद भी सिर्फ  वोटर्या जिहादी    ही  पैदा  करते रहे  जो बड़े होकर  अपराधी बनते  हैं  .  फिर भी  अल्पसंख्यक  के बहाने हमेशा कोई  न कोई  सुविधा   मंगाते  रहते  हैं  . जैसा कि  मुसलमानों   का  स्वभाव  है  , यदि  उनको सारी  पृथ्वी  दे  दी  जाये  यह  संतुष्ट  नहीं  होंगे  , फिर  चाँद  और  सूरज    मागने   लगेंगे  . दुर्भाग्य  से    कांग्रेस की  सरकार  वोटों  के  लिए  यही    काम  करती  आयी  है  ,

और आजकल धूर्त     राजनेता मुसलमानों  के तुष्टिकरण  करने  वालों  को सेकुलर    बताते है  , और  जोभी  मुस्लिम तुष्टिकरण  के खिलाफ आवाज  उठाते है उनको सम्प्रदायवादी  मान  लिया  जाता  है  . जब भी  कांग्रेस  ऐसा  कहती है तो उसके साथ वामपंथी  और  कांग्रेस की  सहायक पार्टियां   यही  राग  अलापने  लगती  हैं  , जबकि संविधान  में सभी  के लिए  बिना  किसी धर्म  , जाती , भाषा और लिंग  के समान  अधिकार  देने  का  वादा किया  गया है   . फिर भी संविधान को ताक  पर रख के  मुस्लिम वोटों  के लिए मुसमानों  के लिए खजाने  खोल देते  हैं  .

उदहारण  के लिए  जब सन 2009  में यू पी  ए ( U.P.A.) की  सरकार  दोबारा सत्ता  पर आयी  तो , दिनांक 8 दिसंबर 2009  को मुसलमानों  के लिए  सरकारी  नौकरी में जाती  के आधार पर 10% आरक्षण    करा   दिया  . जो उनकी  संख्या  के अनुपात  से  अधिक था  . ( TheStateman 19 dec2009).इसके  पहले  इसी  सरकार ने मुसलमानों   के  लिए  5 %आरक्षण  दिया  था  और पढाई के लिए  सस्ती  दरों  पर    ब्याज  देने  का आदेश  बैंकों  को  दिया  था  . (Times ofIndia 8 jan 2009)यही नहीं   सरकार ने  2009 -2010 के  दौरान   मुसलमानों    के लिए  दी  जाने  वाले   अनुदान  की  राशि  बढाकर 74 %   कर  दी  . ( Indian Express18  dec2007).इसके  पहले  मनमोहन  सिंह  ने मुसलमानों  के  लिए 7780  करोड़  का एक  खास पैकेज देते  हुए  कहा था  कि  आगे यह राशि  बढाई  जा सकती  है. ( Anand  Bazar Patrika 9 Nov2007)

3-शिक्षा  के क्षेत्र  में  भी    तुष्टिकरण 

इस समय भारत में कुल पांच प्रौद्योगिक इंस्टीट्यूट ( I.I.T  ) चल रहे  हैं  , जिनमे प्रवेश  के लिए क्षात्रों को कड़ी परीक्षा  देना पड़ती  है , जिसे  पास  करने के बाद ही  मेरिट  के आधार  पर ही प्रवेश  दिया  जाता  है  . ऐसा शिक्षा  के स्तर को  बनाये  रखने  के किया  गया   है  . लेकिन 28  जून 2008  को मानव संसाधन विकास (एचआरडी (the Human Resource Development ) मंत्रालय ने एक मुस्लिम  क्षात्रों  को   बिना किसी  टेस्ट  के सीटें  आरक्षित  करने   का   नियम  बना  दिया  . आदेश जारी

 .
4-मदरसा की शिक्षा  को  मान्यता 

सब   जानते हैं कि  मुस्लिम  स्कूलों  यानी  मदरसों  में शिक्षा  के  नाम पर  कुरान  , हदीस और इस्लामी  कानून पढ़ाया  जाता  है  . जिस  से न तो कोई सरकारी नौकरी  मिल सकती  है  और  न  कोई रोजगार  मिल  सकता  है. अकसर  मदरसे से  पढ़े हुए बच्चे  आगे चल  कर मुल्ला  , मौलवी   और मुअज्जिन   बन  जाते  हैं   . या   किसी  दल  में घुस  कर नेता  बन  जाते  हैं  . इस्लामी तालीम के कारन जब कहीं  नौकरीनहीं  मिलती तो  अधिकांश  मुस्लिम युवा   जिहादी  और अपराधी   भी बन  जाते  हैं 

लेकिन  जब लालू  प्रसाद रेल मंत्री  बना  तो 7 जुलाई  2008 को   उसने    मदरसे की  शिक्षा  को  सरकारी नौकरी के लिए मान्य  कर दिया  . यही नहीं  जो  मुसलमान  बिलकुल  निरक्षर   थे उन्हें   कुली   के  रूप   नियुक्त  करके   नियमित  रेल्  कर्मचारी    का  दर्जा  दे  दिया  . जबकि  गैर मुस्लिम  युवकों  को  रेलवे में नौकरी  करने के लिए कई प्रकार  के कोर्स  करना  पड़ते  हैं  . यही नहीं  केंद्रीय  सरकार  ने   मुस्लिम  छात्रों  के  लिए  एक  छात्रवृत्ति  योजना  भी  चालू  कर दी  , जिसके मुताबिक  जिस मुस्लिम  परिवार  की आमदनी एक लाख प्रति  वर्ष  से  कम  होगी  उनके  बच्चों  को  दसहजार रूपया   प्रति  वर्ष छात्रवृत्ति  मिलेगी

3- मुस्लिम लड़कियों के लिए छात्रवृत्ति
खुद  को सेकुलर  बताने  वाली  सरकार ने  मुस्लिम  लड़कियों   के  एक  विशेष  अनुदान  देने  का  भी    आदेश  दिया  है  जिसके अनुसार   पोस्ट  ग्रेजुएट  स्तर तक 5000  और व्यावसायिक  कोर्स  के लिए  3000 और  डिग्री  स्तर  तक 4000  रुपया  वजीफा  दिया  जाता है  . यही नहीं  एम  बी बी एस   और एम  डी   या एम  फिल   के  कोर्स  में केवल 50 %    अंक  लाने  पर  मुस्लिम  छात्रों  को उत्तीर्ण  माने का  आदेश     दे दिया  . जो  सिर्फ   धर्ममांध    मुस्लिमों  को खुश  करने के  लिए  किया  गया  एक अन्याय  पूर्ण  और अनुचित    कार्य  है  .

4-शैक्षिक ऋण के  मामले  में  भेदभाव 
सरकार  हिन्दुओं  के  साथ  भेदभाव  करती  है  इसका  उदहारण  इस   बात  से चलता  है  कि  जब  कोई  हिन्दू उच्च शिक्षा  के लिए कर्ज लेता  है तो उस से  12 -14 %   प्रति वर्ष   की दर   से  ब्याज    लिया  जाता  है  , लेकिन अल्पसंख्यक छात्र से राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत ऋण पर 3% ब्याज मिलता है।इसी तरह स्व-रोजगार के लिए वाणिज्यिक उद्यम में, एक हिंदू युवा 15-18% ब्याज पर वाणिज्यिक बैंकों से ऋण प्राप्त करने के लिए हकदार है; और वे 'अपनी जेबें; से परियोजना लागत के लिए 15-40% की मार्जिन मनी' का उत्पादन करने के लिए है बाकी बैंक से आता है। लेकिन अल्पसंख्यक युवाओं से उनकी जेबें 'मार्जिन मनी के रूप में' में केवल 5% डाल दिया है; अन्य 35% राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम द्वारा केवल 3% ब्याज पर प्रदान की जाती है .जबकि
एक निष्पक्ष धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक प्रणाली में, किसी भी सरकारी सहायता और अनुदान केवल आर्थिक स्थिति और योग्यता के आधार पर पूरी तरह आधारित वितरित किया जा सकता .अर्थात सरकार  संविधान  की धारा अर्थात सरकार  संविधान  की धारा 15(1)का  स्पष्ट  उल्लंघन  कर रही  है  जिसमे  कहा  गया  है  कि ""राज्य कोई नागरिक केवल धर्म, जाति, जाति, सेक्स, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा"

5-मुसलमानों  की  कृतघ्नता 
शायद  कांग्रेसी  और तथाकथित  सेकुलर  सत्ता के  नशे  में  आकर इस गलतफहमी   में पड़े हुए  हैं  कि  मुसलमानों   को    जीतनी अधिक सुविधायें   दी जायेगी  वह   उतने ही  देश  भक्त  बनते  जायेंगे  .     लेकिन इसका  उलटा  ही   असर    हो  रहा  है , मुसलमानों में  अलगाव  की भावना  और   उग्र   हो  रही है  ,   क्योंकि मुसलमान  अपना  स्वभाव  नहीं  बदल  सकते  ,   इस अलगाव  यानि  भारत विरोध   का बिस्मिल्लाह  कश्मीर  से हो चूका  है    जो कुछ  सालों के भीतर  सम्पूर्ण  भारत में   फ़ैल  जायेगा  ,  इसका  साबुत   कश्मीर  में लगाये  गए  नारों  से   मिलता  है  , वहां  मुसलमान  कहते  हैं ,
1-"ज़ालिमो  औ काफिरो  कश्मीर  हमारा छोड़  दो "
(O! Merciless, O! Kafirs leave our Kashmir)


2-"कश्मीर  में अगर  रहना  होगा  ,  अल्लाहो अकबर  कहना  होगा "
(Any one wanting to live in Kashmir will have to convert to Islam)


3-"ला शरकिया ला  गरबिया  इस्लामिया  इस्लामिया  "
From East to West, there will be only Islam

4-"मुसलमानो  जागो  , काफिरो भागो "
 (O! Muslims, Arise, O! Kafirs, scoot)


5-"इस्लाम  हमारा  मकसद  है ,कुरान  हमारा  दस्तूर  है ,जिहाद हमारा  रास्ता  है  "

(Islam is our objective, Q’uran is our constitution, Jehad is our way of our life)

6-"कश्मीर बनेगा  पाकिस्तान "

(Kashmir will become Pakistan)

7-"पाकिस्तान  से क्या रिश्ता  , ला इलाहा  इल्लल्लाह "

(Islam defines our relationship with Pakistan)

8-"दिल  में रखो अल्लाह का खौफ ,हाथ  में रखो क्लाशनीकॉफ "

(With fear of Allah ruling your hearts, wield a Kalashnikov)

9-"यहाँ क्या चलेगा , निजामे  मुस्तफा "

(We want to be ruled under Shari’ah)

10-" पीपुलस् लीग  का  क्या पैगाम  ,फ़तेह  , आजादी  और इस्लाम "

(“What is the message of People’s League? Victory, Freedom and Islam.”)

निष्कर्ष
इस प्रकार  के कई  धमकी वाले  नारे कश्मीर के अलगाववादी  संगठन " हिज्बुल मुजाहिदीन -Hijb-ulMujahidin  "   ने कश्मीर  के उर्दू  दैनिक समाचार" आफताब -Aftab "  ने    दिनांक  1 अप्रैल  1990   में  प्रकाशित  किये  थे  . साथ   ही यही  नारे  जगह  जगह  कश्मीर  के सभी शहरों  में दीवार पर पोस्टर  के रूप में  चिपका  दिए  थे  .  इसका उद्देश्य कश्मीर  के  हिन्दुओं  को भयभीत  करके कश्मीर   खाली  करने  का  था   .  बड़े ही  अफसोस  की  बातहै   कि एक तरफ  जब कांग्रेस  की सरकार  मुसलमानों  की तुष्टिकरण   में  लगी  हुई थी  , उसी  समय  कश्मीर के मुसलमान   अपनी   क्रतघ्ना    प्रकट  कर  रहे थे  . और  सभी  सेकुलर  यह  नजारा  चुपचाप  देख  रहे   थे किसी ने  इसका विरोध  करने  की हिम्मत  नहीं  दिखाई  . क्योंकि  सबके  मुंह में सेकुलरिज्ज्म ताला  लगा  हुआ  था  . कहावत है कि " मौन सम्मति  लक्षणम "  यानि   भारत के  सभी  मुसलमान  नेता यही  चाहते  हैं , कि  कश्मीर  सहित  पूरा  भारत   इस्लामी  देश  बन  जाये  .

  

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...