Thursday, July 31, 2014

कांग्रेसी नेता निकला सहारनपुर दंगो का मास्टरमाइंड:

कांग्रेसी नेता निकला सहारनपुर दंगो का मास्टरमाइंड: सहारनपुर दंगों का गिरफ्तार मुख्य आरोपी मुहर्रम अली उर्फ़ पप्पू ने लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी।। मतलब दंगे का मुख्य आरोपी कांग्रेसी निकला।

सहारनपुर मामले में दैनिक जागरण का कहना है कि शुरूआती जांच में सहारनपुर दंगों में कश्मीर से कनेक्शन की बात सामने आ रही है. आगजनी में जो केमिीकल इस्तेमाल हुये हैं उन केमिकलों का प्रय़ोग आमतौर पर कश्मीर घाटी मे होता रहा है। मुहर्रम अली के गुर्गों ने सबसे पहले फायर ब्रिगेड की गाड़ियों में आग लगा दी जिससे वो शहर में कहीं आग न बुझा सके उसके बाद इन्होने केमिकल की सहायता से हिन्दुओं और सिक्खों के प्रतिष्ठानों को निशाना वनाते हुए आग लगा दी।। 

पुलिस ने बुधवार को दंगे के मुख्य आरोपी मोहर्रम अली उर्फ पप्पू सभासद को कई साथियों के साथ गिरफ्तार किया तो इसका सनसनीखेज खुलासा हुआ. कि यह दंगा पूरी तरह से सुनियोजित था.आगे अखबार का कहना है कि आगजनी करने वालों में जम्मू-कश्मीर और दिल्ली से आए लोगों के शामिल होने की भी आशंका है. पुलिस का कहना है कि मोहर्रम अली के इशारे पर ही अंबाला रोड पर जमकर आगजनी,लूटपाट व फायरिंग हुई थी..

अमर उजाला ने लिखा है कि पुलिस ने दंगे भड़काने वाले मुख्य आरोपी पूर्व सभासद मोहर्रम अली उर्फ पप्पू समेत कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. उधर, प्रदेश के राज्यमंत्री राजेंद्र राणा और भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ितों से मुलाकात की है.


अखबार का कहना है कि हालांकि मुख्य आरोपी पप्पू ढील का फायदा उठाने की फिराक में था लेकिन पकड़ लिया गया. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गया था. सहारनपुर के एसएसपी राजेश कुमार पांडे का कहना है कि सहारनपुर को दंगे फैलाने वाले तीन मास्टर माइंड में से दो पूर्व सभासद मोहर्रम अली उर्फ पप्पू व इरशाद को कुतुबशेर थाना पुलिस ने मंडी थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया है. इरशाद पप्पू का भतीजा है और उनके साथ दानिश, शाहिद, इरफान भी पकड़े गए हैं।।


Tuesday, July 29, 2014

सहारनपुर दंगा - दंगाई योजनाबद्ध थे

दंगे की आग से झुलसे यूपी के सहारनपुर में दंगाइयों ने ऐसा कहर बरपाया था कि तबाही का मंजर रोंगटे खड़े करने वाला है।

अंबाला रोड पर शनिवार को सौ से ज्यादा दुकानों में लूटपाट और आगजनी से व्यापारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।

दुकानों के मलबे में टूटे पड़े ताले और वहां पड़ी केमिकल की केनों से साफ है कि दंगाइयों ने लूटपाट के बाद केमिकल डालकर दुकानों में आग लगाई थी।

जली हुई दुकानों के बाहर केमिकल के केन मिलने से साफ है कि दंगाई योजनाबद्ध थे। गुरुद्वारा रोड के निवासियों और व्यापारियों पर उपद्रवियों का कहर इस कदर रहा कि दंगे की बात आते ही वे सिहर जाते हैं।

सोमवार को अंबाला रोड की दुकानों से उठता धुआं और चारों ओर बिखरी राख तीन दिन पहले उन्मादियों के कहर की कहानी बयां कर रहा है।

हर दुकान में लाखों रुपये का माल था और त्योहारी सीजन के लिए व्यापारियों ने स्टॉक फुल किया हुआ था, मगर उन्हें क्या पता था कि उनके खून-पसीने की कमाई दंगाई लूट लेंगे और दुकानों को राख कर जख्म गहरा कर जाएंगे।

कुतुबशेर थाने से शहर की ओर बढ़ने पर सड़क के दोनों तरफ करीब 100 दुकानें दंगाइयों के निशाने पर रहीं। तीन दिन पहले जमीन विवाद को लेकर शुरू हुआ झगड़ा देखते-ही देखते दंगे में तब्दील हो गया था।

दुकानों की राख और मलबे से साफ है कि दंगाई पूरी तैयारी से आए थे और उनका इरादा केवल लूट था।

अंबाला रोड की जिन दुकानों को निशाना बनाया गया, उनमें इलेक्ट्रानिक्स शोरूम, ऑटो मोबाइल, स्पेयर पार्ट्स, बैटरी आदि की दुकानें थीं। कर्फ्यू में ढील के बाद जब व्यापारियों ने दुकानें खोली तो ज्यादातर दुकानों के ताले टूटे हुए थे और वहां केमिकल के केन पड़े मिले। इससे साफ है कि दंगाइयों ने पूरी तैयारी से लूटपाट की।

अंबाला रोड की दुकानों में लूटपाट और आगजनी से व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान हुआ है। चावला इलेक्ट्रानिक्स के मालिक बलजीत चावला ने बताया कि तीन तल के शोरूम में कई लाख का माल था, लेकिन अब केवल राख बची है।

अन्य दुकानों में भी लाखों का माल या मशीनरी थी। दंगाइयों ने लूटपाट के बाद दुकानों की मशीनों में भी तोड़फोड़ की है। ऐसे में माल के साथ दुकानों के जलने से उन्हें करोड़ों का नुकसान हुआ है।

दंगाइयों के कहर के बाद सबसे बड़ा सवाल उठता है ज्वलनशील केमिकल की इतनी बड़ी खेप कहां से आई। जिस तरह आगजनी की गई है, उसमें 50 से ज्यादा केनों का इस्तेमाल हुआ है। हालांकि प्रशासन के पास इसका कोई जवाब नहीं है।

Wednesday, July 16, 2014

हृदय परिवर्तन का वैदिक शास्त्र

हृदय परिवर्तन का वैदिक शास्त्र

बाबा रामदेव योग गुरु हैं, और तरह-तरह के आसन करने में माहिर हैं यह तो सभी जानते हैं। एक आसन और करते हैं वह। अपना पैर अपने मुंह में डालने का। अंग्रेजी में एक कहावत है: पुटिंग योर फुट इन द माउथ। इसका मतलब ऐसा कुछ बेवकूफी भरा कह देना कि बाद में पछतावा हो। वैदिक वाले मामले में यही हुआ फिर से। अच्छा खासा वैदिक ऐंड पार्टी मिल-मिला कर हाफिज सईद (मुरली मनोहर जोशी के मुताबिक 'श्री हाफ़िज़ सईद'...) के साथ मुलाकात को लीप-पोत रहे थे, और बाबा बोल पड़े।


बाबा मे बोला ऐसा कि अपनी टांग को बकलोलासन करते हुए अपने मुंह में घुसेड़ लिया और मचने लगी हाय-हाय। बोले कि वैदिक हृदय परिवर्तन के लिए गए थे। सियार को जब हुक्कार उठती है तो लाख मनाये कोई, बस उठी तो उठी, वह हुक्कार के ही दम लेगा। अब कोई पत्रकार हृदय परिवर्तन के लिए तो जाता नहीं, वह भी किसी ऐसे हैवान का, जो मज़हब के नाम पर पूरे देश और उसके लोगों का खून पीने के लिए बैठा हो। ये पत्रकार मसीहाई और फेथ हीलिंग कब से करने लगे? पतंजलि के किसी चूर्ण का असर है क्या?


सवाल यह तो है ही कि वैदिक मिलने क्यों गए? क्यों हाफिज सईद ने उनकी कार का दरवाज़ा खोला? क्यों हाफिज कई बाकी पत्रकारों से नहीं मिला। जहां तक मुझे याद पड़ता है, तवलीन सिंह से भी नहीं मिला था। जो फोटो फेसबुक पर आई है, उसमें रिकॉर्डिंग इंस्ट्रूमेंट कोई दिख तो नहीं रहा। कोई माइक, कॉलर माइक, टेप रिकॉर्डर, या कोई नोटबुक, पेन वगैरह। तो इंटरव्यू के बारे में वैदिक जो लिखे, क्या अपनी स्मृति से ही लिखे? या ऐसा कोई करार था दोनों के बीच? उनका कहना है कि उनके इंटरव्यू पर 36 अखबारों ने संपादकीय लिखे। आपने पढ़े थे?


सवाल यह नहीं कि एक पत्रकार को किसी आतंकवादी, मोस्ट वांटेड शैतान से मिलने का हक़ है या नहीं, सवाल यह है कि उनके बीच जो हुआ उसकी पूरी डिटेल जानने का हक इस देश को है। मुलाकात इस्लामाबाद के भारतीय दूतावास की जानकारी बगैर नहीं हो सकती, तो विदेश मंत्रालय को इसकी पूरी जानकारी देनी चाहिए। और मामला इसलिए गंभीर है कि वैदिक भाजपा के काफी करीबी हैं, और इसलिए खुद पीएम मोदी को इस पर एक बयान देना चाहिए। इस पूरी मीटिंग का एक-एक डिटेल।


रामदेव ने किस आधार पर कहा की वैदिक हाफिज का दिल बदलने गए थे? यह मान भी लिया जाय तो किसने भेजा उन्हें इस मिशन पर कि वह जाएं और शैतान का दिल बदल आवें। पर रामदेव को जानकारी कैसे मिली वैदिक के मिशन के बारे में? या तो यह माना जाए कि रामदेव उल-जलूल बोलते हैं, जो मन में आये वही।


अब वैदिक भाजपा से पल्ला झाड़ रहे हैं, और बीजेपी वैदिक से। वैदिक का कहना है कि वह तो नरसिम्हा राव के भी यार रहे थे और ऐसी सभाओं में भी बोले, जिसमें पूर्व पीएम मनमोहन मुख्य वक्ता थे। और बीजेपी कह रही है कि वैदिक पत्रकार हैं, जिससे चाहे मिलें और रामदेव बोल रहे हैं दिल बदलने के लिए गए थे। जनता कन्फ्यूज़्ड हुए जा रही है। आतंकवादियों का सरगना कह रहा है कि भारतीय सांसदों की सोच ही ओछी है। हद है साहब! झूठ और अर्धसत्य के इस बीहड़ जंगल में कौन ढूंढ कर लाये सच के घायल मृग को?



वैदिक को क्लियर करना चाहिए कि वह पत्रकारिता करना चाहते हैं, या भारतीयता। पेशा पहले है या देश। वे यह भी कह रहे हैं कि उन्होंने बड़ा साहस किया और कोई होता तो स्ट्रेचर पर लौटता। तो ऐसे खूंखार शैतान के साथ उन्होंने क्या किया कि उन्हें स्ट्रेचर पर नहीं लौटना पड़ा? योग सिखाया उसको? गीता पाठ किया उसके सामने? लोग जानना चाहते हैं वैदिक साहब, आप मसीहाई के राज़ शेयर तो करें। मैं एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में मिलता इस शैतान से तो सबसे पहले एक भारतीय के रूप में मिलता और पूरा डिटेल इस मुलाकात के बारे में खुल कर शेयर करता, न सिर्फ अपने देश वालों से बल्कि पूरी दुनिया से।


क्यों नहीं? ये तो इंसानियत के दुश्मन हैं। इनसे कोई गोपनीय बात करने का क्या मतलब? ये आपके देश की धज्जियां उड़ाने के लिए मौका ढूंढ रहे हैं और वैदिक और उनके संरक्षक किस्से सुना रहे हैं, उनके व्यक्तिगत साहस और पत्रकारिता के उसूलों के। हाफ़िज़ कह रहा है पाकिस्तान में मोदी का स्वागत है। आईएसआई और पाक सेना की सुरक्षा में रहता है यह बंदा और एक खबर तो यह भी है कि वैदिक साहब एक पाकिस्तानी अखबार में कश्मीर की आज़ादी की बात भी कर आये हैं। कौन किसके हाथ में खेल रहा है, ये क्या हो रहा है साहब! कोई कुछ बताये तो!


कुछ है जो छिपाया जा रहा है। ये हंगामा यूं ही नहीं। कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है! हो सकता है बंदा कहने कुछ और गया हो और कह आया हो कुछ और ही। हाफ़िज़ के सामने घिघिया कर बात ही बदल गयी हो और अब बताने में शर्म आ रही हो। एक शेर है न: 'घर से तो हर मुआमला करके चले थे साफ़ हम, कहने को उनके सामने बात बदल बदल गयी'।

Friday, July 11, 2014

गुजरात का प्रयोग - 'एटीएम' से कीजिए पुलिसवालों की शिकायत

'एटीएम' से कीजिए पुलिसवालों की शिकायत!नवभारतटाइम्स.कॉम | Jul 12, 2014, 10.47AM IST


कुछ इस एटीएम जैसी ही है शिकायत तर्ज करने वाली मशीन।


अहमदाबाद
पुलिस थाने में शिकायत दर्ज नहीं की जा रही है तो 'ATM' में जाइए! चौंकिए नहीं, गुजरात के अहमदाबाद में यही हो रहा है। गुजरात के साणंद में एक ऐसी 'एटीएम जैसी मशीन लगाई गई है, जहां पुलिस थाने मे शिकायत दर्ज न होने पर आप अपनी कंप्लेन दर्ज करा सकते हैं। यही नहीं आप शिकायत दर्ज न करने वाले पुलिसवाले की भी कंप्लेन भी कर सकते हैं। एटीएम जैसे इन कियोस्क के बारे में जानकर आप भी कहेंगे कि काश ये पूरे देश में लगाए जाएं।

अहमदाबाद के ग्रामीण इलाके साणंद के पुलिस स्टेशन ने यह एटीएम जैसा कियोस्क लगाया है। यहां आप बिना किसी डर और झंझट के अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इस मशीन में आपको बस बटन दबाने होते हैं। सबसे पहले आपसे अंग्रेजी या फिर गुजराती में शिकायत तर्ज करने का ऑप्शन दिया जाता है।

बटन दबाने के बाद मशीन पूछती है कि आपने अपनी शिकायत कब दर्ज कराने की कोशिश की थी। इसमें शिकायत दर्ज न करने वाले पुलिसवाले का नाम और दूसरी डीटेल्स पूछी जाती हैं। अगर आपकी किसी शिकायत पर कोई ऐक्शन नहीं हुआ है, तो भी इस मशीन के जरिए आप शिकायत कर सकते हैं। यहां से मिली शिकायत से आला अधिकारी सक्षम अधिकारी से जवाब तलब करते हैं।


डीएसपी (अहमदाबाद ग्रामीण) गगनदीप गंभीर के मुताबिक यह प्रयोग काफी सफल रहा है। उन्होंने बताया, 'अब मेरे ऑफिस में शिकायत न सुने जाने को लेकर आने वाले लोगों की तादाद कम हुई है। वे अब कियोस्क में जाते हैं और अपनी शिकायत दर्ज करते हैं। यह शिकायतें सीधे मेरे कंट्रोल रूम में आती हैं। इससे मुझे पता चल जाता है कि पुलिसकर्मी लोगों से कैसे बर्ताव कर रहे हैं।'

फर्जी शिकायतों को रोकने के लिए इस मशीन में कैमरा लगा है। यौन उत्पीड़न और रेप केस को छोड़कर यह मशीन शिकायतकर्ता की फोटो खींचती है। इसके साथ ही मशीन में अनपढ़ लोगों के लिए विडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा भी है।

Tuesday, July 8, 2014

क्या वाकई हम तैयार हैं ..??

क्या वाकई हम तैयार हैं ..??

बहावी विचारधारा वाले सुन्नी संगठन ISIS आधे इराक पर कब्जा जमा लिया। अपनी अदभुत छापामार युद्ध प्रणाली की वजह से इराकी सेना को हराने वाले इन कट्टरपंथियों का इराक अभियान कोई जोश में उठाया कदम नहीं है। ध्यान देने वाली बातें यह हैं कि कट्टरपंथियों के अति-आधुनिक हथियार और आपसी तारतम्यता व समझ यह सिद्ध करते हैं कि इस अभियान की तैयारी एक-दो दिन की नहीं महीनों की है। जिस तरीके से कट्टरपंथी उत्तरी इराक को जीतकर राजधानी बगदाद की ओर बढ़ रहे हैं वह साबित करता है कि यह पूर्व-सुनियोजित है।

एक बात और गौरतलब है कि सीरिया, इजिप्ट, सऊदी अरब, अफगानिस्तान और कई देशों से के सुन्नी कट्टरपंथी एक संगठन के झण्डे तले आ खड़े हुए हैं और इकठ्ठे हो रहे हैं... इन सबके बीच अगर किसी देश को अपनी सुरक्षा के लिए फ्रिकमन्द होना होगा तो वह भारत होगा क्यूँकि धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो भारत हमेशा से ही इस्लामिक आतंकियों के निशाने
पर रहा है और हाल में ही अल-कायदा धमकी दे चुका है कि जल्द इराक जैसे काफिले भारत भेजे जायेंगे।

इराकी संकट से भारत को सबक सीखने की जरूर है। जहाँ तक भारतीय सेनाओं का प्रश्न है उनका छापामार युद्ध से आज तक पाला नहीं पड़ा और वो भी ऐसे से तो कभी नहीं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने लिट्टों के प्रश्न पर पचास हजार सैनिक जाफना प्रायद्वीप में भेजे थे लेकिन लिट्टों की छापामार युद्ध तकनीक से भारतीय सेना को बहुत हानि उठानी पड़ी थी। यह बहावी सुन्नी कट्टरपंथी छापामार युद्ध में माहिर, अति-आधुनिक हथियारों से लैस हैं और धार्मिक रूप से जन्नत जाने को लालायित है। विचारणीय प्रश्न तो यह है कि हमारी सेनाएँ कितनी तैयार हैं?

अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए तो इराकी महिलाओं और बच्चों तक ने हथियार उठा लिये है, अगर भारत में कभी ऐसी कोई परिस्थिति बनती है तो हम तो वो भी नहीं उठा सकते। इराक में तो घर-घर में ऐके 47 और ACR मिल जायेंगी, जिन्हे वे बखूबी चलाना जानते हैं लेकिन हमारे यहाँ तो हथियार के नाम लाठियाँ, हाकियाँ और ज्यादा से ज्यादा देशी-तमन्चे ही मिल सकते है और रही बात हमारी पुलिस की तो वह इतनी सक्षम ही नहीं है कि एक उठाईगीरे को पकड़ ले, प्रशिक्षित आतंकियों को रोकना तो दूर की बात है।

देखा था ना 26/11 के हमले में तेरह हमलावरों के सामने भारत की तेज-तर्रार मुम्बई पुलिस घुटनों के बल रेंगती नजर आयी थी। पूरे दो दिन बाद सेना ने ही मोर्चा सम्भाला और आतंकियों को मार गिराया गया था। यही हमला अगर न्यूयार्क पर हुआ होता तो हमलावरों को अमेरिका की SWAT पुलिस ही मिनटों में धूल चटा चुकी होती, आर्मी तो दूर की बात है। हमारी पुलिस से बेहतर तो पाकिस्तान पुलिस है जिनको ट्रेनिंग आर्मी देती है और आतंकी हमले से लेकर बन्धकों को मुक्त करवाने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है।

खैर भारत की सुरक्षा अब जिनके हाथों में उनको भारत की सुरक्षा को लेकर चिन्ता तो करनी ही चाहिए और साथ में भारतीय सेना से घरेलू पुलिस तक को आधुनिक बनाने की जरूरत है।भारत की सुरक्षा एकमात्र सेना की जिम्मेदारी नहीं है, इसके लिए इजरायल से सबक सीखने की जरूरत है।

रेल बजेट - MAMTA v/s GOWDA

रेल बजेट में अंतर - MAMTA v/s GOWDA

पहली बार लगा कि हिंदुस्तान का रेल बजेट है ना कि बंगाल का या बिहार का |




और इसी बीच राहुल गांधी " से पूछा गया की आपने रेल बजट को खराब क्यों बताया? क्योकि ' अहमद पटेल ' ने कहा था की बजट कैसा भी हो अपने को खराब ही कहना हैं !

Saturday, July 5, 2014

बाबरी मस्जिद पर छाती कूटने वालों देखो ISIS क्या कहर ढा रहा है

बाबरी मस्जिद पर छाती कूटने वालों देखो ISIS क्या कहर ढा रहा है

source - http://justpaste.it/atrah

بسم الله الرحمن الرحيم

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الدولة الإسلاميّة - ولاية نينوى

 

تقرير عن هدم الأضرحة والأوثان في ولاية نينوى

 

.{ قال تعالى : { وَأَنَّ الْمَسَاجِدَ لِلَّهِ فَلا تَدْعُوا مَعَ اللَّهِ أَحَداً 

 



 



عن أَبِى الْهَيَّاجِ الأَسَدِيّ قَالَ: قَالَ لِي عَلِيُّ بْنُ أَبِي طَالِبٍ (رضي الله عنه): «أَلاَّ أَبْعَثُكَ عَلَى مَا بَعَثَني عَلَيْهِ رَسُولُ اللَّهِ (صلى الله عليه وسلم)؟ أَنْ لاَ تَدَعَ تِمْثَالاً إِلاَّ طَمَسْتَهُ، وَلاَ قَبْرًا مُشْرِفًا -أي مرتفعاً عن الأرض- إِلاَّ سَوَّيْتَهُ»  رواه مسلم


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وفي الصحيحين عن عائشة (رضي الله عنها) قالت: قال رسول الله (صلى الله عليه وسلم) في مرضه الذي لم يقم منه «لَعَنَ اللهُ اليَهُودَ اتَّخَذُوا قُبُورَ أنْبِيَائِهِمْ مَسَاجِدَ»، ولولا ذلك لأُبرز قبرُه، غير أنه خُشي أن يكون مسجداً.

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 قال تعالى :  وَالَّذِينَ اتَّخَذُواْ مَسْجِداً ضِرَاراً وَكُفْراً وَتَفْرِيقاً بَيْنَ الْمُؤْمِنِينَ وَإِرْصَاداً لِّمَنْ حَارَبَ اللّهَ وَرَسُولَهُ مِن قَبْلُ وَلَيَحْلِفَنَّ  إِنْ أَرَدْنَا إِلاَّ الْحُسْنَى وَاللّهُ يَشْهَدُ إِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ

  

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قال ابنُ القيم (رحمه الله) في إغاثة اللهفان: "أن رسول الله (صلى الله عليه وسلم) أمر بهدم مسجد الضرار، ففي هذا دليلٌ على هدم ما هو أعظم فساداً منه كالمساجد المبنية على القبور، فإن حكم الإسلام فيها أن تُهدم كلها حتى تُسوَّى بالأرض، وهي أولى بالهدم من مسجد الضرار، وكذلك القباب التي على القبور يجب هدمها كلها؛ لأنها أُسست على معصية الرسول


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وقال ابنُ كثيرٍ (رحمه الله) في تفسيره: "وقد روينا عن أمير المؤمنين عمر بن الخطاب (رضي الله عنه) أنه لما وَجَدَ قبرَ دانيال في زمانه بالعراق، أمر أن يُخفى عن الناس، وأن تُدفنَ تلك الرقعة التي وجدوها عنده



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والله أكبر
{وَلِلَّهِ الْعِزَّةُ وَلِرَسُولِهِ وَلِلْمُؤْمِنِينَ وَلَكِنَّ الْمُنَافِقِينَ لا يَعْلَمُونَ}


اللجنة الإعلامية لولاية نينوى


  
 


نسألكم الدعــــــــــــــاء


Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...