Tuesday, December 31, 2013

मोदी का विरोध सिर्फ आर्थिक कारणों से हो रहा है

मोदी का विरोध सिर्फ आर्थिक कारणों से हो रहा है, न की सांप्रदायिक कारणों से...

जब से अमेरिका यूरोप में यह संकेत गया है की मोदी के सत्ता में आने से सरकारी तौर से भी "भारत निर्मित स्वदेशी" वस्तुओ के उत्पादन और उपयोग पर भारत की जनता द्वारा जोर दिया जायेगा, ये देश मोदी का रास्ता रोकने के लिए मोदी विरोधी शक्तिओ को खूब प्रोत्साहन दे रहे हैं.

यदि सिर्फ 1 साल तक जमकर विदेशी उत्पादों का बहिष्कार कर दिया जाये तो यूरोप और अमेरिका की मुद्राए रुपये के मुकाबले बहुत निचे आ जायेगे. सिर्फ यही नहीं, यूरोप दुबारा मंदी की जकड में चला जायेगा और अमेरिका यूरोप दोनों जगहों पर बेरोजगारी में बेतहाशा वृद्धि होगी क्योकि तब भारत में सामान का उत्पादन होने से रोजगार भारत वालो को मिलेगा. आज के दिन भारत का सारा रोजगार चीन, अमेरिका और यूरोप चला गया है क्योकि हम सब लोग बाहर देशो में बना सामान खरीद रहे हैं.

गुजरात दंगे का प्रचार तो सिर्फ भारत की जनता को मुर्ख बनाने के लिए बार बार किया जाता है, विदेशियों द्वारा मोदी का विरोध का सिर्फ आर्थिक कारन है. भारत में स्विट्जरलैंड के 156 गुना लोग रहते हैं और 121 करोड़ लोग दुनिया में सबसे बड़े ग्राहक है घटिया विदेशी उत्पादों के. आज भारत में 5000 विदेशी कंपनिया 27 लाख करोड़ का बिजिनेस करके हर साल 17 लाख करोड़ रुपये को डालर में बदलकर अपने देश ले जाती है जिससे रुपये निचे जा रहा है. अर्थक्रान्ति प्रस्ताव के लागू हूने की भनक भी अमेरिका को लग चुकी है जो भारत के लिए अमेरिका की कीमत कम कर देगा.

मोदी और डॉ.स्वामी ने बीजेपी सरकार आने पर डालर का भाव 5 साल में 21 रुपये और 10 साल में 10/- रुपये तक लाने की सोच रहे हैं. यदि डालर 10 रुपये हो जाये तो भारत का 46 लाख करोड़ का कर्जा सिर्फ 7 लाख करोड़ ही रह जायेगा जिसे हम एक झटके में दे सकते हैं. 2013 के बजट 17 लाख करोड़ के बजट में से 5.35 लाख करोड़ सिर्फ कर्ज की किश्त देने में ही चला गया जो पुरे बजट का करीब एक तिहाई है सोचो भारत विकास कैसे करेगा.

अमेरिका मोदी को किसी भी हालत में PM बनता नहीं देखना चाहता है क्योकि मोदी के पीछे सभी राष्ट्रवादी खड़े हैं. आने वाले समय में मिडिया मोदी को और भी अनदेखी करेगा और कजरी गिरोह को फोकस करके मोदी की राह रोकने की योजना पर काम करेगा.

शेयर करके दूसरो को भी जागरुक करे...

अटल जी पर आरोप लगानेवाले कॉंग्रेसी और सेक्युलर



जिस कंधार विमान अपहरण मे 300 लोगों की जान बचाने के लिए अटलजी ने 5 आतंकी छोड़े थे. पर अटल जी पर आरोप लगानेवाले कॉंग्रेसी और सेक्युलर मेरे इन तीन सवालों का जवाब दे


1- 8 december 1989 जम्मू कश्मीर के मुख्य मंत्री की बेटी रुबिया को छुड़ाने के लिए 11 आतंकवादियों को छोड़ा था...इन 11 आतंकवादियों ने फिर 12 march 1993 Friday के दिन दुनिया का सबसे बड़ा सीरियल ब्लास्ट किया था मुंबई मे । क्यूँ छोड़ा था???

2- August 1991 में मुस्लिम नेता सैफुद्दीन सोज़ की बेटी नादिया सोज़ को छुड़ाने के लिए 17 आतंकवादियों को कॉंग्रेस ने छोड़ा ...क्यूँ????

3- 27 September 1991 के दिन कॉंग्रेस नेता गुलामनबी आज़ाद का साला तसाड़क देव को छुड़ाने के लिए 23
आतंकियों को छोड़ा गया था ...क्यूँ..

आखिर क्यूँ ???

'आम आदमी पार्टी' के पीछे विदेशी गुटों

'आम आदमी पार्टी' के पीछे विदेशी गुटों

'आम आदमी पार्टी' के पीछे देश की नीतियों को प्रभावित कराने वाले विदेशी गुटों का हाथ भ्रष्टाचार के विरुद्घ एक लोक लुभावन आन्दोलन से युवा महत्वाकांक्षाओं की अभिव्यक्ति के रूप में उभरी 'आम आदमी पार्टी' के कुछ नेताओं के पीछे सक्रिय विदेशी प्रभावों पर नजर डालना आज के संदर्भ में अत्यंत जरूरी है। अण्णा हजारे के नेतृत्व में 'इण्डि़या अगेंस्ट करप्शन' द्वारा चलाये गए आन्दोलन के दौरान देश तब एकदम सन्न रह गया था, जब यह रहस्योद्घाटन हुआ कि 'इण्डिया अगेंस्ट करप्शन' की केन्द्रीय समिति के दो प्रमुख सदस्य, अरविन्द केजरीवाल व मनीष सिसोदिया न्यूयार्क स्थित फोर्ड फाउण्डेशन के पैसे से भारत में स्वैच्छिक संगठन चला रहे हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इसी केन्द्रीय समिति के दो सदस्यों, अरविन्द केजरीवाल व किरण बेदी को उसी फोर्ड फाउण्डेशन द्वारा प्रायोजित रमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी विशिष्ट प्रतिष्ठा प्राप्त हुयी थी।

'इण्डिया अगेंस्ट करप्शन' की कोर कमेटी के सदस्यों को विदेशी धन मिलने के आरोप की प्रतिक्रिया में अरविन्द केजरीवाल ने तब इण्डिया फर्स्ट को भेजे अपने एस़एम़एस़ में कोई टिप्पणी न कर, यह प्रश्न किया कि इसका क्या प्रमाण है? इस पर एक बार तो देश ने सन्तोष की सांस ली कि, सम्भवत: देश में आन्दोलन धर्मी संगठनों के अभियान कम से कम, विदेशों से प्रायोजित तो नहीं हैं। लेकिन, इसके प्रमाण सामने आते ही स्वयं केजरीवाल ने अगस्त 2011 में ही स्वीकार कर लिया कि मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर उनके द्वारा चलाये जा रहे एन.जी.ओ. कबीर को न्यूयार्क आधारित फोर्ड-फाउण्डेशन से धन मिला है। लेकिन, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह धन उन्हें दो वर्ष पूर्व मिला था।

सिविल सोसाइटी व वर्ल्ड सोशल फॉरम से वैश्विक नव वामपंथ का उदय
अस्सी के दशक में ब्राजील से प्रारम्भ हुये सिविल सोसाइटी संगठनों के लोक-लुभावन आन्दोलनों के पूरे लातीनी अमरीका में फैल जाने के फलस्वरूप, विगत दशक में एक दर्जन लातीनी अमरीकी देशों के 17 चुनावों में वामपंथी सरकारों के लिये सत्ता में आना सम्भव हुआ है। अन्य लातीनी अमरीकी देशों में भी क्रान्तिधर्मी कम्युनिस्ट दलों से भिन्न 'नव वामपंथी सिविल सोसाइटी संगठनों' के ऐसे ही लोक-लुभावन आन्दोलनों के माध्यम से वामपंथियों को समाज जीवन की मुख्य धारा में आने का अवसर मिला है। इसके फलस्वरूप आज दो तिहाई लातीनी अमरीकी देशों में एक नव वामपंथ की लहर चल पड़ी है, जिसे सामयिक समालोचक गुलाबी लहर कह रहे हैं। नब्बे के दशक में चली इस गुलाबी लहर से 1998 में वेनेजुएला और 2002 में ब्राजील सहित बाद की अवधि में एक दर्जन देशों में बनी वामपंथी सरकारों की सफलता के प्रयोग से पे्ररणा पाकर वामपंथियों ने सिविल सोसाइटी के लोक लुभावन आन्दोलनों और सिविल सोसाइटी के वैश्विक गठजोड़, वर्ल्ड सोशल फॉरम के माध्यम से यूरोप अमरीका, अफ्रीका व एशिया सहित अरब जगत में नव वामपंथ की गुलाबी लहर को सबल बनाने में भी अपनी शक्ति लगायी हुयी है।

सिविल सोसाइटी का एकीकरण

विश्व के अन्य भागों की तरह भारत में भी नव वामपंथ के घटक अनेक सिविल सोसाइटी आन्दोलन देश में कई लोक लुभावन या अल्पसंख्यक वाद के अभियान विगत 20-25 वर्षों से चला रहे हैं। यथा बाबरी ढांचे के ध्वस्त होने के समय कई सिविल सोसाइटी संगठनों के गठजोड़ से बने अकेले 'नेशनल एलायन्स ऑफ पीपुल्स मूवमेण्ट' जैसे एक सिविल सोसाइटी समूह/आन्दोलन में, मेधा पाटकर के 'नर्मदा बचाओ आन्दोलन' जैसे लगभग 150 सिविल सोसाइटी संगठन एकजुट हुये हैं व सिविल सोसाइटी आन्दोलन के रूप मे सक्रिय हैं और पीपुल्स मूवमेंट आज 15 राज्यों में सक्रिय है। इसी प्रकार मूल निवासी वाद, एचआईवी-एड्स, अल्पसंख्यक सुरक्षा, सूचना के अधिकार, भूमि अधिग्रहण, साम्प्रदायिकता आदि अनगिनत मुद्दों पर अनेक आन्दोलन व उनके असंख्य संघटक सिविल सोसाइटी संगठन विगत दो दशकों से सक्रिय हैं। देश मे लक्षित एवं साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक, जो अत्यन्त विवादित रहा है, के प्रति भी कुछ सिविल सोसाइटी संगठन विशेष सक्रियता दिखाते रहे हैं। पोकरण के 1998 के विस्फोटों एवं देश के परमाणु कार्यक्रमों से भी सिविल सोसाइटी के मतभेद स्पष्ट रहे हैं। सिविल सोसाइटी की पहल पर देश में चले भ्रष्टाचाररोधी आन्दोलन में लगभग पूरा देश एकजुट हो गया था लेकिन सक्रिय दलीय राजनीति में प्रवेश के मुद्दे पर अण्णा हजारे सहित अधिकांश समूह, राजनीति में सक्रिय सिविल सोसाइटी के धड़ों से अलग हो गये हैं।

मोदी क्यों ले रहे हैं सरकारी सुरक्षा?

कुछ लोग बोल रहे थे की केजरीवाल के लोग सरकारी सुरक्षा नहीं ले रहे हैं तो मोदी क्यों ले रहे हैं....उन लोगो को यह बताना जरुरी है की मोदी के कितने दुश्मन हैं.....

१- कांग्रेस मोदी की दुश्मन है क्योकि उसका इतिहास इसका गवाह है,

२- भारत की सभी भारत विरोधी और हिन्दू विरोधी जेहादी एजेंसिया मोदी की दुश्मन हैं,

३- भारत की सभी हिन्दू विरोधी ताकते मोदी की असली दुश्मन हैं,

४- विदेशी कंपनिया जिनका धंधा बाद में मंदा होने वाला है, मोदी की दुश्मन हैं,

५- अमेरिका और यूरोप जिनकी मुद्रा मोदी के आने के बाद गड्ढे में जाने वाली है, मोदी के सबसे बड़े दुश्मन हैं,

६- भारत में रोजगार पैदा होने के कारन जिन देशो में बेरोजगारी बढ़ने वाली है, उन देशो की एजेंसिया मोदी को ज़िंदा नहीं देखना चाहती हैं.

७- वे कंपनिया जो भारत को हथियार बेच रही है, मोदी के आने के बाद सभी हथियार भारत में बनेगे, मोदी उनके लिए दुश्मन हुए,

८- मोदी चीन के लिए दुश्मन हैं क्योकि रोजगार पैदा करने के लिए भारत में जबदस्त स्वदेशी उत्पादन की योजना है तो चीन का माल कहा खपेगा.

९- “अर्थक्रान्ति प्रस्ताव” लागु करने के बाद जितने लोग “पैदल” हो जाने वाले हैं वे सब मोदी को देखना नहीं चाहते हैं.

१०- मोदी के आने के बाद “मक्कार मिडिया माफिया” पर नकेल कसी जाने वाली है तो भी शत्रुओ की लिस्ट में ही है और सबसे ज्यादा नुक्सान यही कर रहे हैं मोदी का.

११- कोयला माफिया मोसी के दुश्मन है क्योकि मोदी के आने के बाद कोयले की फिर से असली दाम में नीलामी होगी जिसके लिए इनको कोयले का सही दाम देना होगा अभी तो यह 10 पैसा किलो ले रहे हैं.

१२- कश्मीरी आतंकी मोदी के दुश्मन है क्योकी मोदी “धारा-370” हटाना चाहते हैं. कशमीर को भारत से अलग देखना चाहने वाली सभी ताकते मोदी की विरोधी हैं.

१३- वे सभी सेकुलर नेता जो मुस्लिम वोटो के सौदागर हैं, मोदी को राजनीति से हटाना चाहते हैं.

१४- गो-ह्त्या करके लाखो करोड़ रुपये कमाने वाले गाय माफिया मोदी के दुश्मन है क्योकि मोदी खून की नहीं बल्कि दूध की नदी बहाना चाहते हैं.

१५- पकिस्तान को मोदी से बहुत डर लगता है तो एक सबसे बड़े दुश्मन यह भी हैं,

१६- भारत को WTO के समझौतों के बल पर गुलाम बनाकर रखने की योजना वाली सभी विश्व की शक्तिया मोदी की दुश्मन है क्योकि मोदी को गुलामी पसंद नही हैं.

१७- भारत की एक विश्व शक्ति के रूप में स्थापित होते हुए नहीं देखना चाहने वाले सभी देश मोदी को रस्ते से हटाना चाहते हैं.


अब, केजरी गिरोह को ऊपर वाली सभी शक्तियों से कोई खतरा नहीं है क्योकि इनका हिंदुत्व और भारत विरोध जगजाहिर है. ये कजरिया किसको मुर्ख समझता है भाई...ये हर बात में बीजेपी को क्यों घसीटता है....चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी का नम्बर काटने की कोशिश..

कजरी बाबू, यदि ये भांड और मक्कार मिडिया माफिया आपका प्रचार करना छोड़ दे तो आपकी औकात 5 दिन में समझ में आ जायेगी.

Sunday, December 29, 2013

काँग्रेस के DNA से पैदा हुई ये अलग अलग 21 पार्टीयां

काँग्रेस के DNA से पैदा हुई ये अलग अलग 21 पार्टीयां

1) हरियाणा में काँग्रेस

2)महाराष्ट्र में NCP पवार की

3) बिहार में Jdu नितीश की

4) बिहार मे Rjd लालू की

5) बिहार मे Ljp पासवान की

6)UP में मायावती की BSP

7)UP में मुलायम की SP

8)UP में अजित सिंह की RLD

9)AP में YSRC रेड्डी की

10)AP में TRS चंद्रशेखर की

11)AP में MIM औविसी की

12)ओड़िसा में BJD पटनायक की

13)केरल मेंCPIM कम्युनिस्टों की

14)केरल में मुस्लिम लीग

15)तमिलनाडु मे DMK करुणानिधि

16)तमिलनाडु मे AIDMKजयललिता

17)प.बंगाल में TMC ममता की

18)प.बंगाल में CPIM कम्युनिस्टोंकी

19)गुजरात मे GPP केशूभाई की

20)जम्मू कश्मीर में NC अब्दुल्ला की और अब

21) दिल्ली में AAP केजरीवाल की




काँग्रेस के DNA से पैदा हुई ये अलग अलग 21 पार्टीयां और बिकाऊ मीडिया+पत्रकार + जिहादी आतंकी देश के दुश्मन फोर्ड और वेटिकन !! एक अकेला योधा नरेन्द्र मोदी




जय श्री राम




फैसला आप लोग करो !!

Saturday, December 28, 2013

नरेंद्र मोदी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए फेंका गया ‘आखिरी पत्ता’ हैं अरविंद!

नरेंद्र मोदी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए फेंका गया ‘आखिरी पत्ता’ हैं अरविंद!

दरअसल विदेश में अमेरिका, सउदी अरब व पाकिस्तान और भारत में कांग्रेस व क्षेत्रीय पाटियों की पूरी कोशिश नरेंद्र मोदी के बढ़ते प्रभाव को रोकने की है। मोदी न अमेरिका के हित में हैं, न सउदी अरब व पाकिस्तान के हित में और न ही कांग्रेस पार्टी व धर्मनिरेपक्षता का ढोंग करने वाली क्षेत्रीय पार्टियों के हित में। मोदी के आते ही अमेरिका की एशिया केंद्रित पूरी विदेश, आर्थिक व रक्षा नीति तो प्रभावित होगी ही, देश के अंदर लूट मचाने में दशकों से जुटी हुई पार्टियों व नेताओं के लिए भी जेल यात्रा का माहौल बन जाएगा। इसलिए उसी भ्रष्‍टाचार को रोकने के नाम पर जनता का भावनात्मक दोहन करते हुए ईमानदारी की स्वनिर्मित धरातल पर ‘आम आदमी पार्टी’ का निर्माण कराया गया है।

दिल्ली में भ्रष्‍टाचार और कुशासन में फंसी कांग्रेस की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की 15 वर्षीय सत्ता के विरोध में उत्पन्न लहर को भाजपा के पास सीधे जाने से रोककर और फिर उसी कांग्रेस पार्टी के सहयोग से ‘आम आदमी पार्टी’ की सरकार बनाने का ड्रामा रचकर अरविंद केजरीवाल ने भाजपा को रोकने की अपनी क्षमता को दर्शा दिया है। अरविंद केजरीवाल द्वारा सरकार बनाने की हामी भरते ही केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘भाजपा के पास 32 सीटें थी, लेकिन वो बहुमत के लिए 4 सीटों का जुगाड़ नहीं कर पाई। हमारे पास केवल 8 सीटें थीं, लेकिन हमने 28 सीटों का जुगाड़ कर लिया और सरकार भी बना ली।’’

कपिल सिब्बल का यह बयान भाजपा को रोकने के लिए अरविंद केजरीवाल और उनकी ‘आम आदमी पार्टी’ को खड़ा करने में कांग्रेस की छुपी हुई भूमिका को उजागर कर देता है। वैसे भी अरविंद केजरीवाल और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित एनजीओ के लिए साथ काम कर चुके हैं। तभी तो दिसंबर-2011 में अन्ना आंदोलन को समाप्त कराने की जिम्मेवारी यूपीए सरकार ने संदीप दीक्षित को सौंपी थी। ‘फोर्ड फाउंडेशन’ ने अरविंद व मनीष सिसोदिया के एनजीओ को 3 लाख 69 हजार डॉलर तो संदीप दीक्षित के एनजीओ को 6 लाख 50 हजार डॉलर का फंड उपलब्ध कराया है। शुरू-शुरू में अरविंद केजरीवाल को कुछ मीडिया हाउस ने शीला-संदीप का ‘ब्रेन चाइल्ड’ बताया भी था, लेकिन यूपीए सरकार का इशारा पाते ही इस पूरे मामले पर खामोशी अख्तियार कर ली गई।

‘आम आदमी पार्टी’ व उसके नेता अरविंद केजरीवाल की पूरी मंशा को इस पार्टी के संस्थापक सदस्य व प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण ने ‘मेल टुडे’ अखबार में लिखे अपने एक लेख में जाहिर भी कर दिया था, लेकिन बाद में प्रशांत-अरविंद के दबाव के कारण उन्होंने अपने ही लेख से पल्ला झाड़ लिया और ‘मेल टुडे’ अखबार के खिलाफ मुकदमा कर दिया। ‘मेल टुडे’ से जुड़े सूत्र बताते हैं कि यूपीए सरकार के एक मंत्री के फोन पर ‘टुडे ग्रुप’ ने भी इसे झूठ कहने में समय नहीं लगाया, लेकिन तब तक इस लेख के जरिए नरेंद्र मोदी को रोकने लिए ‘कांग्रेस-केजरी’ गठबंधन की समूची साजिश का पर्दाफाश हो गया। यह अलग बात है कि कम प्रसार संख्या और अंग्रेजी में होने के कारण ‘मेल टुडे’ के लेख से बड़ी संख्या में देश की जनता अवगत नहीं हो सकी, इसलिए उस लेख के प्रमुख हिस्से को मैं यहां जस का तस रख रहा हूं, जिसमें नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए गठित ‘आम आदमी पार्टी’ की असलियत का पूरा ब्यौरा है।

शांति भूषण ने इंडिया टुडे समूह के अंग्रेजी अखबार ‘मेल टुडे’ में लिखा था, ‘‘अरविंद केजरीवाल ने बड़ी ही चतुराई से भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर भाजपा को भी निशाने पर ले लिया और उसे कांग्रेस के समान बता डाला। वहीं खुद वह सेक्यूलरिज्म के नाम पर मुस्लिम नेताओं से मिले ताकि उन मुसलमानों को अपने पक्ष में कर सकें जो बीजेपी का विरोध तो करते हैं, लेकिन कांग्रेस से उकता गए हैं। केजरीवाल और आम आदमी पार्टी उस अन्ना हजारे के आंदोलन की देन हैं जो कांग्रेस के करप्शन और मनमोहन सरकार की कारगुजारियों के खिलाफ शुरू हुआ था। लेकिन बाद में अरविंद केजरीवाल की मदद से इस पूरे आंदोलन ने अपना रुख मोड़कर बीजेपी की तरफ कर दिया, जिससे जनता कंफ्यूज हो गई और आंदोलन की धार कुंद पड़ गई।’’

‘‘आंदोलन के फ्लॉप होने के बाद भी केजरीवाल ने हार नहीं मानी। जिस राजनीति का वह कड़ा विरोध करते रहे थे, उन्होंने उसी राजनीति में आने का फैसला लिया। अन्ना इससे सहमत नहीं हुए । अन्ना की असहमति केजरीवाल की महत्वाकांक्षाओं की राह में रोड़ा बन गई थी। इसलिए केजरीवाल ने अन्ना को दरकिनार करते हुए ‘आम आदमी पार्टी’ के नाम से पार्टी बना ली और इसे दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों के खिलाफ खड़ा कर दिया। केजरीवाल ने जानबूझ कर शरारतपूर्ण ढंग से नितिन गडकरी के भ्रष्‍टाचार की बात उठाई और उन्हें कांग्रेस के भ्रष्‍ट नेताओं की कतार में खड़ा कर दिया ताकि खुद को ईमानदार व सेक्यूलर दिखा सकें। एक खास वर्ग को तुष्ट करने के लिए बीजेपी का नाम खराब किया गया। वर्ना बीजेपी तो सत्ता के आसपास भी नहीं थी, ऐसे में उसके भ्रष्‍टाचार का सवाल कहां पैदा होता है?’’

‘‘बीजेपी ‘आम आदमी पार्टी’ को नजरअंदाज करती रही और इसका केजरीवाल ने खूब फायदा उठाया। भले ही बाहर से वह कांग्रेस के खिलाफ थे, लेकिन अंदर से चुपचाप भाजपा के खिलाफ जुटे हुए थे। केजरीवाल ने लोगों की भावनाओं का इस्तेमाल करते हुए इसका पूरा फायदा दिल्ली की चुनाव में उठाया और भ्रष्‍टाचार का आरोप बड़ी ही चालाकी से कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा पर भी मढ़ दिया। ऐसा उन्होंने अल्पसंख्यक वोट बटोरने के लिए किया।’’

‘‘दिल्ली की कामयाबी के बाद अब अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजनीति में आने जा रहे हैं। वह सिर्फ भ्रष्‍टाचार की बात कर रहे हैं, लेकिन गवर्नेंस का मतलब सिर्फ भ्रष्‍टाचार का खात्मा करना ही नहीं होता। कांग्रेस की कारगुजारियों की वजह से भ्रष्‍टाचार के अलावा भी कई सारी समस्याएं उठ खड़ी हुई हैं। खराब अर्थव्यवस्था, बढ़ती कीमतें, पड़ोसी देशों से रिश्ते और अंदरूनी लॉ एंड ऑर्डर समेत कई चुनौतियां हैं। इन सभी चुनौतियों को बिना वक्त गंवाए निबटाना होगा।’’

‘‘मनमोहन सरकार की नाकामी देश के लिए मुश्किल बन गई है।...... नरेंद्र मोदी इसलिए लोगों की आवाज बन रहे हैं, क्योंकि उन्होंने इन समस्याओं से जूझने और देश का सम्मान वापस लाने का विश्वास लोगों में जगाया है। ......... मगर केजरीवाल गवर्नेंस के व्यापक अर्थ से अनभिज्ञ हैं।

केजरीवाल की प्राथमिकता

देश की राजनीति को अस्थिर करना
और
नरेंद्र मोदी को सत्ता में आने से रोकना है।

ऐसा इसलिए,
क्योंकि अगर मोदी एक बार सत्ता में आ गए तो ............ केजरीवाल की दुकान हमेशा के लिए बंद हो जाएगी।’’ ???????????????

वोट घूम फिर कर कांग्रेस के पास ही जाएगा


अगर आप कांग्रेस मुक्त भारत चाहते हैं तो "भारतीय जनता पार्टी" के अलावा कोई विकल्प नहीं है. पिछले कुछ दशकों से जितनी भी पार्टियां कांग्रेस के बिरोध के नाम पर बनी हैं ,वो सारी की सारी पार्टियाँ जनता को वरगला कर चुनाव तो जीतती हैं कांग्रेस का बिरोध करके, लेकिन बाद में कांग्रेस की पालकी में कहार बनकर जुत जाती हैं.

राष्ट्रिय जनता दल (लालू यादव )
जनता दल यूनाइटेड -(नितीश )
समाजवादी पार्टी (मुलायम सिंह)
.बहुजन समाज पार्टी (मायावती)
.झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (शिबू शोरेन)
लोक जनशक्ति (पासवान)
डीएमके (करूणानिधि)
एआईडीएमके (जय ललिता)
तृणमूल कांग्रेस ( ममता बनर्जी)
और अब मोमबत्ती छाप
क्रांतिकारी पार्टी "आप" (केजरीवाल)
अगर देश को कांग्रेस मुक्त करना चाहते हैं तो केवल भाजपा को चुने, इसके अलावा कांग्रेस बिरोध के नाम पर जिस किसी को वोट देंगे वो घूम फिर कर कांग्रेस के पास ही जाएगा.

सत्ता मिलते ही सत्य का गला घोटना शुरू

सत्ता मिलते ही सत्य का गला घोटना शुरू ???

हर बात पर आम आदमी की राय लेने वाला केजरीवाल आज मुख्या मंत्री बनाते ही उसी आम आदमी का मुह बंद करने लगे ?? आगे आगे देखो होता है क्या ? रामलीला मैदान में केजरीवाल के शपथ ग्रहण के दौरान एक पुलिसकर्मी ने भी आवाज उठाने की कोशिश की, मगर उसके साथ क्या हुआ, खुद देखें। तस्वीरें देखें और Share भी करें:






ठीक लालू प्रसाद यादव के नक़्शे कदम पर केजरीवाल >>>>

जेपी की लड़ाई से उपजे राजनेता लालू प्रसाद यादव के लिए जेपी के निधन के लगभग चार दशक बाद आज जेपी के मूल्य, सिद्धांत और उनके आदर्श शायद उतने प्रासंगिक नज़र नहीं आते हैं, नब्बे के शुरूआती साल में लालू प्रसाद का बिहार का मुख्यमंत्री बनना एक स्मरणीय घटना थी. लालू ने पटना के गाँधी मैदान में खुले आकाश के नीचे जब लोकनायक जयप्रकाश जी की प्रतिमा के सामने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अपने फ़ैसले का ऐलान किया तो एक बारगी बिहार ही क्यों, समूचे देश को यह अनुभव होना स्वाभाविक था कि अब वहाँ जनता का राज कायम होगा. शपथ लेने के बाद लालू साइकिल से मुख्यमंत्री सचिवालय गए. उस शुरूआती छवि और आज की उनकी छवि में परस्पर विरोधी चेहरे देखे जा सकते हैं
लालूप्रसाद यादव भ्रष्टाचार के जिस नारे के ख़िलाफ़ सत्ता पर क़ाबिज़ हुए थे, वह उनका राजनीति आधार बन गया. पशुपालन घोटाले में उनकी संलिप्तता की घटना और इन्ही आरोपों में उनकी ग़िरफ़्तारी और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ उनकी राजनीतिक स्थिति आज सबकी ज़ुबान पर है.

ठीक इसी नक़्शे कदम पर आज केजरीवाल है, मुझे लगता अब आप लोगों को विस्तार में कुछ भी समझाने की आवश्यकता है...... आप खुद समझदार हैं........!!!!


शोऐब ईकबाल अवैध कब्जाधारी, दिल्ली के स्पिकर

शोऐब ईकबाल अवैध कब्जाधारी, दिल्ली के स्पिकर
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दिल्ली


दिल्ली विधानसभा चुनाव में जेडी-यू के टिकट पर जीतकर विधायक बने शोएब इकबाल को 'आप' द्वारा दिल्ली असेंबली का स्पीकर बनाए जाने की खबरों पर वीएचपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। वीएचपी ने कहा है कि यदि अरविंद केजरीवाल ऐसा सोचते भी हैं तो पहले ही दिन उनकी स्वच्छ प्रशासन व भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली के सपने पर ग्रहण लग जाएगा। वीएचपी दिल्ली के महामंत्री सत्येन्द्र मोहन ने एक बयान जारी कर कहा है कि लाल किले के सामने स्थित सुभाष पार्क सहित दिल्ली में कई बड़ी जमीनों पर इकबाल का अवैध कब्जा है। मोहन ने कहा कि इसे मुक्त कराने को लेकर सिर्फ़ जनता ही नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ने तीखी टिप्पणी की है।

वीएचपी के मुताबिक, अनेक बार कोर्ट के आदेशों को धता बता कर शोएब ने मामले को सांप्रदायिक रंग देकर अभी तक सुभाष पार्क खाली नहीं किया है। शोएब के विरुद्ध हाई कोर्ट में अवमानना के तीन मामले चल रहे हैं। वीएचपी का आरोप है कि इसके अलावा शोएब पर आइपीसी व सीआरपीसी की विभिन्न संगीन धाराओं में इसके विरुद्ध अनेक न्यायालयों में दर्जनों केस चल रहे है और कई बार गिरफ़्तारी के आदेश दिए जा चुके हैं। इसके बावजूद यदि उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया तो न सिर्फ नई विधानसभा के पहले ही दिन केजरीवाल की भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली को ग्रहण लग जाएगा वल्कि जनता के भारी विरोध का भी भागी बनना पडेगा।

बुधवार सुबह अरविंद केजरीवाल से शोएब मिलने पहुंचे थे। सूत्रों के अनुसार केजरीवाल ने शोएब से मिलने के बाद उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाने का संकेत दे दिए हैं। शोएब ने चुनाव जीतने के बाद 'आप' को समर्थन देने की बात भी कही थी।

आम आदमी गाडी VVIP में सफ़र करता हुआ

ब्रेकिंग न्यूज़ दिल्ली का पहला आम आदमी देखिये ..... आम आदमी गाडी VVIP में सफ़र करता हुआ..... अब ये मत कहना VVIP वाला स्टीकर हमने जबरदस्ती चिपका दिया

मोदी जी ने ऑटो रिक्शा चलाई थी

एक मौके पर मोदी जी ने ऑटो रिक्शा चलाई थी .. वो भी दो महीने पहले ... लेकिन गलती ये कर दी की एक बार भी खांसी नही ली .. और मफलर नही बांधा .. और न ही XXL साइज की शर्ट पहनी थी

ये केजरीवाल किस मिट्टी का बना हुआ है

• हम अंतिम सांस तक जनलोकपाल की लड़ाई लड़ते रहेंगे, मेरा अनशन जनलोकपाल बनने तक जारी रहेगा भले ही मेरी जान चली जाए, हम राजनीति से दूर रहकर सरकार को बता देंगे कि आम आदमी की ताकत क्या होती है। :- अरविन्द केजरीवाल

इसको कहते हैं- बाजीगर की बाजीगरी...

• हमने फैसला किया है कि हम अपना अनशन तोड़ रहे हैं क्योकि भूखे रहने से कुछ नहीं मिलने वाला। हमने अपनी पार्टी बनाने का निर्णय लिया है, अब राजनीति में उतर कर ही लड़ाई लड़ी जा सकती है। :- अरविन्द केजरीवाल

इसको कहते हैं- मौका देख कर चौका मारना...

• आने वाले दिल्ली चुनावों में हम सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और साम्प्रदायिक ताकतों को इस देश में हावी नहीं होने देंगे। :- अरविन्द केजरीवाल

इसको कहते हैं- बहती गंगा में हाथ धोना...

• हमारे सभी प्रत्याशी पूर्णतः ईमानदार हैं, अगर किसी पर भी कोई आपराधिक मामला आदि होगा तो उसकी जांच हमारा आंतरिक लोकपाल करेगा। हमने भाजपा और कांग्रेस के 19 बागियों को टिकट इसलिए दिया है क्योकि वो "आप" नामक वैतरणी में आये हुए ईमानदार हैं। :- अरविंद केजरीवाल

इसको कहते हैं- नया मुल्ला नमाज़ ज्यादा पढता है...

• मोदी हत्यारा है, अमित शाह हत्यारा है, पर मौलाना तौकीर रज़ा साहब और विनायक सेन सही आदमी हैं और वो ही हमारी पार्टी का प्रचार करेंगे क्योकि उन पर आरोप अभी सिद्ध नहीं हुए हैं। :- अरविन्द केजरीवाल

इसको कहते हैं- अँधा बांटे रेवड़ी, अपने अपने को दे ।

• मैं अपने बच्चो की कसम खाता हूँ कि मैं सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और भाजपा से समर्थन नहीं लूँगा। :- अरविन्द केजरीवाल

इसको कहते हैं- दूध का जला छाज भी फूंक फूंक कर पीता है ।

• हम जनता से राय लेंगे की हमें कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार बनानी चाहिए या नही। :- अरविन्द केजरीवाल

इसको कहते हैं- थूक कर चाटना ।

• हम दिल्ली में सरकार बनाने को तैयार हैं :- अरविन्द केजरीवाल

इसको कहते हैं- आला दे निवाला दे |

अब आप स्वयं ही अन्दाजा लगा सकते हैं कि ये केजरीवाल किस मिट्टी का बना हुआ है जो अपने अलावा सबको चोर बेइमान समझता-बताता है और जबकि खुद के लक्षण ऐसे हैं।

कैसे और क्‍यों बनाया अमेरिका ने अरविंद केजरीवाल को

कैसे और क्‍यों बनाया अमेरिका ने अरविंद केजरीवाल को, पढि़ए पूरी कहानी!

by -Sundeep Dev
Category: राजनीति
Published on Saturday, 28 December 2013 02:22

संदीप देव, नई दिल्‍ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली एनजीओ गिरोह ‘राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी)’ ने घोर सांप्रदायिक ‘सांप्रदायिक और लक्ष्य केंद्रित हिंसा निवारण अधिनियम’ का ड्राफ्ट तैयार किया है। एनएसी की एक प्रमुख सदस्य अरुणा राय के साथ मिलकर अरविंद केजरीवाल ने सरकारी नौकरी में रहते हुए एनजीओ की कार्यप्रणाली समझी और फिर ‘परिवर्तन’ नामक एनजीओ से जुड़ गए। अरविंद लंबे अरसे तक राजस्व विभाग से छुटटी लेकर भी सरकारी तनख्वाह ले रहे थे और एनजीओ से भी वेतन उठा रहे थे, जो ‘श्रीमान ईमानदार’ को कानूनन भ्रष्‍टाचारी की श्रेणी में रखता है। वर्ष 2006 में ‘परिवर्तन’ में काम करने के दौरान ही उन्हें अमेरिकी ‘फोर्ड फाउंडेशन’ व ‘रॉकफेलर ब्रदर्स फंड’ ने 'उभरते नेतृत्व' के लिए ‘रेमॉन मेग्सेसाय’ पुरस्कार दिया, जबकि उस वक्त तक अरविंद ने ऐसा कोई काम नहीं किया था, जिसे उभरते हुए नेतृत्व का प्रतीक माना जा सके। इसके बाद अरविंद अपने पुराने सहयोगी मनीष सिसोदिया के एनजीओ ‘कबीर’ से जुड़ गए, जिसका गठन इन दोनों ने मिलकर वर्ष 2005 में किया था।

अरविंद को समझने से पहले ‘रेमॉन मेग्सेसाय’ को समझ लीजिए!
अमेरिकी नीतियों को पूरी दुनिया में लागू कराने के लिए अमेरिकी खुफिया ब्यूरो ‘सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए)’ अमेरिका की मशहूर कार निर्माता कंपनी ‘फोर्ड’ द्वारा संचालित ‘फोर्ड फाउंडेशन’ एवं कई अन्य फंडिंग एजेंसी के साथ मिलकर काम करती रही है। 1953 में फिलिपिंस की पूरी राजनीति व चुनाव को सीआईए ने अपने कब्जे में ले लिया था। भारतीय अरविंद केजरीवाल की ही तरह सीआईए ने उस वक्त फिलिपिंस में ‘रेमॉन मेग्सेसाय’ को खड़ा किया था और उन्हें फिलिपिंस का राष्ट्रपति बनवा दिया था। अरविंद केजरीवाल की ही तरह ‘रेमॉन मेग्सेसाय’ का भी पूर्व का कोई राजनैतिक इतिहास नहीं था। ‘रेमॉन मेग्सेसाय’ के जरिए फिलिपिंस की राजनीति को पूरी तरह से अपने कब्जे में करने के लिए अमेरिका ने उस जमाने में प्रचार के जरिए उनका राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय ‘छवि निर्माण’ से लेकर उन्हें ‘नॉसियोनालिस्टा पार्टी’ का उम्मीदवार बनाने और चुनाव जिताने के लिए करीब 5 मिलियन डॉलर खर्च किया था। तत्कालीन सीआईए प्रमुख एलन डॉउल्स की निगरानी में इस पूरी योजना को उस समय के सीआईए अधिकारी ‘एडवर्ड लैंडस्ले’ ने अंजाम दिया था। इसकी पुष्टि 1972 में एडवर्ड लैंडस्ले द्वारा दिए गए एक साक्षात्कार में हुई।

ठीक अरविंद केजरीवाल की ही तरह रेमॉन मेग्सेसाय की ईमानदार छवि को गढ़ा गया और ‘डर्टी ट्रिक्स’ के जरिए विरोधी नेता और फिलिपिंस के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘क्वायरिनो’ की छवि धूमिल की गई। यह प्रचारित किया गया कि क्वायरिनो भाषण देने से पहले अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए ड्रग का उपयोग करते हैं। रेमॉन मेग्सेसाय की ‘गढ़ी गई ईमानदार छवि’ और क्वायरिनो की ‘कुप्रचारित पतित छवि’ ने रेमॉन मेग्सेसाय को दो तिहाई बहुमत से जीत दिला दी और अमेरिका अपने मकसद में कामयाब रहा था। भारत में इस समय अरविंद केजरीवाल बनाम अन्य राजनीतिज्ञों की बीच अंतर दर्शाने के लिए छवि गढ़ने का जो प्रचारित खेल चल रहा है वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा अपनाए गए तरीके और प्रचार से बहुत कुछ मेल खाता है।

उन्हीं ‘रेमॉन मेग्सेसाय’ के नाम पर एशिया में अमेरिकी नीतियों के पक्ष में माहौल बनाने वालों, वॉलेंटियर तैयार करने वालों, अपने देश की नीतियों को अमेरिकी हित में प्रभावित करने वालों, भ्रष्‍टाचार के नाम पर देश की चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने वालों को ‘फोर्ड फाउंडेशन’ व ‘रॉकफेलर ब्रदर्स फंड’ मिलकर अप्रैल 1957 से ‘रेमॉन मेग्सेसाय’ अवार्ड प्रदान कर रही है। ‘आम आदमी पार्टी’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल और उनके साथी व ‘आम आदमी पार्टी’ के विधायक मनीष सिसोदिया को भी वही ‘रेमॉन मेग्सेसाय’ पुरस्कार मिला है और सीआईए के लिए फंडिंग करने वाली उसी ‘फोर्ड फाउंडेशन’ के फंड से उनका एनजीओ ‘कबीर’ और ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ मूवमेंट खड़ा हुआ है।

भारत में राजनैतिक अस्थिरता के लिए एनजीओ और मीडिया में विदेशी फंडिंग!
‘फोर्ड फाउंडेशन’ के एक अधिकारी स्टीवन सॉलनिक के मुताबिक ‘‘कबीर को फोर्ड फाउंडेशन की ओर से वर्ष 2005 में 1 लाख 72 हजार डॉलर एवं वर्ष 2008 में 1 लाख 97 हजार अमेरिकी डॉलर का फंड दिया गया।’’ यही नहीं, ‘कबीर’ को ‘डच दूतावास’ से भी मोटी रकम फंड के रूप में मिली। अमेरिका के साथ मिलकर नीदरलैंड भी अपने दूतावासों के जरिए दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में अमेरिकी-यूरोपीय हस्तक्षेप बढ़ाने के लिए वहां की गैर सरकारी संस्थाओं यानी एनजीओ को जबरदस्त फंडिंग करती है।

अंग्रेजी अखबार ‘पॉयनियर’ में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक डच यानी नीदरलैंड दूतावास अपनी ही एक एनजीओ ‘हिवोस’ के जरिए नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार को अस्थिर करने में लगे विभिन्‍न भारतीय एनजीओ को अप्रैल 2008 से 2012 के बीच लगभग 13 लाख यूरो, मतलब करीब सवा नौ करोड़ रुपए की फंडिंग कर चुकी है। इसमें एक अरविंद केजरीवाल का एनजीओ भी शामिल है। ‘हिवोस’ को फोर्ड फाउंडेशन भी फंडिंग करती है।

डच एनजीओ ‘हिवोस’ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में केवल उन्हीं एनजीओ को फंडिंग करती है,जो अपने देश व वहां के राज्यों में अमेरिका व यूरोप के हित में राजनैतिक अस्थिरता पैदा करने की क्षमता को साबित करते हैं। इसके लिए मीडिया हाउस को भी जबरदस्त फंडिंग की जाती है। एशियाई देशों की मीडिया को फंडिंग करने के लिए अमेरिका व यूरोपीय देशों ने ‘पनोस’ नामक संस्था का गठन कर रखा है। दक्षिण एशिया में इस समय ‘पनोस’ के करीब आधा दर्जन कार्यालय काम कर रहे हैं। 'पनोस' में भी फोर्ड फाउंडेशन का पैसा आता है। माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल के मीडिया उभार के पीछे इसी ‘पनोस' के जरिए 'फोर्ड फाउंडेशन' की फंडिंग काम कर रही है। ‘सीएनएन-आईबीएन’ व ‘आईबीएन-7’ चैनल के प्रधान संपादक राजदीप सरदेसाई ‘पॉपुलेशन काउंसिल’ नामक संस्था के सदस्य हैं, जिसकी फंडिंग अमेरिका की वही ‘रॉकफेलर ब्रदर्स’ करती है जो ‘रेमॉन मेग्सेसाय’ पुरस्कार के लिए ‘फोर्ड फाउंडेशन’ के साथ मिलकर फंडिंग करती है।

माना जा रहा है कि ‘पनोस’ और ‘रॉकफेलर ब्रदर्स फंड’ की फंडिंग का ही यह कमाल है कि राजदीप सरदेसाई का अंग्रेजी चैनल ‘सीएनएन-आईबीएन’ व हिंदी चैनल ‘आईबीएन-7’ न केवल अरविंद केजरीवाल को ‘गढ़ने’ में सबसे आगे रहे हैं, बल्कि 21 दिसंबर 2013 को ‘इंडियन ऑफ द ईयर’ का पुरस्कार भी उसे प्रदान किया है। ‘इंडियन ऑफ द ईयर’ के पुरस्कार की प्रयोजक कंपनी ‘जीएमआर’ भ्रष्‍टाचार में में घिरी है।

‘जीएमआर’ के स्वामित्व वाली ‘डायल’ कंपनी ने देश की राजधानी दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा विकसित करने के लिए यूपीए सरकार से महज 100 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन हासिल किया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ‘सीएजी’ ने 17 अगस्त 2012 को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जीएमआर को सस्ते दर पर दी गई जमीन के कारण सरकारी खजाने को 1 लाख 63 हजार करोड़ रुपए का चूना लगा है। इतना ही नहीं, रिश्वत देकर अवैध तरीके से ठेका हासिल करने के कारण ही मालदीव सरकार ने अपने देश में निर्मित हो रहे माले हवाई अड्डा का ठेका जीएमआर से छीन लिया था। सिंगापुर की अदालत ने जीएमआर कंपनी को भ्रष्‍टाचार में शामिल होने का दोषी करार दिया था। तात्पर्य यह है कि अमेरिकी-यूरोपीय फंड, भारतीय मीडिया और यहां यूपीए सरकार के साथ घोटाले में साझीदार कारपोरेट कंपनियों ने मिलकर अरविंद केजरीवाल को ‘गढ़ा’ है, जिसका मकसद आगे पढ़ने पर आपको पता चलेगा।

‘जनलोकपाल आंदोलन’ से ‘आम आदमी पार्टी’ तक का शातिर सफर!
आरोप है कि विदेशी पुरस्कार और फंडिंग हासिल करने के बाद अमेरिकी हित में अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसोदिया ने इस देश को अस्थिर करने के लिए ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ का नारा देते हुए वर्ष 2011 में ‘जनलोकपाल आंदोलन’ की रूप रेखा खिंची। इसके लिए सबसे पहले बाबा रामदेव का उपयोग किया गया, लेकिन रामदेव इन सभी की मंशाओं को थोड़ा-थोड़ा समझ गए थे। स्वामी रामदेव के मना करने पर उनके मंच का उपयोग करते हुए महाराष्ट्र के सीधे-साधे, लेकिन भ्रष्‍टाचार के विरुद्ध कई मुहीम में सफलता हासिल करने वाले अन्ना हजारे को अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली से उत्तर भारत में ‘लॉंच’ कर दिया। अन्ना हजारे को अरिवंद केजरीवाल की मंशा समझने में काफी वक्त लगा, लेकिन तब तक जनलोकपाल आंदोलन के बहाने अरविंद ‘कांग्रेस पार्टी व विदेशी फंडेड मीडिया’ के जरिए देश में प्रमुख चेहरा बन चुके थे। जनलोकपाल आंदोलन के दौरान जो मीडिया अन्ना-अन्ना की गाथा गा रही थी, ‘आम आदमी पार्टी’ के गठन के बाद वही मीडिया अन्ना को असफल साबित करने और अरविंद केजरीवाल के महिमा मंडन में जुट गई।

विदेशी फंडिंग तो अंदरूनी जानकारी है, लेकिन उस दौर से लेकर आज तक अरविंद केजरीवाल को प्रमोट करने वाली हर मीडिया संस्थान और पत्रकारों के चेहरे को गौर से देखिए। इनमें से अधिकांश वो हैं, जो कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के द्वारा अंजाम दिए गए 1 लाख 76 हजार करोड़ के 2जी स्पेक्ट्रम, 1 लाख 86 हजार करोड़ के कोल ब्लॉक आवंटन, 70 हजार करोड़ के कॉमनवेल्थ गेम्स और 'कैश फॉर वोट' घोटाले में समान रूप से भागीदार हैं।

आगे बढ़ते हैं...! अन्ना जब अरविंद और मनीष सिसोदिया के पीछे की विदेशी फंडिंग और उनकी छुपी हुई मंशा से परिचित हुए तो वह अलग हो गए, लेकिन इसी अन्ना के कंधे पर पैर रखकर अरविंद अपनी ‘आम आदमी पार्टी’ खड़ा करने में सफल रहे। जनलोकपाल आंदोलन के पीछे ‘फोर्ड फाउंडेशन’ के फंड को लेकर जब सवाल उठने लगा तो अरविंद-मनीष के आग्रह व न्यूयॉर्क स्थित अपने मुख्यालय के आदेश पर फोर्ड फाउंडेशन ने अपनी वेबसाइट से ‘कबीर’ व उसकी फंडिंग का पूरा ब्यौरा ही हटा दिया। लेकिन उससे पहले अन्ना आंदोलन के दौरान 31 अगस्त 2011 में ही फोर्ड के प्रतिनिधि स्टीवेन सॉलनिक ने ‘बिजनस स्टैंडर’ अखबार में एक साक्षात्कार दिया था, जिसमें यह कबूल किया था कि फोर्ड फाउंडेशन ने ‘कबीर’ को दो बार में 3 लाख 69 हजार डॉलर की फंडिंग की है। स्टीवेन सॉलनिक के इस साक्षात्कार के कारण यह मामला पूरी तरह से दबने से बच गया और अरविंद का चेहरा कम संख्या में ही सही, लेकिन लोगों के सामने आ गया।

सूचना के मुताबिक अमेरिका की एक अन्य संस्था ‘आवाज’ की ओर से भी अरविंद केजरीवाल को जनलोकपाल आंदोलन के लिए फंड उपलब्ध कराया गया था और इसी ‘आवाज’ ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए भी अरविंद केजरीवाल की ‘आम आदमी पार्टी’ को फंड उपलब्ध कराया। सीरिया, इजिप्ट, लीबिया आदि देश में सरकार को अस्थिर करने के लिए अमेरिका की इसी ‘आवाज’ संस्था ने वहां के एनजीओ, ट्रस्ट व बुद्धिजीवियों को जमकर फंडिंग की थी। इससे इस विवाद को बल मिलता है कि अमेरिका के हित में हर देश की पॉलिसी को प्रभावित करने के लिए अमेरिकी संस्था जिस ‘फंडिंग का खेल’ खेल खेलती आई हैं, भारत में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और ‘आम आदमी पार्टी’ उसी की देन हैं।

सुप्रीम कोर्ट के वकील एम.एल.शर्मा ने अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसोदिया के एनजीओ व उनकी ‘आम आदमी पार्टी’ में चुनावी चंदे के रूप में आए विदेशी फंडिंग की पूरी जांच के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर रखी है। अदालत ने इसकी जांच का निर्देश दे रखा है, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्रालय इसकी जांच कराने के प्रति उदासीनता बरत रही है, जो केंद्र सरकार को संदेह के दायरे में खड़ा करता है। वकील एम.एल.शर्मा कहते हैं कि ‘फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट-2010’ के मुताबिक विदेशी धन पाने के लिए भारत सरकार की अनुमति लेना आवश्यक है। यही नहीं, उस राशि को खर्च करने के लिए निर्धारित मानकों का पालन करना भी जरूरी है। कोई भी विदेशी देश चुनावी चंदे या फंड के जरिए भारत की संप्रभुता व राजनैतिक गतिविधियों को प्रभावित नहीं कर सके, इसलिए यह कानूनी प्रावधान किया गया था, लेकिन अरविंद केजरीवाल व उनकी टीम ने इसका पूरी तरह से उल्लंघन किया है। बाबा रामदेव के खिलाफ एक ही दिन में 80 से अधिक मुकदमे दर्ज करने वाली कांग्रेस सरकार की उदासीनता दर्शाती है कि अरविंद केजरीवाल को वह अपने राजनैतिक फायदे के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

अमेरिकी ‘कल्चरल कोल्ड वार’ के हथियार हैं अरविंद केजरीवाल!
फंडिंग के जरिए पूरी दुनिया में राजनैतिक अस्थिरता पैदा करने की अमेरिका व उसकी खुफिया एजेंसी ‘सीआईए’ की नीति को ‘कल्चरल कोल्ड वार’ का नाम दिया गया है। इसमें किसी देश की राजनीति, संस्कृति व उसके लोकतंत्र को अपने वित्त व पुरस्कार पोषित समूह, एनजीओ, ट्रस्ट, सरकार में बैठे जनप्रतिनिधि, मीडिया और वामपंथी बुद्धिजीवियों के जरिए पूरी तरह से प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है। अरविंद केजरीवाल ने ‘सेक्यूलरिज्म’ के नाम पर इसकी पहली झलक अन्ना के मंच से ‘भारत माता’ की तस्वीर को हटाकर दे दिया था। चूंकि इस देश में भारत माता के अपमान को ‘सेक्यूलरिज्म का फैशनेबल बुर्का’ समझा जाता है, इसलिए वामपंथी बुद्धिजीवी व मीडिया बिरादरी इसे अरविंद केजरीवाल की धर्मनिरपेक्षता साबित करने में सफल रही।
एक बार जो धर्मनिरपेक्षता का गंदा खेल शुरू हुआ तो फिर चल निकला और ‘आम आदमी पार्टी’ के नेता प्रशांत भूषण ने तत्काल कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का सुझाव दे दिया। प्रशांत भूषण यहीं नहीं रुके, उन्होंने संसद हमले के मुख्य दोषी अफजल गुरु की फांसी का विरोध करते हुए यह तक कह दिया कि इससे भारत का असली चेहरा उजागर हो गया है। जैसे वह खुद भारत नहीं, बल्कि किसी दूसरे देश के नागरिक हों?

प्रशांत भूषण लगातार भारत विरोधी बयान देते चले गए और मीडिया व वामपंथी बुद्धिजीवी उनकी आम आदमी पार्टी को ‘क्रांतिकारी सेक्यूलर दल’ के रूप में प्रचारित करने लगी। प्रशांत भूषण को हौसला मिला और उन्होंने केंद्र सरकार से कश्मीर में लागू एएफएसपीए कानून को हटाने की मांग करते हुए कह दिया कि सेना ने कश्मीरियों को इस कानून के जरिए दबा रखा है। इसके उलट हमारी सेना यह कह चुकी है कि यदि इस कानून को हटाया जाता है तो अलगाववादी कश्मीर में हावी हो जाएंगे।

अमेरिका का हित इसमें है कि कश्मीर अस्थिर रहे या पूरी तरह से पाकिस्तान के पाले में चला जाए ताकि अमेरिका यहां अपना सैन्य व निगरानी केंद्र स्थापित कर सके। यहां से दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण-पूर्वी एशिया व चीन पर नजर रखने में उसे आसानी होगी। आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण अपनी झूठी मानवाधिकारवादी छवि व वकालत के जरिए इसकी कोशिश पहले से ही करते रहे हैं और अब जब उनकी ‘अपनी राजनैतिक पार्टी’ हो गई है तो वह इसे राजनैतिक रूप से अंजाम देने में जुटे हैं। यह एक तरह से ‘लिटमस टेस्ट’ था, जिसके जरिए आम आदमी पार्टी ‘ईमानदारी’ और ‘छद्म धर्मनिरपेक्षता’ का ‘कॉकटेल’ तैयार कर रही थी।

8 दिसंबर 2013 को दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतने के बाद अपनी सरकार बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल व उनकी पार्टी द्वारा आम जनता को अधिकार देने के नाम पर जनमत संग्रह का जो नाटक खेला गया, वह काफी हद तक इस ‘कॉकटेल’ का ही परीक्षण है। सवाल उठने लगा है कि यदि देश में आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाए और वह कश्मीर में जनमत संग्रह कराते हुए उसे पाकिस्तान के पक्ष में बता दे तो फिर क्या होगा?

आखिर जनमत संग्रह के नाम पर उनके ‘एसएमएस कैंपेन’ की पारदर्शिता ही कितनी है? अन्ना हजारे भी एसएमएस कार्ड के नाम पर अरविंद केजरीवाल व उनकी पार्टी द्वारा की गई धोखाधड़ी का मामला उठा चुके हैं। दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत में अन्ना व अरविंद को पक्षकार बनाते हुए एसएमएस कार्ड के नाम पर 100 करोड़ के घोटाले का एक मुकदमा दर्ज है। इस पर अन्ना ने कहा, ‘‘मैं इससे दुखी हूं, क्योंकि मेरे नाम पर अरविंद के द्वारा किए गए इस कार्य का कुछ भी पता नहीं है और मुझे अदालत में घसीट दिया गया है, जो मेरे लिए बेहद शर्म की बात है।’’

प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और उनके ‘पंजीकृत आम आदमी’ ने जब देखा कि ‘भारत माता’ के अपमान व कश्मीर को भारत से अलग करने जैसे वक्तव्य पर ‘मीडिया-बुद्धिजीवी समर्थन का खेल’ शुरू हो चुका है तो उन्होंने अपनी ईमानदारी की चासनी में कांग्रेस के छद्म सेक्यूलरवाद को मिला लिया। उनके बयान देखिए, प्रशांत भूषण ने कहा, ‘इस देश में हिंदू आतंकवाद चरम पर है’, तो प्रशांत के सुर में सुर मिलाते हुए अरविंद ने कहा कि ‘बाटला हाउस एनकाउंटर फर्जी था और उसमें मारे गए मुस्लिम युवा निर्दोष थे।’ इससे दो कदम आगे बढ़ते हुए अरविंद केजरीवाल उत्तरप्रदेश के बरेली में दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार हो चुके तौकीर रजा और जामा मस्जिद के मौलाना इमाम बुखारी से मिलकर समर्थन देने की मांग की।

याद रखिए, यही इमाम बुखरी हैं, जो खुले आम दिल्ली पुलिस को चुनौती देते हुए कह चुके हैं कि ‘हां, मैं पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट हूं, यदि हिम्मत है तो मुझे गिरफ्तार करके दिखाओ।’ उन पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर रखा है लेकिन दिल्ली पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह जामा मस्जिद जाकर उन्हें गिरफ्तार कर सके। वहीं तौकीर रजा का पुराना सांप्रदायिक इतिहास है। वह समय-समय पर कांग्रेस और मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी के पक्ष में मुसलमानों के लिए फतवा जारी करते रहे हैं। इतना ही नहीं, वह मशहूर बंग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन की हत्या करने वालों को ईनाम देने जैसा घोर अमानवीय फतवा भी जारी कर चुके हैं।

नरेंद्र मोदी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए फेंका गया ‘आखिरी पत्ता’ हैं अरविंद!
दरअसल विदेश में अमेरिका, सउदी अरब व पाकिस्तान और भारत में कांग्रेस व क्षेत्रीय पाटियों की पूरी कोशिश नरेंद्र मोदी के बढ़ते प्रभाव को रोकने की है। मोदी न अमेरिका के हित में हैं, न सउदी अरब व पाकिस्तान के हित में और न ही कांग्रेस पार्टी व धर्मनिरेपक्षता का ढोंग करने वाली क्षेत्रीय पार्टियों के हित में। मोदी के आते ही अमेरिका की एशिया केंद्रित पूरी विदेश, आर्थिक व रक्षा नीति तो प्रभावित होगी ही, देश के अंदर लूट मचाने में दशकों से जुटी हुई पार्टियों व नेताओं के लिए भी जेल यात्रा का माहौल बन जाएगा। इसलिए उसी भ्रष्‍टाचार को रोकने के नाम पर जनता का भावनात्मक दोहन करते हुए ईमानदारी की स्वनिर्मित धरातल पर ‘आम आदमी पार्टी’ का निर्माण कराया गया है।

दिल्ली में भ्रष्‍टाचार और कुशासन में फंसी कांग्रेस की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की 15 वर्षीय सत्ता के विरोध में उत्पन्न लहर को भाजपा के पास सीधे जाने से रोककर और फिर उसी कांग्रेस पार्टी के सहयोग से ‘आम आदमी पार्टी’ की सरकार बनाने का ड्रामा रचकर अरविंद केजरीवाल ने भाजपा को रोकने की अपनी क्षमता को दर्शा दिया है। अरविंद केजरीवाल द्वारा सरकार बनाने की हामी भरते ही केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘भाजपा के पास 32 सीटें थी, लेकिन वो बहुमत के लिए 4 सीटों का जुगाड़ नहीं कर पाई। हमारे पास केवल 8 सीटें थीं, लेकिन हमने 28 सीटों का जुगाड़ कर लिया और सरकार भी बना ली।’’

कपिल सिब्बल का यह बयान भाजपा को रोकने के लिए अरविंद केजरीवाल और उनकी ‘आम आदमी पार्टी’ को खड़ा करने में कांग्रेस की छुपी हुई भूमिका को उजागर कर देता है। वैसे भी अरविंद केजरीवाल और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित एनजीओ के लिए साथ काम कर चुके हैं। तभी तो दिसंबर-2011 में अन्ना आंदोलन को समाप्त कराने की जिम्मेवारी यूपीए सरकार ने संदीप दीक्षित को सौंपी थी। ‘फोर्ड फाउंडेशन’ ने अरविंद व मनीष सिसोदिया के एनजीओ को 3 लाख 69 हजार डॉलर तो संदीप दीक्षित के एनजीओ को 6 लाख 50 हजार डॉलर का फंड उपलब्ध कराया है। शुरू-शुरू में अरविंद केजरीवाल को कुछ मीडिया हाउस ने शीला-संदीप का ‘ब्रेन चाइल्ड’ बताया भी था, लेकिन यूपीए सरकार का इशारा पाते ही इस पूरे मामले पर खामोशी अख्तियार कर ली गई।

‘आम आदमी पार्टी’ व उसके नेता अरविंद केजरीवाल की पूरी मंशा को इस पार्टी के संस्थापक सदस्य व प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण ने ‘मेल टुडे’ अखबार में लिखे अपने एक लेख में जाहिर भी कर दिया था, लेकिन बाद में प्रशांत-अरविंद के दबाव के कारण उन्होंने अपने ही लेख से पल्ला झाड़ लिया और ‘मेल टुडे’ अखबार के खिलाफ मुकदमा कर दिया। ‘मेल टुडे’ से जुड़े सूत्र बताते हैं कि यूपीए सरकार के एक मंत्री के फोन पर ‘टुडे ग्रुप’ ने भी इसे झूठ कहने में समय नहीं लगाया, लेकिन तब तक इस लेख के जरिए नरेंद्र मोदी को रोकने लिए ‘कांग्रेस-केजरी’ गठबंधन की समूची साजिश का पर्दाफाश हो गया। यह अलग बात है कि कम प्रसार संख्या और अंग्रेजी में होने के कारण ‘मेल टुडे’ के लेख से बड़ी संख्या में देश की जनता अवगत नहीं हो सकी, इसलिए उस लेख के प्रमुख हिस्से को मैं यहां जस का तस रख रहा हूं, जिसमें नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए गठित ‘आम आदमी पार्टी’ की असलियत का पूरा ब्यौरा है।

शांति भूषण ने इंडिया टुडे समूह के अंग्रेजी अखबार ‘मेल टुडे’ में लिखा था, ‘‘अरविंद केजरीवाल ने बड़ी ही चतुराई से भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर भाजपा को भी निशाने पर ले लिया और उसे कांग्रेस के समान बता डाला। वहीं खुद वह सेक्यूलरिज्म के नाम पर मुस्लिम नेताओं से मिले ताकि उन मुसलमानों को अपने पक्ष में कर सकें जो बीजेपी का विरोध तो करते हैं, लेकिन कांग्रेस से उकता गए हैं। केजरीवाल और आम आदमी पार्टी उस अन्ना हजारे के आंदोलन की देन हैं जो कांग्रेस के करप्शन और मनमोहन सरकार की कारगुजारियों के खिलाफ शुरू हुआ था। लेकिन बाद में अरविंद केजरीवाल की मदद से इस पूरे आंदोलन ने अपना रुख मोड़कर बीजेपी की तरफ कर दिया, जिससे जनता कंफ्यूज हो गई और आंदोलन की धार कुंद पड़ गई।’’

‘‘आंदोलन के फ्लॉप होने के बाद भी केजरीवाल ने हार नहीं मानी। जिस राजनीति का वह कड़ा विरोध करते रहे थे, उन्होंने उसी राजनीति में आने का फैसला लिया। अन्ना इससे सहमत नहीं हुए । अन्ना की असहमति केजरीवाल की महत्वाकांक्षाओं की राह में रोड़ा बन गई थी। इसलिए केजरीवाल ने अन्ना को दरकिनार करते हुए ‘आम आदमी पार्टी’ के नाम से पार्टी बना ली और इसे दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों के खिलाफ खड़ा कर दिया। केजरीवाल ने जानबूझ कर शरारतपूर्ण ढंग से नितिन गडकरी के भ्रष्‍टाचार की बात उठाई और उन्हें कांग्रेस के भ्रष्‍ट नेताओं की कतार में खड़ा कर दिया ताकि खुद को ईमानदार व सेक्यूलर दिखा सकें। एक खास वर्ग को तुष्ट करने के लिए बीजेपी का नाम खराब किया गया। वर्ना बीजेपी तो सत्ता के आसपास भी नहीं थी, ऐसे में उसके भ्रष्‍टाचार का सवाल कहां पैदा होता है?’’

‘‘बीजेपी ‘आम आदमी पार्टी’ को नजरअंदाज करती रही और इसका केजरीवाल ने खूब फायदा उठाया। भले ही बाहर से वह कांग्रेस के खिलाफ थे, लेकिन अंदर से चुपचाप भाजपा के खिलाफ जुटे हुए थे। केजरीवाल ने लोगों की भावनाओं का इस्तेमाल करते हुए इसका पूरा फायदा दिल्ली की चुनाव में उठाया और भ्रष्‍टाचार का आरोप बड़ी ही चालाकी से कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा पर भी मढ़ दिया। ऐसा उन्होंने अल्पसंख्यक वोट बटोरने के लिए किया।’’

‘‘दिल्ली की कामयाबी के बाद अब अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजनीति में आने जा रहे हैं। वह सिर्फ भ्रष्‍टाचार की बात कर रहे हैं, लेकिन गवर्नेंस का मतलब सिर्फ भ्रष्‍टाचार का खात्मा करना ही नहीं होता। कांग्रेस की कारगुजारियों की वजह से भ्रष्‍टाचार के अलावा भी कई सारी समस्याएं उठ खड़ी हुई हैं। खराब अर्थव्यवस्था, बढ़ती कीमतें, पड़ोसी देशों से रिश्ते और अंदरूनी लॉ एंड ऑर्डर समेत कई चुनौतियां हैं। इन सभी चुनौतियों को बिना वक्त गंवाए निबटाना होगा।’’

‘‘मनमोहन सरकार की नाकामी देश के लिए मुश्किल बन गई है। नरेंद्र मोदी इसलिए लोगों की आवाज बन रहे हैं, क्योंकि उन्होंने इन समस्याओं से जूझने और देश का सम्मान वापस लाने का विश्वास लोगों में जगाया है। मगर केजरीवाल गवर्नेंस के व्यापक अर्थ से अनभिज्ञ हैं। केजरीवाल की प्राथमिकता देश की राजनीति को अस्थिर करना और नरेंद्र मोदी को सत्ता में आने से रोकना है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर मोदी एक बार सत्ता में आ गए तो केजरीवाल की दुकान हमेशा के लिए बंद हो जाएगी।’’

मोदी और केजरीवाल

केजरीवाल जी ने तो आज घोषणा किया की हम भ्रष्ट अधिकारियो को घूस मांगने पर पकडवाने के लिए एक नम्बर देंगे, गुजरात सरकार ने ये काम पांच साल पहले ही किया है...

गुजरात सरकार ने पुलिस में अलग से ही एक विभाग एंटी करप्शन युनिट बनाया है जिसके डीजी से लेकर एसपी लेवल तक के सारे अधिकारी अलग होते है ताकि पुलिस अधिकारियो के खिलाफ भी ईमानदारी के जाँच हो सके...

गुजरात सरकार ने एक टोल फ्री नम्बर 1800 233 44444 भी बनाया है, ये नम्बर 7*24 चालू रहता है, साथ ही कोई भी किसी भी घुसखोर अधिकारी या कर्मचारी के बारे में इस साईट के द्वारा भी शिकायत कर सकता है, अब तक सैकड़ो भ्रष्ट सरकारी कर्मचारी इस पहल से जेल के पीछे जा चुके है और गुजरात के सरकारी कर्मचारियों के घूसखोरी रोकने के ये पहल बहुत कामयाब हुई है...

ये बात अलग है की कभी मोदी जी ने खांसते हुए इस बात का प्रचार नही किया...


जब कभी मैं गूगल पर जाकर 'भारतीय क्रांतिकारी' शब्द टाइप कर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के चित्र ढूँढता हूँ और वहाँ पर आज़ाद, बिस्मिल, भगतसिंह, खुदीराम बोस और वीर सावरकर जैसे हुतात्माओं के साथ अरविन्द केजरीवाल, गोपाल राय, संजय सिंह और मनीष सिसौदिया जैसों के चित्र भी पाता हूँ, तो सच कहता हूँ कि हृदय रो पड़ता है। या तो इस युग में शब्दों का अवमूल्यन हो गया है जो किसी भी ऐरे गैरे को क्रांतिकारी की श्रेणी में रखा जाने लगा है या हममें अब अपने नायकों की पहचान करने की क्षमता नहीं रही जो किसी को भी हम क्रांतिकारी समझ मान देने लगे हैं और सर पर बैठाने लगे हैं। वजह चाहे जो भी हो, पर ये स्थिति हृदय को कचोटने वाली है।


जो लोग अपनी कार का स्टीयरिंग भी किसी ड्राइवर के हाथ में देने से पहले सौ बार ये ठोक बजा कर देख लेते हैं कि अगले को कार चलाने का कोई तजुर्बा है भी या नहीं, उन्हीं लोगों को बड़ा कैज्युली जब देश की कमान कभी अरविन्द केजरीवाल, कभी नंदन नीलकेणी और कभी सचिन तेंदुलकर को सौंपने की बातें करते देखता सुनता हूँ तो कई बार सोचने पर मजबूर जाता हूँ कि ये देश क्या हमारी कार से भी गया बीता है, जिसे किसी भी अनाड़ी के हाथों सौंपा जा सकता है, खासतौर पर तब जब हमारे पास खुद को बार बार साबित कर चुका शख्स मौजूद है।

शपथ लेने साइकल रिक्शे से गया था लालू

पहली बार लालू भी CM बना था तो वो शपथ लेने साइकल रिक्शे से गया था...आज भी लोग पछता रहे है





आम आदमी के नेता को तो अपनी बीबी की कार में नहीं बल्कि पैदल चल कर कौशाम्बी मेट्रो स्टेशन तक जाना चाहिए. उसके बाद नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन से मियाँ बकवास की गाढ़ी में न जा कर बल्कि पैदल चल कर रामलीला मैदान तक जाना चाहिए. ऐसा ही वापसी में करना चाहिए.


यह कार प्लस मेट्रो वाली बात समझ नहीं आई. ऐसा तो वर्णसंकर नेता करते हैं. आम आदमी के नेता को ऐसा नहीं करना चाहिए.

Friday, December 27, 2013

आप पार्टी पर कुछ फेसबुक पोस्ट्स

अगर आप अपने पाप धोने हरिद्वार जाने की सोच रहें है ,लेकिन अपना समय और पैसा बचाना चाहते हैं तो ..
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तो ''आप'' ज्वाइन कर लीजिये
बात एक ही है

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यार आपिस्टों+देशद्रोही वामपंथियों ,,, ,,,,,कश्मीर मुद्दे पर जनमत संग्रह की बात तो ना ही करो ,,

क्यूंकि अगर राम मंदिर मुद्दे पर भी जनमत की बात हो गयी तो पेंट खिसकने लगेगी तुम्हारी और अगर गलती से ये सर्वे करवा लिया की " क्या सारे शांतिप्रिय समुदाय को पाकिस्तान भेज देना चाहिए''......

फिर धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते घूम

अगर आप कांग्रेस मुख्यालय 10 जनपथ जाना चाहते हैं लेकिन आपको लगता है मेट्रो से उतर कर पैदल जाना दूर पड़ेगा तो .....

आप राजीव चौक से "लेफ्ट" लेकर Aam Aadmi Party,
41, Hanuman Road,
Connaught Place, भी जा सकतें हैं
‪#‎बात_एक_ही_है‬

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करीब 11.30 बजे खबर आई --"केंद्र सरकार ने
महिला जासूसी मामले के जाँच के लिए आयोग
बनाया" आ.आ.पा. पार्टी के संजय सिंह
की प्रतिक्रिया -- केंद्र के इस कदम का स्वागत
होना चाहिए .. जाँच से दूध का दूध और
पानी का पानी अलग हो जायेगा ..

फिर करीब 1.30 बजे खबर आई -- केंद्र ने
आ.आ.पा. के खातो और विदेशी चन्दो के जाँच के
आदेश दिए | फिर आ.आ.पा. के संजू पहलवान
की प्रतिक्रिया -- कांग्रेस डर गयी है ,कांग्रेस कुछ
भी करके हमे बदनाम करना चाहती है ..ये कांग्रेस
की कुंठा है |

हा हा हा .. दोगलेपन का नमूना है ये लोग


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मित्रों दलाल मीडिया #केजरीवाल द्वारा सुरक्षा ना लेने को ऐसे दिखा रहा है कि मानो पहली बार किसी नेता ने देश में सुरक्षा लेने से मना किया है और पता नहीं कितनी बड़ी त्याग की मूर्ति बनाकर पेश कर रहा है दलाल मीडिया केजरीवाल को...
आपको बता दें कि केजरीवाल से पहले भी कई नेता वा मुख्यमंत्रीयों ने सुरक्षा लेने से मना कर दिया है और आज भी वे लोग खुलेआम घूमते हैं बिना किसी सुरक्षा के, मैं मना नहीं कर रहा है कि मीडिया केजरीवाल की इस खबर को ना दिखाए पर ऐसे ना दिखाये कि मानो पहली बार किसी नेता ने ऐसा किया है..
और सबसे अहम बात कि केजरीवाल को किस आंतकी से डर है जान का ? आखिर आंतकियो की खुले आम पैरवी करती है जमात- ऐ- AAP, कसाब और अफजल की फांसी के विरोध में#AAP के नेता जन्तर- मंतर पर अनशन पर बैठ गये थे..
और सबसे अहम जिस 'कश्मीर मुद्दे' पर हमारी लड़ाई है#पाकिस्तान से उसे तो इनकी जमात सरेआम पाकिस्तान को देने की बात कहती है, फिर पाकिस्तान द्वारा भेजा गया कोई आंतकी केजरीवाल या इनकी पार्टी के किसी नेता को क्यों मारेगा ?
क्या पाकिस्तान से आया कोई आंतकी ओवेसी या उसकी पाकिस्तान परस्त MIM पार्टी के किसी नेता को मारेगा ? (शायद मेरे कहने का मतलब समझ आ गया होगा ?)
पर क्या करें #कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है कि कैसे भी करके भांड#paidmedia द्वारा केजरीवाल को हीरो बनवाया जाए तभी शायद दिल्ली की तरह २०१४ में एक बार फिर देश की सत्ता लुटी जा सके





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दिल्ली को अकेले नहीं सुधार सकते, हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है :- #केजरीवाल

अरे साहब अब आप अकेले कहाँ है अब तो #AAP के सर पर देश की सवा सौ साल पुरानी #कांग्रेस पार्टी का हाथ है, अब यदि आप चाहें तो रातों- रात देश के सभी घरों में से बिजली के मीटर भी उतरवा सकते हैं, फिर ये छोटी सी दिल्ली को सुधारना कौन सी बड़ी बात है, ? #AAPCon

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रेफरेंडम कितना खतरनाक हो सकता है और वामपंथी कैसे देश को बर्बाद भी कर सकते है वो किसी युगोस्लावियन से पूछो कैसे 10 साल मैं रेफरेंडम करा करा के देश के 4 टुकड़े करवा दिया वामपंथियो ने। सन 2003 तक ये एक देश था पर वामपंथियो और CIA ने मिल कर रेफरेंडम करवा करवा कर इस देश के 4 टुकड़े कर दिए । 2003 मैं सर्बिआ बने फिर 2006 मैं मॉन्टेंगरो और 2008 मैं कोसोवो और आज युगोस्लाविया एक बड़े देश से एक छोटा सा देश रह गया।

वैसे वही खतरा आज हमारे देश पर मंडरा रहा है क्योंकि फोर्ड और CIA से पोषित वामपंथी विचारधारा वाले लोग सत्ता मैं आ रहे है और इन्होने भी रेफरेंडम का बाजा बजाना चालू कर दिया है और कश्मीर को अलग करने कि बात भी बोल दी है रेफरेंडम के तरीके से बाकि अब भी युवाओ को नहीं समझ आया तो देश के टुकड़े होने तय है

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,रामलीला मैदान में होने वाले शपथविधि समारोह में खर्च कम होगा की सदन के अंदर के समारोह में ???? वन्देमातरम !!

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केजरीवाल विश्व इतिहास में प्रथम व्यक्ति होने जा रहे है जो मेट्रो की सवारी करेंगे-सब लोग तारीफ़ करने में लगे हैं पर कोई ये नहीं बता रहा है कि -अरविन्द अपने घर से "मैट्रो स्टेशन" तक कैसे जा रहे हैं या मेट्रो इनको लेने ,इनके ही घर आ रही है --- अगर मैट्रो घर आ रही है तो भाई कार से ही चला जा -


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क्या बात है कांग्रेस किस तरह "आप" को राजनीती करने का पूरा मौका प्रदान कर रही है.......

सी एन जी के जो दाम बड़े है वो "आप" की सरकार बनने के बाद कम होंगे और "आप" की राजनीति के पाँव और मजबूत होंगे.....

कांग्रेस और आप की इस मिली भगत का दंड दाम कम होने तक जनता भुगतेगी.......


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Thursday, December 26, 2013

केजरीवाल के लिए जमींन तौयार

आखिर CIA/मिशनरियो/काग्रेस/विदेशी एजेंसियों के गठजोड़ का कार्य प्रणाली चुनाव से पहले सामने आ ही गयी.......

अगले 4 महीने बाबा-मोदी-स्वामी समर्थको को बड़ी चुनौतिया...........

प्लान : “राष्ट्रवादियो की एक मात्र आशा केंद्र मोदी ही रहेंगे अगले 4 महीने विदेशी एजेंसियों के निशाने पर, केजरीवाल को मिडिया प्रचार दूसरी प्राथमिकता, बाबा रामदेव पर व्यक्तिगत हमले जारी रहंगे.”

भारत स्वाभिमान की स्थापना करने वाले “राजीव दिक्सित” की मौत से बहुत पहले ही विदेशी ताकतों ने केजरीवाल के लिए जमींन तौयार करना शुरू कर दिया था जिससे राजीव दिक्सित के मरने से खाली स्थान को अपने एजेंट के जरिये भरा जा सके. राजीव दिक्सित को 30/११/2010 को मौत के बाद केजरी बाबा रामदेव के मंच पर सक्रिय होकर पहले राष्ट्रवादी भारत स्वाभिमानियो का विश्वास हासिल किया फिर मिडिया के माध्यम से बाबा के आन्दोलन को “हाइजैक” करके अनशन की नौटंकी करके सबको गुमराह लिया. जिसमे अन्ना/केजरी गिरोह को दुनिया के सबसे इमानदार व्यक्ति पेश किया गया.

विदेशी ताकतों का मुख्या उद्देश्य “भारत स्वाभिमान पार्टी” को अस्तित्व में आने से किसी भी प्रकार रोकना था जिसमे राजीव की मौत के बाद वे उसमे कामयाब हो गए लेकिन जनता केबीच में पैदा हुई बेचैनी को समाप्त करने के लिए “अन्ना के अनशन का सहारा” को मिडिया का खूब कवरेज दिया. उसी के बाद बाबा द्वारा युवाओं को साथ लेकर कालाधन और व्यवस्था परिवर्तन को लेकर जो मुहीम चली उसको हिंसा के जरिये दबाया गया और बाबा को मिडिया में खूब बदनाम किया गया.

राष्ट्रवादी –हिन्दुत्ववादी भारतीयों तब जमकर जोश आ गया जब मोदी स्वयं खुलकर बाबा के साथ आ गए और एक नई आशा नए ताकत के साथ जगी जिसमे डॉ.स्वामी का बहुत ही ज्यादा योगदान रहा. निर्णय हुआ की नै पार्टी न बनाकर मोदी को ही आगे करके बीजेपी को धुर राष्ट्रवादी पार्टी में बदल दिया जाये जिसमे राष्ट्रवादी शक्तिया अभी तक कामयाब रही है. मोदी को कमान देने कांग्रेस भौचक्की भी है और उसकी ग़लतफ़हमी भी दूर हुई है. मिडिया पर शिकंजा कसने के बाद भी कांग्रेस के सफाए से ये शक्तिया अव केजरीवाल मिडिया प्रचार और मिडिया में मोदी का चारित्रिक हनन से युवाओं को ध्रुवीकृत करने का प्रयास कर रही है और मोदी पर नैतिकता पर सवाल खड़ाकर करके युवाओं का ध्यान भटकाने की योजना पर काम कर रही है और इसे हरी झंडी मिल गयी है, सोसल मिडिया पर कांग्रेस की पकड़ न होने से कांग्रेस टीवी और अख़बार के जरिये आक्रामक रुख अपनायेगी.

आने वाले दिनों में कांग्रेस और उनके आका मोदी के चारित्रिक पतन को बड़ी खबर बनाकर पेश करेंगे जिसमे मक्कार मिडिया माफिया का सबसे बड़ा रोल होगा और बेव साईट के जरिये खुलासे के नाम पर हिन्दुओ और राष्ट्रवादियो को गुमराह किया जायेगा. अपना सफाया देख कांग्रेस अब विदेशी एजेंसियों के इशारे पर काम करने वाले केजरीवाल को मोदी के आगे चुनौती बनाकर पेश करेगी. अगले चार महीने बाबा-मोदी-स्वामी समर्थको के लिए बहुत ही चुनौतियों भरे होंगे. दिल्ली में सब कुछ पूर्व प्रायोजित तरीके से हो रहा है. मोदी की ताकत कम करने के लिए सब कुछ किया जायेगा.

राष्ट्रवादियो को संयम से लगातार काम करना होगा क्योकि हमारे एजेंडे में अर्थक्रान्ति-गो-हत्या-रोजगार-खनिजो की लूट-योग-आयुर्वेद-विषमुक्तकृषि-सौर्य बिजली-जल संरक्षण-महगाई-राष्ट्रवादी शिक्षा जैसी अतिमहत्वपूर्ण भारतीयतावादी और हिंदुत्ववादी मुद्दे हैं.

अलका लंबा



कल रात कांग्रेस नेता अलका लंबा टीवी चेनल पर आप के खिलाफ बोल रही थी , आप वाले उन्हें भ्रष्ट बोल रहे थे !! आज वो कांग्रेस छोड कर आप में शामिल हो गई , रात में केजरीवाल ने अपने दिव्या स्टील के ग्लास से नगरपालिका का पानी छिडक कर उन्हें ईमानदार बना दिया होगा , और आज इमानदारी का सर्टिफिकेट दे कर पार्टी में शामिल कर लिया !!
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अगर यही नेता बीजेपी में शामिल हो जाती तो मिडिया कि हेडलाइंस क्या होती आप बता सकते हो ?





इस खबर को दिखाने की जहमत कोई भी मीडिया नहीं उठाए

इस खबर को दिखाने की जहमत कोई भी मीडिया नहीं उठाएगा --क्यूँ की ये खबर विशुद्ध रूप से हिन्दुस्थान की अस्मिता से जुडी हुयी है --इस खबर को कोई कांग्रेसी ,सपा,बसपा ,आप समर्थक पेज या व्यक्ति नहीं बताएगा -क्यूँ की इस खबर मे भारत वर्ष की सच्चाई छुपी है --


आर एस एस ने आज उत्तर प्रदेश के एटा जिले मे किस्मस के शुभ अवसर पर ११,००० कन्वर्टेड ईसाई हो चुके हिन्दुओ को वापस हिंदू धर्म मे शामिल किया --और इसी के साथ ही आर एस एस ने २०१३ का १ लाख ११ हजार हिंदुओं को वापस हिंदू ( सनातन ) धर्म मे वापस लाने का अपना लक्ष्य भी पूरा कर लीया ,और अगले साल के लिए ये लक्ष्य ११ लाख ११ हजार का रखा गया है ---
लोग कहते हैं की केजरीवाल अन्ना के आंदोलन की पैदाईश है लेकिन अन्ना का वो दिल्ली वाला आंदोलन आर एस एस के सहयोग के बिना कभी पूरा नहीं हो सकता था ,इसी रामलीला मैदान मे आर एस एस के कर्मठ कार्यकर्ताओं ने रात दिन मेहनत करके अन्ना को सर आँखों मे बैठा कर ,इस आन्दोलन मे आने वाले आम नागरिकों को खाने -पीने से लेकर ओढने -बिछाने की व्यस्था की थी ,
आज केजरीवाल एंड पार्टी अपने २८ विधयाक और १८ मुद्दों के साथ दिल्ली सुधरने को निकली है - लेकिन जिस वक्त केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री की शपथ लेगा उसी वक्त इतहास इस बात का साक्षी बन जायेगा की इस आम आदमी को ऊपर उठाने मे आर एस एस का भी हाथ है --अब इस बात को केजरीवाल माने या न माने --आर एस एस का कद आप से बहुत ऊँचा हैं --
जय संघ मजे जन ,जय भारत

‪#‎कपिल_भार्गव‬

Wednesday, December 25, 2013

राम मन्दिर बनवाने का वायदा

कल कई चैनेलो पर देख रहा था की "आप" के नेता खासकर संजू पहलवान यानी संजय सिंह कह रहे थे की बीजेपी ने राम मन्दिर बनवाने का वायदा कहा निभाया है ?? ये लोग कहते थे की कसम राम की खाते है मन्दिर वही बनायेंगे लेकिन इन्होने अपने वायदे को पूरा नही किया ....

मित्रो, कभी यूपी में वामपंथी सन्गठन जनवादी मंच का नेता रहा संजय सिंह जो नेपाल के माओवादियों के साथ मिलकर यूपी में माओवाद फैलाना चाहता था लेकिन जब पुलिस ने इस सन्गठन पर सख्ती की तो ये दिल्ली भागकर आ गया और कुछ फैक्ट्रीज में नौकरी करने के बाद अचानक आम आदमी पार्टी का बड़ा नेता बन गया .. इसे केजरीवाल से वामपंथी नेता और नक्सलवाद के समर्थक स्वामी अग्निवेश ने मिलवाया था .. फिर केजरीवाल से मिलने के बाद इसने एक सभ्य नेता का चोला ओढ़ लिया ...

लेकिन क्या इसे मालूम नही है की राम मन्दिर आन्दोलन के बाद चार राज्यों एमपी, यूपी, राजस्थान और हिमाचल में बीजेपी की सरकारे बनी थी .. और यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कार सेवको पर कोई करवाई नही की थी ..और उन्हें वो करने दिया था जिसे वो करना चाहते थे यानी हिन्दू समाज में मस्तक पर कलंक बना गुलामी की निशानी बाबरी ढांचा को तोडकर सरयू नदी में प्रवाहित करना ... उस समय मै टीवी के सामने ही बैठा था .. अगले दिन सुबह सुबह बीबीसी पर कल्याण सिंह के सीना ठोंककर कहा की मेरा सपना अब पूरा हुआ मै दो दिन से अपने जेब में अपना इस्थिपा रखकर बैठा हूँ ये देखिये ..अब मै राज्यपाल को अपना इस्थिपा देने जा रहा हूँ ..और इसका अंजाम भुगतने को तैयार हूँ ... 

बाद में कई महीनों तक कल्याण सिंह बाबरी ढांचा तुडवाने के आरोप में जेल में भी रहे ... और इतना ही नही ढांचा यूपी में टुटा लेकिन केंद्र की कांग्रेस सरकार ने बीजेपी की चारो राज्यों की पूर्ण बहुमत की सरकारे बर्खास्त कर दी थी .. इस कलंक की निशानी यानी बाबरी ढांचे के विनाश के लिए बीजेपी ने चार राज्यों में पूर्ण बहुमत वाली सरकारो की बलिदान दे दिया था |

उसी समय भगवान रामलला की मूर्ति वहाँ लगा दी गयी थी .. वहाँ पर एक मन्दिर जैसा टेंट भी लगा दिया गया है ..हर रोज लाखो लोग जाकर पूजा अर्चना करते है ..क्या इतना कर देना कम है ??

सेना का मनोबल तोड़ने की साजिश ...

सेना का मनोबल तोड़ने की साजिश ...

आठ खूंखार आतंकियों को मुठभेड़ बताकर मौत के घाट उतारकर आतंकियों को कड़ा संदेश देने वाले सेना के छ अधिकारीयो और जवानो का कोर्ट मार्शल होगा | जिसमे एक मेजर और एक कर्नल है ... 

मित्रो पिछले दिनों कश्मीर घाटी में आतंक के पर्याय बने पाकिस्तानी आंतकी अजहर और उसके साथियों को सेना से मार गिराया .. सेना को सुचना मिली थी की वो एक घर में छुपा है .. और सेना ने उस घर को घेरकर गोलीबारी की जिससे सारे आंतकी मारे गये | पीडीपी नेता मुफ़्ती मोहमद सईद और उनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती तथा कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने आंतकीओ को सरेंडर की चेतावनी दिए बिना मार दिए जाने पर कड़ा एकराज जताया और यूपीए प्रमुख सोनिया गाँधी से मिलकर इस मामले की जाँच की मांग की ... 

मुस्लिम वोट बैंक बढ़ाने का अच्छा मौका देखकर सोनिया गाँधी ने तुंरत ही रक्षा मंत्री ए के एंटनी से जाँच के आदेश दिए ..और केंद्र सरकार ने दबाव में सेना ने पूरी टुकड़ी को दोषी पाया और उनके कोर्ट मार्शल के आदेश दिए |

मित्रो, सोचिये ..क्या ये आतंकी हमारे जवानो को चेतावनी देकर मारते है ?? तो फिर सेना इन्हें चेतावनी देकर सचेत करके क्यों मारे ?? कांग्रेस के इस कदम से सेना का मनोबल टूटेगा और आंतकियो के मनोबल बढ़ेंगे

Tuesday, December 24, 2013

अर्थक्रांति

अर्थक्रांति की यह अवधारणा मूलत: अनिल बोकिल की है। अतुल उन चंद लोगों में हैं जिन्होंने सुनने, समझने के बाद इसे आगे बढ़ाने का काम अपने हाथ में लिया है। इनके मुताबिक बस पांच कदम हैं। अगर वे पूरी दृढ़ता से उठा लिए जाएं तो देखते-देखते हमारे देश और समाज को विकास ही नहीं, चेतना के भी नए धरातल पर पहुंचा सकते हैं। वहां हम, हमारे आसपास के लोग, उनकी सोच, उनकी चुनौतियां, उनकी उपलब्धियां, उनके मुद्दे सब इस कदर भिन्न होंगे कि तब यह कल्पना करना भी मुश्किल होगा कि वह हम ही हैं जो कुछ समय पहले तक करप्शन, क्राइम और ब्लैकमनी जैसी आसान बीमारियों को लाइलाज मानते थे।

ये पांच कदम हैं -

एक, मौजूदा टैक्स ढांचे का पूरी तरह खात्मा करते हुए सारे टैक्स बंद कर दिए जाएंगे (दो टैक्सों - आयात-निर्यात शुल्क और कस्टम ड्यूटी को छोड़ कर)।
दो, बैंक ट्रांजैक्शन टैक्स इकलौता टैक्स होगा जो हर शख्स को देना होगा। यह टैक्स बैंक में पैसा जमा कराते वक्त लगेगा जो जमा की जाने वाली रकम का एक छोटा-सा हिस्सा, फिलहाल मान लेते हैं 2 फीसदी, होगा। (हालांकि लागू होने के बाद यह हिस्सा और कम बैठेगा।) ध्यान देने की बात यह है कि खर्च पर किसी तरह का कोई टॅक्स नही लगेगा
तीन, कैश ट्रांजैक्शन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
चार, 50 रुपए से ऊपर के सारे नोट खत्म कर दिए जाएंगे।
पांच, सरकार कैश लेन-देन की ऊपरी सीमा (मान लेते हैं 2000 रुपए) निर्धारित कर देगी। इसका मतलब यह होगा कि इससे ऊपर के कैश लेन-देन को कानूनी संरक्षण हासिल नहीं होगा।

टैक्स माफी
मौजूदा समय में देश में तरह-तरह के जो तमाम टैक्स लिए जा रहे हैं, उन सबको मिलाकर सरकार जो पूरा राजस्व वसूल करती है वह वित्तीय वर्ष 2011-12 के बजट के मुताबिक करीब 11 लाख करोड़ रुपए बैठते हैं। तीन लाख करोड़ रुपए सरकार ने अन्य उपायों से जुटाने की बात कही है। कुल करीब 15 लाख करोड़ रुपए का बजट वित्त मंत्री ने इस बार पेश किया है। अब अगर पहले कदम के रूप में ये सारे टैक्स माफ कर दिए जाएं और इसी के साथ उठाए जाने वाले दूसरे कदम के रूप में 2 फीसदी का बैंक ट्रांजैक्शन टैक्स लगा दिया जाए तो क्या होगा?

बैंक ट्रांजैक्शन टैक्स - 2 फीसदी
बैंकों में मुख्यतया 5-6 तरह के ट्रांजैक्शन होते हैं। इनमें से अगर सिर्फ एक ट्रांजैक्शन RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) को लिया जाए तो देश के तमाम बैंकों को मिलाकर रोज औसतन करीब 2,70,000 करोड़ रुपए की रकम बैठती है। कैलकुलेशन की आसानी के लिए इस रकम को 2,50,000 करोड़ रुपए मान लेते हैं। इसका 2% हुआ 5000 करोड़ रुपए। अब साल के 365 दिन में से महज 300 दिनों का हिसाब लें तो सरकार के राजस्व में 15 लाख करोड़ रुपए आ जाते हैं। यानी बजट की सारी जरूरतें पूरी। अन्य उपायों से पैसे जुटाने की भी जरूरत नहीं दिख रही।

बीटीटी का बंटवारा
इस बैंक ट्रांजैक्शन पर लगने वाले टैक्स से जो रकम आएगी उसका बंटवारा केंद्र सरकार (0.7%), राज्य सरकार (0.6%) और स्थानीय प्रशासन (0.35%) में किया जा सकता है। चूंकि इसमें बैंकों की जिम्मेदारी और उनका बोझ बढऩे वाला है, इसलिए उन्हें भी इस राजस्व का एक हिस्सा (0.35%) दिया जाएगा।

कैशलेस इकॉनमी की ओर
इन कदमों का पूरा फायदा तभी मिलेगा जब इसके साथ ही सरकार बड़े नोटों (मान लें 50 रुपए से ऊपर के सभी नोट) पर पूरी तरह बैन लगा दे। इससे एक तो फर्जी नोटों की बड़ी समस्या से छुटकारा मिल जाएगा और दूसरे सारे काम इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के जरिए (यानी क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड वगैरह से) होने लगेंगे। सरकार कैश में कारोबार या लेन-देन की ऊपरी सीमा (मान लें 2000 रुपए) निर्धारित कर देगी। उसके बाद कैश में काम करने की जरूरत और इच्छा दोनों कम होती जाएगी।

इससे फायदे
समूचा काला धन वाइट होकर इकॉनमी में शामिल हो जाएगा जिससे इकॉनमी को जबर्दस्त ताकत मिलेगी। बिजनेस कम्यूनिटी के लिए सीधे-सादे ढंग से बिजनेस करना आसान हो जाएगा। वेतनभोगी वर्ग को इनकम टैक्स जैसे झंझटों से तो राहत मिलेगी ही, चीजों के दाम अप्रत्याशित रूप से कम हो जाएंगे। इन कदमों से बैंकिंग का इतना विस्तार होगा कि जल्द ही देश का लगभग हर नागरिक इसके दायरे में आ जाएगा। चूंकि हर शख्स का अपना अकाउंट होगा जिसमें उसके ट्रांजैक्शन डीटेल्स होंगे, इसलिए हर शख्स की अपनी साख होगी जिसके आधार पर उसे लोन वगैरह मुहैया कराना आसान होगा।

सबसे बड़ी बात यह कि चूंकि हर ट्रांजैक्शन वाइट में होगा, उसमें 100% पारदर्शिता होगी, इसलिए आतंकवाद से लेकर सामान्य अपराध तक - सबका नियंत्रण आसान हो जाएगा।

यह प्रस्ताव आपके लिए कितना फायदेमंद होगा, यह जानने का एक आसान तरीका है। आप अपनी सारी आय और सारे खर्च का एक अंदाजा निकाल लें और इसकी 2% राशि क्या होगी, यह पता कर लें। यह आपका अधिकतम टैक्स होगा। (नोट करें खर्च पर अलग से कोई टॅक्स नही है फिर भी जिन चीज़ों पर आप खर्च करेंगे उनकी कीमतों मे 2 % टॅक्स जुड़ा होगा जो संभवतः आप ही को देना होगा बतौर कस्टमर. इसलिए कहा गया है की यह अधिकतम संभव टॅक्स होगा आप पर)

अब आप यह देखें कि अभी आप कितना टैक्स दे रहे हैं। आपको पता चल जाएगा कि आपको कितना फायदा हो रहा है। यदि आप सैलरीड एंप्लॉयी हैं तो आपके लिए यह हिसाब करना और आसान है। अपने खाते में क्रेडिट होने वाली सारी रकम का जोड़ देख लें। उसका 2% निकाल लें। फिर यह अंदाजा लगएं कि आप जितना कमाते हैं, उसका कितना खर्च करेंगे। उसके लिए और 2% निकाल लें। यह आपका अधिकतम टैक्स होगा। इसकी तुलना उस रकम से करें जो आप इनकम टैक्स के तौर पर देते हैं। इसके अलावा आप जो कुछ भी खरीदते हैं, उसपर वैट और सर्विस टैक्स के नाम पर अलग रकम देते हैं जिसे आप कैलकुलेट नहीं कर सकते। मेरा मानना है कि रकम आपके इनकम टैक्स से भी काफी कम होगी।

समझ की आसानी के लिए एक उदाहरण लेते हैं। आज की तारीख में कोई व्यक्ति सालाना 10 लाख रुपए कमाता है तो बिना किसी छूट के उसका 1,33,900 रुपए तक का इनकम टैक्स बनता है और होम लोन के इंटरेस्ट और इनवेस्टमेंट पर मैक्सिमम छूट मिले तो टैक्स की रकम बनती है 82,400 रुपए। अगर वह अपनी आय की आधी रकम भी खर्च करता है और उस पर 12% का वैट और सर्विस टैक्स देता है तो वह रकम बनती है 60 हजार। यानी कुल टैक्स हुआ अधिकतम 1,93,900 रुपए का और न्यूनतम 1,42,400 रुपए।

अब नए सिस्टम में देखें क्या होता है। 10 लाख (आय) पर 2% टैक्स हुआ 20 हजार और 5 लाख (खर्च) पर 2% टैक्स हुआ 10 हजार। यानी केवल 30 हजार। यानी कहां वह आज के सिस्टम में 1.93 लाख से लेकर 1.42 लाख टैक्स देता है और कहां वह नए सिस्टम में 30 हजार टैक्स देगा। है न फायदे का सौदा? और सबसे बड़ी बात - आपको टैक्स कम देना होगा लेकिन सरकार की आमदनी कम नहीं होगी।

मेरा मानना है कि यह प्रस्ताव बहुत ही काम का है। पहली नजर में ये बातें मुझे तर्कसंगत ही नहीं, व्यावहारिक भी लगीं। मैं इसमें कोई ऐसी खोट नहीं खोज पाया जिसके सहारे इसे खारिज करूं। आप जरूर कोशिश करें। आपकी कोशिश इस प्रयास को बेहतर बनाने में तो मदद करेगी ही, आपको 5 करोड़ रुपए का इनाम भी दिला सकती है। जी हां, अर्थ क्रांति ट्रस्ट ने उस शख्स को 5 करोड़ रुपए इनाम देने का ऐलान कर रखा है जो अर्थशास्त्रीय पैमानों पर इस प्रस्ताव को गलत साबित कर देगा।

Monday, December 23, 2013

विश्वनाथ प्रताप सिंह को याद कर लिया जाये

जो लोग केजरीवाल से बड़ी उम्मीदे पाले बैठे है उन्हें एक बार विश्वनाथ प्रताप सिंह को याद कर लेना चाहिए ... 
हम भारतीयों की यादाश्त बहुत छोटी होती है ... कोई भी मीडिया केजरीवाल की सफलता की तुलना वीपी सिंह की सफलता से नही कर रहा है | कई बार अनुकूल मौसम से कुकुरमुत्ते बड़ी तेजी से बढ़ते है ..लेकिन जैसे ही बदली छटती है और धुप निकलती है तो कुकुरमुत्ते टूट कर बिखर जाते है .. कुकुरमुत्ते कभी वटवृक्ष नही बन सकते | वीपी सिंह ने बोफोर्स कांड को लेकर एक हीरो की तरफ इस्थिपा दिया और पुरे देश का दौरा किया ..मंच पर जाकर अपने बैग से कुछ कागज निकालकर लोगो से पूछते थे .आप जानते है ये क्या है ? भीड़ कहती थी नही ... फिर वीपी सिंह कहते थे ये बोफोर्स काण्ड की दलाली के सुबूत है .. और भीड़ पागल होकर ताली बजाने लगती थी |

 वीपी सिंह अपनी हर सभाओ में कहते की वो सत्ता में आते ही राजीव गाँधी को जेल भेज देंगे | भ्रष्टाचार के खिलाफ केजरीवाल से कई गुने बड़े हीरो के तौर पर वीपी सिंह उभरे थे और उन्हें उत्तर भारत से लेकर साउथ तक सभी जगहों पर अपार जन समर्थन मिला ... वीपी सिंह कहते थे की ये बोफोर्स तोपे ऐसी है की यदि इन्हें दागा जाये तो इनके गोले उल्टे भारतीय सैनिको पर ही गिरेंगे क्योकि इन्हें भारत को नाश करने के लिए ही बनाया गया है .. और इन तोपों में ऐसा सिस्टम लगा है की ये दुश्मन देश को अपनी तैनाती की लोकेशन बता देंगी |

मित्रो मै खुद तब बहुत छोटा था लेकिन वीपी सिंह को एक आदर्श हीरो के तौर पर मानता था और गोरखपुर के टाउनहाल मैदान में होने वाली उनकी सभाओ में जाकर ताली बजाता था | ये केजरीवाल क्या नौटंकी करेगा ... उस जमाने में पंजाब में आतंकवाद चरम पर था और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बन चुके थे .. और अमृतसर की यात्रा पर थे ..उन्होंने दूरदर्शन के कैमरे के सामने अपनी बुलेटप्रूफ कन्टेसा कार में बैठने से मना कर दिया और कहा की मै खुली जीप में बैठकर शहर का दौरा करूंगा ..मुझे मौत से डर नही है ..ये आतंकी नही बल्कि मेरे भाई है ... फिर इसे शाम को जैसे ही दूरदर्शन पर समाचारों में दिखाया गया पुरे देश में वीपी सिंह की छवि और भी बड़े हीरो के तौर पर उभरी | लेकिन नतीजा क्या रहा ??? 

जितनी तेजी से वीपी सिंह उभरे उससे दोगुनी तेजी से खत्म हो गये क्योकि भारत में नौटंकी बहुत ज्यादा समय तक नही चलता .. आप लोग लिखकर रख लीजिये .. ये केजरीवाल की हालत वीपी सिंह जैसी ही होगी

Sunday, December 22, 2013

जनता को मुर्ख बनाने का इतिहास


AAP पार्टी कश्मीर को पकिस्तान को देने पर सहमत है

सहारा समय पर बोलते हुए #AAP के एक विधायक ने कहा कि - यदि रायशुमारी में निकले, तो AAP पार्टी कश्मीर को पकिस्तान को देने पर सहमत है... कल ये कहेंगे कि यदि SMS-सर्वे में अरुणाचल चीन को देने का प्रस्ताव पास हो जाए तो वह भी दे देंगे... परसों ये कहेंगे कि पश्चिम बंगाल के चौदह जिले बांग्लादेश के आठ जिलों से मिलकर एक इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहें तो उस पर भी SMS मंगवा लिए जाएँ...हम सहमत हैं...

http://www.youtube.com/watch?v=IPCdhE5B9SQ

शायद इसीलिए केजरीवाल की जीत पर सबसे पहले बधाई देने वालों में गिलानी और लोन जैसे कश्मीरी अलगाववादी प्रमुख थे...

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हालांकि ऐसे मूर्खतापूर्ण बयानों से कश्मीर हमारे हाथ से निकल नहीं जाएगा... लेकिन कम से कम भूषणों और केजरीवालों के "बच्चों की केंचुल" तो उतर रही है धीरे-धीरे...

देखिये कश्मीर को भारत से अलग करने वाला प्रशांत भूसन का बयान। इस बयान पर प्रशांत भूसन को मार भी पड़ी थी, लेकिन उसके बाद भी अभी भी उसने अपना यह बयान वापस नहीं लिया है। केजरीवाल को भी जवाब देना पड़ेगा की प्रशांत भूसन ने अभी तक कश्मीर के बारे में अपना रुख साफ़ क्यों नहीं किया है?

प्रशांत भूसन का देशद्रोही बयान "कश्मीर को भारत में रखना हमारे देश के लिए घातक होगा। कश्मीर का भारत में रहना केवल कश्मीर की जनता के लिए नहीं बल्कि पुरे देश की जनता के लिए जनहित में नहीं होगा। इसलिए मेरी राय यह है की कश्मीर में हालात सामान्य करना चाहिए। सेना को कश्मीर से हटाना चाहिए, आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पॉवर एक्ट (ASFPA) को ख़तम करना चाहिए। अगर यह करने के बाद भी कश्मीर की जनता हमारे साथ नहीं है और अगर वहा की जनता अलग होना चाहती है तो उन्हें भारत से अलग होने देना चाहिए"

http://www.youtube.com/watch?v=ffzQIQh0plI

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Saturday, December 21, 2013

अब्दुल बाबा कि मजार के बहार लगा शिलालेख .

अब्दुल बाबा कि मजार के बहार लगा शिलालेख



एक प्रसिद्ध कहावत है
" हाथ कंगन को आरसी ( शीशा दिखाने कि ज़रूरत ) क्या
पढ़े लिखे को फ़ारसी ( ख़ास भाषा बोल कर अपना पक्ष रखने कि ज़रुरत ) क्या "

लेकिन आज कल जो नयी पीढ़ी के शेखुलर और मुल्लों कि संकर औलादें हैं जिन्हे कसाई कि भागती सनातन धर्म का हिस्सा लगती है उन्हें सिर्क कसाई बाबा के सर पे सोने का मुकुट कि चमक और हाथ पे लिखा ॐ पढ़ने मात्र से विश्वास हो चला है के कसाई कोई हिन्दू था .

कुछ बंधू बांधव जो शिर्डी जा चुके हैं उन्हें ये बात काफी अछि तरह मालूम है के कसाई के प्रचार कि आड़ मैं क्या घिनौना खेल चल रहा है हिंदुओं को कमजोर करने का . लेकिन ज़रूरी नहीं होता के सारे तजुर्बे आप किये जाएं .
तजुर्बे से सीखने वाला समझदार होता है , लेकिन ज्यादा समझदार वो होता है जो किसी दुसरे के तजुर्बे या किसी दुसरे के कही बात को समझ ले .

जिस तरह नादान छोटे बालक को मोमबत्ती के पास जाने से रोको तो भी वो रौशनी कि और आकर्षित हो कर जायेगा लेकिन जैसे ही हाथ जलेग कभी उसके पास नहीं फटकेगा .

वोही हाल हमारे कुछ भटके हुए हिन्दू बंधू बांधवों का है . कसाई कि भागती मैं पागल हुए जा रहे हैं लेकिन जब इनकी बेटियाँ shekhularism कि मिसाल पेश करते हुए मुस्लमान लड़को के साथ भाग जायेगीं उस दिन हाथ जला के कसाई से भागे तो शायद बहुत देर हो जायेगी .

प्रस्तुत है कसाई बाबा के सेवक अब्दुल बाबा कि मजार के बहार लगा शिलालेख .

शायद ही कोई हिन्दू संत हो जो कुरान सुनता हो ..? लेकिन मुर्ख कसाई भगतों को कोई भी तर्क दे के देख लो , पता नहीं कसाई के फ़कीर वहाँ राख या भभूत मैं क्या डाल के खिला देते हैं के बेवकूफी कि सभी हदें पार करने को कसाई के दीवाने तैयार हो जाते हैं .

एक गाय से महीने में एक लाख की कमाई

एक गाय से महीने में एक लाख की कमाई

जमशेदपुर, संवाददाता : एक गाय पालकर आप महीने में एक लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। सुनने में यह आश्चर्यजनक जरूर है, लेकिन है सोलहो आने सच। तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थापित महर्षि वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य विज्ञान केन्द्र में अब तक हुए शोधों ने यह प्रमाणित कर दिया है। इन्हीं शोधों में से एक शोध यह बताता है कि दुनिया का सबसे उच्च कोटि का हाइड्रोजन गोबर और गोमूत्र से मिलता है। गोबर, गोमूत्र और दूध से आज पूरी दुनिया में 300 से अधिक दवाएं बन रही हैं। यह केवल वेद में वर्णित 64 सूत्रों पर काम करके संभव हुआ है। जबकि केवल वेद में ही 1500-1700 सूत्र हैं और इन पर काम होना अभी बाकी है। वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य विज्ञान केन्द्र के सीयू शाह क्लीनिक एण्ड डायग्नोस्टिक सेंटर का पंचगव्य विभाग तो यहां तक दावा करता है कि गाय का शरीर एक संपूर्ण मेडिकल यूनिवर्सिटी है। गोमूत्र, गोबर और दूध से बनी दवाओं से अब तक सैकड़ों असाध्य रोगियों को पूरी तरह से स्वस्थ किया जा चुका है। इन दवाओं के आगे कोई रोग असाध्य नहीं दिखता। इस केन्द्र में केवल एड्स पर काम नहीं किया गया है, बाकी कैंसर के प्राथमिक स्तर के रोगियों को छह महीने में पूरी तरह से स्वस्थ किया जा चुका है। इन दवाओं से डायबिटीज के रोगियों को स्वस्थ करने में 2.5 से तीन साल का समय लगता है। आज नहीं तो कल गोबर, गोमूत्र और दूध का उपयोग बड़ पैमाने पर इन दवाओं के निर्माण में होगा और गोपालक गो सेवा तो करेंगे ही, आर्थिक रूप से समृद्ध भी होंगे।
वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य विज्ञान केन्द्र कांचीपुरम से आए निरंजन भाई वर्मा ने शुक्रवार को यहां बताया कि सेटेलाइट टेलीकम्यूनिकेशन के वैज्ञानिक राजीव दीक्षित ने भारत में विदेशी कंपनियों की लूट, देश के वैभावशाली इतिहास और पौराणिक चिकित्सा विज्ञान पर अनुसंधान करके कथा के माध्यम से इसका विस्तार शुरू किया। मैं 1994 में उनसे जुड़ा। पिछले 12 वर्षो से गायों के साथ जी रहा हूं और वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य विज्ञान केन्द्र में गाय के आध्यात्मिक पक्ष, वैज्ञानिक पक्ष, चिकित्सा विज्ञान, अर्थशास्त्र, धार्मिक व सांस्कृतिक पक्ष पर शोध कर रहा हूं और इन शोधों के निष्कर्ष और अनुभव कथा के रूप में बांटता हूं। मैं सबसे अधिक वैज्ञानिक पक्ष पर बात करता हूं। क्योंकि आज देश की लगभग सभी गौशालाएं दान पर चल रही हैं। इस मिथक को तोड़ना है। आने वाले समय में ऊर्जा और चिकित्सा के क्षेत्र में गोबर, गोमूत्र और दूध की उपयोगिता बड़े पैमाने पर होगी। एक साल में एक गाय जितना गोबर, गोमूत्र और दूध देती है, उसकी मार्केट वैल्यू 10 लाख रुपये से अधिक होगी। श्री वर्मा आज स्वदेशी भारत पीठम् एवं झारखंड उदयम् के तत्वावधान में सोनारी के किशोर संघ मैंदान बड़तल्ला में आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। श्री वर्मा सात व आठ अप्रैल को स्वर्णरेखा फ्लैट, साकची में सुबह 6 से 8 बजे तक नाड़ी विज्ञान का प्रशिक्षण देंगे। साथ ही सात अप्रैल को एनआइटी में गाय से मिलने वाली वैकल्पिक ऊर्जा पर व्याख्यान देंगे। रविवार को बस्टमडीह गांव के लोगों को गोपालन से होने वाले लाभ के बारे में बताएंगे।

तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा

"तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा"

मित्रों शीर्षक पढ़कर चौंकिए मत।


 मैं कोई नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसा नारा लगाकर उनके समकक्ष बनने का प्रयास नहीं कर रहा। उनके समकक्ष बनना तो दूर यदि उनके अभियान का योद्धा मात्र भी बन सका तो स्वयं को भाग्यशाली समझूंगा। अभी जो शीर्षक मैंने दिया, वह एक अटल सत्य है। यदि भारत निर्माण करना है तो गाय को बचाना होगा। एक भारतीय गाय ही काफी है सम्पूर्ण भारत की अर्थव्यवस्था चलाने के लिए। किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी की आवश्यकता ही नहीं है। ये कम्पनियां भारत बनाने नहीं, भारत को लूटने आई हैं।


खैर अब मुद्दे पर आते हैं, मैं कह रहा था कि मुझे भारत निर्माण के लिए केवल भारतीय गाय चाहिए। यदि गायों का कत्लेआम भारत में रोक दिया जाए तो यह देश स्वत: ही उन्नति की ओर अग्रसर होने लगेगा। मैं दावे के साथ कहता हूँ कि केवल दस वर्ष का समय चाहिए। दस वर्ष पश्चात भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे ऊपर होगी। आज की सभी तथाकथित महाशक्तियां भारत के आगे घुटने टेके खड़ी होंगी।

सबसे पहले तो हम यह जानते ही हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि ही भारत की आय का मुख्य स्त्रोत है। ऐसी अवस्था में किसान ही भारत की रीढ़ की हड्डी समझा जाना चाहिए और गाय किसान की सबसे अच्छी साथी है। गाय के बिना किसान व भारतीय कृषि अधूरी है, किन्तु वर्तमान परिस्थितियों में किसान व गाय दोनों की स्थिति हमारे भारतीय समाज में दयनीय है।

एक समय वह भी था जब भारतीय किसान कृषि के क्षेत्र में पूरे विश्व में सर्वोपरि था। इसका कारण केवल गाय है।भारतीय गाय के गोबर से बनी खाद ही कृषि के लिए सबसे उपयुक्त साधन है। गाय का गोबर किसान के लिए भगवान् द्वारा प्रदत एक वरदान है। खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत है। इसी अमृत के कारण भारत भूमि सहस्त्रों वर्षों से सोना उगलती आ रही है। किन्तु हरित क्रान्ति के नाम पर सन 1960 से 1985 तक रासायनिक खेती द्वारा भारतीय कृषि को नष्ट कर दिया गया। हरित क्रान्ति की शुरुआत भारत की खेती को उन्नत व उत्तम बनाने के लिए की गयी थी, किन्तु इसे शुरू करने वाले आज किस निष्कर्ष तक पहुंचे होंगे ? रासायनिक खेती ने धरती की उर्वरता शक्ति को घटा कर इसे बाँझ बना दिया। साथ ही साथ इसके द्वारा प्राप्त फसलों के सेवन से शरीर न केवल कई जटिल बिमारियों की चपेट में आया बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटी है। वहीँ दूसरी ओर गाय के गोबर से बनी खाद से हमारे देश में हज़ारों वर्षों से खेती हो रही थी। इसका परिणाम तो आप भी जानते ही होंगे। किन्तु पिछले कुछ दशकों में ही हमने अपनी भारत माँ को रासायनिक खेती द्वारा बाँझ बना डाला।

इसी प्रकार खेतों में कीटनाशक के रूप में भी गोबर व गौ मूत्र के उपयोग से उत्तम परिणाम वर्षों से प्राप्त किये जाते रहे। गाय के गोबर में गौ मूत्र, नीम, धतुरा, आक आदि के पत्तों को मिलाकर बनाए गए कीटनाशक द्वारा खेतों को किसी भी प्रकार के कीड़ों से बचाया जा सकता है। वर्षों से हमारे भारतीय किसान यही करते आए हैं। किन्तु आज का किसान तो बेचारा रासायनिक कीटनाशक का छिडकाव करते हुए स्वयं ही अपने प्राण गँवा देता है। कई बार किसान कीटनाशकों की चपेट में आकर मर जाते हैं। ज़रा सोचिये कि जब ये कीटनाशक इतने खतरनाक हैं तो पिछले कई दशकों से हमारी धरती इन्हें कैसे झेल रही होगी ? और इन कीटनाशकों से पैदा हुई फसलें जब भोजन के रूप में हमारी थाली में आती हैं तो क्या हाल करती होंगी हमारा ?

केवल चालीस करोड़ गौवंश के गोबर व मूत्र से भारत में चौरासी लाख एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है। किन्तु रासायनिक खेती के कारण आज भारत में 190 लाख किलो गोबर के लाभ से हम भारतवासी वंचित हो रहे हैं।

किसी भी खेत की जुताई करते समय चार से पांच इंच की जुताई के लिए बैलों द्वारा अधिकतम पांच होर्स पावर शक्ति की आवश्यकता होती है। किन्तु वहीँ ट्रैक्टर द्वारा इसी जुताई में 40 से 50 होर्स पावर के ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। अब ट्रैक्टर व बैल की कीमत के अंतर को बहुत सरलता से समझा जा सकता है। वहीँ ट्रैक्टर में काम आने वाले डीज़ल आदि का खर्चा अलग है। इसके अतिरिक्त भूमि के पोषक जीवाणू ट्रैक्टर की गर्मी से व उसके नीचे दबकर ही मर जाते हैं। इसके अलावा खेतों की सिंचाई के लिए बैलों के द्वारा चलित पम्पिंग सेट और जनरेटर से ऊर्जा की आपूर्ति भी सफलता पूर्वक हो रही है। इससे अतिरिक्त बाह्य ऊर्जा में होने वाला व्यय भी बच गया। यदि भारतीय कृषि में गौवंश का योगदान मिले तो आज भी भारत भूमि सोना उगल सकती है। सदियों तक भारत को सोने की चिड़िया बनाने में गाय का ही योगदान रहा है।

ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी पशुधन का उपयोग लिया जा सकता है। आज भारत में विद्युत ऊर्जा उत्पादन का करीब 67% थर्मल पावर से, 27% जलविधुत से, 4% परमाणु ऊर्जा से व 2% पवन ऊर्जा के द्वारा हो रहा है।

थर्मल पावर प्लांट में विद्युत उत्पादन के लिए कोयला, पैट्रोल, डीज़ल व प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाता है। इसके उपयोग से कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन वातावरण में हो रहा है। जिससे वातावरण के दूषित होने से भिन्न भिन्न प्रकार के रोगों का जन्म अलग से हो रहा है। जलविधुत परियोजनाएं अधिकतर भूकंपीय क्षेत्रों में होने के कारण यहाँ भी खतरे की घंटी है। ऐसे में किसी भी बाँध का टूट जाना करोड़ों लोगों को प्रभावित कर सकता है। टिहरी बाँध के टूटने से चालीस करोड़ लोग प्रभावित होंगे। परमाणु ऊर्जा के उपयोग का एक भयंकर परिणाम तो हम अभी कुछ समय पहले जापान में देख ही चुके हैं। परमाणु विकिरणों के दुष्प्रभाव को कई दशकों बाद भी देखा जाता है।

जबकि यहाँ भी गौवंश का योगदान लिया जा सकता है। "स्व. श्री राजीव भाई दीक्षित" अपने पूरे जीवन भर इस अनुसन्धान में लगे रहे व सफल भी हुए। उनके द्वारा बनाए गए गोबर गैस संयत्र से गोबर गैस को सिलेंडरों में भरकर उसे ईंधन के रूप में उपयोग लिया जा सकता है। आज एक साधारण कार को पैट्रोल से चलाने में करीब 4 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से खर्च होता है। जिस प्रकार से पैट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़ रहे हैं, यह खर्च आगे और भी बढेगा। वहीँ दूसरी और गोबर गैस के उपयोग से उसी कार को 35 से 40 पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से चलाया जा सकता है।

आईआईटी दिल्ली ने कानपुर गौशाला और जयपुर गौशाला अनुसंधान केन्द्रों के द्वारा एक किलो सी॰एन॰जी॰ से 25 से 50 किलोमीटर एवरेज दे रही तीन गाड़ियां चलाई जा रही है।

रसोई गैस सिलेंडरों पर भी यह बायोगैस बहुत कारगर सिद्ध हुई है। सरकार की भ्रष्ट नीतियों के चलते आज रसोई गैस के दाम भी आसमान तक पहुँच गए हैं, जबकि गोबर गैस से एक सिलेंडर का खर्च केवल 50 से 70 रुपये तक आँका गया है इसी बायोगैस से अब हैलीकॉप्टर भी जल्द ही चलाया जा सकेगा। हम इस अनुसन्धान में अब सफलता के बहुत करीब हैं।

गोबर गैस प्लांट से करीब सात करोड़ टन लकड़ी बचाई जा सकती है, जिससे करीब साढ़े तीन करोड़ पेड़ों को जीवन दान दिया जा सकता है। साथ ही करीब तीन करोड़ टन उत्सर्जित कार्बन डाई आक्साइड को भी रोका जा सकता है। पैट्रोल, डीज़ल, कोयला व गैस तो सब प्राकृतिक स्त्रोत हैं, किन्तु यह बायोगैस तो कभी न समाप्त होने वाला स्त्रोत है। जब तक गौवंश है, अब तक हमें यह ऊर्जा मिलती रहेगी।

हाल ही में कानपुर की एक गौशाला ने एक ऐसा सीएफ़एल बल्ब बनाया है जो बैटरी से चलता है। इस बैटरी को चार्ज करने के लिए गौमूत्र की आवश्यकता पड़ती है। आधा लीटर गौमूत्र से 28 घंटे तक सीएफ़एल जलता रहेगा। यदि सरकार चाहे तो इस क्षेत्र में सकारात्मक कदम उठाकर इससे भारी मुनाफा कमाया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त चिकित्सा के क्षेत्र में तो भारतीय गाय के योगदान को कोई झुठला ही नहीं सकता। हम भारतीय गाय को ऐसे ही माता नहीं कहते। इस पशु में वह ममता है जो हमारी माँ में है। भारतीय गाय की रीढ़ की हड्डी में सूर्यकेतु नाड़ी होती है। सूर्य के संपर्क में आने पर यह स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में भी होता है। अक्सर ह्रदय रोगियों को घी न खाने की सलाह डॉक्टर देते रहते हैं। साथ ही एलोपैथी में ह्रदय रोगियों को दवाई में सोना ही कैप्सूल के रूप में दिया जाता है। यह चिकित्सा अत्यंत महँगी साबित होती है। जबकि आयुर्वेद में ह्रदय रोगियों को भारतीय गाय के दूध से बना शुद्ध घी खाने की सलाह दी जाती है। इस घी में विद्यमान स्वर्ण के कारण ही गाय का दूध व घी अमृत के समान हैं। गाय के दूध का प्रतिदिन सेवन अनेकों बीमारियों से दूर रखता है। गौ मूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी सम्बंधित रोगों का उपचार भी संभव है। ऐसा कोई रोग नहीं है, जिसका इलाज पंचगव्य से न किया जा सके।

यहाँ तक कि हवन में प्रयुक्त होने वाले गाय के घी व गोबर से निकलने वाले धुंए से प्रदुषण जनित रोगों से बचा जा सकता है। हवन से निकलने वाली गैसों में इथीलीन आक्साइड, प्रोपीलीन आक्साइड व फॉर्मएल्डीहाइड गैसे प्रमुख हैं। इथीलीन आक्साईड गैस जीवाणु रोधक होने पर आजकल आपरेशन थियेटर से लेकर जीवन रक्षक औषधियों के निर्माण में प्रयोग मे लायी जा रही है। वही प्रोपीलीन आक्साइड गैस का प्रयोग कृत्रिम वर्षा कराने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है।साथ ही गाय के दूध से रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है। यदि सरकार वैदिक शिक्षा पर कुछ शोध करे तो दवाइयों पर होने वाले करीब दो लाख पचास हज़ार करोड़ के खर्चे से छुटकारा पाया जा सकता है।

अब आप ही बताइये कहने को तो गाय केवल एक जानवर है, किन्तु इतने कमाल का एक जानवर क्या हमें ऐसे ही बूचडखानों में तड़पती मौत मरने के लिए छोड़ देना चाहिए ???

कुछ तो कारण है जो हज़ारों वर्षों से हम भारतीय गाय को अपनी माँ कहते आए हैं। भारत निर्माण में गाय के अतुलनीय योगदान को देखते हुए शीर्षक की सार्थकता में मुझे यही शीर्षक उचित लगा।

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...