साम्प्रदायिक हिंसा बिल से लोगों का ध्यान हटाने की चाल मात्र
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देश के शीर्ष पदों पर रहे अपने नेताओं के विदेशों में अपमान का जिसे कोई मलाल नहीं होता, बांग्लादेशी सैनिकों के हाथों अपने जवानों को जानवरों की तरह ट्रीट होता देख जिसका कलेजा नहीं काँपता, अपने ही देश में नक्सलियों और आतंकियों के हाथों देश की रोज रोज लुटती इज्जत जिसे विचलित नहीं करती, इटैलियन सैनिकों द्वारा अपने ही समुद्री क्षेत्र में अपने मछुवारों के मारे जाने पर जो मिमियाने लगता है, वारेन एंडरसन और दाऊद इब्राहिम जैसे अपने दुश्मनों के देश से आराम से फरार हो जाने पर भी जो बेशर्मों की तरह मुस्कराता रहता है और चीन द्वारा रोज बा रोज चीरहरण किये जाने के बाद भी जिसका विदेशमंत्री पूरी बेशर्मी से बीजिंग में ही बस जाने के अपनी ख्वाहिश का बखान करता है, वही देश विदेश में तैनात अपने एक अधिकारी द्वारा गलत कार्य करने पर वहाँ की सरकार द्वारा कार्यवाही करने पर सर के बल खड़ा हो जाता है। समझ नहीं आता कि इस देश को मान अपमान के सही अर्थ भी पता हैं या नहीं।
ये कहीं असली मुद्दों, जैसे साम्प्रदायिक हिंसा बिल से लोगों का ध्यान हटाने की चाल मात्र ना हो. अमरीका से माफ़ी मंगवा कर झूठे हीरो बनेंगे अलग ये हिजड़े..
देश के मान अपमान से इन्हें कोई मतलब नहीं...
ये कहीं असली मुद्दों, जैसे साम्प्रदायिक हिंसा बिल से लोगों का ध्यान हटाने की चाल मात्र ना हो. अमरीका से माफ़ी मंगवा कर झूठे हीरो बनेंगे अलग ये हिजड़े..
देश के मान अपमान से इन्हें कोई मतलब नहीं...
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