कल कई चैनेलो पर देख रहा था की "आप" के नेता खासकर संजू पहलवान यानी संजय सिंह कह रहे थे की बीजेपी ने राम मन्दिर बनवाने का वायदा कहा निभाया है ?? ये लोग कहते थे की कसम राम की खाते है मन्दिर वही बनायेंगे लेकिन इन्होने अपने वायदे को पूरा नही किया ....
मित्रो, कभी यूपी में वामपंथी सन्गठन जनवादी मंच का नेता रहा संजय सिंह जो नेपाल के माओवादियों के साथ मिलकर यूपी में माओवाद फैलाना चाहता था लेकिन जब पुलिस ने इस सन्गठन पर सख्ती की तो ये दिल्ली भागकर आ गया और कुछ फैक्ट्रीज में नौकरी करने के बाद अचानक आम आदमी पार्टी का बड़ा नेता बन गया .. इसे केजरीवाल से वामपंथी नेता और नक्सलवाद के समर्थक स्वामी अग्निवेश ने मिलवाया था .. फिर केजरीवाल से मिलने के बाद इसने एक सभ्य नेता का चोला ओढ़ लिया ...
लेकिन क्या इसे मालूम नही है की राम मन्दिर आन्दोलन के बाद चार राज्यों एमपी, यूपी, राजस्थान और हिमाचल में बीजेपी की सरकारे बनी थी .. और यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कार सेवको पर कोई करवाई नही की थी ..और उन्हें वो करने दिया था जिसे वो करना चाहते थे यानी हिन्दू समाज में मस्तक पर कलंक बना गुलामी की निशानी बाबरी ढांचा को तोडकर सरयू नदी में प्रवाहित करना ... उस समय मै टीवी के सामने ही बैठा था .. अगले दिन सुबह सुबह बीबीसी पर कल्याण सिंह के सीना ठोंककर कहा की मेरा सपना अब पूरा हुआ मै दो दिन से अपने जेब में अपना इस्थिपा रखकर बैठा हूँ ये देखिये ..अब मै राज्यपाल को अपना इस्थिपा देने जा रहा हूँ ..और इसका अंजाम भुगतने को तैयार हूँ ...
बाद में कई महीनों तक कल्याण सिंह बाबरी ढांचा तुडवाने के आरोप में जेल में भी रहे ... और इतना ही नही ढांचा यूपी में टुटा लेकिन केंद्र की कांग्रेस सरकार ने बीजेपी की चारो राज्यों की पूर्ण बहुमत की सरकारे बर्खास्त कर दी थी .. इस कलंक की निशानी यानी बाबरी ढांचे के विनाश के लिए बीजेपी ने चार राज्यों में पूर्ण बहुमत वाली सरकारो की बलिदान दे दिया था |
उसी समय भगवान रामलला की मूर्ति वहाँ लगा दी गयी थी .. वहाँ पर एक मन्दिर जैसा टेंट भी लगा दिया गया है ..हर रोज लाखो लोग जाकर पूजा अर्चना करते है ..क्या इतना कर देना कम है ??
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