Sunday, March 30, 2014

SO Yogendra Yadav Nick Name is Salim..I dont mind his Nick Name but All this to get Votes






SO Yogendra Yadav Nick Name is Salim..I dont mind his Nick Name but All this to get Votes

AAP Hindu candidates in Muslim dominant areas changes their names to woo minority votes.





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साम्प्रदायिक भाजपा और धर्मनिरपेक्ष इमरान मसूद

साम्प्रदायिक भाजपा और धर्मनिरपेक्ष इमरान मसूद

by संजीव कुमार सरीन Monday March 31, 2014


इसे तुष्टिकरण की हद नही तो और क्या कहा जायेगा कि जो तमाम तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल और  उनके नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा के जामिया नगर और बटाला हाउस वाले बयान के बाद भाजपा और प्रो. मल्होत्रा के ख़िलाफ लामबंद हो गये थे, उन तमाम लोगो को सहारनपुर से कॉंग्रेस के उम्मीदवार श्री इमरान मसूद के बयान पर मानो साँप सूंघ गया- किसी ने विरोध करना तो दूर बल्कि कुछ एक ने तो उसे सही ठहराने तक का प्रयास किया|

सबसे पहले बात करते है प्रो. मल्होत्रा के बयान कि जिसमें उन्होने दिल्ली के जामिया नगर और बटाला हाउस इलाके को कथित रूप से आतंकियो का गढ बताया था| इस देश के जागरूक नागरिक अगर अपनी यादाश्त पर ज़ोर डालेंगे तो उन्हे याद आ जायेगा कि दिल्ली में गिरफ्तार होने वाले तमाम आतंकियो में से कितने आतंकवादी दिल्ली के इन्ही इलाकों में से पकड़े जाते है| लिहाज़ा प्रो. मल्होत्रा का बयान तथ्यात्मक रूप से सही होते हुए भी अतिशयोक्ति पूर्ण कहा जा सकता है- क्योकि किसी क्षेत्र विशेष से आतंकियो के पकड़े जाने मात्र आधार पर उस क्षेत्र को आतंकियो का गढ नही कहा जा सकता| लेकिन इन क्षेत्रों से आतंकियों की निरंतर धरपकड़ से एक तो स्पष्ट है कि आतंकी दिल्ली में अपने छिपने के लिये इन इलाकों को श़ायद ज्यादा माकूल पाते है- लिहाज़ा इन इलाकों के नागरिकों का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह इलाके में आने वाले अजनबियों के प्रति ज्यादा सतर्क रहे और सुरक्षा बलों के हर कदम को संदेह की द्रष्टि से ना देखें|
अब बात करते है सहारनपुर से कॉंग्रेस के उम्मीदवार श्री इमरान मसूद के बयान कि जिसमे वह कहते है -"कि वह मोदी की बोटी- बोटी कर देंगे- और गुजरात में तो केवल 4 प्रतिशत मुसलमान है- जबकि यहाँ पर 42 प्रतिशत, लिहाजा वह अच्छे से सबक सीखा देंगे|" श्री मसूद का मोदी जी की बोटी- बोटी कर देने का क्या आशय था- यह हम उन्ही पर छोड़ते है लेकिन हम उनसे यह जरूर जानना चाहेंगे कि मुसलमानो की संख्या के आधार पर वह क्या कहना चाहते थे? क्या व़ह इस क्षेत्र की गैर मुस्लिम जनता को छिपे शब्दों में कोई धमकी दे रहे थे? यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि श्री मसूद के अनुसार उनका यह वीडियो तकरीबन 6 माह पुराना है- और यदि यह सच है तो मामला और भी गंभीर है क्योकि यह वह दौर था जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फरनगर और उसके आस पास के क्षेत्र सूबे की सपा सरकार की नाकाबीलियत के कारण साम्प्रदायिक हिंसा की आग़ में जल रहे थे और श्री मसूद उस समय स्वयम् सपा में थे| अब अगर यह वीडियो वाकई 6 माह पुराना है तो क्या इससे यह जाहिर नही होता कि साम्प्रादयिक दंगों के दौरान कैसे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों के नेता उस समय साम्प्रदायिक सदभाव कायम करने के स्थान पर समुदाय विशेष को संख्या बल के आधार पर उकसाने का प्रयास कर रहे थे?
यहाँ पर मैं अपने मुसलमान भाइयों और बहनों से अपील करना चाहूंगा कि आप श्री मसूद जैसे नेता जो आपको एक मज़हबी पहचान की तरह प्रयोग करते है से ना सिर्फ सतर्क रहे बल्कि उनका बहिष्कार भी करें- क्योकि इन्ही जैसे नेताओं के ऐसे बयानों के कारण ही आप के समाज की छवि धूमिल होती है|

अब बात करते है इन दोनों बयानों पर आने वाली विभिन्न राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की प्रतिक्रियाओं की| प्रो. मल्होत्रा के बयान के विरुद आम आदमी और कॉंग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत करी है| इतना ही नही जहां आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से प्रो. मल्होत्रा के ख़िलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की भी मांग करी है वहीं कॉंग्रेस ने कहा है कि यदि प्रो. मल्होत्रा माँफी नही माँगेगे तो उसके कार्यकर्ता भाजपा का घेराव करेंगे|

जहां तक बात है श्री मसूद के बयान पर कार्यवाही की तो श्री मसूद की गिरफ्तारी और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिये जाने के बाद- श्री राहुल गाँधी द्वारा उनके समर्थन में सहारनपुर में रैली करने और उस रैली में श्री मसूद के बयान पर चुप्पी साधे रखने से क्या यह नही माना जाय कि कॉंग्रेस, श्री मसूद के इस बयान को निन्दा के काबिल नही मानती? जहां तक बात है सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी की तो इन दलों के किसी भी नेता ने निन्दा का एक भी शब्द नही बोला है यानी यह माना जा सकता है कि यह तमाम दल भी श्री मसूद के बयान को निन्दनीय नही मानते है|

अब आप लोग ही फ़ैसला कर लीजिये की किसका बयान ज्यादा निन्दनीय है? जो राजनीतिक दल धर्मनिरपेक्षता के नाम पर प्रो. मल्होत्रा के अतिशयोक्ति पूर्ण बयान पर लामबंद है- वही राजनीतिक दल श्री मसूद के बयान पर ना सिर्फ खामोश है बल्कि कुछ एक नेता तो उनका वचाव भी कर चुके है| अपनी इस हरकत को यह तमाम नेता भले ही धर्मनिरपेक्षता का नाम दें लेकिन वास्तव में इसे तुष्टिकरण कहते है और अब फैसला आप लोगो को करना है कि क्या आपको धर्मनिरपेक्षता की चाशनी में लिपटा हुआ तुष्टिकरण पसंद है जो समाज को 42 प्रतिशत और 58 प्रतिशत के खाँचे में बांटता है या आपको चाहिये समग्र विकास लेकिन तुष्टिकरण किसी का नही और जहां समाज में 4 प्रतिशत और 96 प्रतिशत के मध्य कोई भेदभाव भी नही| सोचिये और सोच कर मतदान करिये|

Friday, March 28, 2014

आपा के चार नेताओ पर रेप का आरोप

आम आदमी पार्टी के नेताओ कि एक और करतूत :- ग्वालियर कि महिला कार्यकर्ता का एक साल तक पार्टी कार्यालय में बुला कर ४ कार्यकर्ताओ द्वारा लगातार सामूहिक यौनशोषण किया गया जिनमे से एक तो पार्टी के टिकट पर लोकसभा प्रत्याशी भी है और फिर उस महिला को डराया और धमकाया गया। नैतिकता, ईमानदारी जैसी बड़ी बड़ी बाते करने वाले इन टोपीवाज़ गुंडों के सरदार श्रीमान एके 49 अब क्या करेंगे और कहेंगे ? ये टोपीवाज़ इस हद तक गिरे हुए है कि जब महिला पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराने पहुंची तो हमारे ग्वालियर की महिला प्रत्यासी ने स्वयं एक महिला होते हुए भी उस महिला कार्यकर्ता को रिपोर्ट दर्ज ना करने के लिए मजबूर करने की कोशिस की यह बहुत ही शर्मनाक है। आरोप लगा लगाकर राजनेतिक चर्चा में आये इन टोपीवाज़ो ने बेशर्मी की सारी हदे ही तोड़ दी है, और अब बेशर्मी से कह रहे है कि इनकी छवि धूमिल करने के लिए महिला द्वारा अनर्गल आरोप लगाये जा रहे है। आखिर इन अराजक्तावडियो की छवियाँ ही क्या है ? जो कोई ख़राब करने की कोशिश करेगा वो भी एक शादी शुदा महिला जो अपनी गुहार एके-49 तक से लगा चुकी पर वह से भी दुत्कार दी गई। यह घटना एक प्रश्नचिन्ह है आम आदमी के नाम पर दूकान चलाने वाले इन गुंडों पर। थू है इनकी सोच और इन पर।




Wednesday, March 26, 2014

भारत में ''धर्म-निरपेक्षता'' की परिभाषा

ये है हमारे देश की तथाकथित ''धर्म-निरपेक्षता''
अगर मंदिर गई थी तो स्वीकारने में क्या हर्ज था..??????

शाजिया इल्मी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान वोटों के लालच में गाजियाबाद के दूबेश्वर महादेव के मंदिर में पूजा अर्चना क्या कर ली उसके धरम के तथाकथित धरम निरपेक्ष लोग उसके खिलाफ खड़े हो गए. यहाँ तक कि उसके खिलाफ इस्लाम से निष्काशन का फतवा भी जारी कर दिया गया.

जब शाजिया के कुछ धर्म भाइयों ने उस से कहा कि वो मंदिर में पूजा करने क्यूं गई तो खुद मीडिया से आई इन मोहतरमा ने कहा कि वो किसी मंदिर में नहीं गई और मीडिया हमेशा झूठी खबर दिखाता है. यह मीडिया का दुष्प्रचार है। उन्होंने कहा कि लोगों को मीडिया की खबरों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा और सपा ने देश को बांटा है। हिंदू-मुसलमान एकजुट होकर अपनी बेटी व बहन शाजिया को जिताएं, तभी देश से भ्रष्टाचार समाप्त हो सकता है। क्या शाजिया को मंदिर जाने पे ऐतराज है ...?

शर्म आती है शाजिया और इनके धर्म के ठेकेदारों की इस तथाकथित ''धर्म-निरपेक्ष'' सोच पर.जहां हमारे दुसरे धर्मों के बंधू मरे हुए लोगों की मजारों और मस्जिदों में नाक रगड़ते घुमते हैं और उन्हें कोई धर्म से नहीं निकालता वहीँ दूसरी और एक मुस्लिम के मंदिर जाने पे इतना बड़ा बवाल और धर्म से निष्काशन तक झेलना पड़ता है और वो खुद ही मंदिर जाने को गलत मानती है

ये है हमारे भारत में ''धर्म-निरपेक्षता'' की परिभाषा .........!!!!!


सेकुलरिज़्म का नायाब नमूना पेश है

सेकुलरिज़्म का एक और नायाब नमूना पेश है - बंगलौर के एक चर्च में नियुक्तियों और धन-संपत्ति के मुद्दे को लेकर पादरी इल्यास, विलियम पेट्रिक और पीटर (तीनों नाम सेकुलर हैं) ने मिलकर एक और सेकुलर केजे थॉमस की हत्या की... आसाराम और "चर्बीगोला" की हर-हर मोदी वाली सलाह पर अपने कपड़े फाड़ने वाले बुद्धिजीवियों को कभी आपने चैनलों पर चर्च में जारी "बदफैली" पर चर्चा करते सुना है??? नहीं सुना होगा...

इसी को सेकुलरिज़्म कहते हैं...| स्वाभाविक है "बुद्धिजीवी" शब्द से घृणा गहरी होती जाती है, दल्लात्मक मीडिया के प्रति गुस्सा और बढ़ता ही जाता है...

केजरीवाल के हर झूठ का मोदी सरकार द्वारा मुंहतोड़ जवाब

आम आदमी पार्टी के अराजक नेता अरविंद केजरीवाल आजकल अपनी हर सभा में केवल नरेंद्र मोदी पर ही निशाना साध रहे हैं। केवल लोगों से झूठे सवाल पूछकर भागते रहे हैं। लेकिन इस बार उनका सामना राजनीति के माहिर खिलाड़ी नरेंद्र मोदी से है, जिनके पास 12 साल से शासन चलाने का अनुभव है, जबकि केजरीवाल 49 दिन में ही सरकार छोड़कर भगोड़ा साबित हो चुके हैं। गुजरात के विकास को झूठ बताने वाले केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी सरकार से कई सवाल पूछे थे। उन्‍हें उम्‍मीद थी कि कांग्रेस की ही तरह मोदी सरकार भी जवाब नहीं देगी और उनकी वाहवाही होती रहेगी। इसी आधार पर वह बनारस में मोदी को चर्चा करने का आहवान भी करते दिखे। लेकिन मोदी सरकार ने केजरीवाल द्वारा पूछे गए एक-एक सवाल का प्‍वाइंट2 प्‍वाइंट जवाब दे दिया है। और न केवल जवाब दिया है, बल्कि यह भी दर्शा दिया है कि वह अमेरिकी सरकार और देश के रियल स्‍टेट कंपनियों के लिए दलाल की भूमिका में हैं। यहां पेश है केजरीवाल के हर झूठ का मोदी सरकार द्वारा मुंहतोड़ जवाब...

1) गैस के लिए अमेरिकी दलाली कर रहे हैं केजरीवाल
गैस कीमतों पर गुजरात सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस मुद्दे पर बीजेपी की राय शुरू से साफ रही है। यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली स्टैंडिग कमेटी ने अप्रैल, 2014 से गैस कीमतें बढ़ाने के फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा था। गुजरात के ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल ने गैस कीमतें बढ़ाने का विरोध किया था। बयान में कहा गया है कि दरअसल ऐसे आरोप लगाकर केजरीवाल अधिक दामों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों से गैस आयात की वकालत कर रहे हैं, इसीलिए उन पर अमेरिका का एजेंट होने का आरोप लगाया जाता है। रिलायंस का सिर्फ 10 फीसदी हिस्सा है, जबकि सरकारी कंपनी ओएनजीसी का 80 फीसदी।

2) केजरीवाल व सोनिया में नजदीकी
गुजरात सरकार ने केजरीवाल से पूछा है कि वह यह बताएं कि उनकी पार्टी ने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर घोटाले में एफआईआर की मांग क्यों नहीं की, जिसमें सोनिया गांधी सीधे तौर पर शामिल हैं। क्या ऐसा केजरीवाल की सोनिया और एनएसी से नजदीकी और गठबंधन के चलते नहीं किया गया?

3) गुजरात का कृषि विकास दर 11 फीसदी, जबकि पूरे देश में महज 3 फीसदी है 
गुजरात की कृषि वृद्धि दर पर लगाए गए केजरीवाल के आरोपों को भी गलत बताया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि योजना आयोग के मुताबिक नरेंद्र मोदी की अगुवाई में गुजरात में पिछले एक दशक में कृषि वृद्धि दर 11 फीसदी रही है। जबकि देश की औसत विकास दर 3 फीसद है। राष्ट्रीय औसत 15.5 फीसद के मुकाबले गुजरात में 68 फीसद सिंचित भूमि है।

4) शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की के मोदी के दावों को झूठा बताने के केजरीवाल के आरोपों का भी खंडन किया गया है। बयान के मुताबिक जब मोदी मुख्यमंत्री बने, तब ड्रॉप आउट रेट 20 फीसदी था, अब यह घटकर दो फीसदी रह गया है।

5) गुजरात की भूमि अधिग्रहण नीति की तारीफ खुद सुप्रीम कोर्ट ने की है 
केजरीवाल यह आरोप लगाते रहे हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अडानी उद्योग समूह को फायदा पहुंचाया। इस पर बयान में कहा गया है कि मोदी की अगुवाई में गुजरात में सभी उद्योग-धंधे फले-फूले हैं। सिर्फ अडानी ही नहीं, सभी उद्योगों को फायदा मिला। अडानी का सिर्फ गुजरात ही नहीं, अन्य राज्यों में भी निवेश है। अडानी समूह का गुजरात में कुल निवेश का सिर्फ 35 फीसदी है। जहां तक भूमि अधिग्रहण नीति का सवाल है, गुजरात की भूमि अधिग्रहण नीति की सुप्रीम कोर्ट ने भी तारीफ की है। राज्य के किसानों को देश में सबसे ज्यादा भूमि अधिग्रहण मुआवजा मिलता है।

6) केजरीवाल जिंदा किसानों को मृत बता रहे हैं 
केजरीवाल आरोप लगाते रहे हैं कि गुजरात में 800 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। इस पर बयान में कहा गया है कि यह दिलचस्प है कि केजरीवाल राहुल गांधी की ही तरह यह झूठ फैला रहे हैं। वह जिंदा किसानों को मृत बता कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं। आप द्वारा मृत बताए गए किसान आज भी जिंदा है। बयान के मुताबिक गुजरात में सिर्फ एक किसान ने अब तक आत्महत्या की है। उसकी आत्महत्या का कारण फसल खराब होना था। गुजरात में किसानों की आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश कांग्रेस शासित राज्यों जैसे नहीं हैं, जहां सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। केजरीवाल महाराष्ट्र और आंधप्रदेश में किसानों की आत्महत्या पर केजरीवाल कोई सवाल नहीं उठाते हैं, क्योंकि दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है।
गुजरात सरकार ने अरविंद केजरीवाल के किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों पर भी अंगुली उठाई और पूछा कि मात्र दस दिनों में 800 किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा बढ़कर एकदम से 5,874 कैसे हो गया। उल्लेखनीय है कि अरविंद केजरीवाल ने गुजरात दौरे के दौरान राज्य में 800 किसानों द्वारा आत्महत्या करने की बात कहने के बाद मंगलवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे हुए अपने भाषण में गुजरात में पिछले 10 साल में 5 हजार से ज्यादा किसानों द्वारा आत्महत्या करने की बात कही थी।

7) शासन चलाना तो सीख लो केजरीवाल 
केजरीवाल पर पलटवार करते हुए कहा गया है कि बेहतर होगा कि केजरीवाल यह बताएं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने क्या किया? बलात्कार बढ़ते रहे और नस्लभेद के आधार पर अपराध होते रहे, यहां तक कि उनके मंत्री भी नस्लभेद में शामिल रहे। 'आप' की सरकार के दौरान सिर्फ 23 दिनों में ठंड की वजह से 174 लोगों की मौत हो गई। यहां तक कि ठंड से मरने वाले लोगों के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी दखल देना पड़ा।

8) पुरुषोत्‍तम सोलांकी पर काई चार्जशीट नहीं, बाबूभाई बोखारिया की सजा पर अदालती रोक
केजरीवाल, मोदी पर यह भी आरोप लगाते हैं कि उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर समझौता किया है। खासतौर से मोदी सरकार के दो मंत्रियों - पुरुषोत्तम सोलंकी और बाबूभाई बोखारिया के मामलों का जिक्र किया जाता है। इस पर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सोलंकी के खिलाफ कोई चार्जशीट नहीं है, जबकि बाबूभाई बोखरिया के खिलाफ सज़ा पर ऊंची अदालत से रोक लगा दी गई है।
9) केजरीवाल रियल स्‍टेट माफिया की मदद कर रहे हैं 
कच्छ के सिख किसानों के मुद्दे पर गुजरात सरकार का कहना है कि पंजाब और हरियाणा से आए 454 सिख परिवारों के पास अब भी जमीन है, जबकि केजरीवाल गैरकानूनी ढंग से खेती की जमीन खरीदने वाले रियल एस्टेट माफिया की मदद कर रहे हैं। गांधीधाम, भुज और मूंदड़ा के आसपास फर्जी किसान बनकर इस माफिया ने खेती की जमीन खऱीदी है। 15 से 20 हजार करोड़ रुपये के इस गोरखधंधे में फर्जी किसानों का साथ देकर केजरीवाल भी शामिल हैं।
10) केजरीवाल के एफडीआइ मुद्दे पर जवाब देते हुए सरकार ने कहा कि हम खुदरा क्षेत्र में एफडीआइ के खिलाफ हैं।
11) गुजरात के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम 2001 के मुकाबले लाभ की स्थिति में है। 2001 में सार्वजनिक उपक्रमों का घाटा 2,702 करोड़ था, जबकि अब उनका शुद्ध लाभ 4,041 करोड़ है।
12) गुजरात में लघु व मध्‍यम उद्योग देश में सबसे आगे हैं
केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि गुजरात में 60 हज़ार लघु और मझोले उद्योग बंद हो गए हैं। हकीकत ये है कि गुजरात में 5 लाख 19 हज़ार लघु और मध्यम उद्योग रजिस्टर्ड हैं. केंद्र सरकार ने 2001-2002 में जो सर्वे किया उसके मुताबिक 22 फीसदी यूनिट बंद थीं. 2006-2007 में ये संख्या घटकर 12 फीसदी रह गई और 31 मार्च 2012 के दिन राज्य में मात्र 5 फीसदी लघु और मध्यम उद्योग बंद थे. जो 519000 लघु और मध्यम उद्योग रजिस्टर्ड हैं उसमें 95 फीसदी कार्यरत हो तो केजरीवाल के आरोप कितने झूठे हैं ये अपने आप में साबित हो जाता है.  गुजरात में लघु और मध्यम उद्योग देश में सबसे आगे है और इस क्षेत्र की उत्पादन विकास दर भी गुजरात में ऊंची है ये केजरीवाल को दिखा नहीं है.
13) बिजली, बेरोजगारी, नर्मदा का पानी किसानों की बजाय कारखानों को दिए जाने, सौर ऊर्जा की दरों, स्वास्थ्य के आंकड़ों, गुजरात के छोटे और मंझोले उद्योगों जैसे मुद्दों पर लगाए गए केजरीवाल के आरोपों का भी इस बयान में सिलसिलेवार ढंग से जवाब दिया गया है।

Monday, March 24, 2014

'हर-हर मोदी' आदि शंकराचार्य की मूल शिक्षाओं के अनुरूप ही है

'हर-हर मोदी' आदि शंकराचार्य की मूल शिक्षाओं के अनुरूप ही है!
by Sundeep Dev

संदीप देव। आदि गुरू शंकराचार्य का अद्वैत सिद्धांत का मूलमंत्र ही है: ''ब्रहम सत्‍यं जगन्मिथ्‍या जीवो ब्रह़ौव नापर:।'' अर्थात ''ब्रहम ही सत्‍य है। जगत मिथ्‍या है। जीव ब्रहम ही है। जीव ब्रहम से कदापि भिन्‍न नहीं है।'' यह सिद्धांत ही अद्वैत दर्शन का आधारशिला है। अब सवाल उठता है कि आदि गुरु शंकराचार्य के नाम पर भोजन-वस्‍त्र और यश पाने वाले स्‍वरूपानंद सरस्‍वती यह कैसे भूल गए कि ' जीव ब्रहम से कदापित भिन्‍न नहीं है'। ईसायत जरूर अद्वैत को नहीं मानता है तभी तो उसने ईशा मसीह तक को ईश्‍वर नहीं, ईश्‍वर का 'प्रिय पुत्र' कहा है। आदि शंकराचार्य ने 'अद्वैत' की स्‍थापना की थी। अद्वैत, जहां दो का भेद मिट जाए अर्थात जहां आत्‍मा और परमात्‍मा एक हो जाएं, जहां पुरुष व प्रकृति में कोई भेद न रहे, जहां इ्ंसान उत्‍तरोत्‍तर बढ़ते हुए स्‍वयं भगवान हो जाए। 

ईसायत का मूल स्‍तंभ इटली के रोम की भारत में बसी माता के सान्निध्‍य में कहीं स्‍वरूपानंद सरस्‍वती ''ब्रहम सत्‍यं जगन्मिथ्‍या जीवो ब्रह़ौव नापर:'' को भूल तो नहीं गए? कहीं हिंदुओं को आतंकवादी कहने वाले दिग्विजय सिंह के प्रभाव में वह हिंदू धर्म के मूल का सर्वनाश करने की ओर तो नहीं बढ़ रहे हैं? हिंदू आतंकवाद की अवधारणा गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, दिग्‍विजय सिंह, गृहराज्‍य मंत्री आरपीएन सिंह, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने संभल स्थित जिस आचार्य प्रमोद कृष्‍णम के आश्रम में बैठकर रचा था (सीबीआई अदालत में यह मामला विचाराधीन है) आज उस प्रमोद कृष्‍णम को कांग्रेस ने संभल से टिकट दिया। तो सवाल उठता है कि स्‍वरूपानंद सरस्‍वती के किसी चेले को भी मोदी विरोध के लिए कांग्रेस की ओर से टिकट मिलने वाला है?
आदि गुरू शंकराचार्य की मूल शिक्षाओं से महरूम स्‍वरूपानंद सरस्‍वती को अपने नाम के साथ शंकराचार्य लगाने का कोई अधिकार नहीं है। अद्वैत के ज्ञान से विहीन स्‍वरूपानंद को ईसायत की शरणस्‍थली रोम भेज देना चाहिए ताकि वह वहां जाकर अद्वैत का खंडन कर सकें और कह सकें कि जीव और ब्रहम दो अलग-अलग बातें हैं। 'हर-हर मोदी' आदि गुरू शंकराचार्य के ''जीवो ब्रह़ौव नापर:'' की मूल शिक्षा के ही अनुरूप है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है!


कितना बदल गया इंसान

नदी तालाब मेँ नहाने मेँ शर्म आती है,
और स्विमिँग पूल मेँ तैरने को फैशन कहते हो....

गरीब को एक रुपया दान नहीँ कर सकते,
और वेटर को टीप देने मेँ गर्व महसूस करते हो....

माँ बाप को एक गिलास पानी भी नहीँ दे सकते,
और नेताओँ को देखते ही वेटर बन जाते हो....

बड़ोँ के आगे सिर ढकने मेँ प्रॉबलम है,
लेकिन धूल से बचने के लिए 'ममी' बनने
को भी तैयार हो....

पंगत मेँ बैठकर खाना दकियानूसी लगता है,
और पार्टियोँ मेँ खाने के लिए लाइन
लगाना अच्छा लगता है....

बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है,
और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो....

गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है,
और शॉपिँग मॉल मेँ अपनी जेब कटवाना गर्वकी बात है....

बाप के मरने पर सिर मुंडवाने मेँ हिचकते हो,
और 'गजनी' लुक के लिए हर महीने गंजे हो सकते हो....

किसानोँ के द्वारा उगाया अनाज खाने लायक नहीँ लगता,
और उसी अनाज को पॉलिश कर के विदेशी कंपनियाँ बेचेँ
तो क्वालिटी नजर आने लगती है....

अरे शर्म करो,
कुछ तो शर्म करो....

फैशन के नाम पर, सदियोँ से सिर्फ बेवकूफ बनते आ
रहे हो....
अगर बेवकूफी ही फैशन है,
तो ऐसा फैशन आपको ही भला हो..

स्वदेशी अपनाओ स्वदेशी!!"मोदी लाओ देश बचाओ

स्वामी स्वरूपानद जी आप कहाँ थे ?

स्वामी स्वरूपानद जी आप कहाँ थे ?

- जब निहत्थे गौभक्तों के ऊपर इंदिरा ने गोलियां चलवाई थी 
- जब राम जन्म भूमि आदोलन कारियों पर गोलियां चल रही थी.
- जब प्रज्ञभारती जी बेगुनाह जेल में बंद थी 
- जब हिन्दू धर्म गुरुओं पर मिथ्या आरोप लगा कर उनको जेल में डाला जा रहा था 
- जब हिन्दू मजार पूजक बन रहा था 
- जब लव जिहाद में हिन्दू कन्याएं फंसाई जा रही थी
- शंकराचार्य जी क्या आपको पता है श्रीनगर में एक शंकराचार्य पहाड़ी है जिसका नाम बदला जा रहा है
- क्या आपको पता है अनंतनाग को अब इस्लामाबाद के नाम से जाना जाता है



तोंद फुलाकर मखमल के गद्दे पर बैठकर अपनी आरती उतरवाना इन्हे व्यक्ति पूजा नहीं लगती परंतु हर हर मोदी का नारा इन्हे व्यक्ति पूजा लगता है

अरबो रुपये कमाने के लिये विदेशी जहर बेचने वाले को क्रिकेट का "भगवान" कहे जाने पर इन्हे हिन्दू धर्म का अपमान नहीं होता परंतु हर हर मोदी का नारा इन्हे व्यक्ति पूजा लगता है

जब फिदा हुसैन हमारी देवियो के नंगे चित्र बनाता है तब कुछ नहीं बोलते ये धर्म के ठेकेदार परंतु 100 करोड़ हिन्दुओ के हित की बात करने वाला व्यक्ति इन्हे साम्प्रदायिक लगता है 

जब शराब की बोतलो पर हुमारे देवताओ के चित्र बनाये जाते है तब इन्हे आपत्ति नहीं होती , जब भारत का उपराष्‍ट्रपति आरती की थाली पकड़ने से इंकार कर देता है तब इन्हे आपत्ति नहीं होती , जब भारत का ग्रह मंत्री तिलक लगवाने से इंकार कर देता है तब इन्हे आपत्ति नहीं होती 
परंतु कोई नेता टोपी पहनने से इंकार कर देता है तो इनके "स्थान विशेष" में आग लग जाती है 

थू है ऐसे धर्म के ठेकेदारो पर 

मिशनरी स्कूल में होली खेलकर आने पर सजा दी गई, दो लडकियों ने आत्महत्या की... उल्लेखनीय है कि सोमवार को होली थी और सात सहेलियों ने स्कूल परिसर के बाहर होली खेली थी, फिर भी उन्हें स्टाफ रूम के बाहर अपमानित किया गया. इससे पहले भी मेहंदी लगाने, बिंदी लगाने अथवा चूड़ी पहनकर स्कूल आने पर मिशनरी स्कूलों में सजा की कई खबरें आम हो चुकी हैं... 

"हर-हर मोदी" पर आपत्ति जताने वाले "चर्बीगोला" शंकराचार्य जी यदि आप होली को हिन्दू त्यौहार मानते हों, तो कभी कभार ऐसे मुद्दों पर भी अपने श्रीमुख से कुछ उचरा कीजिये ना... या सिर्फ सिंहासन पर बैठकर बादाम ही खाते रहेंगे... 

- क्या शुक्राचार्य ने कभी सरेआम हिन्दू धर्म को गरियाने और नीचा दिखाने वाले ज़ाकिर नाईक के खिलाफ कोई अभियान चलाया है?

- क्या संकटाचार्य ने कभी मकबूल फ़िदा हुसैन द्वारा बनाई गई नग्न देवियों के चित्रों पर हिन्दू धर्म के लिए कुछ किया है?

- क्या "चर्बीगोला" ने कभी रामसेतु के मुद्दे पर सरकारों / प्रधानमंत्रियों के कान खींचे हैं, अपने एसी आश्रम से बाहर आकर कभी इस मुद्दे पर जनजागरण किया?

- क्या "लाल तम्बूरे" ने कभी मिशनरी हत्यारों द्वारा स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या पर आदिवासियों के बीच जाकर जागृति पैदा करने की कोशिश की है??

"हर-हर मोदी" उदघोष पर अपनी आपत्ति अपने पास ही रखिए महाशय...

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हर-हर मोदी... हर-हर मोदी... हर-हर मोदी... हर-हर मोदी... हर-हर मोदी... हर-हर मोदी... हर-हर मोदी...

तब तेरा धर्म कहाँ गया था जब........................
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कर्ण तब उलझ गया जब उसके रथ का एक पहिया धरती में धँस गया। तब कर्ण अपने रथ के पहिए को निकालने के लिए नीचे उतरता है और अर्जुन से निवेदन करता है की वह युद्ध के नियमों का पालन करते हुए कुछ देर के लिए उसपर बाण चलाना बंद कर दे।
तब श्रीकृष्ण, अर्जुन से कहते हैं कि कर्ण को कोई अधिकार नहीं है की वह अब युद्ध नियमों और धर्म की बात करे, जबकि स्वयं उसने भी अभिमन्यु वध के समय किसी भी युद्ध नियम और धर्म का पालन नहीं किया था। उन्होंने आगे कहा कि तब उसका धर्म कहाँ गया था जब उसने दिव्य-जन्मा द्रौपदी को पूरी कुरु राजसभा के समक्ष वैश्या कहा था। द्युत-क्रीड़ा भवन में उसका धर्म कहाँ गया था। इसलिए अब उसे कोई अधिकार नहीं की वह किसी धर्म या युद्ध नियम की बात करे
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स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के कांग्रेस से कितने गहरे रिश्ते है ये हर कोई जनता है की जब एक बार एक पत्रकार ने उनसे कह दिया था की जनता ने मोदी जो अपना प्रधानमंत्री चुन लिया है तो इन्होने उसको सबके सामने चांटा मार दिया था..
और ये महापुरुष तब कंहा थे जब :-
• कांग्रेसियों ने सोनिया को दुर्गा माँ के अवतार मे बनाया था..
• जब मीडिया एक खिलाडी को “भगवन” का दर्जा देता है
• जब ये मीडिया संकट मोचक की उपाधि किसी खिलाडी को देता है..
• ओवैसी भगवान् राम को गालियाँ दे रहा था
• जाकिर नाइक भगवान् गणेश का मज़ाक उड़ा रहा था
• कमाल खान (सपा मुंबई प्रत्याशी) ने लिखा था की संगम किनारे हिन्दू औरतों को नहाते देखने में बड़ा मज़ा आता है और उसने दुसरे लोगो से अपील भी की थी आप भी जा कर देखो
• समाज वादी पार्टी के मंत्री आजम खान जिसने भारत माँ को डायन कहा
• महान चित्रकार एम् एफ हुसैन जो हिन्दू देवियों की नंगी तस्वीर बनाता था ...

तब तो अपने मुंह सिल कर बैठे थे आज धर्म बता सिखा रहे हो.....
धिक्कार है..स्वरूपानंद जी
आपने तो अब एक नया नारा दे दिया सब को “हर एक-एक के मोदी.. घर-घर के मोदी”...

Saturday, March 22, 2014

Kejriwal a hindu by faith a muslim by practice

वेबसाईट पर केजरीवाल की तुलना हज़रत मोहम्मद से कर रहे हैं ये भाई... 
लेखक भी मुस्लिम, वेबसाईट भी Muslim Mirror... क्या AAP को पाकिस्तान से मिलने वाला चंदा, इस स्तर तक ले जाएगा??? 


और हाँ!! अगर यही निकृष्ट काम, किसी हिन्दू ने किसी हिन्दू वेबसाईट पर किया होता तो "ठस भीड़" को मुम्बई के आज़ाद मैदान में उतरते देर नहीं लगती... है ना???

http://muslimmirror.com/eng/kejriwal-a-hindu-by-faith-a-muslim-by-practice/




Kejriwal: A Hindu by faith A Muslim by practice

1545902_465804970209024_315089556_nBy Syed Zubair Ahmad,
When Arvind Kejriwal was delivering his inaugural speech as Chief Minister of Delhi I was sitting in another  room and listening to him. All of a sudden I heard him saying ‘Mai Allah Ka Shukrya Ada Karta Hun’, I got confused and went to the room where the TV set was on. O my God, it was Kejriwal who uttered this sentence of gratefulness. I did not hear such words of praise of Almighty even from the mouth of a Muslim politician in India.
When I see Kejriwal’s sacrifice and his struggle for the cause of common man, when I see his austerity, his simple life style, his honesty and his straightforwardness I wish he were Muslim. Whatever he calling for or doing is absolutely the teaching of Islam.
Prophet Muhammad said: ‘The best among the people is the one who does good to the people’. It’s Kejriwal who is doing good to the people, who is striving for the betterment of people, who is fighting for the upliftment of the people from  long time.
Prophet Muhammad said that ‘Your worst enemy is your ego’.
Kejriwal in his inaugural speech as the CM asked his supporters to shun all kind of ego otherwise a new movement may start to end our ego.
Prophet Muhammad said ‘Those who take bribe and those who give bribe, both will go to hell’. It’s Kejriwal who is fighting against all kinds of bribe and corruptions. It is Kejriwal who took oath from the people to neither take bribe nor give bribe to anyone.
Prophet Muhammad said ‘Cleanliness is the part of Imaan. When Kejriwal was income tax commissioner he used to clean his  table, when he became politician he took the broom and started cleaning the system.
Prophet Muhammad said ‘Simplicity is the part of Imaan.’ Look at the simplicity of Kejriwal. He is the simplest person by any standard.
Once Prophet Muhammad was sitting on his foot, one of his companions asked ‘why are you sitting like this? The prophet said ‘I am a servant of Almighty Allah and I sit like a servant’. Kejriwal always says ‘meri koee auqaat nhi’  ‘meri koee haisiyat nahi’ I am nothing, I have no status.
Prophet Muhammad said ‘The best form of jihad is to say the truth before the oppressive rulers’. Kejriwal is telling the truth before the rulers.
Muslims believe that the time of death is fixed, and no power of this world can put off  it for a moment. By refusing his security Kejriwal has proved that he also believes in the fixed time of death. He told media persons that if God wants to kill him, no one can save him. And if does not want, no one can kill him.
Islam is the greatest advocate of brotherhood, and it declares all mankind the sons and daughters of Adam and Eve. Kejriwal gave the massage of brotherhood by singing the song…insaan se insaan ka ho bhaee chara yahi paigham hamara’
Kejriwal is one of the few Hindu politicians in my knowledge who don’t follow the unethical policy of Chanakya who advocated to ignore all kinds of ethics to grab the power at any cost.
The way Kejriwal and his ministers are roaming freely and contacting people in a move to redress their grievances and solve their problem reminds us the Caliphs of Islamic history when Muslim Caliphs used to roam into the streets to know the problems of the masses.
If Kejriwal really wants to eliminate the corruptions from the society he must know that legislation can never and will never end the corruption from the society. The legislation on rape is before us. In spite of most stringent legislation after 16 Dec incident last year the crime against women rose to 400% in Delhi itself.
Kejriwal needs to apply the following model to end the corruption from the society if he really wants to do so.
During one of his frequent disguised journeys to survey the condition of his people, Caliph Umar overheard a milkmaid refusing to obey her mother’s orders to sell adulterated milk. The mother reportedly told her daughter to add water to the milk as Caliph Umar is not there looking at them. The girl shot back that though Caliph Umar is not looking at them, Allah is always watching over everyone. Next morning Omar sent an officer to purchase milk from the girl and learned that she had kept her resolve; the milk was unadulterated. Umar summoned the girl and her mother to his court and told them what he had heard. Then he offered to marry the girl to his son Asim as a reward. She accepted, and from this union was born a girl named Layla that would in due course become the mother of Umar ibn Abd al-Aziz  (682 A.D.) who is known as Omar II in the Islamic history .
Caliph Omar II was the mightiest ruler of his time on the planet whose authority was spread in three continents – but  Umar died in Ra jab 101 AH at the age of 38 in a rented house at the place called Dair Sim’aan near Homs in Syria . He was buried in Dair Sim’aan on a piece of land he had purchased from a Christian. He reportedly left behind only 17 dinars with a will that out of this amount the rent of the house in which he died and the price of the land in which he was buried would be paid.
Once his wife found him weeping after prayers. She asked what had happened. He replied: “I have been made the ruler over the Muslims and I was thinking of the poor who are starving, and the sick who are destitute, and the naked who are in distress, and the oppressed that are stricken, and the stranger that is in prison, and the venerable elder, and him that had a large family and small means, and the like of them in countries of the earth and the distant provinces, and I felt that my Lord would ask me about them on the Day of Resurrection, and I feared that no defense would avail me (at that time), and I wept.”
The Facebook page of Kejriwal describes him as Gandhis’ Talisman. If  Kejriwal really wants to solve the problems of the masses then he must follow the advice of   Gandhi .Just after the independence in his speech delivered in Kolkata  Mahatma Gandhi said ” that if India finds a man like Omar ibn Khatab all the problems will be solved”.
Gandhi was the greatest supporter of Caliphate Movement and was much influenced by the second Caliph Omar.
Anyway what is supposed to be done by Muslims, Kejriwal is doing,what is responsibility of a Muslim is being performed by Kejriwal , that is why i say ‘Kejriwal is a Hindu by faith and Muslim by practice’  because Islam is a all about  worshiping  God and serving  the  humanity .

Proof of #AAPCON joint effort

Proof of #AAPCON joint effort. Message sent from same number to user. 1 from AAP & 1 from CON.

{Via @dreamthatworks}

Friday, March 21, 2014

Modernization" के कुछ कुछ लक्षण

Modernization के कुछ कुछ लक्षण


पहले जो गाने कुछ पुरुष रात के अंधेरे में मुंह छुपाकर
कोठे पर जाकर सुनते थे, आज उसे हम अपने घर में बहन
बेटियों का साथ सुनते हैं जिसे हमने'आइटम
सोंग्स'का नाम दिया है।

पहले आइटम सोंग्स करने वाले
अभिनेत्री को बी ग्रेड में रखा जाता था,
आज'ए ग्रेड'की अभिनेत्री ऐसी अश्लील
हरकतों को पर्दे पर दिखाकर
अपनी कलाकारी सिद्ध कर पुरस्कार लेती हुई
दिखाई देती हैं !!

पहले पॉर्न फिल्मों की अभिनेत्रीको घृणा से
देखा जाता था, अब देश के जाने माने निर्देशक
उन्हे फिल्मों में ब्रेक देते हैं। अतः अब भारतीय
अभिनेत्रियाँ और किशोरियों के लिए
फिल्मों में ब्रेक के लिए एक नयी दिशा मिल
गयी और इस दिशा में अवश्य पहल करेंगी!!!

पहले अश्लील फिल्में कामी लोग बंद कमरे में देखते
थे, अब वे देश के मुख्यालयों में खुलेआम
देखी जाती हैं !!

पहले हम शराब पीना, गाली देना, जुआ
खेलना इसे निकृष्ट कृति मानते थे,अब वह सब हमारे
आधुनिक होने के लक्षण हैं !!

पहले स्त्री के तन से आचल न गिरे ऐसा प्रयास
माँ सिखाती थी, अब माँ अपने
बच्चियों को पूरे विश्व के सामने नग्न होने के
लिए "Beauty Contest" और "Modeling" में ले
जाती हैं, जहां Swimming Suit राउंड होता है और
पूरे विश्व के लोग उसे आनंद से अपने परिवार के
साथ देखते हैं !!

वाह रे 'Modernisation'रूपी असुर, तूने मात्र 50 वर्ष
में हमारे लाखों वर्ष की संस्कृति को निगल
लिया और भारत को 'इंडिया' बना दिया |

समझे केजरीवाल का समीकरण

केजरोवाल बोलते हैं कि बो देश और आम आदमी कि चिंता करते हैं ! सारा सर झूठ है ! 
आप जानते हैं कैसे ? ऐसे :

1. केजरी खुद ही बोल रहे हैं के बो 80-100 सीट्स जीतेंगे ! साफ़ है बो सर्कार नहीं बना सकते

2. मोदी जी को 200 से ले के 250 तक मिलने का अनुमान है

3. कांग्रेस को 70 से लेके 100 तक मिलने का अनुमान है

4. तो कुल मिला के हो गयीं 400 से लेके 450 सीट्स ! बाकी बच्ची 100 से 150 तक ! अब सवाल ये है कि कौन सरकार बनाएगा ?

5. जाहिर है कि केजरी जी मोदी या कांग्रेस के साथ नै जायेंगे ! मोदी जी 200 से 250 मैं सरकार नहीं बना सकते ! और न ही केजरी बाकी बचे उम्मीद बारों से ?

6. तो नतीज़ा क्या हुआ ? फिर से चुनाव ? मालूम है इस बार चुनाव मैं कितना खच होने का अनुमान है ? कम से कम 30000 करोड़ !!

7. अगर फिर से चुनाव हुए तो देश लूट जायेगा ! गरीब और आम आदमी कि कमर टूट जायेगी ! देश अभी ऐसी हालत मैं नहीं है कि 30000 करोड़ का डबल खर्च झेल सके

8. अगर केजरीवाल समझदार हैं तो ये बात उनको भी बखूबी मालूम है ! और बो जो 80-100 सीट्स जीतने का दावा कर रहे हैं बो सारी मोदी जी के वोट काट के लेने वाले हैं ! क्योंकि बो झूठ बोलके भोली वाली जनता को बेवकूफ बना रहे हैं ! जैसे कांग्रेस 65 साल से बेवकूफ बना के आज तक राज़ करती आयी है ! वोही केजरी जी कर रहे हैं !

9. अब बतायो क्यों केजरीवाल जी देश का बेड़ागर्क करने पे लगे हुए हैं ? इससे पता चलते है कि बो सिर्फ स्वार्थी है ! अपने और पार्टी के स्वार्थ के लिए देश का इतना बड़ा नुक्सान कर रहे हैं !


इसलिय भाइयो और बहनो आम आदमी पार्टी का बाईकाट करें इस इलेक्शन मैं और देश कि भलाई के लिए मोदी जी का सपोर्ट करें जो कि फुल २७२ सीट्स जीतने कि हालत मैं हैं - कृपया सब के साथ शेयर करें - जय हिन्द.

Thursday, March 20, 2014

वाराणसी भाजपा के लिए सेफ सीट?

कुछ लपड़झंडूस आपिए कह रहे हैं की वाराणसी की सीट भाजपा के लिए सेफ सीट है वो ये कुछ बातें बताना भूल कर जितना उनके मालिक केजरीवाल ने कहा उतना भौंकते हुए चले जाते हैं

1. 2004 मे वाराणसी की सीट कॉंग्रेस के पास थी जिसको 2009 मे मुरली मनोहर जोशी जी ने जीती

2. अभी तक वाराणसी के इस संसदीय सीट से 7 बार कॉंग्रेस जीती है, 5 बार भाजपा जीती है और 1-1 बार कम्युनिष्ट पार्टी, जनता पार्टी और जनता दल ने वाराणसी की संसदीय सीट जीती है।
ऐसे मे वाराणसी संसदीय सीट से सबसे ज्यादा 7 बार जीतने के कारण ये सीट कॉंग्रेस के लिए सेफ सीट कही जानी चाहिए

3. 2009 के चुनाव मे वाराणसी संसदीय सीट से कुल 665,490 वोट पड़े जिसमे से मुरली मनोहर जोशी जी को 2009 के चुनाव मे कुल पड़े वोटों का 30.52% (2,03,122 वोट) वोट मिला वहीं दूसरे स्थान पर BSP प्रत्याशी मुख्तार अंसारी को 27.94% (1,85,911 वोट) मिला। मतलब की हार जीत का अंतर महज 17211 वोटों का था जो की कभी भी एक सेफ सीट से जीत-हार का अंतर नहीं हो सकता है।

अब ऐसे मे केजरीवाल और मीडिया द्वारा ये चिल्लाना की मोदी जी वाराणसी की सेफ सीट से लड़ने जा रहे हैं तो मोदी की हवा कहाँ है ?

तो लपड़झंडूसों मोदी जी कॉंग्रेस के गढ़ वाराणसी मे सेंध लगाने जा रहे हैं जो की निश्चित है ऐसे मे वाराणसी के सेफ सीट होने का दुष्प्रचार केजरीवाल और मीडिया द्वारा किया जा रहा है। इसका सिर्फ एक ही कारण है की मोदी वाराणसी से हार जाएँ क्यूंकी कॉंग्रेस, बसपा, सपा और केजरीवाल सभी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे एवं पूरे पूर्वाञ्चल समेत बिहार के इलाकों मे मोदी लहर थम जाये।

तो बिके हुए दलाल लपड़झंडूस आपियों ये दिवास्वप्न छोड़ो और अपनी असली दलाली वाली औकात पर आ जाओ। क्यूंकी वाराणसी सीट पर विजय तुमसे ना हो पाएगा.....

दो स्थानों से चुनाव

कैसे-कैसे लोग...

१) नरेंद्र मोदी द्वारा दो स्थानों से चुनाव लड़ने को लेकर आलोचना करने वाले लोग वही हैं, जिन्होंने कभी भी इंदिरा गाँधी द्वारा रायबरेली-मेडक अथवा सोनिया गाँधी द्वारा अमेठी-बेल्लारी से चुनाव लड़ने के दौरान कोई उपदेश नहीं दिया था...

२) आडवानी को लेकर "अचानक" उमड़े प्रेम की वजह से बुजुर्गों के अपमान की नसीहत देने वाले लोग वही हैं, जिन्होंने एक दलित सीताराम केसरी को थप्पड़ मारते, कपड़े फाड़ते हुए धक्के देकर पार्टी दफ्तर से निकाला था...

३) पार्टी में मोदी के बढते वर्चस्व और "अबकी बार मोदी सरकार" के नारे पर आपत्ति जताने वाले बुद्धिजीवी वही लोग हैं, जिन्होंने "इंदिरा इज़ इण्डिया" के नारे पर चुप्पी साध रखी थी... और नमाजवादी पार्टी को "यादव परिवार" की जागीर बनाने पर इनके बोल नहीं फूटते....

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गजब है भई... सारे उपदेश, नैतिकता की सारी दुहाईयाँ, अनुशासन की माँगें सब कुछ भाजपा से ही करोगे??? कभी खुद की गिरेबान में भी तो झाँक लिया करो...

Wednesday, March 19, 2014

आम आदमी पार्टी के 242 उम्मीदवारों की एनालिसिस

आम आदमी पार्टी के 242 उम्मीदवारों की एनालिसिस-

1. 85 उम्मीदवार वामपंथी हैं जिसमे से 23 माओवाद समर्थक हैं.....कहीं ना कहीं फिर से ये बात सही साबित हो रही है की आप नक्सलियों की पार्टी है|

2. 47 उम्मीदवार मीडीयाकर्मी हैं.....आप को उसके जनाधार के तुलना मे कई गुना ज़्यादा मीडीया कवरेज क्यूँ मिलता है अब बताने की ज़रूरत नही है|

3. 39 उम्मीदवारों पर सीरीयस मामलों मे एफआइआर दर्ज हैं....अब हो गयी इनकी लड़ाई भ्रष्टाचार से|

4. 34 उम्मीदवार एनजीओ से संबंध रखते हैं....फ़ोर्ड फाउंडेशन का काला सच खुद-ब-खुद साबित हो रहा है.....क्या यही कारण था की केजरीवाल के लोकपाल मे एनजीओ को बाहर रखा गया था ताकि उनके गैंग को कवर किया जा सके|

5. 7 उम्मीदवार ग्लॅमर की दुनिया से हैं.....वैसे भी आम आदमी पार्टी के लोग काफ़ी अच्छी नाटकबाजी कर लेते हैं उसके बावजूद भी मशहूर लोगों की क्या ज़रूरत थी ये बात समझ नही आती|

6. 30 उम्मीदवार बाकी सभी फील्ड्स से हैं (मुख्यतः कॉर्पोरेट सेक्टर से)|

क्या यहीं है देश की आबादी मे आम आदमी का अनुपात....दूसरों से हमेशा सवाल करने वाले केजरीवाल कभी जवाब भी दे दिया कीजिए..... आप के समर्थकों से अनुरोध है की हो सके तो सोशल मीडीया के माध्यम से हीं अपनी बात पहुचा दीजिए....

Thursday, March 13, 2014

केजरीवाल पर नए 11 सवाल

केजरीवाल पर 11 सवाल दागे हैं। ये हैं अश्विनी उपाध्याय के 11 सवाल-

1- आप पार्टी के लोकसभा टिकट खरीदने-बेचने वाले AAP के नेताओं पर कब कार्रवाई करेंगे?

2- आम आदमी पार्टी के अधिकतर टिकट पहले से तय थे। आप टिकट के लिए आवेदन करने वाले लोगों से कब माफी मांगेंगे?
3-पार्टी के अंदर लोकतंत्र की कमी है। इसके लिए आप नैशनल काउंसिल की बैठक कब बुलाएंगे?

4-आप जिंदल और GMR के खिलाफ कब बोलेंगे? आपका करप्शन पर दोहरा रवैया क्यों है?

5- आप परवेज खालिद, योगेश दाहिया, युद्धबीर ख्यालिया आदि भ्रष्ट उम्मीदवारों के नाम कब वापस लेंगे?

6- आप ऊपर से थोपे गए उम्मीदवारों राजमोहन गांधी, आशीष खेतान, आशुतोष आदि को कब वापस लेंगे?

7-श्रीनगर से आतंकवादी समर्थक रजा मुजफ्फर भट्ट का टिकट कब कैंसल होगा?

8- आप महिलाओं को 33 फीसदी लोकसभा टिकट कब देंगे?

9-आप अन्ना हजारे के 17 और मेरे 11 सवालों के जवाब कब देंगे?

10-आप सीआईए, आईएसआई,फोर्ड फाउंडेशन और अन्य विदेशी फंड पाने वाले लोकसभा उम्मीदवारों के नाम कब वापस लेंगे?

11- आप 8 दिसंबर को दिल्ली के नतीजों के बाद पार्टी जॉइन करने वाले मौकापरस्त उम्मीदवारों के नाम कब वापस लेंगे?

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"खामोश .. नामाँकूल सवाल पूछना तुम्हारा काम नही मेरा काम है" खुजलिवाल

"आप" से अब क्या कहूँ मे


"आप" से अब क्या कहूँ मे,
"आप" क्या दे दीजिये,
मुझको मेरी बेगुनाही की सजा दे दीजिये |
"आप" ही ने जग को भ्रमित कर रखा है जोश मे,
"आप" ही ने राजनीति को जकड लिया आगोश मे |
"आप' ही "आप" की चर्चा है चारो ओर है,
"आप" ही अब सत्य हो और "आप" ही असत्य हो,
"आप" ही किरदार हो और "आप" ही सूत्रधार हो |
"आप" ही ने घोटालो का करना पर्दाफ़ास था,
"आप" ही ने भ्रष्टाचारियो को करना खल्लास था,
अब "आप" भी उस जमात मे शुमार है,
अब "आप" भी दगियों के साथ हो,
अब "आप" भी भ्रस्टाचारियों के साथ हो,
अब "आप" भी देश का भूगोल लगे बिगाड़ने हो,
अब "आप" चंदे के लिये विरोधियों को लगे पछाड़ने हो |
"आप" का चरित्र अब लगा होने संदिग्ध है,
क्योंकि अब "आप" आप ना रहे,
अब "आप" "राप" हो गये |
(राप: राजनीतिक पार्टी) 

http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/politics-today/entry/%E0%A4%86%E0%A4%AA-%E0%A4%B8-%E0%A4%85%E0%A4%AC-%E0%A4%95-%E0%A4%AF-%E0%A4%95%E0%A4%B92

आप की भौजाई, अरविन्द की लुगाई

आप की भौजाई, अरविन्द की लुगाई

“Aisa Koi Saga Nahin Jisko Humne Thaga Nahi.. !”

यूपी की ना दिल्लीवालों की, ताजिया है पैसे वालों की!


शाजिया इल्मी की नाराज़गी का कारण गुलपनाग है|शाजिया की हालत इस तरह हो गयी है जैसे फेसबुक आने पर ऑरकुट की| करीना के आने पर करिश्मा की|




Wednesday, March 12, 2014

गजवा-ए- हिन्द

 सेना को कमजोर करना और जनसँख्या अनुपात से बहुत कम सेना रखना, क्या “गजवा-ए-हिन्द” की गुप्त साजिस की तैयारी तो नहीं??????

अमेरिका गुप्तचर एजेंसियों ने “गजवा-ए-हिन्द” साजिस का समय २०२० सूचित किया हैं। कितने पढ़े लिखे मूर्खो को पता है कि यह ‘गजवा-ए- हिन्द” क्या है????. 

पकिस्तान की जनसँख्या सिर्फ 17 . 8 करोड़ है जब की उसकी सेना में 6 . 3 लाख जवान हैं. चीन की जनसँख्या 133 करोड़ है और उनके पास कुल सैनिक 34 लाख हैं, भारत की जनसँख्या 125 करोड़ है और हमारी कुल सेना सिर्फ 13 लाख है.

यदि हम पकिस्तान से तुलना करे तो भारत के पास 6 .3 / 17.8 x 125 = 44 लाख कुल सेना होनी चाहिए. नहीं तो कम से कम चीन जितनी तो अवश्य लेकिन क्या कारण है की इतनी असुरक्षा, बेरोजगारी और आर्थिक विकास के होते हुए भारत के पास सिर्फ 13 लाख सेना है। 

चीन अपनी सेना का तीन चौथाई आतारिक सुरक्षा के लिए प्रयोग करता है जब की भारत की आन्तरिक सुरक्षा चीन से ज्यादा संवेदनशील है लेकिन भारत की सरकार शांत बैठी है. इसके पीछे जरुर कोई साजिस है जिसका समय बहुत करीब आ चुका हो। 

क्या यह अमेरिका द्वारा सूचित “गजवा-ए-हिन्द” की गुप्त साजिस और तैयारी तो नहीं है?? 

जिस देश में इतनी बड़ी संख्या में लोग हों, जहा दुनिया के सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग हो, जहा सबसे ज्यादा हिन्दू-मुस्लिम दंगे होते हो, जहा दुनिया का सबसे ज्यादा हथियार तस्करी होती हो, जहा 10 देशो की जनसँख्या के बराबर नक्सली सक्रिय जो नव-ईसाई होने की वजह से आक्रामक हो, जिस देश के चारो तरफ दोगले देश हो क्या उस आदेश के पास एक निर्णायक युद्ध लड़ने वाली सेना नहीं होनी चाहिए. 

भारत के पास कम से कम 35 लाख सैनिक होने चाहिए ---जिससे 
१) 22 लाख युवाओ को सेना में भर्ती करके भारत में बढ़ती बेरोजगारी को कम किया जा सके, 
२)किसी भी आपात काल में भारत के प्रशासन तुरंत और प्रभावी को मदद मिल सके , 
३) कोई भी दोगला देश भारत की तरफ आँख न उठाये, 
४) आतंरिक व्यापक दंगे की जिसकी की भारत में सुनियोजित तरीके होने की बहुत आशंका बढ़ गयी है, एक बड़ी सेना प्रभावी रोकथाम कर सकेगी, 
५) आतंरिक व्यापक दंगे होने की स्थिति में नक्सली अपना काम करेंगे क्योकि भारत में लाये गए दसियों लाख छोटे बड़े अति आधुनिक हथियार नक्सलियों और आतंकियों के पास हैं जिसे सिर्फ एक समर्पित सेना ही जबाव दे सकेगी। 

भारत सरकार हर तरह से भारत की सुरक्षा एजेंसियों कमजोर सिर्फ इसलिए कर रही है जिससे भारत से हिन्दुओ को मिटाया जा सके जिसकी दुरगामी योजना भारत से बाहर बैठे हिन्दू विरोधी तकते कर रही है, और भारत के लोग क्रिकेट और लाफ्टर चैलेन्ज देखने में मस्त है

उत्तम कविता

अमरनाथ को गाली दी है भीख मिले हथियारों ने
चाँद-सितारे टांक लिये हैं खून लिपि दीवारों ने
इसीलियें नाकाम रही हैं कोशिश सभी उजालों की
क्योंकि ये सब कठपुतली हैं रावलपिंडी वालों की

अंतिम एक चुनौती दे दो सीमा पर पड़ोसी को
गीदड़ कायरता ना समझे सिंहो की ख़ामोशी को
हमको अपने खट्टे-मीठे बोल बदलना आता है
हमको अब भी दुनिया का भूगोल बदलना आता है

दुनिया के सरपंच हमारे थानेदार नहीं लगते
भारत की प्रभुसत्ता के वो ठेकेदार नहीं लगते
तीर अगर हम तनी कमानों वाले अपने छोड़ेंगे
जैसे ढाका तोड़ दिया लौहार-कराची तोड़ेंगे

आँख मिलाओ दुनिया के दादाओं से
क्या डरना अमरीका के आकाओं से
अपने भारत के बाजू बलवान करो
पाँच नहीं सौ एटम बम निर्माण करो

मै भारत को दुनिया का सिरमौर बनाने निकला हूँ |
मैं घायल घाटी के दिल की धड़कन निकला हूँ |

अज्ञात

Tuesday, March 11, 2014

आपियो का झूठ

आपियो का झूठ .. फोटोशॉप करके बता रहे है की आज खुजली की रैली में भारी भीड़ जुटी




विमान को इस्लामिक आतंकियों ने बम विस्फोट से उड़ाया

मलेशियन एयरलाइन्स का जो विमान समुद्र में गिरा उसमे दो शांतिदूत चोरी किये हुए पासपोर्ट पर सफर कर रहे थे ... मलेशियन सरकार का खुलासा .. विमान को इस्लामिक आतंकियों ने बम विस्फोट से उड़ाया है 

केजरीवाल जी .. अब जल्दी से मलेशियन एम्बेसी में सामने अनशन पर बैठो ... मलेशिया की इस्लामिक सरकार ही नरेंद्र मोदी के ईशारे पर मुस्लिम को बदनाम कर रही है

500 पन्नो कि किताब

डाक्टर पागल से- ये क्या है ?
पागल- ये मैने 500 पन्नो कि किताब लिखी है..

डाक्टर- तुमने 500 पन्नो कि किताब मे क्या लिखा ?
पागल - 1st पेज पे लिखा है
एक इमानदार झाडू पे बैठ के गुजरात की तरफ चला, और आखिरी पेज पे लिखा है, वहाँ उसको बीजेपी वालो ने जम के पीटा .. Moral- इमानदारी का जमाना नही रहा ।

डाक्टर- तो कमीने बीच के 498 पन्नो पर क्या लिखा ?
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पागल - खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ खोँ

डाक्टर : तेरी ये कहानी पढेगा कौन ?
पागल : आम आदमी पार्टी के सदस्यो को गिफ्ट कर दुंगा , वो मेरे अपने भाई , बहन हैँ जरूर पढेगेँ ।

किन पत्रकारों को चुनाव लड़ने का ऑफर?

केजरीवाल ने किन- किन पत्रकारों को चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था :-

1. IBN7 के आशुतोष गुप्ता
2. AAJ TAK के पुण्य प्रसून बाजपेई
3. GULEL के आशीष खेतान
4. CNN-IBN के राजदीप सरदेसाई
5. NDTV के रविश कुमार

जी न्यूज़ के इस रंग परिवर्तन

जी न्यूज़ के इस रंग परिवर्तन का एक ही कारण है जिंदल से दुश्मनी !!!

इसके "रंगपरिवर्तन" का कोई दूसरा कारण नहीं है !
इसीलिए जी न्यूज़ के इस क्षणिक रंगपरिवर्तन का मज़ा लें ! ज़ी न्यूज़ या किसी भी दूसरे मीडिया घराने पर विश्वास करना बहुत बड़ी भूल होगी !!

क्योंकि जो मीडिया चैनल वाले अपने बाप के मरने की खबर भी अपनी माँ से पैसे लेकर दिखाते है वो मीडिया वाले राष्ट्र के लिए हितकारी न्यूज़ अपनी स्वेच्छा से बिलकुल नहीं चला सकता !!

इसलिए दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त वाली नीति ही अपनाएं ...
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पोस्ट मे "रंगपरिवर्तन" इसलिए लिखा है क्योंकि मीडिया के कॉर्पोरेट घरानों का दिल सिर्फ पैसों के लिए ही धड़कता है !! तो इनका रंगपरिवर्तन ही हो सकता है हृदयपरिवर्तन नहीं 

Monday, March 10, 2014

गांधी जी के पोते तुषार गांधी और उनकी औरतों के प्रति भावनाएं!

गांधी जी के एक अन्य पोते तुषार गांधी और उनकी औरतों के प्रति भावनाएं! पढ़ कर ही सर शर्म से झुक जाए!

केजरीवाल पर और एक आरोप

केजरीवाल पर और एक आरोप 

केजरीवाल के पिता पर रिश्तेदार ने लगाया जमीन कब्जाने का आरोप 

http://www.jagran.com/news/national-kejriwals-father-faces-allegation-to-occupy-the-land-11150744.html

आज तक चैनल और केजरीवाल की मिलीभगत का खुलासा

आज तक चैनल और केजरीवाल की मिलीभगत का खुलासा !!!

यह छोटा सा विडियो देखिये और आप समझ जायेंगे की मीडिया कैसे केजरीवाल जैसे जीरो को हीरो बना रही है 

ये लोग इंटरव्यू का कौन सा भाग दिखाना है कौन सा नहीं, ये तय करते है.
यहाँ तक की भगत सिंह का भी जिक्र करते है.

https://www.youtube.com/watch?v=yRGNTXDO7dI

इस विडिओ को .. इसे आजतक के ही एक कर्मचारी ने गुप्त रूप से सार्वजनिक किया है .. इंटरव्यू के पहले केजरीवाल और पुन्य प्रसून में सेटिंग हो रही है की मै क्या पूछूँगा और उसका आप क्या जबाब देंगे ... केजरीवाल साफ़ साफ़ कहता है की आप मेरे से ये सवाल पूछना .. अंत में कहता है की कोई ऐसा सवाल मत पूछना की जिससे मेरी पार्टी की इमेज खराब हो

और मजे की बात देखिये ...ये दोगला आज मथुरा में कह रहा था की नरेंद्र मोदी की मीडिया के साथ सेटिंग है


Friday, March 7, 2014

खुजली का राज ये हैं

Why Religare Sent his Pvt Plain

Why Religare Sent his Pvt Plain for @ArvindKejriwal .One of the Religare Director is Congress Spokesperson

मनिंदरजीत सिंह बिट्टा

कल साम के समय 8 और 9 के बीच में ''न्यूज़ नेसन'' समाचार चैनल पर कश्मीरी क्षात्रो द्वारा ''पकिस्तान जिंदाबाद '' के नारे लगाने के विवाद पर लाइव बहस चल रही थी , जिसमे कश्मीरी क्षात्रो को भी मोका दिया गया था फोन द्वारा अपना पक्ष रखने के लिए । इसी बहस के दौरान में ''मनिंदरजीत सिंह बिट्टा '' ने कश्मीरी क्षात्रो को न्यूज़ चैनल पर तबियत से सुताई किया , बिट्टा जी ने जो गालिया देना सुरु किया तो ''न्यूज़ नेसन '' का एंकर भी हक्का बक्का रहा गया ।

''मनिंदरजीत सिंह बिट्टा '' की कुछ ख़ास बाते आप भी सुनिये ।

'' बहन के टनो कहा रहते हो कश्मीर में अपना पता बताओ वही तुमको चीर कर रख दुगा मादर@@@ ''

इतने में ''न्यूज़ नेसन'' का एंकर ने बिट्टा जी को मना किया और बोला

''मर्यादा में रहकर बाते करिये ''बिट्टा साहब ''

फिर क्या था बिट्टा जी बिफर गए और बोले

''अबे भाड़ में जाए तेरी मर्यादा यहाँ ,देश कि मर्यादा लुट रही है और तू मुझे मर्यादा सिखा रहा है तेरी बहन @@@@''

इतने में बीप####### कि लम्बी आवाज आई , पर न्यूज़ नेसन वाला बिट्टा को लाइव दिखाता रहता ऐसा लग रहा था कि बिट्टा साहब एंकर को ही दो चार लात घुसे देने वाले है , इतने में बिट्टा को दिखाना बन्द कर दिया ।

दिल गार्डन - गर्दन हो गया । आज के समय में ऐसे ही लोगो कि जरुरत है ।

बिट्टा जी को सादर नमन है मेरी तरफ से ।

बड़ा देशद्रोही कौन: इनके संरक्षक या अपराधी..!

पाकिस्‍तान जिंदाबाद: 
अब आप ही सोचिये बड़ा देशद्रोही कौन: इनके संरक्षक या अपराधी..!


हाफिज ने कश्‍मीरी छात्रों पर जताया गर्व, यूपी सरकार ने वापस लिया देशद्रोह का केस..!
हाफिज ने ट्वीट के जरिए कहा है कि हम यूनिवर्सिटी से बाहर निकाले गए स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देने की पेशकश करते हैं। पाकिस्तान को इन बच्चों पर नाज है।
आप देख सकते हैं अब्दुल्ला ने लिखा है कि भारत सरकार इन्हें स्कोलरशिप भी दे रही है.
उसके बाद भी खाना यहाँ का गाना पाकिस्तान का तो क्यूं ना इन सभी को पाकिस्तान ही भेजा जाए पढ़ने के लिए...?

जैसा अंदेशा था वैसा ही हुआ ...उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वालों का समर्थन किया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से उनपर दर्ज केस वापिस लेने की सिफारिश कर दी इस पर अखिलेश यादव ने तुरंत अपने तथाकथित वोट बैंक के कुछ सदस्यों पे दर्ज केस वापिस लेने के आदेश जारी कर दिए...!

एशिया कप में भारत के विरुद्ध पाकिस्‍तान की जीत पर जश्‍न मनाने वाले कश्‍मीरी छात्रों से उत्‍तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने गुरुवार देर रात देशद्रोह का केस वापस ले लिया। इस मुद्दे का सबसे शर्मनाक पहलु ये है कि ये सब ''राष्ट्र-द्रोह'' देखते हुए भी हमारे नेता लोग वोटों के लालच में इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने देते उलटा इनको सुविधाएं प्रदान करते हैं, लेकिन इन देशद्रोहियों ने आज सभी मुस्लिमों को शक के कटघरे में खड़ा कर डाला है.

समझे "आप" का भ्रस्टाचार मुद्दा

आमना शाहवानी, अफगानी पत्रकार। 
अपने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान अन्ना ने लोगों को सपना दिखाया कि अपने भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल से वे देश के सारे भ्रष्टाचार को पलक झपकते ही गायब कर देंगे। उनके इस आंदोलन में भारतीय मीडिया ने भी पूरा पूरा साथ दिया। अण्णा के पक्ष में एक बात यह थी कि वे कथित तौर पर गैर-राजनीतिक व्यक्ति थे जबकि डॉ. सुब्रहमनियन स्वामी के बारे में जगजाहिर है कि वे देश के सर्वाधिक बड़े राजनीतिक दल भाजपा से सीधे जुड़े हैं।

इस कारण से आम भारतीय मानसिकता के तहत डॉ. स्वामी के काम को परे कर दिया गया और हमेशा विरोध करने वाले लेकिन किसी भी बात को न परखने वाले अण्णा पर सबका ध्यान केन्द्रित हो गया। आश्चर्यजनक बात यह है कि भारत की जनता को कभी आश्चर्य नहीं हुआ कि अंडर मैट्रिकुलेट (दसवीं से भी कम पढ़े-लिखे) अण्णा लोकपाल बिल को पास कराने को लेकर इतना अड़ियल रुख क्यों अपनाए हुए थे, जबकि उन्हें ऐसे किसी जटिल कानून के कानूनी पहलुओं की कोई जानकारी नहीं थी। उन्हें इस बात पर भी आश्चर्य नहीं हुआ टीम के अधिक शिक्षित आईएएस, आईपीएस और आईएफएस को पीछे रखा गया और अण्णा को एक हीरो बना दिया गया।

इन बातों पर आश्चर्य की जरूरत भी नहीं है क्योंकि मीडिया ने लोगों को इस तरह से सोचने ही नहीं दिया। भारतीय मीडिया ने पूरी तरह से इस आंदोलन का साथ दिया। आखिर लोकपाल बिल क्या है? यह ऐसा शानदार बिल बताया गया जो कि सारे भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकता है। यह भारत की सभी एजेंसियों, सभी मंत्रियों और मंत्रालय से भी ऊपर है। देश में भ्रष्टाचार रोकने के लिए बहुत सारी एजेंसियां हैं, लेकिन वे इसलिए असफल हो गए क्योंकि जिन लोगों पर रोकने की जिम्मेदारी है वे खुद ही अपराधियों से मिल गए।

ऐसी ‍‍स्थ‍िति लोकपाल के साथ भी हो सकती है और ऐसी स्थिति में वह भी पूरी तरह से बेकार सिद्ध होगा। फिर एक ऐसे ही आंदोलन की जरूरत पड़ सकती है। पर अण्णा अड़ गए थे और उन्होंने अपने लोकपाल संस्करण के साथियों (जो कि उनके पीछे रहकर अपना काम कर रहे थे) की सलाह में आकर कोई भी परिवर्तन करने से इनकार कर दिया था।

इस स्थिति में कांग्रेस तो लोकपाल बिल चाहती ही नहीं थी और भाजपा इसको कुछ परिवर्तनों के साथ पास कराने की समर्थक थी। भाजपा का मानना था कि खुफिया और सुरक्षा जैसे कुछ कार्यालयों, विदेश मंत्रालय जैसे मंत्रालयों को लोकपाल की पहुंच से दूर रखा जाए, लेकिन अण्णा अपने अड़ियल रुख पर कायम रहे थे और उन्होंने लोगों को अपनी मांग को दोहराने के लिए सम्मोहित कर दिया था।

अन्ना को मिला पाकिस्तान से न्योता
जिन मुद्दों पर भाजपा को आपत्ति थी, वे इसी लोकपाल का शोषण करने के प्रमुख औजार थे। इस बीच अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर सलाह दे डाली कि लोकपाल आंदोलन को चलने दिया जाए। भारत के इस कथित भ्रष्टाचार रोधी आंदोलन में अमेरिका की क्या रुचि हो सकती थी? उस समय अमेरिका, भारत में रिटेल बाजार पर कब्जा करने की कोशिशों में लगा था और वहां से वाल मार्ट को यहां स्थापित करना चाहता था।

अमेरिका के इन प्रयासों को राष्ट्रवादियों से तीव्र विरोधों का सामना करना पड़ रहा था। उसका सोचना था क‍ि लोकपाल को सत्ता में लाया जाए तब टीम अण्णा की सहानुभूति या फिर भ्रष्ट लोकपाल के जरिए अमेरिकी अपना काम करवा सकते हैं और अण्णा की मदद से जनसामान्य को अपने पक्ष में करने का सफल प्रयोग भी कर सकते हैं।

इस बीच पाकिस्तान ने भी अण्णा हजारे को पाकिस्तान आने का निमंत्रण दिया लेकिन एक राजनीतिक दल शिवसेना ने उन्हें चेतावनी दी और कहा कि वे पाकिस्तान ना जाएं और ना ही पाकिस्तानियों को भारत के भ्रष्टाचार की कहानियां सुनाएं। शायद आईएसआई का मानना था कि अण्णा के लोकपाल का दुरुपयोग करके एजेंसी भारत की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों का पता लगा सकती थी। इसके अलावा, टीम अण्णा के पक्ष में एक बात यह भी थी कि उनकी टीम में कुछ ऐसे तत्व और राजनीतिज्ञ भी शामिल हैं जो क‍ि भारत विरोधी मानसिकता रखते हैं। इस बात का खुलासा मैं नीचे कर रही हूं।

अरविन्द केजरीवाल की हकीकत
एक लम्बे समय तक गैर-राजनीतिक होने का ड्रामा करने और विरोध प्रदर्शन करने के बाद आधुनिक युग के गांधी, अण्णा के सेकंड इन कमांड, अरविंद केजरीवाल ने अंतत: एक राजनीतिक पार्टी-आम आदमी पार्टी या आप) बना ली। हालांकि भारत का मीडिया धार्मिक नेता और योगी स्वामी रामदेव का कटु आलोचक रहा है, लेकिन उसने आप की आलोचना नहीं की। अपनी छवि को बरकरार रखने के लिए अण्णा ने केजरीवाल की नाममात्र की आलोचना की। अपने फैन क्लब की मदद से केजरीवाल ने चुनाव लड़ा और उन्हें इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) की भी खूब मदद मिली।
केजरीवाल ने राहुल गांधी की तरह से एक नाटकीय शैली में प्रचार किया और लोकप्रियता हासिल करने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए। उन्होंने भारतीयों की मानसिकता समझते हुए लोगों को फ्री पानी, बिजली देने के वादे भी किए। बाद में यह सब झूठ साबित हुआ, लेकिन मीडिया ने भी उनके इन झूठों को फैलाने में मदद की और केजरीवाल दिल्लीकी 70 सीटों में से 28 पर जीतने में कामयाब हो गए।
तीन अन्य राज्यों के अलावा दिल्ली में भी भाजपा ने 32 सीटें जीतीं। जिन सीटों के लिए चारों राज्यों में चुनाव हुए थे उनके 80 फीसदी भाग पर भाजपा ने जीत हासिल की थी, लेकिन आप की इस उपलब्धि को भारतीय और पाकिस्तानी मीडिया ने सराहा। पाकिस्तान के दैनिक डॉन ने अपने फ्रंट पेज पर लिखा कि आप ने दिल्ली में चुनाव जीता, जबकि सच्चाई यह थी कि आप के मुकाबले भाजपा आगे थी।

आप के लिए पाकिस्तान से सर्वाधिक ऑनलाइन चंदा क्यों?
पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में आप की जीत का जश्न मनाया गया और विशेष रूप से पाक प्रशासित कश्मीर के हिस्सों में। यह भी जान लीजिए कि दिल्ली चुनावों के लिए पाकिस्तानियों ने आप को बड़े पैमाने पर ऑनलाइन चंदा दिया। केजरीवाल पाकिस्तान में, पाकिस्तान मीडिया में, राजनीतिज्ञों और जनता में प्रसिद्धि हासिल कर रहे थे, लेकिन इन बातों के कोई स्पष्ट कारण नहीं थे। खुली आंखों और दिमाग से देखने पर भी आप इसका दूर-दूर तक कोई कारण नहीं पा सकते हैं, लेकिन यह सब हुआ तो इसका कोई ना कोई कारण तो रहा ही होगा?
भाजपा ने हमेशा ही विरोध करने और कभी किसी चीज का परीक्षण न करने वाली ‘आप’ को उसकी सरकार चलाने की क्षमताओं को परखने का मौका दिया। इस परिणाम स्पष्ट था कि एक झूठ को आप हमेशा के लिए बरकरार नहीं रखा जा सकता है। ठीक वैसे ही जैसे कि केजरीवाल अपना यह झूठ हमेशा नहीं छिपा सके कि वे आयकर आयुक्त थे। वे अपनी तथाकथित जादुई क्षमताओं से लोगों को यह विश्वास दिलाते रहे, लेकिन जनता को मूर्ख नहीं बना सके। अपने चुनाव चिन्ह (झाड़ू) को हाथ में लेकर आप के सदस्यों ने सजे ऑटो रिक्शों से कार्यालय जाना शुरू कर दिया। यह दो दिन चला लेकिन बाद में उन्होंने लक्जरी कारों का आदेश दिया।
कुछेक दिनों तक उन्होंने आम जीवन शैली अपनाई गई और इसके बाद वे सरकारी फंड आदि से महंगे विलाज (देहाती बंगले) बुक करने लगे। जिस जनता को आप की झाड़ू ने 24 घंटे सातों दिन बिजली मिलने का बादा किया था, वह पूरी तरह से अंधेरे में बदल गया। इस तरह के दोहरे आचरण की ऐसी बहुत-सी कहानियां हैं जो कि आप के छोटे से कार्यकाल में उजागर हुईं और इन्हें मात्र एक लेख में नहीं लिखा जा सकता है।
इन सारी बातों के बावजूद ईमानदारी के प्रतीक अण्णा हजारे ने केजरीवाल की अक्षम सरकार की कभी आलोचना नहीं की। इस मामले में केजरीवाल खुद अण्णा से बड़े उदाहरण हैं। उन्होंने उसी भ्रष्ट पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई जिसका वे विरोध करते रहने का नाटक करते रहे। जब केजरीवाल ने महसूस किया कि अगर वे अपने पद को नहीं छोड़ते हैं तो जनता को उनकी असली क्षमताओं का पता लग जाएगा। इस तरह वे आगामी आम चुनावों में कोई बड़ा उलटफेर करने का मौका भी खो सकते हैं।

केजरीवाल के लिए क्या कहा था नवाज शरीफ ने 
अपनी खामियों के बावजूद पाकिस्तान में केजरीवाल की प्रशंसा की जाती रही है। पिछले ही माह, पाकिस्तान के विभिन्न मीडिया ग्रुपों के पत्रकारों के एक दल ने केजरीवाल का साक्षात्कार लिया। ना केवल पाकिस्तानी मीडिया से जुड़े लोगों ने वरन पाकिस्तानी नेतृत्व और इसके अलावा प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि भारत के साथ कश्मीर मामले को सुलझाने में केजरीवाल सहायक होंगे।

अब भारतीयों को इस बात पर आश्चर्य करना चाहिए कि पाकिस्तानी मीडिया, राजनीति और एजेंसियों का एक छोटे से राज्य के असफल मुख्यमंत्री और तथाकथित भ्रष्टाचार विरोधी अगुवा का कश्मीर के मुद्‍दे से क्या लेना देना हो सकता है? भारत के किसी भी सच्चे भ्रष्टाचार विरोधी धर्मयोद्धा से पाकिस्तान के खुश होने का कोई कारण नहीं है क्योंकि इससे भारत को लाभ होगा और वह शक्तिशाली होगा जो कि पाकिस्तान निश्चित तौर पर चाहता ही नहीं है।

पाकिस्तान नहीं चाहता है कि भारत एक सुरक्षित, प्रगतिशील, सुशासित और विकसित देश बने लेकिन पाकिस्तान केजरीवाल को पसंद करता है। सच्चाई तो यह है कि पाकिस्तान हमेशा ही ऐसे भारत के ऐसे नकली भ्रष्टाचार विरोधी धर्मयोद्धा को चाहेगा जोकि पद पर कब्जा कर ले और डॉ. स्वामी जैसे असली भ्रष्टाचार विरोधियों को रोक सके।

पाकिस्तान के केजरीवाल प्रेम का कारण
केजरीवाल और आप के लिए पाकिस्तान के प्यार का प्रमुख कारण कश्मीर पर उनका भारत विरोधी रवैया है। अब तक आप के कम से कम तीन विधायकों ने कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक बयान दिए हैं। इन बयानों में कहा गया कि अलगाववादियों के गढ़ों में जनमत संग्रह कराया जाए, कश्मीर पाकिस्तान को दे दिया जाए, कश्मीर को मुक्त कर दिया जाए, कश्मीर में भारतीय सेना की कथित ज्यादितियों की कहानियां सुनाई जाएं, और कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों को निर्दोष लड़कों का सर्टीफिकेट दिया जाए।

इस मामले में प्रमुख भूमिका एक प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण द्वारा निभाई जाती है। केजरीवाल ने इन लोगों को कभी भी पार्टी से नहीं हटाया, ना ही इनके खिलाफ कोई बात की लेकिन उन्होंने आप नेताओं के राष्ट्रविरोधी बयानों का विरोध करने वाले राष्ट्रवादी विरोधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। केजरीवाल ने उन राष्ट्रवादी ‘आतंकवादियों’ के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों का मामला दायर कराया, जिन्होंने आप कार्यालय के एक फूलदान को तोड़ दिया था। केजरीवाल अपने बारे में एक शब्द बोले बिना ही इन सारी बातों के पीछे के मास्टरमाइंड हैं।

आईएसआई की योजना केजरीवाल जैसों के जरिए भारत को बांटने की है
भारत को विभाजित करने के लिए आईएसआई वही राजनीतिक खेल खेलना चाहती है जोकि सीआईए ने पूर्व संयुक्त सोवियत संघ गणराज्य (यूएसऐसआर) के खिलाफ की थी। आईएसआईदिल्ली में अपने प्रवक्ता बैठाना चाहती है जो कि पाकिस्तान के हितों को आगे बढ़ाने का काम करें और कश्मीर पर पाकिस्तानी दुष्प्रचार को लाभ मिलेगा। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को बेहद शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा अगर भारत के निर्वाचित राजनीतिज्ञ ही पाकिस्तानी हितों की बात करें और पाकिस्तान ही यही चाहता है।

दिनोदिन आप की ताकत पाकिस्तान से मिलने वाले समर्थन पर बढ़ रही है। साथ ही, आप ऐसे सभी लोगों को इकट्‍ठा कर रही है जो कि विदेशी नीतियों के मामले में भारत की स्थिति को कमजोर करें।
भारत विरोधी लोग शामिल हो रहे हैं अरविंद केजरीवाल की पार्टी में 
आप में हाल ही में शा‍‍म‍िल होने वाले राजमोहन गांधी हैं। वे महात्मा गांधी के पोते हैं लेकिन राजमोहन गांधी वही आदमी हैं जिन्होंने अमेरिका में एक आईएसआई एजेंट और लॉबीइस्ट मोहम्मद गुलाम नबी फई को रिहा करने के लिए प्रचार अभियान चलाया।

फई वही व्यक्ति है जो कश्मीरी अमेरिकन सेंटर्स के जरिए कश्मीर को अस्थिर करने के पाकिस्तानी योजनाओं को चलाता रहा है। इसके अलावा आप के कई सदस्य ऐसे हैं, जिन्होंने संसद पर हमला करने वाले आतंकी मोहम्मद अफजल गुरु के पक्ष में प्रचार किया था।

इसके अलावा, चंडीगढ़ का एक आप नेता हरबीर सिंह नैन है जोकि एक भारतीय समाचारपत्र की जोनल एडीटर का पति है। हरबीर एक कनाडाई पत्रकार का सहयोगी रहा है जो कि भारत के एक सामाजिक नेता और पंजाब पुलिस की छवि खराब करने में लगा था। उसके इस प्रयास को छिपी हुई साइबर टीम के एक सदस्य ने निष्फल किया था जो कि इस गुट का समय आने पर भडाफोड़ करने के प्रयास में लगा है और तब तक यह चुप बैठा है। आप ऐसे लोगों द्रोही तत्वों को शरण दे रहा है जोकि पाकिस्तान चाहता है।
पाकिस्‍तान की शह पर केजरीवाल चुनते हैं अपना निशाना
आप को पाकिस्तान के समर्थन का एक कारण यह है कि यह पार्टी मुल्ला-मौलवियों को लेकर पार्टी हमेशा ही एक आंख से देखता है। आप को अपनी विशिष्ट रूप से बनी ईमानदारी पर इतना भरोसा है कि वह एक बेईमान आदमी की कट्‍टर विरोधी है, लेकिन उसको मदद दे रहे दूसरे बेईमान आदमी को समर्थन देती है क्योंकि वह पहले का विरोधी है और दूसरा आप को पैसा देता है। इस कारण से आप कुछ चुने हुए उद्यमियों को अपना निशाना बनाती है और यह उसके विरोधियों की शह पर किया जाता है, लेकिन जो बेईमान या भ्रष्ट उन्हें मदद देने लग जाता है, पार्टी उसे तुरंत ही ईमानदार होने का सर्टिफिकेट दे देती है।

अपनी इसी रणनीति के तहत आप ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ एक आरोप पत्र तैयार किया, लेकिन चुनाव बाद के समझौते के तहत इस दस्तावेज को साइट से ही हटा दिया। मुल्लाओं के बड़े भ्रष्टाचार को लेकर आप ने हमेशा ही एक नीति बना रखी है। इमाम बुखारी ने लाखों रुपए के बिजली के बिल नहीं चुकाए हैं, लेकिन यह भ्रष्टाचार आप की परिभाषा में नहीं आता है।

आप नेता इस्लामिक इंडिया सेंटर में भाषण देते हैं कि ‘साम्प्रदायिकता भ्रष्टाचार से भी बदतर है’ और जैसे ही वे दंगा कराने वाले और अपराधों के लिए सजा पाए मु्ल्ला तौकीर के सम्पर्क में आते हैं, तुरंत ही धर्मनिरपेक्ष हो जाते हैं। आप के इस सम्मोहन का आईएसआई लाभ उठा सकती है और वे भारत के दुश्मनों को सबसे बड़ा देशभक्त करार दे सकते हैं और इससे बड़ा दु:स्वप्न भारत के लिए और कोई नहीं हो सकता है।

उनका भ्रष्टाचार विरोधी अभियान प्रसिद्धि में आने का एक बहाना था और अगर आप स्थिति को ठीक-ठीक तरह से देख पाते हों तो आप देखेंगे कि भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए केजरीवाल और उनकी टीम ने कुछ भी नहीं किया है। उनसे ज्यादा डॉ. स्वामी ने किया लेकिन अण्णा और उनकी टीम ने डॉ. स्वामी के अच्छे काम पर भी ग्रहण लगाने का काम किया।

अण्णा हजारे का शोषण और जमात के भारत विरोधी उद्देश्य
क्या अण्णा का शोषण किया गया? क्या ऐसा है कि निर्दोष अण्णा को पता ही नहीं था कि उन्हें केजरीवाल द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है? नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं क्यों अगर केजरीवाल नेहरू हैं तो अण्णा गांधी हैं। अण्णा एक दूसरे ही मोर्चे पर वास्तविक खिलाड़ियों के लिए युद्ध कर रहे थे।

पाकिस्तान के राजनीतिक एजेंटों का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि भारतीय चुनावों में बाधा डाली जाए और भारत के प्रधान मंत्री पद के सबसे बड़े प्रत्याशी, नरेन्द्र मोदी, को प्रधानमंत्री बनने से रोका जाए। इसलिए जो कोई मोदी के खिलाफ खड़ा दिखता है वे उसे अपना सर्टिफिकेट देने के लिए पहुंच जाते हैं।
ममता बनर्जी का बांग्‍लोदशी जेहादी समूह से सांठगांठ!
केजरीवाल के स्पष्ट और शर्मनाक प्रदर्शन के बाद अण्णा उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार होने का सर्टिफिकेट नहीं दे सकते थे। अण्णा ममता के पास कोलकाता पहुंच गए और वह भी तब जब दो दिन पहले ही ममता और बांग्लादेशी जिहादी गुट जमात-ए-इस्लामी के बीच साठगांठ उजागर हो गई थी। जमात एक ऐसा संगठन है जिसके जरिए ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान के बाद बांग्लादेश के तालिबानीकरण का सपना देखा था।

जमात की नीतियों के भारत विरोधी उद्देश्य हैं और जमात के साथ ममता के संबंधों का खुलासा हो गया है। लगातार आतंकवादी गतिविधियों के चलते यहां के मूल निवासियों को भगा दिया गया है और बंगाल के सीमावर्ती जिलों में जमातियों के गढ़ बन गए हैं। बड़ी संख्या में वोटरों के वादे पर बंगाल की सीमा बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए खुली हुई है और पाकिस्तान के आतंकवादी बांग्लादेशी सीमा से घुसपैठ करते हैं क्योंकि भारत और पाकिस्तान की सीमा पूरी तरह से बंद है।

क्या आप इसे मात्र एक संयोग कह सकते हैं तो आप से पूछा जाना चाहिए कि अण्णा ने ममता को अपना सर्टिफिकेट क्यों दिया? वह भी तब जबकि दोनों ने एक दूसरे से एक दो बार भी एक दो शब्द नहीं कहे हों? वे कहते हैं कि ममता विकास और पारदर्शी शासन चला रही हैं तभी तो टीएमसी के नेताओं ने सबसे बड़ा चिटफंड घोटाला कर डाला है। टीएमसी और माओवादियों कम्युनिस्ट नेताओं का भंडाफोड़ 13 फरबरी, 2011 को भी हुआ था जबकि दोनों ने मिलकर आसनसोल में मिलकर ‘फ्री कश्मीर’ कार्यक्रम चलाया था।

जैसे अण्णा और केजरीवाल का पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है, वैसे भी ममता का कोई लेना देना नहीं है। उनके राज्य की सीमाएं पाकिस्तान से नहीं लगतीं, उनके मामलों का पाक से कोई संबंध नहीं है, लेकिन फिर भी उन्हें पाकिस्तान बुलाया गया था। क्योंकि राजनीतिक एजेंटों के लिए दूतावास मिलने-जुलने के स्थान होते हैं। इस तरह की नीतियां सरकारी दौरों के दौरान बनती हैं और इनके बारे में दूतावासों में तय होता है।

नीतीश की मंशा पर भी सवाल
अगर ये नेता भारत के पाकिस्तानी दूतावास में मिलते हैं तो वे लोगों के सामने नंगे हो जाएंगे। लोग उनसे पूछेंगे कि व भारत के राज्यों को चलाने के लिए पाकिस्तानियों के साथ दूतावास में क्यों मिलते हैं? इन लोगों को अपना ‘काम’ भली-भांति करने देने के लिए सामरिक बातचीत और योजनाएं महत्वपूर्ण होती हैं, इस कारण से पाकिस्तान इन नेताओं को सरकारी तौर पर बुलाता है और उन्हें पाकिस्तान का दौरा करने का बहाना मिल जाता है। कर्नल आरएसएन सिंह नामक रॉ एजेंट ने ‘इंडिया बिहाइंड द लेंस’ मीडिया ग्रुप द्वारा एक समिट में नीतीश कुमार के ऐसे दौरे की मंशा पर प्रश्न उठाए थे।

उन्होंने अप्रत्यक्ष से इस बैठक का परिणाम यह बताया था कि इंडियन मुजाहिदीन यूपी से बिहार में सक्रिय हो गया। इस संबंध में एक और तथ्य महत्वपूर्ण है कि बिहार का किशनगंज जिला बांग्लादेशी घुसपैठियों का गढ़ बन गया है, जिनकी भारत के विभिन्न राज्यों में संख्या करीब 5-6 करोड़ है।

आरएसएन सिंह ने जो बाद नहीं कही है वह यह है कि मीटिंग के दौरान इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि रिंकल कुमारी के साथ न्याय का मामला न उठाया जाए, पाकिस्तानी हिंदुओं के मामले को न उठाया जाए। लेकिन पाक में नीतीश कुमार ने सिर्फ मोहाजिर प्रतिनिधियों से ही बात की जिन्होंने 1947 में सिंध के हिंदुओं को उनके घरों से बाहर भगाया था। इस बैठक का मूल उद्देश्य था कि 2014 के आम चुनावों में नरेन्द्र मोदी के अवसर को किस तरह खत्म किया जाए।

भारतीय नागरिकों को लेखिका का सुझाव : 
भारतीयों के लिए मेरा एक चुनावी सुझाव है कि आप किसी भी बड़ी से बड़ी हस्ती को न देखें। इस बात पर गौर न करें कि नेता आईआईटी से निकला है या नहीं। एक आईआईटीयन कोई सुपरमैन नहीं होता कि क्योंकि हर साल हजारों की संख्या में ऐसे लोग पास होकर बाहर निकलते हैं। इसकी बजाय आप इस बात पर ध्यान दें कि इन नेताओं की घोषणाएं और उनके कार्यक्रम से क्या आप और आपके देश को कोई लाभ होने वाला है। आप उनके वादों पर ध्यान न दें वरन उनके प्रदर्शन पर ध्यान दें।

पेज थ्री की हस्तियों के चक्कर में ना पड़ें क्योंकि वे सब कुछ पैसों के लिए करते हैं, उनके चयन विज्ञापन सौदों के साथ बदलता रहता है और वे कॉस्मेटिक्स से स्नैक्स तक से लाभ कमाते हैं और अंत में इस बात को ध्यान में रखें कि राजनीतिक एजेंट किसी भी तरह के हो सकते हैं, ‘जिन्हें देश की फिक्र है’ जैसी बात वे वर्ष भर नहीं करते हैं। वे एक टीवी शो के लिए एक महीने में एकाएक अवतरित नहीं होते हैं। जिन लोगों को देश की चिंता होती है वे मीडिया पर ध्यान दिए बिना ही एक दशक तक अपना काम करते रहते हैं। आखिर वोट आपका है और आपको अपने दिमाग का इस्तेमाल करना है। बस यही शुभकामना है!
नोट: (आमना शाहवानी का यह लेख मूल रूप से अफगानिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक ‘अफगानिस्तान टाइम्स में प्रकाशित हुआ था। चार मार्च को इसे पाकिस्तान में लेखक, प्रकाशक की अनुमति से दोबारा प्रकाशित किया गया था। लेखिका एक बलूच विश्लेषक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। पेशे से वे एक कूट लेखन (क्रिप्टोग्राफी) का काम करती हैं)

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...