Wednesday, February 26, 2014

नरेंद्र मोदी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा कोई है तो वह भाजपा के बड़े नेता ही हैं

संघ से जुड़े एक पदाधिकारी ने मुझे करीब एक महीने पहले कहा था कि नरेंद्र मोदी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा कोई है तो वह भाजपा के बड़े नेता ही हैं। उन्‍होंने दिल्‍ली के सिर्फ दो नेताओं के नाम बताए हैं, जो प्रो मोदी हैं, अन्‍यथा सभी मोदी के खिलाफ गिरोहबंदी कर रहे हैं। पिछले एक सप्‍ताह के घटनाक्रम ने यह दर्शा दिया है कि मोदी को रोकने के लिए भाजपा के बड़े से बड़े नेता किस तरह से सक्रिय हो चुके हैं। कुछ उदाहरण देता हूं---

1) जिस सोनिया गांधी को रोकने के लिए सुषमा स्‍वराज ने कभी सिर मुंडवाने तक का वचन ले लिया था, उसी सोनिया को सुषमा ने संसद में गिरमामयी बता डाला।

2) जिस सुशील कुमार शिंदे ने हिंदुओं को आतंकवादी और आरएसएस व भाजपा को हिंदू आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप चलाने वाला कहा था, सुषमा स्‍वराज ने उन्‍हें संसद के समापन सत्र में शराफत की मिसाल घोषित कर दिया।

3) भाजप अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह ने मुस्लिमों के समक्ष माफी मांग कर एक तरह से यह स्‍वीकार कर लिया कि उनकी पार्टी पहले मुसलमानों के खिलाफ काम करती रही है। सुप्रीम कोर्ट व फास्‍ट ट्रैक कोर्ट द्वारा निर्दोष साबित नरेंद्र मोदी को खुद राजनाथ सिंह ने सवालों के घेरे में डाल दिया है।

4) बिहार भाजपा में बगावत है, लेकिन भाजपा के बड़े नेता नरेंद्र मोदी को सांप्रदायिक कहने वाले रामविलास पासवान से गठबंधन करने पर तुले हैं। बिहार भाजपा का मनोबल टूट रहा है।



मैं हिन्दुत्व का समर्थक हूँ बीजेपी की विचारधारा भी हिन्दुत्व से कुछ हद तक मिलती है इसीलिए बीजेपी से कुछ हद तक लगाव है ! इसलिए बीजेपी और उसके नेताओं को लतेड़ना भी हमारा नैतिक अधिकार है , क्योंकि हम समर्थक हैं ... नौकर नहीं .... इसीलिए ये पोस्ट लिख रहा हूँ ॥ अगर किसी भाजपाई को बुरा लगे तो मैं कुछ नहीं कर सकता ...

श्री राजनाथ सिंह जी आपकी भाजपा पार्टी को मीडिया द्वारा सांप्रदायिक और हिंदुवादी पार्टी कहा जाता है !
कई मुद्दों पर बीजेपी ने हिंदुओं की सहायता भी की है ... लेकिन आपने आज जो माफी मांगने का बयान दिया है वो कुछ नहीं बस एक लोटे मे रखा हुआ रायता था जिसे आपने लात मार के फैला दिया !!

क्या आपने कभी अकबरुद्दीन ओवेसि को माफी मांगते हुए देखा है ?? क्या आपने कभी बुखारी को हिंदुओं की हत्या करने के लिए माफी मांगते हुए देखा है ?? क्या कभी तौकिर रजा ने हिन्दुओ के नरसंहार के लिए माफी मांगी ?? क्या कभी शफीकुर्रहमान बर्क ने वंदे मातरम का अपमान करने के बाद भारत की जनता से माफी मांगी ?? क्या मदनी ने माफी मांगी ??

अगर इन लोगों ने माफी नहीं मांगी तो आपने क्यों अपने घुटने टेक दिये ??

लेकिन ऐसा क्या हो गया की आपको बिना किसी कारण के ही सर झुकाना पड़ गया ??

राजनाथ जी मुझे भी पता है आप लोगों को मुसलमानों के वोट चाहिए लेकिन इसका मतलब ये नहीं की आप शिंदे जी की तरह बेमतलब की बयानबाजी करते फिरो !!

मैं तो राजनीति मे एक डेढ़ फुटिया हूँ लेकिन फिर भी मेरे पाव किलो के दिमाग मे एक बात आई है की आपके इस बयान ने भाजपा और मोदी जी के ऊपर शक की लकीरें और गहरी कर दी हैं !! और मुस्लिम समाज अब सोच मे पड़ गया है की कहीं 2002 के गुजरात दंगे भाजपा प्रायोजित ही तो नहीं थे ?? और कहीं जो भी हुआ वो मोदी के निर्देश के कारण तो नहीं हुआ ??

Tuesday, February 25, 2014

अरविंद केजरीवाल से गंभीर सवाल !!

अरविंद केजरीवाल से गंभीर सवाल !!

क्या अरविंद केजरीवाल CIA के एजेंट है ?

CIA ने Ford Foundation को फंडिंग की.
CIA अपनी वित्तीय संस्था In-Q-Tel के जरिये Ford Foundation को पैसे पहुचाती रही है.

Ford की एजेंट शिमरित ली "कबीर" के लिए काम करती थी.
"कबीर" केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का NGO है.

शिमरित ली 2010 में 4 महीने तक दिल्ली में रही.
इस दौरान वो "कबीर" के लिए काम करती थी और कबीर के लिए आगामी एजेंडा तैयार किया.
मोहल्ला सभा इसी ब्लू प्रिंट की देन.
केजरीवाल के "स्वराज" के पीछे शिमरित ली की रिपोर्ट.

Ford Foundation ने 2007 से 2010 तक "कबीर" को 86 लाख रुपये दिए.
लेकिन सन 2010 में "कबीर" को 1000 करोड़ रुपये मिले.
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CIA एक अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी है जो दुनिया भर में सियासी दखलंदाजी के लिए बदनाम है.
दुनियाभर में कई सरकारों को गिराने का आरोप.
विरोधी सरकारों को गिराने के लिए CIA का इस्तेमाल करता है अमेरिका.
शिमरित ली इससे पहले अरब देशों के आन्दोलन में भी सक्रिय रही.
तहरीर चौक में शिमरित ली की अहम् भूमिका रही.
और वही हालात CIA भारत में लाना चाहती है.
सबूत- http://www.youtube.com/watch?v=evEYCyntlNs
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क्या इस बारे में जांच नहीं होनी चाहिए ?
क्या यह मुद्दा जरुरी नहीं ??
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राजमोहन गांधी

अमर उजाला से जुड़े पत्रकार दयाशंकर शुक्ल 'सागर' के फेसबुक वॉल से.

राजमोहन गांधी का भारत की नई राजनीति में स्वागत है। मैं उन्हें उतना नहीं जानता जितना उनके पिता देवदास गांधी को जानता हूं। यह भी जानता हूं कि राजमोहन गांधी बहुत प्रेम करने वाले दंपति की संतान हैं। केजरीवाल को जब उन्हें टोपी पहनाते देखा तो देवदास गांधी की प्रेम‌कथा याद आ गई। बहुत दिलचस्प है। और शायद बहुत कम लोगों को पता हो। ये वो दिन थे जब देश में भगत सिंह और उनके साथियों की फांसी को लेकर तनाव चल रहा था।

बापू अपने छोटे बेटे देवदास और राजा राजगोपालाचारी अपनी छोटी बेटी लक्ष्मी के प्रेम को लेकर चिंतित थे। एक गुजराती वैश्य और दूसरी मद्रासी ब्राह्मण। इस अंतरजातीय विवाह के लिए न गांधीजी तैयार थे और न राजाजी। इस मोर्चे पर भी बापू की लड़ाई जारी थी। उन दिनों गांधी के संग रह रही मीरा ने अपनी डायरी में लिखा- ‘एक तरफ यह महान राजनीतिक नाटक चल रहा था तब एक शांत और गंभीर प्रणय व्यापार भी परदे के पीछे चल रहा था।’

बहुत विचार के बाद तय हुआ कि दोनों के प्रेम की स्थिरता की परीक्षा ली जाए। उपाय ये निकला कि दोनों पांच साल अलग रहें। प्रेम होगा तो जिंदा रहेगा। सिर्फ शारीरिक आकर्षण हुआ तो प्रेम समय के साथ अपने आप विदा हो जाएगा। दोनों युवा प्रेमी इस पांच साल की जुदाई के लिए राजी थे। लक्ष्मी पांच साल के लिए अपने पिता के साथ मद्रास जाने वाली थीं। इससे पहले देवदास की इच्छा थी कि वह उन्हें एक बार देख पाएं उससे बातचीत कर सके। गांधीजी और राजाजी कार्यसमिति की बैठकों में व्यस्त थे। रह गईं बा। उनके खून में अभी भी पुराने ढंग की कट्टरता मौजूद थी। लेकिन देवदास से उन्हें बहुत लगाव था। वह उनका उदास चेहरा देख नहीं सकती थीं।

मीरा ने लिखा - ‘चूंकि देवदास जानते थे कि बा को उन दोनों को अकेले में एक साथ छोड़ना पसंद नहीं होगा। इसलिए उन्हें तरकीब सूझी कि जब तक वायसराय भवन में चर्चाएं चलें तब तक दोनों बापू के खाली बरामदे में बैठें। मुझसे कहा गया कि मैं पास वाले कमरे में रहूं। और दरवाजा खुला रखा जाए। यह प्रबंध बा ने मान लिया। दोनों युवा प्रेमी एक दूसरे के आमने सामने बैठ गए। उनकी पीठें बरामदे के खंभों से लगी थीं।’

खैर जैसा कि जाहिर था ये प्रेमी युगल पांच साल इंतजार नहीं कर सकता था। आखिर में गांधी और राजगोपालचारी इन दोनों को झुकना पड़ा। उन्हें दोनों की शादी करानी पड़ी।

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तब राजमोहन गांधी मद्रास (अब चैन्‍नई) में इंडियन एक्सप्रेस के संपादक हुआ करते थे। वीपी सिंह चाहते थे कि अमेठी में राजीव गांधी के खिलाफ महात्मा गांधी के वारिस को लड़ाया जाए। वैसे सच पूछिए तो असली गांधी बनाम नकली गांधी का ये आइडिया इंडियन एक्सप्रेस के मालिक रामनाथ गोयनका जी का था। जनता दल से टिकट तय हो गया। संपादक पद से इस्तीफा देकर राजमोहन गांधी पहली बार राजनीति के पथरीले मैदान में उतरे।

आमतौर पर अमेठी का मौसम बहुत रुखा होता है। धूल, अंधड़ और गर्मी ने राजमोहन गांधी को हिला दिया था। पढ़ने लिखने वाले आदमी थे। राजनीति की जमीनी हकीकत से वह कतई नावाकिफ थे। सुबह थोड़ी देर जनसम्पर्क करते फिर शाम को थोड़ी देर के लिए वोट मांगने निकलते थे। अंधेरा होने से पहले अपने होटल के कमरे में लौट आते।

लखनऊ के इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े मेरे एक वरिष्ठ पत्रकार मित्र को हुक्म मिला था कि वह चुनाव के लिए राजमोहन गांधी को 5 लाख रुपया पहुंचा दें। जहिर है ये रुपया दिल्ली से आया था। पत्रकार मित्र अमेठी पहुंचे। राजमोहन गांधी बोले- बाकी सब तो ठीक है पर यहां एक बड़ी दिक्कत है। पत्रकार मित्र ने पूछा क्या? गांधी बोले- यहां कहीं कॉफी नहीं मिलती।

पत्रकार मित्र चौंके।

1989 के उस जमाने में इस इलाके में काफी मिलना सचमुच बहुत मुश्किल काम था। खैर उन्होंने सुल्तानपुर की मार्केट से नेस कैफे का एक डिब्बा मंगवा दिया। नेस कैफे का डिब्बा देखकर गांधीजी भड़क गए। बोले- ओ.. नो...नो.. वो सीड वाली कॉफी चा‌‌हिए। कॉफी बीन्स। हम मद्रास में वही काफी पीते हैं।

खैर लखनऊ के पत्रकार भी कम जुझारू नहीं होते। उन्होंने लखनऊ के मशहूर काफी हाउस से काफी बीन्स मंगाए। तब जाकर राजमोहन गांधी अमेठी से चुनाव लड़ पाए। और चुनाव ऐसे लड़े कि कांग्रेस विरोधी लहर में भी उनकी जमानत जब्त हो गई। राजीव गांधी ने उन्हें तब करीब दो लाख वोटों से हराया था। इसके बाद राजमोहन गांधी का राजनीति से ऐसा मोह भंग हुआ कि पूछिए मत। अब केजरीवाल उन्हें ढूंढ कर फिर लाए हैं। खुदा खैर करे।

कार्यकर्ता अधिक हैं या मीडिया के कैमरे?



आप खुद ही तय कीजिये कि कार्यकर्ता अधिक हैं या मीडिया के कैमरे अधिक हैं?? 

एक ऐसी पार्टी जिसे आधे-अधूरे राज्य में आधी-अधूरी सीटें मिली हैं... जिसका शेष भारत में कहीं कोई जनाधार नहीं है... वास्तविक कार्यकर्ताओं की संख्या कितनी है पता नहीं... 

लेकिन फिर भी उसे इतना अधिक मीडिया कवरेज कैसे मिल रहा है? जो मीडिया अपने बाप की मौत की खबर भी पैसा लेकर ही छापता-दिखाता हो... वह घंटों तक तमाम नौटंकियों, धरनों और प्रदर्शनों को इतना अधिक एयर-टाईम किसके पैसे के बल पर दे रहा है?? आखिर कौन है, जो केजरीवाल को प्रमोट करने (यानी मोदी का विरोध करवाने) के लिए इतना पैसा खर्च कर रहा है? 

Monday, February 24, 2014

टीवी के कॉमेडी शोज़ में पैसे लेकर हंसते हैं लोग?

टीवी के कॉमेडी शोज़ में पैसे लेकर हंसते हैं लोग?

BBC Hindi|Feb 19, 2014, 10:49AM IST
टीवी के कॉमेडी शोज़ में पैसे लेकर हंसते हैं लोग?
मधु पाल
मुंबई से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल', 'मैड इन इंडिया', 'कॉमेडी सर्कस' और 'वाह, वाह क्या बात है' जैसे टीवी पर आने वाले कॉमेडी शोज़ में मौजूद दर्शक बात-बात पर हँसते हैं, ठहाके लगाते हैं.
कई बार तो ऐसी-ऐसी बातों पर ये लोग हँस देते हैं जो हमें उतनी मज़ेदार ही नहीं लगतीं. ऐसे में ये सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या वाकई इन शोज़ की विषय वस्तु इतनी बेहतरीन होती है या फिर परदे के पीछे की सच्चाई कुछ और है?
प्राइम टाइम पर लगातार गूंजने वाली इस हंसी का राज़ क्या है?
(कपिल की छलांग)
आसिफ़ एक एजेंट हैं जिनका काम है टेलीविज़न के तमाम रियलिटी शोज़ और कॉमेडी शोज़ के लिए 'नकली दर्शक' लाना.
आसिफ़ कहते हैं, "हमसे दर्शक सप्लाई करने को कहा जाता है. इनमें ज़्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स, संघर्षरत मॉडल्स और स्ट्रगलर्स होते हैं. इन तमाम शोज़ में मौजूद 50 से 70 प्रतिशत दर्शक नकली होते हैं."
हर बात की हिदायत
आसिफ़ ने ये भी बताया कि इन दर्शकों को साफ़ तौर पर ताली बजाने और हँसने की हिदायत दी जाती है और कई बार तो उन्हें कुछ डायलॉग भी दे दिए जाते हैं या ऊटपटांग गतिविधियां करवाई जाती हैं.
(गुत्थी बनाम चुटकी)
आसिफ़ ने ये भी बताया कि शो में इनके बैठने की व्यवस्था कैसे की जाती है. उनके मुताबिक़, "अच्छे दिखने वाले लड़के और लड़कियों को आगे की सीट पर बैठाया जाता है. और बाक़ी लोगों को पीछे. इन लोगों की आठ से 12 घंटे की शिफ़्ट होती है लेकिन कई बार कुछ घंटों का इंतज़ार भी करना पड़ता है."
इन नकली दर्शकों को इसके लिए पैसे दिए जाते हैं. कई संघर्षरत टीवी कलाकार या मॉडल्स इन शोज़ में दर्शकों के रूप में आकर नेटवर्किंग का काम करते हैं ताकि उन्हें आगे काम मिल सके.
कई लोगों के लिए ये पैसे कमाने का ज़रिया होता है इसलिए ये लोग बार-बार अलग-अलग शोज़ में जाते रहते हैं. इन्हें टीवी की भाषा में 'रिपीट ऑडिएंस' कहा जाता है.
आसिफ़ बताते हैं कि सिर्फ़ वो ही नहीं, बल्कि उनके जैसे क़रीब हज़ार एजेंट हैं जो मुंबई में सक्रिय हैं.
हर तरह के दर्शकों की सप्लाई
आसिफ़ जैसे ही एक और एजेंट हैं अज़र जो इन टीवी शोज़ में दर्शक सप्लाई करने का काम करते हैं.
वो कहते हैं, "इन शोज़ में हर तरह के दर्शक चाहिए होते हैं. हम विदेशी लड़कियों से लेकर भारतीय दर्शक, छात्र-छात्राएं सभी को यहां भेजते हैं. पहले हम इन्हें ट्रेनिंग देते हैं ताकि शो में कोई ग़लती न हो."
अज़र ने बताया कि फ़िल्मी पार्टियों और ऐसे ही दूसरे समारोहों में इन नकली दर्शकों से ये लोग मिलते हैं और नंबरों का आदान- प्रदान करते हैं और इस तरह से ये नेटवर्क काम करता है.
कई बार इन शोज़ में देखने को मिलता है कि कोई दर्शक अचानक भीड़ से उठकर स्टेज में आता है और वहां मौजूद स्टार के साथ अजीबोग़रीब मुद्रा में डांस करने लगता है या कोई विचित्र या बेतुकी फ़रमाइश करके अपना ख़ुद का मज़ाक बनाता है.
हो सकता है कि टीवी देख रहे लोगों का इससे मनोरंजन होता हो लेकिन अज़र के मुताबिक़ दरअसल इसमें से ज़्यादातर नकली और पूर्वनियोजित होता है.
(चुटकी की चुनौती)
अज़र के मुताबिक़, "इन दर्शकों को सिखाया जाता है कि उन्हें कब हँसना है, कब रोना है, कब नाचना है और कब तालियां बजाना है. कौन बनेगा करोड़पति, तमाम कॉमेडी शोज़ और बिग बॉस जैसे शो में यही सब होता है."
इन कॉमेडी शोज़ में पिछले पांच-छह महीने से आफ़रीन दर्शक के तौर पर जा रही हैं. वो कॉलेज में पढ़ती हैं और अपनी पॉकेट मनी के लिए नकली दर्शक बनकर इन शोज़ में जाती हैं.
वो कहती हैं, "‏शुरूआत में तो मुझे मज़ा आता था, लेकिन अब मैं बोर होने लगी हूं. कई बार हमारी शिफ़्ट लंबी खिंच जाती है क्योंकि इन शोज़ में आने वाले स्टार्स अपनी लाइन भूल जाते हैं या रीटेक्स लेते हैं. एक ही लाइन को बार-बार रिहर्स करते हैं जिससे सर दर्द करने लगता है."
पैसों के बदले 'बेइज़्ज़ती'
रशीद और रेहान भी ऐसे शोज़ का नियमित हिस्सा हैं. 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' में कई बार शो के होस्ट कपिल शर्मा वहां मौजूद दर्शकों में से किसी-किसी का बड़ा मज़ाक उड़ाते हैं.
इसके पीछे क्या माज़रा है ? रशीद बताते हैं, "कोई फ़्री में भला अपनी बेइज़्ज़ती क्यों करवाएगा. जिन दर्शकों का मज़ाक उड़ाना तय होता है उन्हें बाक़ी लोगों की तुलना में ज़्यादा पैसे मिलते हैं. सब कुछ स्क्रिप्ट के हिसाब से होता है. शो में आए स्टार्स से क्या सवाल पूछने हैं, क्या बोलना है, कब ताली मारनी है सब हमें बताया जाता है."
रेहान ने बताया कि भारतीय दर्शकों को प्रति एपिसोड एक से दो हज़ार रुपये और विदेशी दर्शकों को तीन से चार हज़ार रुपये और खाना मिलता है.
सोफ़िया रूस से आई हैं. वो इन शोज़ में जाती रहती हैं. उन्होंने अपने भारतीय दोस्तों से कामचलाऊ हिंदी भी सीख ली है.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "हमें कई बार कोई बात समझ ही नहीं आती लेकिन दूसरों को हँसते देख हम भी हँसने लगते हैं. हम लोग ग्रुप बनाकर ऐसे शोज़ में जाते हैं."
तो इन शोज़ में लगातार गूंजने वाली हँसी के पीछे का राज़ है पैसा. पैसे फेंक तमाशा देख. पैसे कर देता है लोगों को हँसने पर मजबूर वर्ना लोगों को अपने आप हँसी कम ही आती है.

कुछ सरवाल अरविन्द केजरीवाल से

अरविन्द केजरीवाल यह हमेशा भूल जाते हैं कि जब आप एक ऊंगली दूसरे की ओर उठाते हैं, तो तीन ऊंगलियां अपने आप स्वयं की ओर उठ जाती हैं। आजकल उनके निशाने पर नरेन्द्र मोदी हैं। लेकिन क्या वे इन सवालों का उत्तर दे सकते है जिनकी अपेक्षा स्वच्छता और पारदर्शिता में विश्वास रखने वाला हर भारतीय करता है -
१. क्या ‘परिवर्तन’ और ‘कबीर’ नाम के एन.जी.ओ. उनके द्वारा संचालित नहीं होते हैं?
२. क्या ‘कबीर’ ने वर्ष २००५ में १७२००० डालर और वर्ष २००६ में १९७००० डालर अमेरिकी व्यवसायी फ़ोर्ड से प्राप्त नहीं किये?
३. क्या वर्ष २०१० में फ़ोर्ड से ही उन्होंने २००००० डालर नहीं वसूले?
३. क्या फ़ोर्ड एक चतुर व्यवसायी नहीं है? उसने इतने डालर केजरीवाल को क्यों दिए?
४. क्या दूसरे देशों की सरकार को अस्थिर करने और अराजकता फैलाने वाले अमेरिकी एन.जी.ओ. ‘आवाज़’ से केजरीवाल के संगठन के अन्तरंग सम्बन्ध नहीं हैं?
५. क्या लीबिया, मिस्र और सीरिया में गृहयुद्ध कराकर अराजकता के माध्यम से सत्ता परिवर्तन कराने के लिये ‘आवाज़’ जिम्मेदार नहीं है?
६. क्या अमेरिकी सरकार के इशारे पर फ़ोर्ड समेत सारे पूंजीपति ‘आवाज़’, जिसका बज़ट हिन्दुस्तान के आम बजट से
ज्यादा है, को आर्थिक मदद नहीं करते हैं?
७. क्या यहुदी-अमेरिकी खूबसूरत युवती शिमिरित ली से केजरीवाल के  संबन्ध नहीं हैं?
८. क्या शिमिरित ‘आवाज़’ और सी.आई.ए. की एजेन्ट नहीं है?
९. क्या शिमिरित ने केजरीवाल और सिसोदिया की संस्था ‘कबीर’ से जुड़कर चार महीने तक अन्ना आन्दोलन में सक्रिय योगदान नहीं किया?
१०. क्या कुख्यात अमेरिकी संस्था ‘आवाज़’ के आदेश पर शिमिरित ने मिस्र जाकर अराजक आन्दोलन के माध्यम से सत्ता परिवर्तन में हिस्सेदारी नहीं की?
११. क्या सन २००५ में कपिल सिब्बल के एजेन्ट स्वामी अग्निवेश ने सोनिया गांधी के राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का सदस्य बनवाने के लिये केजरीवाल की लाबिंग नहीं की?
१२. क्या केजरीवाल का स्थानान्तरण दिल्ली के बाहर न करने के लिये सोनिया गांधी ने सिफ़ारिश नहीं की?
१३. क्या अरविन्द केजरीवाल की बैचमेट पत्नी सुनीता केजरीवाल पिछले २० वर्षों से आयकर आयुक्त/उपायुक्त के पद पर दिल्ली में ही पदस्थापित नहीं हैं।
१४. क्या उनका स्थानान्तरण नहीं होना सोनिया गांधी की सिफ़ारिश का नतीजा नहीं है?
१५. क्या केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनते ही अपने लिये १० बीएचके का मकान पसन्द नहीं किया था?
१६. क्या उस १० बीएचके के मकान के नवीनीकरण में दिल्ली की सरकार/जनता के २० लाख रुपए खर्च नहीं हुए, जो बेकार चले गए?
१७. क्या आम आदमी के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की सुरक्षा में यूपी और दिल्ली की सरकारों ने ४९ दिनों में २ करोड़ से ज्यादा खर्च नहीं किये?
१८. क्या केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने अपने कार्यकाल के दौरान सरकारी गाड़ियों और सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं किया?
१९. क्या लालू, मुलायम, मायावती, वाड्रा, राहुल, सोनिया, चिदम्बरम, ए.राजा........ दूध के धुले हैं? यदि नहीं तो सोनिया गांधी का नाम अरविन्द की ज़ुबान पर क्यों नहीं आता?
२०. क्या कुख्यात नक्सलवादी विनायक सेन देशद्रोही नहीं है? उसपर चुप्पी का क्या रहस्य है?
२१.  कश्मीर को पाकिस्तान को देने की मांग करनेवाला शान्ति भूषण वकील क्या  पाकिस्तान का एजेन्ट नहीं है?
२२. बिजली का बिल हाफ़ करने की घोषणा के बाद ४९ दिनों के कार्यकाल में फ़ंड अवमुक्त किये बिना इस्तीफ़ा दे देना दिल्ली की जनता के साथ विश्वासघात नहीं है?
२३. क्या दिल्ली की जनता को अब बिजली का पूरा बकाया सरचार्ज के साथ के साथ नहीं देना पड़ेगा?
२४. क्या पांच सद्स्यों वाला परिवार एक दिन में कम से कम एक हज़ार लीटर पानी की खपत नहीं करता है? यदि हां, तो बीस हज़ार लीटर प्रति माह प्रति परिवार मुफ़्त पानी की घोषणा एक छलावा नहीं थी?
२५. अपनी की गई घोषणओं के क्रियान्यवन को सुनिश्चित किये बिना बहाना बनाकर त्यागपत्र दे देना, क्या जनता के साथ धोखा नहीं है?
२६. क्या यह सच नहीं है कि केजरीवाल एक भगोड़ा हैं?
२७. क्या केजरीवाल हमेशा जिम्मेदारी से भागते नहीं हैं?
२८. क्या यह सच नहीं है कि वे हमेशा दूसरों को गाली देने के अलावे कोई दूसरा काम नहीं कर सकते?
२९. क्या यह सच नहीं है कि उन्होंने भ्रष्टाचार की जननी कांग्रेस और सोनिया गांधी की मदद से दिल्ली की सत्ता हासिल की?
३०.क्या यह सच नहीं है कि उन्होंने महान सन्त अन्ना हजारे को धोखा नहीं दिया?
३१. क्या यह सत्य नहीं है कि वे सोनिया गांधी के इशारे पर नरेन्द्र मोदी की राह में रोड़े बिछा रहे हैं?
      दो हजार वर्ष पूर्व प्लेटो ने सुकरात से पूछा था कि एथेन्स का सबसे बड़ा संकट क्या है? सुकरात का उत्तर था - शब्दों का अन्धाधुन्ध प्रयोग? बोलने के लिये सिर्फ़ वाणी की आवश्यकता होती है। सत्य बोलने के लिये वाणी और विवेक, दोनों की आवश्यकता होती है।

यूपीए का नया विज्ञापन !!

यूपीए का नया विज्ञापन !!

 > सीमा पर सैनिकों के सिर कटवाए तो हमने ... लैकिन साथ में मिलकर रोया तो पूरा देश ही ! 

> करोड़ों बंगलादेशियों की घुसपैठ करवाई हो हमने... लैकिन उनके आतंक से परेशान तो है पूरा देश ही ! 

> कमर तोड़ महँगाई चाहे बढ़ाई हो हमने... लैकिन एक साथ भुगत तो रहा पूरा देश ही ! 

> एफडीआई को भले ही लेकर आये हो हम... पर लाखों लोग बेरोजगार देश की ही होंगे ! 

> चाइना घुसपैठ पर चाहे घुटने टेके हो हमने... पर सारी दुनियाँ मे थू-थू तो पूरे भारत की ही हुई न ! 

> आ आ पा की सरकार चाहे बनवाई हो हमने... पर अराजक तो पूरी की पूरी दिल्ली ही हुई न ! 

> हर पंचायत तक भ्रष्टाचार चाहे लेकर गए हो हम.. पर भ्रष्ट तो पूरी जनता ही हुई न ! 

> लाखों करोड़ के घोटाले किये तो है हमने... उसके बाद भी लोग हमको ही देंगे वोट ???? !! 

जन-जन को धुना ! सबको लगाया चूना !!

Sunday, February 23, 2014

संजय सिंह के बयान से तीन बातें ध्यान देने योग्य हैं

इन महानुभाव के बयान से तीन बातें ध्यान देने योग्य हैं--


"आप पार्टी" (आपकी आतंकवादी पार्टी) के नेता "संजय सिंह" ने कहा है कि जो अवैद्य बांग्लादेशी पाँच साल या उससे ज्यादा समय से भारत में रह रहे हैं उन्हे भारत की नागरिकता दे दी जाये।

वे तीन बाते हैं--

1. पहली तो ये कि अवैद्य बांग्लादेशी तो वोटर नहीं है फिर यह "लॉलीपोप" किसके लिए फेंकी गई है?
दरअसल यह लॉलोपोप मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए फेंकी गई है। भारत का मुसलमान देश को धर्मशाल समझता है। वह बाँग्लादेश से भागकर आने वाले बाँग्ला-मुसलमानों को यहाँ आसाम, पश्चिम बंगाल, बिहार में बसाना चाहता है (चाहे वे भारत में जाली नोटों, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवादी घटना को अंजाम शौक से दे) इसलिए खुश होकर भारत का मुसलमान AAP को वोट करेगा, चाहे देश की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा चाहे चूल्हे-भाड़ में।

2. दूसरी, बाँग्लादेश बाँग्ला मुसलमानों की उच्च जन्म दर, भयंकर निर्धनता और मजहबी कट्टरता से जूझ रहा है। ऐसे में वहाँ से भागकर आ रहे बाँग्ला मुसलमानों को भारत में बसाना भारत के रोजगार क्षेत्र, जंगल-जमीन, अर्थव्यवस्था, साम्प्रदायिकता और सुरक्षा के लिए खतरा है।

3. तीसरी, बाँग्ला मुसलमान न धार्मिक अत्याचार से पीड़ित हैं न साम्प्रदायिक हिंसा से, तो फिर वे किस आधार पर भारत में बसाये जा रहे हैं? जबकि इसके विपरीत (जैसा कि सभी जानते हैं) पाकिस्तान और बांग्ला हिन्दुओं पर धार्मिक अत्याचार हो रहे हैं, उनके साथ अमानवीय व्यवहार हो रहे हैं, उनका जबरन धर्म बदला जा रहा है, इसलिए वहाँ से पलायित हिन्दू सेक्युलरों को भारत में खतरा दिखाई पड़ते हैं। वहाँ से भागकर आ रहे हिन्दुओं को भारत में नागरिकता दिये जाने का कांग्रेस विरोध करती है और आप पार्टी इस सम्बन्ध में मौन है।

क्यूँ सभी सेक्युलर पार्टियाँ मुस्लिम वोट के लालच में अवैद्य बाँग्ला-मुसलमानों की नागरिकता की वकालात करती हैं, लेकिन पीड़ित हिन्दुओं को कहा जाता है कि वे अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों का सबूत दें?

जो हिन्दू भारत में शरणार्थी बन कर आते हैं और वैद्य रूप से गृह मन्त्रालय में नागरिकता की याचना और आवेदन करते हैं उनकी नागरिकता सम्बन्धी याचनाएँ टेबलों पर पड़ी धूल खा रही हैं लेकिन जो जेहादी मानसिकता के साथ अवैद्य रूप से आकर भारत में बस रहे और भारत के लिए हर प्रकार से खतरा बन रहे हैं, उनके अधिकारों के लिए आवाज बुलन्द की जा रही हैं।
इस देश में तिब्बतियों, वर्माइयों, पारसियों, नेपाली, भूटानी, अफगानियों, बाँग्लादेशियों के लिए तो जगह हैं, क्या पाकिस्तान-बाँग्लादेश के हमारे हिन्दू भाई-बहनों के लिए थोड़ी सी भी जगह नहीं है?

यह तो भारत के हिन्दुओं को सोचना होगा कि इस देश की राजनीति के पहियों में "धुरी" कौन है- "बहुसंख्यक हिन्दू" या मुठ्ठी भर मलेच्छों की जमात ??

Saturday, February 22, 2014

कड़िया मुंडा की सादगी: दिल्‍ली में लोकसभा और गांव जाकर कुदाल चलाते हैं

राजनेताओं की सादगी की चर्चा जब भी होती है तो आमतौर पर अरविंद केजरीवाल से शुरू होती है और मनोहर पर्रीकर (गोवा के मुख्यमंत्री), माणिक सरकार (त्रिपुरा के मुख्यमंत्री) और ममता बनर्जी (प. बंगाल की मुख्यमंत्री) तक जाकर खत्म हो जाती है। इस बीच छूट जाता है एक ऐसा नाम, जिनकी हैसियत और सादगी के आगे शायद उक्त तीनों फीके पड़ जाएं।

हम बात कर रहे हैं लोकसभा के उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा की। सात बार सांसद, चार बार केंद्रीय मंत्री और दो बार विधायक रहे कड़िया का जीवन आज के राजनेताओं के लिए एक मिसाल है। व्यक्तिगत जीवन बिल्कुल वैसा ही जैसा अब से चार दशक पहले था, जब वह पहली बार सांसद चुने गए थे; झारखंड के आदिवासियों के संसद में अकेले प्रतिनिधि। आज भी गांव आते हैं तो वैसे ही खेतों में हल-कुदाल चलाते हैं, तालाब में नहाते हैं। नक्सली हिंसा के लिए देश के सबसे खतरनाक खूंटी जिले में मामूली सुरक्षा के साथ घूमते हैं और इसका डंका भी नहीं पीटते, केजरीवाल की तरह।

कहते हैं राजनीति काजल की कोठरी है, पर कड़िया के दामन पर कोई दाग नहीं लगा। राजनीतिक जीवन में अटल-आडवाणी के नजदीकी रहे, लेकिन उनसे कदम मिलाने की कोशिश कड़िया ने कभी नहीं की। हमेशा अपनी हद में रहकर सक्रिय रहना कडिय़ा की खासियत है। उनके बाद आदिवासी अस्मिता के नाम पर राजनीति शुरू करने वाले कई राजनेता कहां से कहां पहुंच गए, पर कड़िया दौलत-शोहरत की अंधी दौड़ से दूर रहे।

प्रचार-प्रसार से मीलों दूर रहने वाले लोकसभा उपाध्यक्ष की जिंदगी में झांकने की कोशिश की है दैनिकभास्कर.कॉम ने (http://www.bhaskar.com/article-ht/c-181-1134532-NOR.html?seq=1)

Thursday, February 20, 2014

पथरी का इलाज

जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं ! (काफी लोग पान
मे डाल कर खा जाते हैं ) क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है |

मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक मात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है , इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए |

आयुर्वेदिक इलाज !
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सबसे पहले आप सोनोग्राफी करवा के पता करें की पथरी कितने साइज़ की है
| पखानबेद नाम का एक पौधा होता है ! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है ! उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! और आधा आधे या एक कप काढ़ा रोज पीएं | 15 दिन बाद सोनोग्राफी करवाइए , मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म हो जायेगी या फिर टूट कर आधी हो जायेगी और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!!

होमियोपेथी इलाज !
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अब होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर
मिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHER
TINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|
वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये|

(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतना
है ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERIS
VULGARIS ही है )

अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे
मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है |

इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो या
फिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभी
स्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|

99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो
सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महिने बाद
सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह
गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइड
इफेक्ट नहीं है |
ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसके लिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूट के निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???

इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|
प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद
सीधे जीभ पर डाल दीजिए| सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य
मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा|


Wednesday, February 19, 2014

मीडिया भ्रष्टतंत्र का हिस्सा

मीडिया भ्रष्टतंत्र का हिस्सा - वास्तव में, मीडिया लोकतंत्र का चौथा पाया बन कर भ्रष्टतंत्र में शामिल हो गया है। सच तो यह है कि आज सबसे अधिक मीडिया पर ही निगरानी की जरुरत है। क्योंकि, मीडिया जन को छोड़ कर तंत्र के हितों को साधने में ज्यादा मशगूल है ।

ब्लैकमेलिंग एजेंसी - नि:संदेह देश में बढ़ते भ्रष्टाचार का एक बड़ा कारण मीडिया का चौथा पाया बन जाना है। यह चौथा पाया सरकारों से ताक़त की हिस्सेदारी करने लग गया है। यदि कोई सरकार उसे यह सब नहीं मुहैया कराती तो वह ब्लैकमेल करने से भी नहीं चूकता।

मीडिया सरकार के साथ - मीडिया को जनता और सरकार के बीच सेतू होना था। मगर, ऐसा न हो कर चुनाव होते ही मीडिया भी जनप्रतिनिधियों के साथ अन्य तीन पायों की तरह सरकार चलाने लग जाता है।

पेड न्यूज - पेड न्यूज के चलते विज्ञापनों को न्यूज की तरह पेश किया जाता है। प्रेस परिषद् की रिपोर्ट में बड़े-बड़े अख़बार और मीडिया घरानों के नाम सामने आए हैं। राज्य सभा में दी गई जानकारी के अनुसार, हाल ही में सम्पन्न विधान सभा चुनाव के दौरान म प्र में 165, राजस्थान में 81 और दिल्ली में पेड़ न्यूज के 25 मामले दर्ज किए गए। इसी प्रकार कर्नाटक में 93 मामले दर्ज हुए थे। सन 2012 में गुजरात और पंजाब में हुए चुनावों के दौरान क्रमश:: 414 और 523 पेड़ न्यूज के मामले दर्ज हुए थे (पत्रिका 6 फर 2014) ।

हॉरिजेंटल ऑनरशिप का घालमेल -जब कोई मीडिया कम्पनी, मीडिया क्षेत्र यानि टी वी, अख़बार, रेडियो आदि में निवेश करती है तो उसे 'वर्टिकल क्रॉस मीडिया ऑनरशिप' कहते हैं। मगर, जब इसके बाहर करे तो उसे 'होरिजेंटल क्रॉस मीडिया ऑनरशिप' कहते हैं। अमेरिका तथा ज्यादातर यूरोपीय देशों में होरिजेंटल क्रॉस मीडिया ऑनरशिप पर पाबन्दी है। मगर, हमारे देश में ऐसी कोई रोक न होने से मीडिया में घालमेल का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।

जैसे 2 जी स्पेक्ट्रूम के लिए गैर-मीडिया क्षेत्रों की लॉबिंग जिस तरह उजागर हुई है, सर्व विदित है। कोयला ब्लॉक घोटाले में कुछ मीडिया कम्पनियों की भागीदारी सीधे तौर पर सामने आई है।
महाराष्ट्र में 'लोकमत ' छत्तीसगढ़ में 'हरिभूमि ' झारखण्ड में 'प्रभात खबर ' अख़बारों के खनन अथवा बिजली उत्पादन के गैर-मीडिया कारोबार हैं। कई राज्यों से प्रकाशित 'दैनिक भास्कर' के बिजली उत्पादन, खनन, रियल एस्टेट, खाद्य-तेल रिफायनिंग, कपड़ा उद्योग आदि कई गैर-मीडिया कारोबार हैं।

मीडिया मालिक राजनेता - मीडिया का सबसे बड़ा नुकसान राजनेताओं ने किया है। आज कई प्रांतीय अख़बार और न्यूज चैनलों पर राजनेताओं का मालिकाना हक़ है। मीडिया के जरिए गैर-मीडिया कारोबारों की तरह राजनीति को भी चमकाया जा रहा है।
हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा का 'इण्डिया न्यूज चैनल' , सांसद के डी सिंह का 'तहलका एवन ', राज्य के पूर्व गृह मंत्री और गीतिका कांड के आरोपी गोपाल कांडा का 'हरियाणा न्यूज ' चैनल व 'आज समाज' अख़बार, नवीन जिंदल का 'फोकस टीवी' , पंजाब में अकाली दल के नेता सुखवीर सिंह बादल का 'पीटीसी न्यूज ' चैनल, बंगाल में माकपा के अवीक दत्ता का 'आकाश बांगला ' व 24 घंटा' न्यूज चैनल हैं।
- आंध्रप्रदेश में जगमोहन रेडी का 'साक्षी टीवी, के चंद्रशेखर राव का 'टी न्यूज,' तमिलनाडु में जयललिता का 'जया टीवी' , कलानिधि मारन का 'सन टीवी,कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमार स्वामी की पत्नी अनीता कुमार स्वामी का 'कस्तूरी टीवी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला का 'न्यूज 24 ' आदि हैं।

गुणवत्ता का भयंकर अभाव - आज हमारे देश में 400 से अधिक न्यूज चैनल और 80, 000 के करीब अख़बार पंजीकृत हैं। मगर, अधिकतर न्यूज चैनलों में जो कुछ दिखाया जाता है उसका न्यूज से कोई लेना-देना नहीं होता। नाग-नागिन का नाच , भूत-प्रेत और भविष्यवाणी क्या यह सब न्यूज हैं ?

गैर-जिम्मेदार रवैया - देश के हर घपले-घोटालों को उजागर करने की जिम्मेदारी मीडिया की है । मगर, जब मिडिया ही घोटालों में गले तक डूबा हो तो फिर, उससे यह अपेक्षा कैसे हो सकती है ?

प्रेस क्लब - यहाँ पर खुले तौर पर लेन-देन होता है ।

बिकते पत्रकार -सरकार और संस्थाओं के प्रबंधन द्वारा पत्रकार कालोनी, प्लॉट/फ्लैट रिजर्वेशन, टेलीफोन/गाड़ी सुविधा, पत्रकार कल्याण कोष, मुप्त यात्रा आदि कई रास्तें दरअसल, पत्रकारों को खरीदने के लिये बनाए जाते हैं। इन सुविधाओं के चलते निजी स्तर पर पत्रकार तो प्राय: बिक ही जाते हैं।

बिकती खबरें - कोई खबर छपती है तो खबर के हिसाब से पैसा लिया जाता है। खबर नहीं छपने पर पैसा वापिस भी हो जाता है।

एकेडेमिक विशेषज्ञता की जरुरत नहीं - इस तरह की पत्रकारिता के चलते पत्रकार को पत्रकारिता में विशेषज्ञता की जरुरत नहीं होती।

ट्रांसफर-पोस्टिंग करते पत्रकार - ट्रांसफर-पोस्टिंग में पत्रकार उसी तरह लिप्त है जिस तरह नेता। असल में नेता और पत्रकार में कोई ज्यादा फर्क नहीं है। कई जगह तो दोनों में अच्छी सांठ-गांठ दिखाई देती है।

फर्जी प्रसार संख्या - सम्पादक और मालिक मिल कर अपने अखबार की फर्जी प्रसार संख्या बतलाते हैं। इस फर्जी प्रसार संख्या से पाठकों को थोड़े समय तो बेवकूफ बनाया जा सकता है। मगर, अंतत: कलई खुल जाती है।

एक पक्षीय खबरों का प्रकाशन - अधिकांश अखबारों और न्यूज चैनलों को कार्पोरेट जगत चला रहा है। कार्पोरेट हित मीडिया पर इतनी हावी है कि अधिकांश खबरें एक पक्षीय हो कर रह गई है। दूसरा पक्ष सामने आ ही नहीं पाता। अपने-अपने व्यवसायिक हितों के चलते खबरों का सत्यानाश हो गया है।

मालिकाना सम्पादकीय - पिछले कुछ वर्षों से बड़े-बड़े कार्पोरेट घरानों के मालिक मीडिया समूहों के मालिक बन गए हैं। अम्बानी, बिड़ला जैसे पूंजीपतियों ने मीडिया कम्पनियां खरीद ली है। सिर्फ पूंजीपति ही नहीं बड़े राजनेता और उनके करीबी भी कई राज्यों में मीडिया के मालिक बन गए। अधिकांश अख़बारों के सम्पादकीय उनके मालिकों की सोच ही दिखाई देती है। क्या यह कृत्य देश के नागरिको की अभिव्यक्ति की स्व्तंत्रता के मौलिक अधिकारों के लिए घातक नहीं है ?

देश हित जाए भाड़ में -अनेक अख़बार और न्यूज चैनल देश हित के मुद्दों पर उतने आधारित दिखाई नहीं देते जितने मनोरजंन और अश्लीलता पर दिखाई देते हैं। इनको भारतीय जीवन शैली और मूल्यों से कोई वास्ता दिखाई नहीं देता।

बिकाऊ सोसल मीडिया -यद्यपि सोसल मीडिया मुप्त में सूचनाएं/खबरें दे रहा है। मगर, इस पर फॉलोवर्स और 'लाइक' ख़रीदे जा रहे हैं। थोक के भाव फॉलोअर्स और लाइक खरीद कर किसी की इमेज बनाना/बिगाड़ना क्या यही सोशल मीडिया का काम है ? फ़ेक वीडिओ अपलोड कर दंगों के समय जिस तरह सनसनी और उत्तेजना फैलाई जाती है ,सोशल मीडिया का दूसरा भयानक चेहरा सामने आया है।

कारपोरेटाइजेशन - भारत में बीबीसी के पूर्व ब्यूरो चीफ मार्क तुली अपने लेख में कहते हैं कि खोजी पत्रकारिता भारत में बहुत हो रही है। लेकिन नकारात्मक पहलू यह है कि कारपोरेटाइजेशन के चलते मीडिया की विश्वनीयता में गिरावट आई है।
एडिटिंग मेनेजर के कब्जे में - मार्क तुली के अनुसार , जब वे भारत आए थे तो यहाँ बड़े-बड़े एडिटर थे, लेकिन आज ऐसा नहीं दीखता। उस ज़माने में अख़बार एडिटर के कब्जे में हुआ करता था , लेकिन आज विजापन या सर्कुलेशन मेनेजर के कब्जे में है। इसलिए जो खबरें आज प्रकाशित हो रही है या दिखाई जा रही है बह विज्ञापन या प्रबंधन के सोच के हिसाब से होती है। पाठकों का हित कहीं पीछे चला गया है। न्यूज कम हो गई है , जबकि मनोरंजन बढ़ गया है। न्यूज अगर मनोरंजक है तो प्रकाशित हो जाती है , जबकि सूचना प्रधान खबरों का प्रकाशन कम हो गया है।

सनसनीखेज मीडिया - आगे, मार्क तुली कहते हैं कि जब उन्होंने बीबीसी ज्वॉइन की थी तब वह एकमात्र न्यूज ब्राडकास्टर था। लोग बीबीसी पर भरोसा करते थे। मगर आज मीडिया इन्वेस्टिगेटिव तो है, लेकिन सनसनीखेज भी हो रहा है। खासकर टीवी चैनल छोटी-छोटी घटनाओं को बड़ा करके पेश करते हैं। न्यूज चैंनल कहते हैं कि वे डिमांड और सप्लाई के आधार पर चलेंगे, तो यह स्थिति ठीक नहीं है। मीडिया की ओर से ऐसा सुनने पर बहुत निराशा होती है

ये हैं आप के अनुसासित और ईमानदार नेता

कोई बहुत बड़ा "गेम"

निश्चित रूप से उच्च स्तर पर कोई बहुत बड़ा "गेम" चल रहा है... जिसकी भनक हम जैसे मामूली लोगों को "खेत चुग जाने" के बाद लगेगी. अहमदाबाद के RTI कार्यकर्ता बाबूभाई वाघेला ने वीरप्पा मोईली को यह चिठ्ठी उस समय लिखी थी, जब वे पेट्रोलियम मंत्री नहीं थे, और केजरीवाल अपनी नौकरी छोड़कर आंदोलनकारी बन चुके थे...

इस चिठ्ठी में स्पष्ट लिखा है कि अन्ना आंदोलन में शामिल केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को "गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय" (SFIO) में न रखा जाए. यह जाँच दल उच्च स्तर एवं अत्यधिक बड़ी राशि वाली धोखाधड़ी की जाँच करता है. वाघेला ने पत्र में लिखा है कि इस जाँच दल का हिस्सा होने के कारण सुनीता केजरीवाल के हाथों कई गंभीर, संवेदनशील एवं ख़ुफ़िया जानकारियाँ लग सकती हैं, जिन्हें वह आसानी से अपने आंदोलनकारी पति अरविन्द को मुहैया करवा सकती है. यह वही समय था, जब केजरीवाल को अनुबंध तोड़ने के एवज में नौ लाख रूपए चुकाने का नोटिस भेजा गया था, तथा वे अन्ना के साथ आंदोलन में लगे थे.

वाघेला ने कहा है कि व्यापक जनहित को देखते हुए एवं शासकीय नियमों के अनुसार सुनीता केजरीवाल को तुरंत उनके मूल विभाग में भेजा जाए. इसके बावजूद उन्हें वहीं बनाए रखा गया, बल्कि दिल्ली से बाहर भी नहीं भेजा गया. आयकर विभाग ने भी मंत्रालय को लिखा था कि विभाग में अफसरों की कमी है, इसलिए यहाँ से किसी को भी SFIO नहीं भेजा जाए...

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थोड़ा सा शान्ति से विचार कीजिए, तो आपके दिमाग के तार भी झनझना जाएँगे...

अब हम तो ठहरे "दो कौड़ी के सोशल मीडिया एक्टिविस्ट", ऐसे मामलों की गहराई से जाँच करने के लिए हमारे पास न तो पैसा है, ना संसाधन हैं और ना ही टाईम है... तथा जिन्हें यह सब करना चाहिए, वे तो चमचागिरी के रिकॉर्ड तोड़ते हुए AAP से लोकसभा का टिकट लेने की जुगाड़ में लगे हैं...

Saturday, February 15, 2014

थोड़ा लम्बा है लेकिन जरुर पढ़े

थोड़ा लम्बा है लेकिन जरुर पढ़े

एक समय की बात है, इन्द्रप्रस्थ में एक महापुरुष रहा करते थे, उनका नाम युगपुरुष था । इन्द्रप्रस्थ में अक्सर देवासुर-संग्राम चला करता था, वन्स अपॉन अ टाइम की बात है देवासुरों की प्रचंड बकलोली से त्रस्त मैंगो मानव 'त्राहि आम..त्राहि आम' करते हुए युगपुरुष के पास पहुंचे, युगपुरुष अपनी पीठ खुजाते हुए उठे, उन्होंने मैंगो मानव को देखा, उनकी दृष्टि में दुःख था, कातरता थी ।

युगपुरुष उवाचे, पर पहले खांसे- "हे मैंगो मानव ऑफ़ केला रिपब्लिक, लिसेन मी केयरफुली, अब तक इन देव और असुरों की बहुत चली अब हमें क्रान्ति करनी होगी, शोकों का शमन दुखों की शान्ति करनी होगी, हम इस करप्शन नामक बकासुर को भी उखाड़ देंगे, सेंटी मत होना हम सबको झाड़ देंगे । दुखों की बबलगम फुस्स हो गई, पब्लिक सारी खुस्स हो गई ।

एक नए तरह के युद्ध की तैयारी होने लगी, चन्दे बटोरे जाने लगे, पोस्टर चिपकाए जाने लगे, पर समस्या ये थी कि युद्ध के हथियार क्या होंगे, भ्रान्ति से क्रान्ति कैसे होगी ?

तभी अचानक बकवासवाणी हुई... "हे पुत्र केजरी,चिंता न करो, इन देवों और असुरों के सुतियापे से आम जनता को राहत पहुँचाने को हम तुम्हे हथियार प्रदान करेंगे"

युगपुरुष ख़ुशी से गुब्बारा हो गए, फूल के फुग्गारा हो, गए उनकी आँखों से आंसू बहे ऐसे कि जंतर-मंतर पर खड़े-खड़े फव्वारा हो गए ।

युगपुरुष अपनी साढ़े एक्यावन इंच की छाती फुला कर बोले- प्रभो । आप जो कोई भी हो । आपकी बातों की हम रिस्पेक्ट करते हैं, आपका चंदा हम एक्सेप्ट करते हैं, पर तनिक हथियारों की डीटेल बताइए, ऊ का है न कि वेबसाईट पर डालना पड़ता है, नही तो ये छोकरे कनपट चर लेते हैं ।

बकवासवाणी अगेन टिंटीयाई- बेटा अब हमको, छोड़ना न सिखाओ, लो आयुधों का डिस्क्रिप्शन सुनो और बैटलफील्ड में आजमाओ । "तुम्हारा पहला हथियार है झाडू, तुम इससे करप्शन झाड़ सकते हो, इसको बुहारते हुए, इन्द्रप्रस्थ की शाजियाओं को निहार सकते हो, चाहो तो कंधे पर रखकर शान बघार सकते हो, या अगले को इसके पिछले से मार सकते हो । "तुम्हारा दूसरा हथियार है टोपी, सफ़ेद टोपी. इस पर तुम कुछ भी लिख सकते हो, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी । इसे किसी भी रंग में रंग सकते हो, वक्त पड़ने पर कछुए की तरह इसके तले छिप सकते हो, ये आड़े वक्त में बहुत काम आएगी, तुमको विधानसभा तक पहुंचाएगी, जब डूबो तो इसे नाव बना सकते हो, धरने के टाइम इससे छाँव बना सकते हो, भगा दिए जाओ तो राले-गाँव बना सकते हो, इससे निकाल के चीटीं के टखने को हाथी पाँव बना सकते हो ।

"तुम्हारा तीसरा हथियार है टिविट्रास्त्र और फेसबुचक्र, अपनी वा-नर सेना को कहो कि नर से नारी हो जाएं पैजामे से साड़ी हो जाएं, फेसबुक पर पोस्ट बटोरते फिरे ऐसे कि ऑनलाइन कबाड़ी हो जाएं, मांगे वोट ट्विटर पर तुम्हारे लिए हैशटैग वाले भिखारी हो जाएं ।"

"तुम्हारा चौथा हथियार है धरना, जब मन चाहे इस्तेमाल करना जब तक ये पास है तुम किसी से न डरना, इसे आगे रखकर हर किसी से सींग तौल-तौल लड़ना |"

"तुम्हारा आख़िरी हथियार है लोकपाल, इसे हमेशा पालकर रखना इसका इस्तेमाल कभी न करना, इसे क्लाइमेक्स में यूज करना, इसकी ऑन बटन पर कभी हाथ न धरना वर्ना ये बैकफायर कर जाएगी, दूसरे के लिए है, तुम्हारी ही मरर जाएगी ।"

और "ये हथियार है कुमार विष-वास ये तुम्हारे बहुत काम आएगा..!"

युगपुरुष कन्फ्युजियाए "पर इसके बारे में तो पहले नही बताया, लोकपाल तो आख़िरी था न" "बेटा..ग्रेट पावर के साथ ग्रेट इलेक्ट्रीसिटी बिल भी आता है, ढ़ाबे की प्याज है, कॉम्प्लीमेंट्री ये विष-वास है, तुम्हारे खाने का बिल है, छिपकली की दुम और सांप के फन में विष का वास होता है, इसके सारे शरीर में विष का वास होगा, ये तुम्हारे लिए विश- कन्या साबित होगा तुम विश करोगे ये विश पूरी करेगा, जब चाहोगे राहुल बन जाएगा, कल्टी मार के दिग्विजय बन जाएगा, सबको एक ही पोयम से पकाएगा ।

प्रभु - जरूरी है इसको रखना ? या ड्यूड जैसे पौए के साथ चखना..!

ठीक है प्रभु..

"मन्नू मत बनो, ठीक है न कहो, मफलर का घूँघट ओढ़कर आशीर्वाद लो, झाड़ू प्रत्यंचा पर चढ़ाकर निशाना साध लो, अपने शत्रुओं को छांट लो, गाजर- मूली की तरह काट दो, सत्ता को झकझोर दो सबको निपोर दो"

"हओ प्रभु..!!"

समय बीता, बकलोली परवान चढ़ी, शीला जवान हुई, बुढाई और मनरेगा का जॉब कार्ड दे घर से निकाल दी गई, आठ दिसंबर को दिल्ली का रिजल्ट निकल गया, सो कॉल्ड देव और दानवों को खल गया, युगपुरुष टनटना गए, सांप की तरह फनफना गए, राक्षसों को दी झप्पी और ले-देकर राजगद्दी पर छा गए ।

खाँसी, धरने और करने-न-करने के बीच उनचास दिन बीते, मैंगो मानव मुफ्त का पानी रहे पीते, उनकी आँखों के कोर रहे रीते पर तभी दानव अपने सपोर्ट की खींचने लगे सीटें ।

कोई उनकी टोपी नोचता, कोई मफलर खींचता, वो खांसते तो सब मजाक उड़ाते, वो धरने पर हों तो सब मटर छील-छील खाते । उन्होंने ब्रम्हास्त्र इस्तेमाल किया, लोकपाल उछाल दिया, किसी को ध्यान न देना था न दिया, युगपुरुष फ्रस्टेटिया गए, बिलौंटे की तरह खिसिया गए, उनने नोचा खम्बा, मारा हाथ लम्बा, दे मारा इस्तीफ़ा, मैंगो मानव रह गया हक्का-बक्का । सब फुसफुसा रहे हैं, अनुमान लगा रहे हैं, पर युगपुरुष अपना काम कर चुके हैं, इन्द्रप्रस्थ छोड़कर इन्द्र-लोक-सभा की ओर बढ़ चुके हैं ।

Wednesday, February 12, 2014

18 वादे और हकीकत

केजरीवाल सरकार का एक महीनाः 18 वादे और हकीकत

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आज एक महीना पूरा कर रही है। अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनाने के लिए दिल्ली की जनता से 18 वादे किए थे। प्रशांत सोनी बता रहे हैं कि इन 30 दिनों में क्या है केजरीवाल के वादों की हकीकत :

1. दिल्ली सरकार का कोई भी विधायक, मंत्री या अफसर लाल बत्ती की गाड़ी नहीं लेगा, बड़े बंगले में नहीं रहेगा और अपने लिए सिक्यॉरिटी नहीं लेगा।
हकीकतः सरकार बनने के पहले ही दिन लाल बत्ती के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किया गया। मंत्रियों, अफसरों की गाड़ियों पर अब लाल, नीली बत्तियां नजर नहीं आतीं। बंगला लेने से भी इनकार किया, लेकिन छोटा सरकारी फ्लैट लेने के लिए तैयार। सीएम ने सुरक्षा लेने से मना किया है, लेकिन इसके बावजूद एक सुरक्षाकर्मी हमेशा उनके साथ रहता है। उनकी किडनैपिंग का इंटेलिजेंस इनपुट आने के बाद से पुलिस ने उनकी सुरक्षा और बढ़ा दी है।

2. भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त जनलोकपाल बिल पास किया जाएगा। कांग्रेस और बीजेपी दोनों के घोटालों की जांच की जाएगी।
हकीकतः
जनलोकपाल बिल अभी तक पास नहीं हुआ है। कहा जा रहा है कि बिल तैयार है और अगले महीने रामलीला मैदान में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर उसे पास कराया जाएगा। उससे पहले इसे कैबिनेट मीटिंग में पास किया जाएगा। कांग्रेस-बीजेपी की पूर्व सरकारों के घोटालों की जांच अभी तक शुरू नहीं हो पाई है।

3. दिल्ली में स्वराज कानून स्थापित किया जाएगा। अपने मोहल्ले, कॉलोनी और गलियों के बारे में फैसला लेने का अधिकार सीधे जनता को दिया जाएगा। दिल्ली में विधायक और पार्षद फंड बंद किया जाएगा। यह पैसा सीधे मोहल्ला सभाओं को दिया जाएगा, ताकि जनता तय करे कि सरकारी पैसा उनके इलाके में कहां और कैसे खर्च होगा।
हकीकत
: स्वराज कानून बनाने को लेकर काम चल रहा है। इसके लिए एक कमिटी बनाई गई है, जो इस बिल का ड्राफ्ट तैयार कर रही है। जल्द ही इस ड्राफ्ट को जनता के सामने रखकर उस पर जनता की राय ली जाएगी और फिर जरूरी सुधार करने के बाद इसे पास किया जाएगा। मोहल्ला सभाओं का गठन अभी नहीं हुआ है। पार्षद और विधायक फंड को लेकर भी स्थिति अभी तक क्लियर नहीं है। विभिन्न इलाकों में विकास कार्य रुके हुए हैं।

4. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की कोशिश की जाएगी।
हकीकत: पिछले हफ्ते सीएम और उनकी कैबिनेट के मंत्रियों ने 5 पुलिसवालों की बर्खास्तगी की मांग को लेकर रेल भवन पर धरना दिया था। माना जा रहा है कि इसके पीछे रणनीति दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने और दिल्ली पुलिस को सरकार के अधीन लाने की ही थी, लेकिन इस प्रोटेस्ट से केजरीवाल सरकार को कोई खास सफलता हाथ नहीं लग पाई।

5. बिजली कंपनियों का ऑडिट कराया जाएगा। दिल्ली में बिजली के बिल आधे किए जाएंगे।
हकीकत: बिजली कंपनियों के ऑडिट का आदेश दे दिया गया है और इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। उपराज्यपाल और हाई कोर्ट भी इसके लिए ग्रीन सिग्नल दे चुके हैं। सब्सिडी के जरिए बिजली के दामों में 50 फीसदी की कटौती करने की घोषणा तो की गई है, लेकिन इसका फायदा सिर्फ 400 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करने वालों को ही मिलेगा।

6. दिल्ली में तेज चल रहे बिजली के मीटरों की जांच कराई जाएगी।
हकीकत: मीटरों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। जिन इलाकों में मीटर तेज चलने या बिल ज्यादा या गलत आने की शिकायतें आएंगी, उन इलाकों में किसी थर्ड पार्टी यानी स्वतंत्र एजेंसी से 10,000 मीटरों की रैंडम जांच कराई जाएगी।

7. दिल्ली के हर घर को 700 लीटर साफ पानी प्रतिदिन मुफ्त दिया जाएगा।
हकीकत:
जिन घरों में पानी के मीटर लगे हुए हैं, उन घरों में रोज 700 लीटर पानी मुफ्त देने की घोषणा सीएम कर चुके हैं, लेकिन 701 लीटर होते ही पूरे पानी का बिल भरना पड़ेगा। जिन घरों में मीटर नहीं लगे हैं, उन्हें इसका फायदा नहीं मिलेगा। सरकार ने किसी भी कंपनी का मीटर लगाने की छूट दे दी है।

8. दिल्ली की सभी अनधिकृत कॉलोनियों को एक साल के अंदर नियमित करके इनमें तुरंत सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
हकीकत:
इस दिशा में अभी कोई खास काम नहीं हो पाया है। सरकार ने इस मसले को लेकर कुछ मीटिंग की हैं। अधिकारियों को ऐसी कॉलोनियों के नक्शे बनाने का काम तेज करने और जल्द से जल्द नक्शे पास कराने के लिए कहा गया है। हालांकि अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने में केंद्र सरकार का भी सीधा हस्तक्षेप रहता है।

9. झुग्गीवासियों को जब तक पक्के मकान नहीं दिए जाते, उनकी झुग्गियों को तोड़ा नहीं जाएगा।
हकीकत:
इधर सरकार का गठन हो रहा था, उधर रेलवे के अधिकारियों ने रातोंरात नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में रेलवे ट्रैक के किनारे बनी एक झुग्गी बस्ती तोड़ डाली। झुग्गी वालों को पहले से बनकर तैयार पक्के मकान अलॉट करने का काम भी अभी शुरू नहीं हुआ है। नए मकान बनाने की दिशा में भी अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है।

10. स्थायी और नियमित कार्यों में ठेकेदारी पर कर्मचारियों को रखने की प्रथा बंद करके सभी लोगों को नियमित किया जाएगा।
हकीकत:
दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों में काम करने वाले अस्थायी कर्मचारियों के अलग-अलग ग्रुप रोज सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अभी तक उन्हें स्थायी करने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है। सिर्फ एक कमिटी बना दी गई है, जो एक महीने में अपनी रिपोर्ट देगी।

11. वैट का सरलीकरण किया जाएगा। वैट की दरों की फिर से समीक्षा की जाएगी।
हकीकत:
वैट की दरों की समीक्षा करने या उसका सरलीकरण करने की दिशा में अभी तक कोई ठोस पहल या घोषणा नहीं की गई है।

12. दिल्ली में किराना में एफडीआई नहीं आने दिया जाएगा।
हकीकत:
पिछली सरकार ने किराना में एफडीआई की जो इजाजत दी थी, उसे वापस लेते हुए केजरीवाल ने पिछली सरकार के फैसले को पलट दिया है और घोषणा की है कि किराना में एफडीआई को नहीं लाने दिया जाएगा।

13. किसानों को वो सभी सुविधाएं और सब्सिडी दी जाएंगी, जो दूसरे राज्यों के किसानों को उपलब्ध हैं। ग्राम सभा की मंजूरी के बिना किसी भी गांव की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। लाल डोरा बढ़ाया जाएगा।
हकीकत:
किसानों को सुविधाएं, सब्सिडी और गांवों के विकास के संबंध में केजरीवाल सरकार ने अभी तक कोई पहल नहीं की है।

14. सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर प्राइवेट स्कूलों से बेहतर किया जाएगा। 500 से ज्यादा नए सरकारी स्कूल खोले जाएंगे। प्राइवेट स्कूलों में डोनेशन सिस्टम बंद किया जाएगा और उनकी फीस तय करने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाएगा।
हकीकत:
अभी तो सरकारी स्कूलों की हालत और वहां शिक्षा का स्तर जस का तस है। स्कूलों की खराब हालत का पता लगाने के लिए वॉलंटियरों से सर्वे जरूर कराया गया है, लेकिन कोई नया स्कूल खोलने की घोषणा भी अब तक नहीं की गई है। 200 नए स्कूलों के लिए जमीन देख ली गई है। प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने की कोशिश जरूर की गई है। नर्सरी ऐडमिशन से जुड़ी शिकायतों के लिए अलग से हेल्पलाइन शुरू की गई है, लेकिन प्राइवेट स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया को लेकर अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

15. दिल्ली में नए सरकारी अस्पताल खोले जाएंगे और सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट अस्पतालों से भी बेहतर इलाज का प्रबंध किया जाएगा।
हकीकत:
अस्पतालों की हालत भी जस की तस है। कुछ अस्पतालों में बस नया रंग रोगन कराया जा रहा है, लेकिन सुविधाएं बढ़ाने के मामले में अभी तक कोई सुधार देखने को नहीं मिला है। कोई नया अस्पताल खोलने की घोषणा भी नहीं की गई है।

16. दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्पेशल महिला सुरक्षा दल बनाया जाएगा। नई अदालतें खोली जाएंगी और नए जज नियुक्त किए जाएंगे, ताकि महिलाओं के उत्पीड़न के मामले में 3 से 6 महीने में सख्त सजा हो।
हकीकत:
महिला सुरक्षा दल का गठन अभी तक नहीं हो पाया है। इसके गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सिर्फ एक कमिटी बनाई गई है। 48 नई अदालतों का गठन हुआ तो है, लेकिन उसमें दिल्ली सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं था। हाई कोर्ट के निर्देश पर नई अदालतें बनाई गई हैं।

17. दिल्ली में इतनी नई अदालतें खोली जाएंगी और इतने जजों की नियुक्ति की जाएगी कि कोई भी मामला 6 महीने से एक साल के अंदर निपटाया जा सके।
हकीकत:
किसी मामले में फैसला कितने दिन में आ जाएगा, यह कानूनी प्रक्रिया पर निर्भर करता है। जहां तक नई अदालतें खोलने और नए जजों की नियुक्ति का सवाल है, तो उस दिशा में दिल्ली सरकार की तरफ से अभी तक कोई बड़ा फैसला नहीं किया गया है।

18. अन्य पार्टियां केंद्र सरकार से संबंधित मुद्दों पर आम आदमी पार्टी का साथ देंगी।
हकीकत:
सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस हो या विपक्षी बीजेपी, केंद्र सरकार से जुड़े मसलों पर दोनों ही आप की सरकार का साथ नहीं दे रहीं। रेल भवन पर हुए धरने के दौरान भी यह साफ नजर आया।

केजरीवाल के भर्ष्टाचार का घुलासा

केजरीवाल के भर्ष्टाचार का घुलासा --

केजरीवाल को लोकसभा के चुनाव लड़ने के लिए करोंड़ों रूपये की जरूरत है और केजरीवाल की लोकप्रियता मे लगातार कमी होने कारण इनको चंदा भी नहीं मिल रहा --अब इनकी कारगुजारियों के कारण कोई कोर्पोरेट सेक्टर भी इनके साथ नहीं आ रहा है --
कल केजरीवाल ने मुकेश अंबानी के खिलाफ ऍफ़ आई आर कराने की घोषणा की और पहले से सोची समझी चाल के मुताबिक आर आई एल के शेअर करीब २% गिर कर ८०५ रूपये हो गए ---इसी समय आम आदमी के इन्वेस्टरों ने आर आई एल के शेअर खरीद लिए और आज यही शेअर अभी इस पोस्ट के लिखने तक ८१९ रूपये का बिक रहा है --यानी की एक शेअर मे करीब १४ रूपये का फायदा --
सबूत आप खुद सेबी की साईट मे जा कर देख सकतें हैं - रीलाइयेंस के शेअर किसने खरीदे हैं --
केजरी बहुत चालाक है --इस शेअर खरीद भर्ष्टाचार मे इसको अंजली दामानिया और उसके पाती ने भरपूर साथ दिया है ---

केजी बेसिन घोटाले में एफआईआर दर्ज, अंबानी और मोइली का नाम नहीं!






केजी बेसिन घोटाले में एफआईआर दर्ज, अंबानी और मोइली का नाम नहीं!

Monday, February 10, 2014

असीमानंद जी का विवादास्पद इंटरव्यू छापने वाले संपादक विनोद के जोस



संघ प्रमुख मोहन जी भागवत को लेकर असीमानंद जी का विवादास्पद इंटरव्यू (?) छापने वाली पत्रिका कारवां के संपादक विनोद के जोस (वास्तविक नाम विनोद खिजाक्केपराम्बिल जोसेफ) बस्तर के जंगलों में माओवादियों के साथ |

यही है असलियत इन महाशय की |इतना ही नहीं तो श्री विनोद खिजाक्केपराम्बिल जोसेफ उर्फ़ विनोद जोस ने बड़े जोरशोर से मुहीम चलाई थी कि अफजल गुरू को फांसी नहीं दी जाना चाहिए | ज़रा उनके तर्क देखिये | फांसी इसलिए नहीं दी जाना चाहिए क्योंकि –1971 में इन्डियन एयर लाइंस का विमान हाईजेक करने वाले कश्मीरी आतंकी हाशिम कुर्रेशी वापस भारत आकर आराम से कश्मीर में रह रहे हैं | इतना ही नहीं तो वे आजकल सरकार के करीबी भी हैं |सैंकड़ों सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की ह्त्या करने वाले नागा नेता आज शांतिवार्ताओं में हिस्सा ले रहे हैं |

भारत सरकार जम्मू कश्मीर किबरेशन फ्रंट के नेता अमानुल्लाह खां पर अतिरिक्त दया दिखा चुकी है |इतना ही नहीं तो पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी के हत्यारों को कोर्ट द्वारा सजा दिए जाने के बाद भी फांसी पर नहीं चढ़ाया गया |जब इतने लोगों पर दया दिखाई तो फिर जेकेएलएफ के पूर्व सदस्य के रूप में आत्मसमर्पण करने वाले बेचारे अफजल गुरू के साथ दोहरा मापदंड क्यों ?आपको क्या लगता है ? विनोद जोस के कथनानुसार अफजल गुरू पर दया दिखाना चाहिए थी या ऊपरवर्णित लोगों को भी पकड़कर चौराहों पर फांसी दी जाना चाहिए थी ? जो लोग देश के साथ गद्दारी करें उन्हें जब तक सबक नहीं सिखाया जाएगा तब तक देश समस्याओं के मकडजाल में फंसा ही रहेगा |विषय की प्रस्तुति गलत ढंग से करने को ही तो पीत पत्रकारिता कहते हैं |

इस लेख में महाभारत युद्ध के विभिन्न व्यूह को दर्शया गया है|



कैसा था चक्र व्यूह? इस लेख में महाभारत युद्ध के विभिन्न व्यूह को दर्शया गया है|

●●● वज्र व्यूह ●●● महाभारत युद्ध के प्रथम दिन अर्जुन ने अपनी सेना को इस व्यूह के आकार में सजाया था... इसका आकार देखने में इन्द्रदेव के वज्र जैसा होता था अतः इस प्रकार के व्यूह को "वज्र व्यूह" कहते हैं!

●●●क्रौंच व्यूह ●●●
क्रौंच एक पक्षी होता है... जिसे आधुनिक अंग्रेजी भाषा में Demoiselle Crane कहते हैं... ये सारस की एक प्रजाति है...इस व्यूह का आकार इसी पक्षी की तरह होता है... युद्ध के दूसरे दिन युधिष्ठिर ने पांचाल पुत्र को इसी क्रौंच व्यूह से पांडव सेना सजाने का सुझाव दिया था... राजा द्रुपद इस पक्षी के सर की तरफ थे, तथा कुन्तीभोज इसकीआँखों के स्थान पर थे... आर्य सात्यकि की सेना इसकी गर्दन के स्थान परथे... भीम तथा पांचाल पुत्र इसके पंखो (Wings) के स्थान पर थे... द्रोपदी के पांचो पुत्र तथा आर्य सात्यकि इसके पंखो की सुरक्षा में तैनात थे...इस तरह से हम देख सकते है की, ये व्यूह बहुत ताकतवर एवं असरदार था... पितामह भीष्म ने स्वयं इस व्यूह से अपनी कौरव सेना सजाई थी... भूरिश्रवा तथा शल्य इसके पंखो की सुरक्षा कर रहे थे... सोमदत्त, अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा इस पक्षी के विभिन्न अंगों का दायित्व संभाल रहे थे...

●●●अर्धचन्द्र व्यूह ●●●
इसकी रचना अर्जुन ने कौरवों के गरुड़ व्यूह के प्रत्युत्तर में की थी... पांचाल पुत्र ने इस व्यूह को बनाने में अर्जुन की सहायता की थी ... इसके दाहिने तरफ भीम थे... इसकी उर्ध्व दिशा में द्रुपद तथा विराट नरेश की सेनाएं थी... उनके ठीकआगे पांचाल पुत्र, नील, धृष्टकेतु, और शिखंडी थे... युधिष्ठिर इसके मध्य में थे... सात्यकि, द्रौपदी के पांच पुत्र,अभिमन्यु, घटोत्कच, कोकय बंधु इस व्यूह के बायीं ओर थे... तथा इसके अग्र भाग पर अर्जुन स्वयं सच्चिदानंद स्वरुप भगवन श्रीकृष्ण के साथ थे!

●●●मंडल व्यूह●●●
भीष्म पितामह ने युद्ध के सांतवे दिन कौरव सेना को इसी मंडल व्यूहद्वारा सजाया था... इसका गठन परिपत्र रूप में होता था... ये बेहद कठिन व्यूहों में से एक था... पर फिर भी पांडवों ने इसे वज्र व्यूह द्वारा भेद दिया था... इसके प्रत्युत्तर में भीष्म ने "औरमी व्यूह" की रचना की थी... इसका तात्पर्य होता है समुद्र... ये समुद्र की लहरों के समान प्रतीत होता था... फिर इसके प्रत्युत्तर में अर्जुन ने "श्रीन्गातका व्यूह" की रचना की थी... ये व्यूह एक भवन के समान दिखता था...

●●●चक्रव्यूह●●●
इसके बारे में सभी ने सुना है... इसकी रचना गुरु द्रोणाचार्य ने युद्ध के तेरहवें दिन की थी... दुर्योधन इस चक्रव्यूह के बिलकुल मध्य (Centre) में था... बाकि सात महारथी इस व्यूह की विभिन्न परतों (layers) में थे... इस व्यूह के द्वार पर जयद्रथ था... सिर्फ अभिमन्यु ही इस व्यूह को भेदने में सफल हो पाया... पर वो अंतिम द्वार को पार नहीं कर सका... तथा बाद में ७ महारथियों द्वारा उसकी हत्या कर दी गयी.

●●●चक्रशकट व्यूह ●●●
अभिमन्यु की हत्या के पश्चात जब अर्जुन, जयद्रथ के प्राण लेने को उद्धत हुए, तब गुरु द्रोणाचार्य ने जयद्रथ की रक्षा के लिए युद्ध के चौदहवें दिन इस व्यूह की रचना की थी!!

Tuesday, February 4, 2014

CM बनते ही केजरीवाल ने मांगे थे दो बड़े बंगले!

CM बनते ही केजरीवाल ने मांगे थे दो बड़े बंगले!Times Now | Feb 4, 2014, 06.29PM IST




नई दिल्ली
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक नए विवाद में घिरते दिख रहे हैं। केजरीवाल भले ही विवाद के बाद 10 कमरों का डबल ड्यूप्लेक्स छोड़कर तीन कमरों के फ्लैट में रह रहे हैं, लेकिन उनकी दिली इच्छा बड़े बंगले में रहने की ही थी! दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर को लिखी चिट्ठी से इसका खुलासा हुआ है। इस चिट्ठी के मुताबिक केजरीवाल को बड़े बंगले अलॉट नहीं किए गए थे, बल्कि उन्होंने इन बंगलों के लिए डिमांड की थी।

हमारे सहयोगी चैनल 'टाइम्स नाउ' के पास मौजूद केजरीवाल के चीफ सेक्रेटरी की यह चिट्ठी बताती है कि केजरीवाल ने सीएम बनते ही दिल्ली के पॉश इलाके में अपने लिए 5 बेडरूम वाले दो बड़े बंगलों की मांग कर दी थी। चिट्ठी के मुताबिक केजरीवाल ने सीएम पद की शपथ लेने के 48 घंटे के बाद ही बंगलों की यह डिमांड कर दी थी।




बड़े बंगले के लिए केजरीवाल के चीफ सेक्रेटरी की चिट्ठी का हिस्सा





गौरतलब है कि केजरीवाल के लिए पहले भगवान दास रोड पर बने दो बड़े ड्यूप्लेक्स अलॉट किए गए थे। उनके लिए अलॉट इस डबल ड्यूप्लेक्स में से हर एक में 5 बेडरूम और एक लॉन था। केजरीवाल ने इसे पसंद भी कर लिया था, लेकिन मकान के आकार को लेकर विवाद बढ़ने पर उन्हें इसे लौटाना पड़ा था। इसके बाद शहरी विकास मंत्रालय ने लुटियंस जोन के तिलक लेन में 3 बेडरूम वाला फ्लैट अलॉट किया, जिसमें वह पिछले हफ्ते शिफ्ट हुए।

'टाइम्स नाउ' ने जब इस बाबत अरविंद केजरीवाल से जाना चाहा, तो वह इस सवाल से बचते हुए अपनी गाड़ी में बैठकर निकल गए।

Monday, February 3, 2014

हम पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद

ये जानना बहुत जरुरी है ... हम पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद। क्या कारण है | हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने रोटी खाई,हमने दही खाया लस्सी पी ,दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|,ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है |पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है "अमाशय" उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"| उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है " epigastrium "| ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है। ये बहुत छोटा सा स्थान हैं इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है| आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे"जठराग्न"। |ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है ।

 ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी | यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई|ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है | अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया| और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है | अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी| आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी| अब हमेशा याद रखें खाना जाने पर हमारे पेट में दो ही क्रिया होती है, एक क्रिया है जिसको हम कहते हे "Digation"और दूसरी है "fermentation"फर्मेंटेशन का मतलब है सडना और डायजेशन का मतलब हे पचना| आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा| जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा| ये तभी होगा जब खाना पचेगा| यह सब हमें चाहिए| 

ये तो हुई खाना पचने की बात अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..? खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड (uric acid ) |कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है,मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ,वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो| और एक दूसरा उदाहरण खाना जब खाना सड़ता है, तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे LDL (Low Density lipoprotive) माने खराब कोलेस्ट्रोल (cholesterol )| जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP ) हाई-बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ? तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है | आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ? तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है | इससे भी ज्यादा खतरनाक एक विष हे वो है VLDL (Very Low Density lipoprotive)| ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है। अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता| खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides| जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका "triglycerides" बढ़ा हुआ हे तो समज लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है | तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे, कोई LDL -VLDL के नाम से कहे समझ लीजिए की ये विष हे और ऐसे विष 103 है | ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है | मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है , कोई कहता हे मेरा triglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! की आपका खाना पच नहीं रहा है | 

कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है | क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता| खाना पचने पर जो बनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त ,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि और खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल ,LDL-VLDL| और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है ! पेट मे बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है जिसे आप heart attack कहते हैं ! तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए| क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है | आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे। खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !! "भोजनान्ते विषं वारी" (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है ) इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये ! अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ??? तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना ! 

अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ?? बात ऐसी है ! जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है ! पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है ! उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है ! (बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है ) पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है ! तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं । तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !! जो बहुत मेहनती लोग है (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले) उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है उनको घंटे बाद पानी पीना चाहिए ! अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ??? तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं ! अब आप पूछेंगे ये मिनट का calculation ???? बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है ! और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है ! तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है ! तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये ! इसका जरूर पालण करे ! अधिक अधिक लोगो को बताएं post share करे !![truncated by WhatsApp]

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...