Sunday, March 31, 2013

Lifebouy है जहां तंदरुस्ती है वहाँ

Lifebouy है जहां तंदरुस्ती है वहाँ ! ??
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दोस्तो ये कैसा मूर्खता का विज्ञापन हर समय विदेशी कंपनी द्वारा TV पर दिखाया जाता है !( lifebouy है जहां तंदरुस्ती है वहाँ !) इसका मतलब तंदरुस्ती lifebouy से आ रही है ? राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

तो रोटी -पानी क्यूँ कर रहे हो भाई ???
खाना क्यूँ खा रहे हो ??
lifebouy ही लगाओ तंदरुस्ती आती रहेगी !!

आप बताओ तंदरुस्ती का साबुन lifebouy हो सकता है ??

तंदरुस्ती का आधार दूध हो सकता है, दही हो सकता है , सब्जियाँ हो सकती हैं चावल हो सकता है दालें हो सकती हैं ये lifebouy कब से हुआ ???

अब अकल की बात तो यही हैं न साबुन तंदरुस्ती का आधार नहीं होता लेकिन मूर्ख लोग फिर भी इसे खरीदते हैं !!

आपको मालूम है lifebouy दुनिया का सबसे घटिया साबुन है !
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दुनिया में 3 तरह के साबुन होते हैं जिसका मानक TFM है (Total Fatty Matter)।
1) bath Soap (TFM> 80)
2) toilet Soap (TFM 65 to 80)
3) carbolic soap (TFM 55 to 65)

bath Soap नहाने के लिये ।

toilet Soap हाथ धोने के लिये ।

और carbolic Soap जानवारो को नहलाने के लिये ।

lifebouy carbolic Soap हैं |

और ये बात मैं नहीं कहता ।
कंपनी खुद इस बात को मानती है । ये carbolic Soap है ।

यहाँ click कर CHECK करें ।
http://youtu.be/AOU3ZIrUiVM

यूरोप के देशो में लोग lifebouy से कुते,बल्लियां,गधो आदि को नहलाते हैं । लेकिन भारत में 7 करोड लोग रोज़ lifebouy से नहाते है..|

विदेशी कंपनिया देश में जो भी जहर बेचें ।

लेकिन देश की भ्रष्ट सरकार और बिका हुआ मीडीया अपने मुँह में
फ़ैवीकोल डाल कर बैठे हैं। इनको सिर्फ़ दूध,घी,मावा आदि में
ही जहर नजर आता हैं । वो भी दिवाली के दिनो में तकि विदेशी कंपनियो का माल बिके । ।

इसके घटिया होने का प्रमाण देखना हो तो आप lifebouy से नहाइये !
नहाने के बाद अपनी बाजू पर नाखून से रगड़े ! आप देखेंगे ! सफ़ेद रंग की एक लाइन खींची जाएगी !
ऐसा इस लिए हुआ इस llifebouy के कैमिकल कचरे ने आपकी त्वचा का natural oil पी लिया । और आपकी त्वचा रूखी और बेजान हो गई !

और रूखी और बेजान त्वचा पर अगर आप बार-बार साबुन रगड़े गए तो एक न एक दिन आपको Egsema,होने ही वाला है Psoriasis होने ही वाला है ! ये विदेशी कंपनी का जहर lifebouy हैं |

पढ़े लिखे मुर्खो को कुछ नहीं पता बस t.v par AD देखो और product की smell
सुघीं और उठा कर घर ले आये ।
बीच में क्या हैं भगवान जाने । ।

और एक बात ध्यान दे विज्ञापन मे बोलते है lifebouy मैल मे छिपे किटाणुओ को धो डालता है !

मैल को नहीं धोता मैल मे छिपे कीटाणुओ को धो डालता है !!

और मारता नहीं है धोता है इसका मतलब धो -पोंचछ के उनको और
तंदरुस्त बना देता है !! :P :P :P

कृपया जरुर जरुर जरुर इस link पर click कर देखे और इस video सब जगह फैलां दे ।

https://www.youtube.com/watch?v=AOU3ZIrUiVM

अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !!

वन्देमातरम !!

क्या कोई केजरीवाल और "आप" का अँधा समर्थक बता सकता है


क्या कोई केजरीवाल और "आप" का अँधा समर्थक बता सकता है की प्रशांत भूषण अपने घर और फॉर्म हाउस के बिजली का बिल रेगुलर क्यों भर रहे है ? खुद केजरीवाल अपने घर और ऑफिस का बिजली का बिल रेगुलर भर रहे है ..

कुमार विश्वास के दिल्ली स्थित पीआर ऑफिस का बिजली का बिल रेगुलर भरा जा रहा है |

ये बात खुद दिल्ली बिजली बोर्ड ने लोगो को बताया है .. तो फिर चरित्र में इतना दोगलापन क्यों ?

सोचो मित्रो, ये गैंग खुद अपना बिजली का बिल रेगुलर भर रही है क्योकि यदि एक बार कनेक्शन कट गया तो दुबारा जुडवाने में कई कागजी प्रक्रिया करनी पडती है .. और बाकि रकम पर चक्रवृधि ब्याज देना पड़ता है

असल में शीला दीछित ही खुद इस गैंग से सुपारी देकर अपना विरोध करवा रही है .. ताकि जनता का गुसा और विरोध बट जाये और उसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिले |

मित्रो सोचिये जिसने भी कांग्रेस का विरोध किया उसके पीछे कांग्रेस सरकार लग गयी और उसे किसी न किसी केस में फंसा दिया .. फिर केजरीवाल के उपर कांग्रेस इतनी मेहरबान क्यों है ?

एक रिटायर आयकर कमिश्नर देशबन्धु गुप्ता ने जब कांग्रेस के खिलाफ बोला तो उनके बेटे को तबादला करके इन्क्रीमेंट रोककर, और सीआर तक खराब कर दिया गया | खुद गुप्ता जी को पेंशन में भी काफी तकलीफ हुई |

बाबा रामदेव के उपर दर्जनों केस दर्ज करवा दिए ..

करुणानिधि के समर्थन वापस लेते ही पांच घंटे के भीतर सीबीआई का छापा डलवा दिया |
राबर्ट बढेरा के जमीन की लूट की पोल खोलने वाले आईएएस अधिकारी का हर हप्ते तबादला हो रहा है |

फिर यदि केजरीवाल सच में कांग्रेस के खिलाफ है तो उनकी पत्नी एक ही जगह दिल्ली में ही 15 सालो से नौकरी क्यों कर रही है ? क्या कांग्रेस और केजरीवाल में ये डील हुई है की आप मेरी बीबी को दिल्ली में ही रखना ताकि मै फ्री होकर आपका नकली विरोध कर सकूं ? जबकि आयकर उपायुक्त का तबादला अंडमान सहित पुरे भारत में कही भी हो सकता है |

खुद केजरीवाल १८ सालो तक इनकम टैक्स कमिश्नर रहे ... उन्होंने कितने बीजेपी या कांग्रेस के नेताओ के घर छापा मारकर बेनकाब किया ?

मित्रो, अपनी बुद्धि लगाओ ... नारे सिर्फ सुनने में अच्छे लगते है .

भाजपा बोर्ड पर दर्द में मीडिया चैनल

भाजपा बोर्ड पर दर्द में मीडिया चैनल: राहुल गाँधी को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया  तो मीडिया चैनल्स ऐसे खुश हो रहे थे कि जैसे उन्हें  लड्डू मिल गए हों। राहुल की तारीफों के कसीदे पढ़  रहे थे।

 मगर आज भाजपा के संसदीय बोर्ड के गठन पर ये  चैनल अपने अपने अंदाज में मातम मन रहे थे और  मोदी के बोर्ड में शामिल होने पर ऐसे व्याख्यान दे  रहे थे कि जैसे राजनाथ सिंह ने कोई अपराध कर दिया हो।

 जी न्यूज़ बोलता है "टीम राजनाथ की, मुहर मोदी की" और "नितीश के विरोधी भाजपा बोर्ड में" अब क्या ये  चैनल यह चाहता है कि राजनाथ सिंह को भाजपा के  बोर्ड का गठन करने के लिए नितीश कुमार से अनुमति  लेनी चाहिए थी।

और अगर बोर्ड में मोदी समर्थकों  की संख्या ज्यादा है तो चैनल को क्यूँ दर्द हो रहा है।

दूसरी तरफ ए बी पी न्यूज़ तो और घटियापन का परिचय  दे गया। सुबह से चिल्ला रहा है, राजनाथ की टीम में  एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ? वो फिर कहता है की अमित  शाह सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर का दोषी है पर फिर  भी उसे बोर्ड में लिया गया है। ए बी पी न्यूज़ ने तो आज ही मीडिया ट्रायल करके  अमित शाह को दोषी करार दे दिया।

 कल ये मोदी  पर कार्यक्रम दे रहा था कि मोदी को अमेरिका के  सर्टिफिकेट की क्या जरूरत है। जो चाहते है बोलते हैं ये चैनल और भूल जाते है  कि पब्लिक समझती है कि कांग्रेस के भोंपू बन  कर भोंक रहे हैं ये चैनल वाले।

चैनल को निष्पक्ष  होना ही नहीं चाहिए, उसे निष्पक्ष दिखाई भी देना  चाहिए परन्तु ये हमारे चैनल ना निष्पक्ष हैं और ना  निष्पक्ष दिखते हैं। इन्हें संचालित करने वाली  संस्थाएं गूंगी और बहरी हो चुकी हैं और फेल हो  चुकी हैं। मैं इसकी निंदा करता हूँ क्यूंकि यह  लोकतंत्र के लिए घातक है।

आदरणीय देशवासियों …एवं देश के मंत्रीगण .. एवं चमचेगण

आदरणीय देशवासियों …एवं देश के मंत्रीगण .. एवं चमचेगण

आज अगर इंडिया आसमान की बुलांदियों को छूने के बजाये मिट्टी में मिल रहा है ..तो इसका श्रेय सिर्फ एक इंसान को जाता है यानि की विदेसी बहुरिया को ,,गिव यू अ हैण्ड (इटली की विदेशी नारी का हाथ जो कभी न जाये आम आदमी के साथ ) ..!

पिछले 65 साल से इन्होने जो निरंतर घोटालों पे घोटालों किये इस देश में.....………उम्मीद है आगे भी करते रहेगे,हमें तो आश्चर्य होता है की एक पार्टी इतने साल में इतनी घोटाले कैसे कर सकता ह….… इनोने कड़ी तपस्या से अपने आप को इस काबिल बुनाया है,!

वक्त का सही उपयोग घोटालों के पैसो का साही इस्तमाल कोई इस इटली की नारी से सीखे आज इस देश का पैसा यहाँ है ... कल इस देश के पैसे विदेशों (इटली ) में फ़ैल जायेंगे (2 जी ,3जी , जीजाजी , कोयला ,हेलीकाप्टर घोटाले, कामंनवेलल्थ )

..मै वादा करते है आपसे इस देश में जब तक मै होंगे तब तब मै इस देश के लोगो के खून चूस के अपने स्विस अकाउंट भर लेंगे और इस देशमें घोटाले करते रहेगे और इंडिया को नाम डूबते रहेंगे…और दिखा देंगे सबको जो घोटाले करने की समता यहा के मंत्रियो में है और किसी में नहीं है , यहाँ के मंत्री चारा भी खा लेते है और वो कालगेट भी करते है! नो अदर मंत्री …. नो अदर मंत्री

आदरणीय प्रधानमंत्री जी नमस्कार अपने जो इस कोंग्रेस को वो चीज़ दिया है जिसकी हमें सख्त जरुरत थी! अपनी चुप्पी ... चुप होना तो सब जानते लेकिन चुप्ता कोई नहीं ! 10 साल तक कैसे कोई चुप रह सकता है? कोई आपसे सीखे !

…अब दिखिए कैसे आपकी चुप्पी को विदेशी नारी का घोटाला हाथ उपयोग करता है !

इस घोटाला की स्वर्ण अवसर पे श्लोक याद आ रहे है ..!

दाद्दाद घोटाला !! माध्यम घोटाला थुचथुच थुचथुच !!!
कनिस्तम ठुद्थोरिया घोटाला !!! सुडसूदी घोटाला प्राणघत्कम !!
"

मोदी के ऊपर केजरीवाल ने आरोप लगाया था

नरेन्द्र मोदी के ऊपर केजरीवाल ने आरोप लगाया था की १००० एकड़ जमीन अदानी ग्रुप को दे दी गयी वो भी कोडियो के भाव में मात्र १०रूपये प्रति मीटर के हिसाब से और लोगो की नज़र में यह दाल दिया की लाखो करोड़ो की जमीन कोडियो के भाव दे दी (दिल्ली से बोला था और दिल्ली के भाव से तुलना कर रहा था)

लेकिन उस जमीन की कीमत मंडी में ३०० रुपया स्क्वायर मीटर है | यानी की कम से कम १६०० करोड़ का नुक्सान किया मोदी जी ने |

अगर इसकी को दुसरे शब्दों में कहे तो १२ लाख एकड़ की जमीन को सरकार ने ४२००० रूपये एकड़ में किराये पर दे दिया और उसमें भी जमीन विकसित किरायेदार करेगा |

अब बारी आती है पूरे सच की | मोदी जी ने जमीन दी लेकिन ठेके पर | अदानी ग्रुप का मालिकाना हक नहीं है जमीन पर | वो सारी जमीन विकसित करने के लिए अदानी ग्रुप को दी और ३० साल बाद उस जमीन पर गुजरात सर्कार का पूरा अधिकार होगा |

यह ठीक वैसा ही है जैसे की सरकार निजी उद्योगों को जमीन देती है सड़क बनाने के लिए और निजी उद्योग कुछ समय तक उसपर टोल वसूलते है |

अब बात करते है की अदानी ग्रुप को ही जमीन इतने सस्ते में क्यूँ दी गयी ? किसी और को क्यूँ नहीं? किसी आम आदमी को क्यूँ नहीं दिया गया | अदानी ग्रुप तो और भी आमिर हो गया लेकिन यह मौका एक आम आदमी को क्यूँ नहीं दिया गया?

इसका जवाब बहुत सरल है! १००० एकड़ जमीन को विकसित करने के लिए हजारो करोड़ो रूपये चाहिए होते है , अब आप खुद सोच सकते है की कौनसा ऐसा आम आदमी है जिसके पास हजारो करोड़ो रूपये है! .. और रही आम आदमी के मुनाफे की तो आम आदमी को तो फ़ायदा ही फ़ायदा है ! उसके लिए रोजगार के अवसर बढेंगे | और आस पास के किसानो को भी बहुत फ़ायदा होगा | जमीन विस्कित होगी तो किसानो की जमीनों का मूल्य भी बढेगा | और सरकार को तो फ़ायदा होगा ही क्यूंकि एक बार उस विकसित जमीन पर कारोबार शुरू हुआ तो सरकार को भी बहुत मोटा टैक्स मिलना शुरू होगा और उस टैक्स से सरकार गुजरात का और तेजी से विकास कर सकती है |

ओह माय गोड फिल्म देखकर

ओह माय गोड फिल्म देखकर जो लोग शिव लिंग पे दूध
चढाने का विरोध कर रहे है में उनसे यह पूछना चाहता हूँ की

(१)अक्षय कुमार के पास २००० करोड़ रुपये है उनमे से १९०० करोड़ रुपये गरीबो में बाँट दे गाडी बेच दे उसकी जगह आम आदमी की तरह बस और ट्रेन का इस्तेमाल करे 

(२) जो लोग फिल्मे देखते है वोह फिल्मे न देखे भगवन तो फिल्म देखने को कहते नहीं वोह पैसा बचाके गरीबो में दान करे गरीबों का भला होगा 

(३) हर रोज लाखों गायो की हत्या हो रही है उसपर रोक लगाओ बहूत दूध बचेगा, घी बचेगा, दही बचेगा उसे गरीबो को दे दो 

(४) जितने भी बॉलीवुड के बेवक़ूफ़ हीरो और हेरोइन है वो सराब न पीकर पैसा बचाए और गरीबो गो दान दे दे 

(५) बॉलीवुड वाले अपना खर्चा कम करे एक आम आदमी की जिंदगी जिए आम आदमी अपने महीने का खर्च ८०००-१०००० में चला लेता है उतने में ही यह लोग चलाये इससे करोड़ो रूपए बचेंगे उन्हें गरीबो में बाँट दो भारत की गरीबी दूर हो जायेगी अगर बॉलीवुड वाले ऐसा नहीं कर सकते तोह हम भी दूध चढ़ाना बांध नहीं कर सकते साले खुद तोह ऐश आराम करेंगे शराबी कबाड़ी और जनता को शिक्षा देते है पहले अपने अन्दर झांको बाद में जनता को समझाना

बीजेपी की नई टीम इस प्रकार है....

2014 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह की नई टीम का एलान कर दिया गया है. बीजेपी की नई टीम इस प्रकार है....

संसदीय बोर्ड: राजनाथ सिंह, अटल बिहार वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, रामलाल, अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत और नरेंद्र मोदी।

महासचिव: रामलाल (संगठन), अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत, जेपी नड्डा, तापिर गाव, धर्मेंद्र प्रधान, अमित शाह, राजीव प्रताप रूडी, वरुण गांधी और मुरलीधर राव।

उपाध्यक्ष: सदानंद गौड़ा, मुख्तार अब्बास नकवी, डॉ. सीपी ठाकुर, जुएल उरांव, एस. एस. अहलूवालिया, बलबीर पुंज, सतपाल मलिक, प्रभात झा, सुश्री उमा भारती, बिजॉय चक्रवर्ती, लक्ष्मीकांत चावला, सुश्री किरण माहेश्वरी, श्रीमती स्मृति ईरानी।

सचिव: श्याम जाजू, भूपेंद्र यादव, कृष्णा दास, अनिल जैन, विनोद पांडेय, त्रिवेंद्र रावत, रामेश्वर चौरसिया, आरती मेहरा, रेणु कुशवाहा, सुधा यादव, सुधा मलैया, पूनम महाजन, लुईस मरांडी, डॉ तमिल एसाई, वाणी त्रिपाठी।

मोर्चाओं के अध्यक्ष: महिला मोर्चा: सरोज पांडेय, युवा मोर्चा: अनुराग ठाकुर, एससी मोर्चा: संजय पासवान, एसटी मोर्चा: फग्गन सिंह कुलस्ते, अल्पसंख्यक मोर्चा: अब्दिल राशिद, किसान मोर्चा: ओम प्रकाश धनाकर।

प्रवक्ता: प्रकाश जावड़ेकर, निर्मला सीतारमण, विजय शंकर शास्त्री, सुधांशु त्रिवेदी, मिनाक्षी लेखी, कैप्टन अभिमन्यु।

केंद्रीय चुनाव समिति: राजनाथ सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत, रामलाल, गोपीनाथ मुंडे, जुएल उरांव, शाहनवाज हुसैन, विनय कटियार, जेपी नड्डा, डॉ. हर्षवर्धन, सरोज पांडेय।

इसे ही हम ग्लोबलाइजेशन कहते है.....

इसे ही हम ग्लोबलाइजेशन कहते है.....
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• यदि आप “दक्षिण कोरिया” की सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो, आपको 12 वर्ष के लिये सश्रम कारागार में डाल दिया जायेगा.... !!
• अगर आप “ईरान” की सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो आपको अनिश्चितकाल तक हिरासत में ले लिया जायेगा....!!
• अगर आप “अफ़गानिस्तान” की सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो आपको देखते ही गोली मार दी जायेगी जायेगी....!!
• यदि आप "चीनी" सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो, आपका अपहरण कर लिया जायेगा और आप फिर कभी नहीं मिलोगे.... !!
• यदि आप "क्यूबा" की सीमा अवैध रूप से पार करते है तो... आपको एक राजनीतिक षडयंत्र के जुर्म में जेल में डाल दिया जायेगा....!!
• यदि आप "ब्रिटिश" बॉर्डर अवैध रूप से पार करते हैं तो, आपको गिरफ्तार किया जायेगा, मुकदमा चलेगा, जेल भेजा जायेगा और अपने सजा पूरी करने के बाद निर्वासित....!!
अब....
.
• यदि आप "भारतीय" सीमा अवैध रूप से पार कर गए थे, तो मिलता है :

एक राशन कार्ड,
एक पासपोर्ट
एक ड्राइवर का लाइसेंस
मतदाता पहचान कार्ड
क्रेडिट कार्ड
सरकार रियायती किराए पर आवास, ऋण एक घर खरीदने के लिए
मुफ्त शिक्षा,
मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल
नई दिल्ली में एक लाबीस्ट, एक टेलीविजन चैनल और
विशेषज्ञ मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह
साथ धर्मनिरपेक्षता पर पीटने का अधिकार.

Saturday, March 30, 2013

जाने केजरीवाल की असलियत

"जाने केजरीवाल की असलियत" शेयर करना ना भूलें मित्रों-फेसबुक मीडिया

कामनवेल्थ घोटाले के भ्रष्टाचार से बदहाल दिल्ली में स्वामी रामदेवजी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक सभा हुई जिसमे अन्ना हज़ारे, किरण बेदी, विश्वबंधुनाथ, मोलाना रिजवी, आचार्य बालकृष्ण, अरविंद केजरीवाल सहित अनेकों वक्ताओ ने इस घोटाले की निंदा की । इस कार्यक्रम का आयोजन भारत स्वाभिमान ने किया था लिहाजा हजारो देशभक्तों की भीड़ वह मौजूद थी । इसी कार्यक्रम मे अन्नाजी ने अपने पहले अनशन की घोषणा की जिसका आचार्य बालकृष्ण ने समर्थन किया । अन्ना ने अनशन किया मीडिया और जनता ने समर्थन किया देश के लोगो को एक उम्मीद जागी, युवाओ ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया (जैसा की उन्होने दामिनी केस में किया था ) परंतु जिसके मंच, समर्थको और मीडिया कवरेज के बीच इस अनशन की घोषणा की गई थी उसी स्वामी रामदेवजी को इस अनशन मे नहीं बुलाया गया और उन्हे इंगनोर किया गया, सारा आंदोलन केजरीवाल ने केप्चर कर लिया था तभी भारत स्वाभिमान के लोग समझ गए थे केजरीवाल का असली चेहरा । किन्तु अन्ना नहीं पहचान पाये थे खाल मे छिपे .... को । आंदोलन का सारा कमांड अपने हाथ मे रखकर । सारी राशि और समर्थको का डेटा अपने कब्जे मे किया ... अन्ना के नाम पर पूरे देश मे एक संगठन तैयार किया और अन्ना को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया इस तरह दूसरी बार साबित किया की जिस थाली मे खाओ उसी मे छेद कर दो । करोड़ो अन्ना कार्ड बेचे जिसमे चार पाँच संदेश आकार रह गए और लोगो का पैसा पानी मे गया । संगठन मे किरण बेदी ने उनका चेहरा उजागर किया तो उन्हे भी बाहर कर दिया । अब बारी है इनका असली चेहरा देखने की । पहले लोकपाल के रूप मे सर्वोचता हासिल करने का ख्वाब टूटने के बाद अब निगाह है दिल्ली मुख्यमंत्री की कुर्सी पर । भाड़ मे जाये देश यदि लोकसभा मे कुछ पाँच दस सीट आ भी गई तो वो कांग्रेस से शेयर कर लेंगे , तर्क होगा सेकुलरिज़्म ... अनशन को मज़ाक बना दिया बिना वजह का अनशन इन दिनो चर्चा का विषय बना हुआ है । आने वाले समय में जहाँ अन्ना हज़ारे और स्वामी रामदेवजी के अनशन की मिसाल दी जाएगी वही इस व्यक्ति की महत्वाकांक्षा ने किस तरह इतने बड़े आंदोलन को क्षति पहुंचाई ये भी लिखा जाएगा । इस देश के इतिहास मे बार-बार धोखा देने वाले आस्तीन के साँप के रूप मे एक ही नाम होगा ..... केजरीवाल !!!

Friday, March 29, 2013

कौन अपने बाप की अर्थी पर बैठ कर खा सकता है?


दुनिया मे कौन आदमी अपने बाप की अर्थी पर बैठ कर खा सकता है? जवाब है हम भारतवासी, चौंक गए ना?

जिन अंग्रजो से लड़ते-२ हमारे बाप-दादाओं ने अपनी जान गवा दी, आज उन्ही अंग्रजो के बनाए हुए घटिया सामान काम मे लेते हुए, गुलामी करते देख कर क्या हमारे पुरखो की आत्मा हमे आशीर्वाद देती होगी? मुझे तो लगता है उनकी आत्माएँ भी बोलती होगी की किन चु..ओं के लिए जान देदी यार?

आज साले हम कूल ड्यूड बन बैठे है, पीटर इंग्लेंड, ली कूपर, ली, लेविस, कार्बन, पार्क आवन्यू, जिलेट, फेर न्ड लव्ली, अंकल चिप्स, लेज़, कुरकुरे, कॅड्बेरी, कोल्ड ड्रिंक, किसान सौस, होर्लिकस, बॉर्न्विटा, कॉम्पलैईन, हेड आंड शोल्डर, सनसिल्क, लॉरेल, आटा भी विदेशी (आशीर्वाद), साला तेल भी विदेशी (फॉर्चून), ओर तो ओर ब्रेड भी विदेशी(मोर्डर्न)

जब तक हम रोज़ाना इन सामानो को काम मे नही लेते हमारा दिन ही नही उगता, ओर फिर बाहर जाकर बताते भी शान से है दोस्त को, भाई ये वही प्रॉडक्ट है जिसे भागने के लिए मेरे पुरखे लड़-२ कर मर गए ओर आज देख मैं उन्ही की अर्थी पर बैठ कर उनको चिड़ा रहा हू|

अब आप ही बताओ हम भारत वासियों से बड़ा ओर कौन चू..या है दुनिया मे, जवाब कॉमेंट करे!

माँ भारती को वापस सोने का शेर बनाने मे मदद करे,

ईसाईयों की पोल पट्टी

सुना है कुछ लडकियां दिल्ली मेट्रो स्टेशनो के बाहर बाइबिल बाँट रही है,

कुछ मित्र नफरत करके नहीं ले रहे है,

मेरे प्यारे मित्रो, अवश्य लो और बल्की अपने साथ जितने लोग हो सबको दिलवाओ....
उस किताब के साथ आप क्या करेंगे वो आपका निजी फेसला होगा उसमे कोई आपको रोक नहीं पायेगा पर आपके पास जाने से एक इसाई बनने से रुकेगा........

वो छपवाते रहे आप लेते रहो का अनुसरण करे.........

ईसाइयत पर भारत के महापुरुषों द्वारा दिए गए क्रातिकारी विचार

आप मिशनरियों को शिक्षा कपड़े और पैसे क्या इसलिए देते हैं कि वे मेरे देश (भारत) में आकर मेरे मेरे सभी पूर्वजों को, मेरे धर्म को और जो भी मेरा है , उस सब को गालियां दें, भला बुरा कहें । वे मंदिर के सामने खड़े होकर कहते हैं ऐ ! मूर्तिपूजकों तुम नरक में जाओगे, लेकिन हिन्दुस्तान केमुसलमानों से ऐसी ही बात करने की उनकी हिम्मत इसलिए नहीं होती कि कहीं तलवारें न खिंच जाएं ............................. और आपके धर्माधिकारी जब भी हमारी आलोचना करें, तब वे यह भी ध्यान रखें कि यदि सारा हिन्दुस्तान खड़ा होकर सम्पूर्ण हिन्द महासागर की तलहटी में पड़े कीचड़ को पश्चिमी देशों पर फेंके, तो भी अन्याय के अंश मात्र का ही परिमार्जन होगा जो आप लोग हमारे साथ कर रहे हैं ।
डेट्राइट में ईसाइयों की एक सभा में बोलते हुए स्वामी विवेकानन्द ने कहा

बाबा साहब भीम राव अंबेडकर :- यह एक भयानक सत्य है कि इसाई बनने से अराष्ट्रीय होते हैं ।साथ ही यह भी सत्य है कि इयाईयत, मतान्तरण के बाद भी जातिवाद नहीं मिटा सकती । (राइटिंग एण्ड स्पीचेज वाल्यूम 5 पृष्ठ 456)

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन :- तुम्हारा क्राइस्ट तुम्हें एक उत्तम स्त्री और पुरुष बनाने में सफल न हो सका, तो हम कैसे मान लें कि वह हमारे लिए अधिक प्रयास करेगा, यदि हम इसाई बन भी जाएं ।

गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर :- ईसाई व मुसलमान मत अन्य सभी को समाप्त करने हेतु कटिबद्ध हैं । उनका उद्देश्य केवल अपने मत पर चलना नहीं है अपितु मानव धर्म को नष्ट करना है (रवीन्द्र नाथ वाडमय २४ वां खण्ड पृष्ठ २७५ , टाइम्स आफ इंडिया १७-०४-१९२७ , कालान्तर)

मोहनदास करम चन्द्र गांधी :- यदि वे पूरी तरह से मानवीय कार्यों तथा गरीबों की सेवा करने के बजाय डाक्टरी सहायता, शिक्षा आदि के द्वारा धर्म परिवर्तन करेगें, तो मैं निश्चय ही उन्हें चले जाने को कहूंगा । प्रत्येक राष्ट्र का धर्म अन्य किसी राष्ट्र के धर्म के समान ही श्रेष्ठ है । निश्चय ही भारत का धर्म यहां के लोगों के लिए पर्याप्त है । हमें धर्म परिवर्तन की आवश्कता नहीं । (गांधी वाङ्मय खण्ड ४५ पृष्ठ ३३९)

जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती कांची कामकोटि पीठ :- एशिया में ईसाइयत के लिए कोई जगह नहीं है । हिन्दू धर्म को जो खतरा उत्पन्न करेगा, वह खुद खत्म हो जाएगा ।




ईसाईयों की थोड़ी सी और पोल पट्टी खोल दी जाए
बाइबिल व्यवस्था विवरण अध्याय 12

01. जो देश तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें अधिकार में लेने को दिया है, उस में जब तक तुम भूमि पर जीवित रहो तब तक इन विधियों और नियमों के मानने में चौकसी करना।
02. जिन जातियों के तुम अधिकारी होगे उनके लोग ऊंचे ऊंचे पहाड़ों वा टीलों पर, वा किसी भांति के हरे वृक्ष के तले, जितने स्थानों में अपने देवताओं की उपासना करते हैं, उन सभों को तुम पूरी रीति से नष्ट कर डालना;
03. उनकी वेदियों को ढा देना, उनकी लाठों को तोड़ डालना, उनकी अशेरा नाम मूत्तिर्यों को आग में जला देना, और उनके देवताओं की खुदी हुई मूत्तिर्यों को काटकर गिरा देना, कि उस देश में से उनके नाम तक मिट जाएं।




त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर मिजोरम में अब तक 10000 से अधिक सैनिको, 20000 से अधिक हिन्दुओ और हिन्दू औरतो को डायन बता कर जिन्दा जला दिया गया, क्या आज तक इन ईसाई आतंकवादियों पर किसी की नजर गयी,
क्या आज तक इन आतंकवादियों के खिलाफ किसी ने आवाज उठाई,
देश में बवाल मच जाता है जब कश्मीर में कोई जवान इस्लामिक जिहादियो के सामने बलिदान देता है,
पर वहां मर रहे हमारे जवानों की तरफ किसी मीडिया का ध्यान नहीं जाता, क्यों???
इस खबर को अधिक से अधिक फैलाए और लोगो को ईसाई आतंकवाद के बारे में भी सचेत करे
ये इसाई मुसलमानों से भी अधिक खतरनाक है

आज बताऊंगा आप सब को पोप का रोचक इतेहास:
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खुद को विश्व का सबसे बड़ा धर्म कहने वाली ईसाइयत और इनके पोप के बारे में जान कर आपको हसी भी आयेगी और अजरज भी होगा:
अब तक कुल 773 पोप हुए है, सन 850 में पोप रहे जान अष्टम बाद में महिला निकले एक कथा का मानना है के जान अष्टम के महिला होने का तब पता चला जब उसने रोम में एक जुलूस के दोरान एक बच्चे को जनम दे दिया।।।
हेरानी वाली बात ये है के एक बार पोप बना दिए जाने के बाद उसको हटाया नहीं जा सकते उसकी हत्या कर सकते है कमसे कम 6 पोप ऐसे है जिनकी हत्या की गयी।।
ज्यादातर पोप इटली के थे जिनकी सख्या 205 है यानि कुल पोप का 77 फ़ीसदी। कुल पोप में से 23 ने जोन नाम चुना, 16 ने ग्रेगरी,15 ने बेनेडिक्ट।।
जान कर हेरानी होगी 7 पोप शादीशुदा थे जिनमे पोप सैंट पीटर भी एक थे, छे पोप नाजायज ओलादो के बाप थे,अवेध संतान रहे पोप ग्रेगरी तृतीये थे जो 1570 में पोप बने,विवाह करने वाले आखिरी पोप 1440 में पोप फेलिक्स थे।।
बेनेडिक्ट नवम सबसे रंगीन मिजाज पोप थे, हल के इतेहस्कार उन्हें सबसे ख़राब पोप मानते है

विदेशी कंपनी आयेगी तो हाई टेकनोलोजी देश में आयेगी

भारत सरकार का कहना है विदेशी कंपनी आयेगी तोह हाई टेकनोलोजी देश में आयेगी इससे देश की तरक्की होगी विकास होगा इसीलिए विदेशी कंपनियो को भारत में बुलाया जाता है | लेकिन भारत सरकार के दस्ताबेजो के अनुसार ९० प्रतिशत जे जादा विदेशी कंपनिया कोई तकनीक लाती ही नही वे शुन्य तकनिकी के खेस्त्र में व्यापार शुरू करते है और उद्योग लगाते है | शुन्य तकनिकी का खेस्त्र माने साबुन, क्रीम, पावडर, लिपस्टिक, नेल पोलिश, शम्पू , बिस्किट, चोकलेट, टॉफी, पावरोटी, चिप्स, टमाटर की चटनी, आम का आचार, नमक को डब्बे में भर के बेचने की कला, गेरू का आटा, पानी बोतल में भरके बेचने की कला इत्यादि |
१० प्रतिशंत विदेशी कंपनिया भारतीय कंपनियों से कुछ समझोते करके थोडाबहुत टेकनोलोजी के सामान बनाती है जैसे कार, मोटर साइकल, बस इत्यादि | इसमें भी वो टेकनोलोजी लती नही है अपने देश से बनी बनायीं सामान लाके भारत में फिट करते है |

उछ टेक्नोलोजी विदेशी कंपनिया कभी नही लाती जैसे सटेलाइट, मिसाइल , परमाणु बोम्ब, परमाणु पनडुब्बी, टंक , जलपोत , तोप, राइफेल, सुपर कंप्यूटर इत्यादी सब भारत में स्वदेशी के रास्ते ही विकशित हुई |

विदेशी कंपनिया कभी भी लेटेस्ट टेक्नोलोजी हमको नही देती वो हमको उनकी २० साल पुराणी टेक्नोलोजी देती है जो उनके देश में बेकार हो जुके है, जिनका वो इस्तेमाल नही करते है , जो उनके लिए डम्प करने लायक है|

हम इस घटाटोप में फस गए है की विदेशो से टेक्नोलोजी आ रही है इम्पोर्टेड टेक्नोलोजी है ...उसमे कुछ खास दम नही है ..आप इन माया मोह से बहार निकलिए, कोई टेक्नोलोजी उनके उहाँ से आती नही है जो टेक्नोलोजी बनाते है वो हम बनाते है |
http://www.youtube.com/watch?v=KdAP6_4TFzQ

अंबेडकर ने अपनाया बौद्ध सम्प्रदाय


http://lovybhardwaj.blogspot.in/2013/03/when-ambedkar-almost-became-sikh-finaly.html

सौजन्य से- Lovy Bhardwaj Savarkar
यह लेख फारवार्ड प्रेस के अक्टूबर अंक में छपा है। इस लेख से एक बात तो साफ होती है कि अंबेडकर भारतीय धर्मों में ही कोई ऐसी जगह तलाश रहे थे, जहां अछूतों के लिए भी बराबरी की जगह हो। ईसाइयत और इस्‍लाम से अलग भारतीय परंपरा में सिक्‍ख पन्थ की ओर उनके कदम बढ़े, लेकिन अंतत: बौद्ध सम्प्रदाय उन्‍हें सबसे सटीक लगा। इस लेख में उनकी धार्मिक खोज के एक प्रसंग का उल्‍लेख किया गया है l
1936 के आसपास, सिक्ख पन्थ के प्रति अंबेडकर का आकर्षण हमें पहली बार दिखलाई देता है। यह आकर्षण अकारण नहीं था। सिक्ख पन्थ भारतीय था और समानता में विश्वास रखता था, पूर्वज भी हिन्दू थे और अंबेडकर के लिए ये तीनो बातें महत्वपूर्ण थीं। अंबेडकर को इस बात का एहसास था कि हिंदू धर्म के “काफी नजदीक” होने के कारण, सिक्ख धर्म अपनाने से उन हिंदुओं में भी अलगाव का भाव पैदा नहीं होगा, जो कि यह मानते हैं कि धर्मपरिवर्तन से विदेशी धर्मों की ताकत बढ़ेगी।
सन 1936 में अंबेडकर, हिंदू महासभा के अखिल भारतीय अध्यक्ष डाक्टर मुंजे से मिले और उन्हें इस संबंध में अपना एक विचारों पर आधारित एक वक्तव्य सौंपा। बाद में यह वक्तव्य, एम आर जयकर, एम सी राजा व अन्यों को भी सौंपा गया। यह दिलचस्प है कि जहां डाक्टर मुंजे ने कुछ शर्तों के साथ अपनी सहमति दे दी, वहीं गांधी ने सिक्ख पन्थ अपनाने के इरादे की कड़े शब्दों में निंदा की।
अप्रैल 1936 में अंबेडकर अमृतसर पहुंचे, जहां उन्होंने सिक्ख मिशन द्वारा अमृतसर में आयोजित सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने कई भीड़ भरी सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने सम्मेलन में कहा कि हिंदू धर्म त्यागने का निर्णय तो ले लिया है, परंतु अभी यह तय नहीं किया है कि वे कौन सा धर्म अपनाएगें। इस सम्मेलन में उनका भाग लेना, “जात-पात तोड़क मंडल” को नागवार गुजरा।
मंडल ने उन्हें लाहौर में आयोजित अपने सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था, परंतु आयोजक चाहते थे कि वे अपने भाषण से वेदों की निंदा करने वाले कुछ हिस्से हटा दें। अंबेडकर ने ऐसा करने से इंकार कर दिया और भाषण को “जाति का विनाश” शीर्षक से स्वयं ही प्रकाशित करवा दिया। इस भाषण में, एक स्थान पर वे कहते हैं, “सिक्खों के गुरु नानक के नेतृत्व में, धार्मिक व सामाजिक क्रांति हुई थी।” महाराष्ट्र के “सुधारवादी” भक्ति आंदोलन के विपरीत वे सिक्ख धर्म को क्रांतिकारी मानते थे। अंबेडकर का तर्क यह था कि सामाजिक व राजनीतिक क्रांति से पहले, मस्तिष्क की मुक्ति, दिमागी आजादी जरूरी हैः “राजनीतिक क्रांति हमेशा सामाजिक व धार्मिक क्रांति के बाद ही आती है”।
उस समय, सिक्ख पन्थ को चुनने के पीछे के कारण बताने वाला उनका वक्तव्य दिलचस्प है। “शुद्धतः हिंदुओं के दृष्टिकोण से अगर देखें तो ईसाइयत, इस्लाम व सिक्ख सम्प्रदाय में से सर्वश्रेष्ठ कौन सा है? स्पष्टतः सिक्ख पन्थ ।
अगर दमित वर्ग, मुसलमान या ईसाई बनते हैं तो वे न केवल हिंदू धर्म छोड़ेंगे बल्कि हिंदू संस्कृति को भी त्यागेंगे। दूसरी ओर, अगर वे सिक्ख धर्म का वरण करते हैं तो कम से कम हिंदू संस्कृति में तो वे बने रहेंगे। यह हिंदुओं के लिए अपने-आप में बड़ा लाभ है। इस्लाम या ईसाई धर्म कुबूल करने से, दमित वर्गों का अराष्ट्रीयकरण हो जावेगा। अगर वो इस्लाम अपनाते हैं तो मुसलमानों की संख्या दोगुनी हो जाएगी और देश में मुसलमानों का प्रभुत्व कायम होने का खतरा उत्पन्न हो जावेगा। दूसरी ओर, अगर वे ईसाई धर्म को अपनाएंगे तो उसके ब्रिटेन की भारत पर पकड़ और मजबूत होगी।”
उस दौर में बहस का एक विषय यह भी था कि क्या सिक्ख (या कोई और) पन्थ-सम्प्रदाय अपनाने वालों को पूना पैक्ट या अन्य कानूनों के तहत अनुसूचित जाति के रूप में उन्हें मिलने वाले अधिकार मिलेंगे। मुंजे का कहना था कि सिक्ख पन्थ अपनाने वालों को ये अधिकार मिलते रहेंगे।
अंततः, 18 सितंबर 1936 को अंबेडकर ने अपने अनुयायियों के एक समूह को सिक्ख पन्थ का अध्ययन करने के लिए अमृतसर के सिक्ख मिशन में भेजा। वे लोग अंबेडकर की भांति बुद्धिमान तो थे नही, तो वहां अपने जोरदार स्वागत से इतने अभिभूत हो गये कि – अपने मूल उद्देश्य को भुलाकर – सिक्ख पन्थ अपना लिया। उसके बाद उनके क्या हाल बने, यह कोई नहीं जानता, अधिकाँश को तो बाद में दलित सिक्खों की ही कई जातियों में विभाजित कर दिया गया । बहुत से दलित सिक्खों को गुरु ग्रन्थ साहिब कंठस्थ होने के बावजूद जीवन में उन्हें कभी ग्रंथी या जत्थेदार नहीं बनाया गया ।उनके गुरुद्वारों को धन आदि से भी सहायता में हाशिये पर ही रखा जाने लगा ।
सन 1939 में बैसाखी के दिन, अंबेडकर ने अपने अनुयायियों के साथ अमृतसर में अखिल भारतीय सिक्ख मिशन सम्मलेन में हिस्सेदारी की। वे सब पगड़ियां बांधे हुए थे। अंबेडकर ने अपने एक भतीजे को अमृत चख कर खालसा सिक्ख बनने की इजाजत भी दी।
बाद में, अंबेडकर और सिक्ख नेता मास्टर तारा सिंह के बीच मतभेद पैदा हो गये। तारा सिंह, निस्‍संदेह, अंबेडकर के राजनीतिक प्रभाव से भयभीत थे। उन्हें डर था कि अगर बहुत बड़ी संख्या में अछूत सिक्ख बन गये तो वे मूल सिक्खों पर हावी हो जाएंगे और अंबेडकर, सिक्ख पंथ के नेता बन जाएंगे। यहां तक कि, एक बार अंबेडकर को 25 हजार रुपये देने का वायदा किया गया परंतु वे रुपये अंबेडकर तक नहीं पहुंचे बल्कि तारा सिंह के अनुयायी, मास्टर सुजान सिंह सरहाली को सौंप दिए गये।
इस प्रकार, अपने जीवन के मध्यकाल में अंबेडकर का सिक्खों और उनके नेताओं से मेल-मिलाप बढ़ा और वे सिक्ख पन्थ की ओर आकर्षित भी हुए। यह जानना महत्वपूर्ण है कि अंततः उन्होंने सिक्ख पन्थ से मुख क्यों मोड़ लिया।
निस्‍संदेह, इसका एक कारण तो यह था कि अंबेडकर इस तथ्य से अनजान नहीं थे कि सिक्ख पन्थ में भी अछूत प्रथा है। यद्यपि, सिद्धांत में सिक्ख पन्थ समानता में विश्वास करता था तथापि दलित सिक्खों को – जिन्हें मजहबी सिक्ख या ‘रविदासी’ कहा जाता था – अलग-थलग रखा जाता था। इस प्रकार, सिक्ख पन्थ में भी एक प्रकार का भेदभाव था। सामाजिक स्तर पर, पंजाब के अधिकांश दलित सिक्ख भूमिहीन थे और वे प्रभुत्वशाली जाट सिक्खों के अधीन, कृषि श्रमिक के रूप में काम करने के लिए बाध्य थे।
असल में, जिन कारणों से अंबेडकर सिक्ख पन्थ की ओर आकर्षित हुए थे, उन्हीं कारणों से उनका उससे मोहभंग हो गया। अगर सिक्ख पन्थ “हिंदू संस्कृति का हिस्सा” था, तो उसे अपनाने में क्या लाभ था? जातिप्रथा से ग्रस्त “हिंदू संस्कृति’ पूरे सिक्ख समाज पर हावी रहती। सिक्ख पन्थ के अंदर भी दलित, अछूत ही बने रहते – पगड़ी पहने हुए अछूत। जट्ट सिखों द्वारा उन्हें कभी आगे बढने ही नहीं दिया गया l
अंबेडकर को लगने लगा के बौद्ध धर्म इस मामले में भिन्न है। सिक्ख पन्थ की ही तरह वह “विदेशी” नहीं बल्कि भारतीय है और सिक्ख पन्थ की ही तरह, वह न तो देश को विभाजित करेगा, न मुसलमानों का प्रभुत्व कायम करेगा और न ही ब्रिटिश साम्राज्यवादियों के हाथ मजबूत करेगा।
बौद्ध धर्म में शायद एक तरह की तार्किकता थी, जिसका सिक्ख पन्थ में अभाव था। अंबेडकर, बुद्ध द्वारा इस बात पर बार-बार जोर दिये जाने से बहुत प्रभावित थे कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने अनुभव और तार्किकता के आधार पर, अपने निर्णय स्वयं लेने चाहिए – अप्‍प दीपो भवs (अपना प्रकाश स्वयं बनो)। इस तरह, अंबेडकर का, सिक्ख पन्थ की तुलना में, बौद्ध सम्प्रदाय के प्रति आकर्षण अधिक शक्तिशाली और स्थायी साबित हुआ। यद्यपि बौद्ध सम्प्रदाय उतना सामुदायिक समर्थन नहीं दे सकता था जितना कि सिक्ख पन्थ परंतु बौद्ध सम्प्रदाय को अंबेडकर, दलितों की आध्यात्मिक और नैतिक जरूरतों के हिसाब से, नये कलेवर में ढाल सकते थे। सिक्खों का धार्मिक ढांचा पहले से मौजूद था और अंबेडकर चाहे कितने भी प्रभावशाली और बड़े नेता होते, उन्हें उस ढांचे के अधीन और खासकर जट्ट सिक्खों के अधीन रहकर ही काम करना होता।
इस तरह, अंततः, अंबेडकर और उनके लाखों अनुयायियों के स्वयं के लिए उपयुक्त धर्म की तलाश बौद्ध धर्म पर समाप्त हुई और सिक्ख पन्थ पीछे छूट गया।

पचास साल बाद जन्लोक्पाल


आज से पचास साल बाद यदि जन्लोक्पाल आ गया तो एक आईएएस अधिकारी के घर पर ऐसी चर्चा होगी


पोता ,,,,बाबा जी क्या करूँ कोई रोजगार नहीं है क्या ठेला लगाऊं

बाबा ,,,,हाँ बेटा कोई काम बुरा नहीं होता ,,,,,,सब तो इंसान ही करते हैं

पोता,,,,बाबा क्या आपके जवाने में भी ऐसा ही था ऐसी ही बेरोजगारी थी

बाबा ,,,,नहीं बेटा उस समय भी मई कुछ तो इमानदारी से काम करता था नेता लोगो का उतना दबाव नहीं था ,,,,था ,,पर कम था

पोता,,,तो अब क्या ऐसा हो गया

बाबा ,,,अब बेटा ये लोकपाल इमानदार लोगो पर ताना शाही चलाता है ,,,कहता है की केवल विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाले काम करो ,,जो लोग करते हैं उसका काम उनको छोड़ देता है जो लोग नहीं करते उनको झूठे केस में फसवा कर जेल भेज देता है

पोता,,कौन लाया था ये कानून ,,,,

बाबा ,,,बेटा बहुत बड़ा आन्दोलन हुआ था अन्ना और अरविन्द केजरीवाल के समर्थन में ,,,,,लेकिन वो लोग UNCAc का काम कर रहे थे

पोता,,,,,आप लोगो ने क्या जन्लोक्पाल का ड्राफ्ट नहीं पढ़ा था ,,,,क्यों समर्थन कर दिया

बाबा ....बेटा हम लोग भी कमाने खाने में व्यस्त थे इतना टाइम नहीं था मै भी गया था आन्दोलन में

पोता ,,, इसका मतलब आपने बगैर पढ़े आन्दोलन का समर्थन कर दिया

बाबा ,,, हाँ बेटा यही गलती हो गई थी मुझसे

पोता ,,,क्या पुरे देश में किसी ने बारीकी से नहीं सोचा था

बाबा ,,,, नहीं ऐसी बात नहीं है कुछ लोग आम जनता से थे वो समझाते थे ,,पर लोग नारे बाजी करके उनको दबा देते थे

पोता ,,,,क्या उस समय के पार्टी नेताओं ने विरोध नहीं किया था

बाबा ,,,हाँ किया था ,,लेकिन बिकाऊ मिडिया जो की खुद विदेशी है इतना मामला उलझा दिया की किसी को पता ही नहीं चला की जो पार्टी कांग्रेस विरोध कर रही थी वही लोकपाल पास करके जाएगी

पोता ,,,पर जनता ने इतना समर्थन क्यों किया था

बाबा ,,,बेटा जनता उस समय के भ्रष्टाचार से इतना परेशान हो गई थी की भेड़ की तरह समर्थन कर दिया पढ़ा नहीं की जन्लोक्पाल में क्या है

पोता,,पर आपने भी तो नहीं पढ़ा था इतने पढ़े लिखे होकर

बाबा ,,, हाँ बेटा मुझसे भी गलती हो गई थी
आज से पचास साल बाद यदि जन्लोक्पाल आ गया तो एक आईएएस अधिकारी के घर पर ऐसी चर्चा होगी


पोता ,,,,बाबा जी क्या करूँ कोई रोजगार नहीं है क्या ठेला लगाऊं

बाबा ,,,,हाँ बेटा कोई काम बुरा नहीं होता ,,,,,,सब तो इंसान ही करते हैं

पोता,,,,बाबा क्या आपके जवाने में भी ऐसा ही था ऐसी ही बेरोजगारी थी

बाबा ,,,,नहीं बेटा उस समय भी मई कुछ तो इमानदारी से काम करता था नेता लोगो का उतना दबाव नहीं था ,,,,था ,,पर कम था

पोता,,,तो अब क्या ऐसा हो गया

बाबा ,,,अब बेटा ये लोकपाल इमानदार लोगो पर ताना शाही चलाता है ,,,कहता है की केवल विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाले काम करो ,,जो लोग करते हैं उसका काम उनको छोड़ देता है जो लोग नहीं करते उनको झूठे केस में फसवा कर जेल भेज देता है

पोता,,कौन लाया था ये कानून ,,,,

बाबा ,,,बेटा बहुत बड़ा आन्दोलन हुआ था अन्ना और अरविन्द केजरीवाल के समर्थन में ,,,,,लेकिन वो लोग UNCAc का काम कर रहे थे

पोता,,,,,आप लोगो ने क्या जन्लोक्पाल का ड्राफ्ट नहीं पढ़ा था ,,,,क्यों समर्थन कर दिया

बाबा ....बेटा हम लोग भी कमाने खाने में व्यस्त थे इतना टाइम नहीं था मै भी गया था आन्दोलन में

पोता ,,, इसका मतलब आपने बगैर पढ़े आन्दोलन का समर्थन कर दिया

बाबा ,,, हाँ बेटा यही गलती हो गई थी मुझसे

पोता ,,,क्या पुरे देश में किसी ने बारीकी से नहीं सोचा था

बाबा ,,,, नहीं ऐसी बात नहीं है कुछ लोग आम जनता से थे वो समझाते थे ,,पर लोग नारे बाजी करके उनको दबा देते थे

पोता ,,,,क्या उस समय के पार्टी नेताओं ने विरोध नहीं किया था

बाबा ,,,हाँ किया था ,,लेकिन बिकाऊ मिडिया जो की खुद विदेशी है इतना मामला उलझा दिया की किसी को पता ही नहीं चला की जो पार्टी कांग्रेस विरोध कर रही थी वही लोकपाल पास करके जाएगी

पोता ,,,पर जनता ने इतना समर्थन क्यों किया था

बाबा ,,,बेटा जनता उस समय के भ्रष्टाचार से इतना परेशान हो गई थी की भेड़ की तरह समर्थन कर दिया पढ़ा नहीं की जन्लोक्पाल में क्या है

पोता,,पर आपने भी तो नहीं पढ़ा था इतने पढ़े लिखे होकर

बाबा ,,, हाँ बेटा मुझसे भी गलती हो गई थी

Thursday, March 28, 2013

चारा भाईचारे का

चारा भाईचारे का

एक मानव जात दूसरी मानव जात को कैसे हॅन्डल करती है, कैसे बेवकूफ बनाती है, जुठ का पूलिन्दा खोलकर कैसे हरा देती है ये बात आज हम जान चुके हैं । मानव की शातिर जातियां भोली जातियों को कभी जीतने नही देगी । भोली जातियों का भोलापन दूर करने के अलावा हमारे पास जीतने का कोइ रास्ता नही बचा है ।
भारतिय दर्शन में प्रेम और विश्वास बहुत बडी चीज मानी जाती है । यही प्रेम और विश्वास का फायदा उठाकर शातिर लोग हमे प्रेम से मार रहे हैं और विश्वास भी दिलाते हैं की हम आप को नही मार रहे हैं, जो कर रहे हैं आप के भले के लिए हैं, तो हम विश्वास कर लेते हैं  । [1] भारत की जनता को प्रेम के बदले लडना सिखना होगा, विश्वास के बदले शक करना सिखना होगा । जुठला दो वो धर्म जो शक को बूरा समजता हो । शक ही वो उर्जा है जो आदमी को बात की गेहराई तक ले कर जाती है । उन को जरूर तमाचा मारो जो सत्य अहिन्सा के नाम पर तमाचा खाने को सिखा रहा हो । जब दुश्मन जुठ की दुकान खोल कर बैठ जाते हैं वहां सत्य से सिक्के से कुछ नही मिलता । खास कर हिन्दुओं को भाईचारे नाम का चारा डाल के बडा भाई बना दिया जाता है और बडा भाई छाति फुला के चने के झाड पर चड जाता है, अपने अंदर या बाहर अपना जो कुछ है उस का परित्याग कर देता है । अपनो को ही घोखा देना सिख जाता है, दुश्मन के खेमों मे जा बैठता है ।
इन शातिर मानवों की इल्लुमिनिटीने मुस्लिम ब्रधरहुड को एक चालाक भर्ती एजेंट के रूपमे उपयोग किया है जो अपने  समाज को उकसा कर गैरकानूनी काम करने के लिए गुट खडा करता है और युवाओं की भर्ति भी  करवाता है । हाथमें बंदुक लिए, सबसे निचली रैंक वाले लडाके  ईमानदारी से मानते ​​है कि वे इस्लाम का बचाव कर रहे हैं, और “पश्चिमी साम्राज्यवाद” सामना कर रहे हैं । लेकिन सिर्फ उपर की रैंकवाले सरगना ही जानते हैं असली बात क्या है ।  इन विभिन्न आतंकवादी समूह, विभिन्न गुट इल्ल्युमिनिटी के बडे नेट-वर्क का हिस्सा मात्र है । जब हम आतंकवादियों के राजनीतिक और वित्तीय कनेक्शन का पता लगाते हैं तो पता चलता है कि ये सिर्फ स्वच्छंद कट्टरवाद, अलगाव जैसे ही काम नहीं कर रहे हैं, बल्की उनकी नेतागीरी, इल्लुमिनिटी की चैनलों द्वारा ब्रिटिश और अमेरिकी सरकारों में सत्ता के ऊपरी पद पर घुस जाती है, अंडरवर्ल्ड के बादशाहों से दोस्ति कर के उनके धंधे के भागीदार बन जाती हैं ।
असली मुस्लिम भाइ वो है जो कत्ल के धंधे से अपना हाथ कभी गंदे नही करते । मुसलमानों में जो अपना हाथ गंदा करते हैं वे हैं गोपनीय बैंकर्स और फाइनेंसर्स जो पर्दे के पीछे खडे हैं, वो है पुराने अरब, तुर्की, फारसी परिवारों की वंशावली  जीनकी वफादारी ब्रिटन के ताज के साथ है, इन में वे अभिजात वर्ग है जो युरोपियन ब्लेक नोबेलिटी के सदस्य हैं और  व्यवसाय के लिए कंपनियां और खुफिया संगठन चलाते हैं ।
और मुस्लिम ब्रधरहुड का दूसरा नाम पैसा भी है । ब्रधरहुड के पास डॉलर  का ढेर और तत्काल केश की जा सके ऐसी तरल संपत्ति है जीस से डे टु डे कामकाज में बाधा ना आये । इस लिक्विडिटी के जरिये ओइल बिजनेस से ले कर बैंकिंग,  ड्रग, अवैध हथियारों की बिक्री, सोने और हीरे की तस्करी जैसे काम भी कर लेते हैं । मुस्लिम ब्रधरहुड के साथ गठबंधन करके, एंग्लो अमेरिकिन आतंकवादी को किराये पर खरिदने का रैकेट चलाते, और जहां वो चाहते हो उस देश में आतंकी घटना करवा देते हैं ।
रोनाल्ड रीगन ने 1981 में अमेरिकी उद्देश्य को अफगानिस्तान से जोड दिया, क्योंकि यह अनुमान लगाया गया था कि कोई कम से कम 150,000 से अधिक प्रशिक्षित और अच्छी तरह से सुसज्जित एक मुजाहिदीन लडाकों का दल बनाया जाना चाहिए, जीस से अफगानिस्तान में युद्ध के बाद भी आतंकी कारवाईयां या युद्ध भड़काने के लिए इस्तेमाल किया जा सके, आतंकवादियों के एक अंतरराष्ट्रीय पूल बना कर अपने indoctrinating ( inculcating ideas, attitudes, cognitive strategies )  के उद्देश्य पार लगा सकें । विल्लियम केसीने सी.आई.ए की मदद से और ब्रधरहूड के माध्यम से भर्ति के लिए मोहीम चलाई । अफघानिस्तान से तडिपार या भागे हुए लोगों का युरोपमें बसा हुआ समुह, उत्तरी आफ्रिका, इस्लामी दुनिया के अन्य भाग, और अमेरिका में अफगान निर्वासन समुदायों से संपर्क कर के भर्ति के लिए मनाया गया । कुछ हजार मुजाहिदिनो से कुछ नही होना था तो भर्ती बढाने के लिए दुनिया के सभी भागों से मुसलमानों को आकर्षित करने के लिए मदरेसाओं में जिहाद सिखाया जाने लगा ।
इस दौरान मुजाहिदिनो के इस समुह को “फ्रीडम फाईटर” माना गया लेकिन इल्लुमिनिटी को अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की एक सेना बनाने का मौका मिल गया, बादमें उन के कार्यों की दिशा बदलनी थी । १८वीं सदी में कुटिल अंग्रेजों द्वारा बनाया गया इस्लाम का कट्टर संस्करण काम मे आ गया । इस गुप्त ओपरेशन का खर्च अपने सह षड्यंत्रकारी लंदन और अमरिका की ओर से साउदी अरबने किया ।
साउदी राजा फहद को मनाने के लिए बी.सी.सी.आई के मेच रख्खे गये, मेच के माध्यम से मुजाहिदीन के समर्थन के लिए अमेरिकन डॉलर जुटाये गये । आतंकवादी मौलवियों और कट्टरपंथी जनता के बीच सभाएं भरने लगे । धनी नागरिक भी आतंकवादीयों को मदद देने के लिए प्रेरित हो गये । आए.एस.आई ने प्रिंस तुर्की अल फैसल को अफघानिस्तान के युध्ध की बागडौर अपने हाथ में लेने की सलाह दी थी लेकिन साउदी ने राज परिबार से निकट संबंध रखनेवाले एक धनी परिवार के एक आदमी को सर पर पगडी बांध कर पाकिस्तानी सीमा पर भेज दिया । वो चिल्लने लगा “”अल्लाह आपके साथ है ” वो था ओसामा बिन लादेन ।
ओसामा जब नये रंगरूटों को तालीम दे रहा होता था तब शेख अब्दुल्ला आझमने सिखाई बातें बताता था । इस्लामी शब्द जिहाद का उपयोग कर के सोवियत संघ के खिलाफ अमेरिकी हितों की सेवा करने के लिए अपने लडाकों को  प्रेरित किया ।
कोलंबिया विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर बार्नेट आर रुबिन कहते हैं “स्रोतों ने उनसे कहा है कि अब्दुल्ला आझम सीआईए द्वारा आयोजिक ” था । [2] फिलिस्तीन में जन्मा ये शिक्षक मुस्लिम ब्रधरहुड का सक्रिय सदस्य है । वह मोहम्मद कुतुब की सिफारिश से सऊदी अरब के किंग अब्दुल अजीज विश्वविद्यालय से जुडा हुआ था ।
इजिप्त के राष्ट्रवादी नेता नासिर जब ब्रिटन और अमरिका से लोहा ले रहे थे तब इजिप्त विरोधी गतिविधियो की वजह से मोहम्मद कुतुब को कैद कर लिया था । [3] सी.आई.ए और मुस्लिम ब्रधरहूड को देश से भगा दिया था । नासिर के बाद सदात ने सी.आई.ए और मुस्लिम ब्रधरहूड दोनों को आमंत्रित कर दिया ।  सी.आई.ए ने मोहम्मद कुतुब को जेल से निकाल कर साउदी भेज दिया, वो वहां की युनिवर्सिटी में विभिन्न पदों पर रहते हुए मुस्लिम ब्रधरहुड के पाठ पढाता रहा ।
बिन लादेन का परिवार कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाता है । अति धनवान है । दुनिया के अति धनवान दबाव मे या कोइ बडी लालच में आ कर सी.आई.ए के फंदेमें आ जाते हैं और वो अमरिकी हितों को ध्यानमें रखकर कार्य करने लगते हैं, अपना सारा धन अमरिकी एजंडे को सफल बनाने के लिए अर्पण कर देते हैं । वोरन बफेट, फोर्ड, बील गेट जैसे सेंकडों अमरिकियों के साथ साथ भारत के धनपति भी अपना धन अमरिकी एजंडे को दे रहे हैं । बिन लादेन परिवार भी ऐसा करे तो किसी को अचरज नही होना चाहीए । लादेन ने अपनी लडाई में अपने ही परिवार का बहुत सा धन फुंक डाला है ।
ओसामा को गाईड करने के लिए आई.एस.आई ने सिनियर बुश (उस समय खुफिया तंत्र का चीफ था) के आशिर्वाद से पाकिस्तान के पेशावर में “मकतब अल खिदमत” (Mujahideen Services Bureau) की स्थापना की । उसे पाकिस्तान के मुस्लिम ब्रधहुड, जमात – ए – इस्लामी के साथ जोड दिया, जो जिहादियों की भर्ति करता था ।
अस्सी के दशक के आखिर में “मकतब अल खिदमत” के सेंटर दुनियाभर के ५० देशों में खूल गये थे, जीस के जरिये अफघानिस्तान की लडाई के लिए दुनिया भर से जिहादीयों को भर्ति कर के एक मजबूत सेना खडी कर दी । जब आझम और बिन लादेन को लगा लडाकों को ट्रेनिन्ग की जरूरत है तो पेशावर में रहते सी.आई.ए के मुखिया के मार्गदर्शन में “बैत अल अन्सार” या “अल कायदा” नाम से ट्रेनिन्ग सेन्टर बनाये ।
१९८६ में ओसामा को नकली नाम “टीम ओसामा” दे कर अमरिका ले जाया गया । वहां एफ.बी.आई के सिनियर्स, प्रेसिडेन्ट रेगन के सिनियर साथी मिले और आगे की योजनायें समजा दी गई ।
लादेन को ऐसी सर्फेस-टु-ऐर स्ट्रिन्ग मिसाई भेजी गयी जीसमें ऐसे डिवाईस थे जब अमरिकी विमान सामने आता है तो काम ना कर सके । सोवियेत और दुसरे विमानों के लिए ही बनी थी ।
“अन होली वॉर” के लेखक रिटारर्ड पत्रकार जोन कुली कहते हैं की आतंकवाद को साथ देने के लिए उच्च कक्षा की तालिम खूद अमरिकामें दी जाती रही है । रायफल की ट्रेनिन्ग “हाई रॉक गन क्लब में, टेक्निकल ट्रेनिन्ग सी.आई.ए के वर्जिनिया के केम्प “ध फार्म” में, जहां निगरानी, काउन्टर निगरानी, काउन्टर आतंकवाद और अर्द्ध सैनिक बलों का संचालन जैसे विषय सिखाये जाते हैं ।
१९८७-८९ के दरम्यान, जेद्दाह के अमरिकन विजा ब्युरो में काम कर चुके माईकल स्प्रिन्गमेन ने बीबीसे से कहा था “ साउदी में अन्जान लोगों को विजा देने के लिए हमारे हेड मुझ पर दबाव डालते रहते थे । वो ऐसे लोगों को विसा दिलाना चाहते थे जीस का ना साउदी मे कोई लिन्क मिलता था ना अपने देश का । मै ने यहां, वोशिन्गटन में इन्स्पेक्टर जनरल से शिकायत की, डिप्लोमेटिक सिक्युरिटी से बात की लेकिन मुझे इग्नोर कर दिया । मैं क्या कर रहा था, ऐसे लोगों को विजा दे रहा था जो सी.आई.ए और बिन लादेन द्वारा भर्ति किए हुए आदमी थे जो अमरिका ट्रेनिन्ग लेने जा रहे थे सोवियेत के साथ लडने के लिए ।
1993 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर बमबारी को ध्यानमें रखते हुए हजारों संदिग्ध आतंकवादियों को राउंड अप से अंदर कर दिये । उनमें एक उमर अब्ब्दूल रहमान भी था जो अंततः न्युयोर्क के स्थलों को उडाने की साजिश का दोषी पाया गया । रहेमान का इजिप्शयन बोडीगार्ड और ट्रायल का प्रमुख गवाह एमद सलेम, एफबीआई का मुखबिर था । ट्रायल के दौरान पता चला की एफ.बी.आई ने इसे आधे से एक मिल्यन डोलर दे दिये हैं उस की सेवा के बदले । सलेम ने गवाही दी है कि एफबीआई इस हमले के बारे में पहले से जानता था और उसे बताया कि वे इस विस्फोटकों में हानिरहित पाउडर का उपयोग करने वाले हैं । हालांकि इस प्लान को एफ.बी.आई के सुपरवाईजर ने अटका देना चाहा था लेकिन बोम्बिन्ग अटका नही पाया ।
२००१ मे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर प्लेन द्वारा किया हमला भी बुश तंत्र द्वारा प्रायोजित ही था वो बात जग जाहिर हो चुकी है । [4]
आतंकवादियों को आमंत्रित कर के अपने ही देश की संपत्ति को नूकसान पहुंचाना और नागरिकों को मरवाने के पिछे कोइ बडा कारण ही होता है । युएन के काफी सारे एजन्डे इसमे समा गये थे ।
नेट से कुछ सवाल मिले थे जवाब देने की कोशीश मात्र की है । हकिकत कुछ और हो सकती है ।
1)  फ्रांस : ‘मुस्लिम मौलानाओं के देश में आने पर रोक,  नमाज पे पाबंदी
फ्रान्स और युरोप में हमारे बन बैठे मालिक शारीरिक रूप से रह रहे हैं, उन की जान किमती है । आंतरिक सुरक्षा के झंझटमें नही पडना है । उन देशों मे आतंकवाद फैलाना नही चाहते । लो ग्रेड के आतंकियों को मालुम नही होता है की यही लोग हमारे मालिक है, नूकसान कर सकते हैं ।
2) बुर्का, हिजाब और नकाब पहनने पर फ्रांस, कॅनडा में पाबदी
सुरक्षा का मामला तो है साथमें मुस्लिम प्रजा को चिडाने का भी बहाना है ताकी कोइ हरकत करे तो उस का दमन किया जा सके ।
3) चीन में बच्चे और सरकारी अधिकारी कों मस्जिद मे प्रवेश पे पाबंदी, रमजान के रोजा इफ्तार पर प्रतिबन्ध लगा दिया हैं ।
चीन की सेन्सरशीप और अलग भाषा के कारण वहां के नागरिकों की सही आवाज हमतक नही पहुंचती है । अगर ये बात सच है तो चीन आतंकवाद का सही विरोधी है, भारत की तरह आतंकवाद का नकली विरोधी नही है ।
4) जापान में मुस्लिम आबादी और मस्जिदों की संख्या नगण्य
जापान की जनता बुध्दिमान रही है । उनका असली धर्म मेहनत है ।
5) आतंकवाद के केन्द्र पाकिस्तान,अफगानिस्तान, इराक और लीबिया पर अमेरिका, ब्रिटन और इस्राइल के हवाई हमले
इसे अमरिका की काउंटर मिलिटन्सी कहना ही ठीक है । अफगानिस्तान, इराक और लीबिया जीत कर अपने मोहरे को गद्दी पर बैठा दिये हैं । इस्राइल की स्थापना और उसका सशक्ति करण मुस्लिम देशों के खात्में के लिए ही किया गया है । अब जो हवाई हमले हो रहे हैं वो अमरिका का इस क्षेत्रमें बने रहने का बहाना है और आतंकियों के खात्में का जुठा बहाना निकाल कर युएन का डिपोप्युलेशन का एजंडा-२१ लागू कर रहा है ।
6) मुस्लिमो कों अमेरिका का वीजा मिलना हुआ बहुत मुश्किल
अभी मुश्किल है तो छुट जल्दी मिल जायेगी । अमरिका में इन्टर्नल सिक्युरिटी मजबूत है । और अमरिकी प्रजा को तोडने के लिए आतंकियों की जरूरत भी है । हमारे बन बैठे मालिकों के लिए अंडरग्राउंड घर बना लिये गये हैं, थोक के हिसाब से कोफिन का उत्पादन शुरु करवा दिया है, कैदियों के लिए बडे बडे केंप भी बना लिए गये हैं । नजदिक के भविष्य में अमरिका आग का गोला बनते देखा जायेगा ।
इन सवालों का कोइ मतलब नही रहा है । सवाल के बदले जवाब में उपाय ढुंढना है । सवाल हम उन लोगों से कर बैठते हैं जो इन सारी बातों के जिम्मेवार है जीसमें से ये सवाल निकलते हैं ।
फिर भी कुछ सवाल मुस्लिम जनता के लिए ।
(१) क्या आप को मालुम है १८वीं सदी में कुटिल अंग्रेजों द्वारा बनाया गया इस्लाम का कट्टर संस्करण क्या है ?
(२) दुनिया के बन बैठे मेसोनिक यहुदी और इसाई और सब धर्मों की मेसोनिक धनी प्रजा आप को एक किलर वायरस की तरह उपयोग करते है,खूद भी मरो और दूसरों को भी मारो ?
(३) आप के उपरी नेताओं की असलियत जानने की कभी कोशीश की है ?
(४) मुस्लिम देशों में, मुस्लिम प्रजा के उपर ही, मुस्लिमो द्वारा क्यों हमला होता है कभी सोचा है ?
(५) और आखिर में इल्ल्युमिनिटी के बारेमें जानते हो ?

आधार कार्ड आधारहीन है


यह कार्ड ख़तरनाक है : पार्ट-1
चौथी दुनिया ने अगस्त 2011 में ही बताया था कि  कैसे यह यूआईडी कार्ड हमारे देश की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक है. दरअसल, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने इसके लिए तीन कंपनियों को चुना- एसेंचर, महिंद्रा सत्यम-मोर्फो और एल-1 आईडेंटिटी सोल्यूशन. एल-1 आईडेंटिटी सोल्यूशन का उदाहरण लेते हैं. इस कंपनी के टॉप मैनेजमेंट में ऐसे लोग हैं, जिनका अमेरिकी खु़फिया एजेंसी सीआईए और दूसरे सैन्य संगठनों से रिश्ता रहा है. एल-1 आईडेंटिटी सोल्यूशन अमेरिका की सबसे बड़ी डिफेंस कंपनियों में से है, जो 25 देशों में फेस डिटेक्शन, इलेक्ट्रॅानिक पासपोर्ट आदि जैसी चीजों को बेचती है. इस कंपनी के डायरेक्टरों के बारे में जानना ज़रूरी है. इसके सीईओ ने 2006 में कहा था कि उन्होंने सीआईए के जॉर्ज टेनेट को कंपनी बोर्ड में शामिल किया है. ग़ौरतलब है कि जॉर्ज टेनेट सीआईए के  डायरेक्टर रह चुके हैं और उन्होंने ही इराक़ के  ख़िलाफ़ झूठे सबूत इकट्ठा किए थे कि उसके पास महाविनाश के हथियार हैं. सवाल यह है कि सरकार इस तरह की कंपनियों को भारत के लोगों की सारी जानकारियां देकर क्या करना चाहती है? एक तो ये कंपनियां पैसा कमाएंगी, साथ ही पूरे तंत्र पर इनका क़ब्ज़ा भी होगा. इस कार्ड के बनने के बाद समस्त भारतवासियों की जानकारियों का क्या-क्या दुरुपयोग हो सकता है, यह सोचकर ही किसी के भी दिमाग़ की बत्ती गुल हो जाएगी.

यह कार्ड ख़तरनाक है : पार्ट- 2
नवंबर 2011 में भी चौथी दुनिया ने यूआईडी कार्ड से संबंधित एक कवर स्टोरी की थी और बताया था कि कैसे अगर यह कार्ड गलत हाथों में चला गया, तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. हमने बताया था कि अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में यूएस होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम है. इस म्यूजियम में एक मशीन रखी है, जिसका नाम है होलेरिथ डी-11. इस मशीन को आईबीएम कंपनी ने द्वितीय विश्‍व युद्ध से पहले बनाया था. यह एक पहचान-पत्र की छंटाई करने वाली मशीन है, जिसका इस्तेमाल हिटलर ने 1933 में जनगणना करने में किया था. यही वह मशीन है, जिसके ज़रिए हिटलर ने यहूदियों की पहचान की थी. नाज़ियों को यहूदियों की लिस्ट आईबीएम कंपनी ने दी थी. यह कंपनी जर्मनी में जनगणना करने के काम में थी, जिसने न स़िर्फ जातिगत जनगणना और यहूदियों की गणना की, बल्कि उनकी पहचान भी कराई. आईबीएम और हिटलर के इस गठजोड़ ने इतिहास के सबसे खतरनाक जनसंहार को अंजाम दिया. भारत सरकार ने खास तौर पर जर्मनी और आम तौर पर यूरोप के अनुभवों को नज़रअंदाज़ करके इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी है, जबकि यह बात दिन के उजाले की तरह साफ़ है कि निशानदेही के यही औजार बदले की भावना से किन्हीं खास धर्मों, जातियों, क्षेत्रों या आर्थिक रूप से असंतुष्ट तबकों के खिलाफ़ भी इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं. यह एक खतरनाक स्थिति है.

यह कार्ड ख़तरनाक है : पार्ट-3, आधार कार्ड आधारहीन है

दिशाहीनता जब हद से गुजर जाए, तो उसे मूर्खता ही कहा जाता है. यूआईडी यानी आधार कार्ड के मामले में यूपीए सरकार ने दिशाहीनता की सारी सीमाएं अब लांघ दी हैं. आधार कार्ड पर हज़ारों करोड़ रुपये सरकार ने ख़र्च कर दिए. कांग्रेस पार्टी ने डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का स्कीम इस कार्ड से जोड़ने का ऐलान कर दिया. कई झूठे वायदे कर लोगों को गुमराह करने में भी पीछे नहीं रही सरकार. देश के करोड़ों लोगों ने अपनी आखों की पुतली के अलावा और न जाने क्या-क्या जमा करा दिया और कैबिनेट मंत्रियों को यह भी पता नहीं है कि आधार स़िर्फ एक नंबर है या यह किसी कार्ड का नाम है. अब सवाल यह है कि वर्ष 2009 से यूआईडी कार्ड पर काम चल रहा है और अब इतने दिनों बाद देश के कई महान मंत्री यह कहें कि उन्हें यूआईडी या आधार के बारे में सही जानकारी नहीं है, तो ऐसी कैबिनेट को कौन सा ईनाम दिया जाए. ऐसी सरकार को क्या संज्ञा दी जाए. इसके अलावा यूआईडी को लेकर एक बिल संसद में लंबित है. अगर यह बिल पास हो गया, तो यूआईडीएआई को वैधता मिल जाएगी, लेकिन संसदीय समिति ने इस बिल को नकार दिया है. यह पता नहीं है कि यह बिल पास हो पाएगा या नहीं. यह भी पता नहीं है कि जब तक यह बिल पास हो, तब तक यूपीए की सरकार रहेगी या नहीं. कर्नाटक हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज यूआईडी की कमियां और इसके ग़ैरक़ानूनी पहलू को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं. इस केस की सुनवाई स्वयं अल्तमस कबीर कर रहे हैं. चौथी दुनिया पिछले तीन साल से यूआईडी या आधार कार्ड के ख़तरों से अपने पाठकों को अवगत कराता रहा है. आज यह स्कीम इस मुकाम पर पहुंच गया है, जहां यूआईडी या आधार कार्ड के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लग गया है और दूसरी तरफ यूपीए सरकार है, जो क़ानूनों को ताक पर रखने की ज़िद पर अड़ी है.
आधार कार्ड का एक और पहलू है. संसदीय समिति ने इसे निरस्त कर आधारहीन घोषित कर दिया है. संसदीय समिति ने सिर्फ इसकी वैधता पर ही सवाल नहीं उठाया, बल्कि संसदीय समिति ने इस प्रोजेक्ट को ही रिजेक्ट कर दिया. संसदीय समिति ने पहले इसके जानकारों और विशेषज्ञों से पूछताछ की और उसके बाद यूआईडीएआई के अधिकारियों को पूरा समय दिया कि उनके सवालों का सही तरह से जवाब दें, लेकिन यूआईडीएआई के अधिकारी इन सवालों का जवाब नहीं दे सके.
पिछले दिनों हुए कैबिनेट मीटिंग में यह एक बहस का मुद्दा बन गया कि यह आधार कार्ड है या कोई नंबर. इस कैबिनेट मीटिंग में कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, समाज कल्याण मंत्री कुमारी शैलजा, हैवी इंडस्ट्री मंत्री प्रफुल्ल पटेल और रेलमंत्री पवन बंसल ने यूआईडी पर सवाल उठाए. हैरानी की बात यह है कि यूआईडी पर उठे सवालों को सुलझाने के लिए इस बैठक में एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर का गठन किया गया, जो आधार से जुड़े सवालों पर जबाव तैयार करेगी. अब सवाल यह है कि यह ग्रुप ऑफ मिनिस्टर क्या करेगी, क्योंकि देश में आधे लोगों का कार्ड बन गया है, कई लोग आधार कार्ड लेकर घूम रहे हैं. इतना ही नहीं, इसमें दूसरा कंफ्यूजन भी है. नेशनल पॉपुलेशन रजिस्ट्रार भी एक दूसरा कार्ड धड़ल्ले से बना रही है. यह एनपीआर कार्ड और आधार कार्ड में क्या फ़़र्क है, यह किसी को पता नहीं है और न ही कोई बता रहा है. इसके बावजूद सरकार लगातार यह अफ़वाह फैला रही है कि डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब कैबिनेट मिनिस्टर तक को इस स्कीम के बारे में पता नहीं है, तो यह सरकार देश की जनता को क्या बता पाएगी. इस बीच योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया यूआईडी के बचाव में कूदे. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि आधार कोई कार्ड नहीं, बल्कि एक नंबर है, लेकिन यूआईडी के एक प्रचार को हम आपके सामने पेश कर रहे हैं, जिसमें साफ़- साफ़ यह लिखा है कि आधार एक कार्ड है. इस प्रचार में यह लिखा है कि मेरे पास आधार कार्ड है. इसके अलावा इसी प्रचार में हर व्यक्ति के हाथ में एक कार्ड है. हैरानी होती है कि देश चलाने वालों ने एक स्कीम को लेकर पूरे देश में तमाशा खड़ा कर दिया है और ख़ुद को हंसी का पात्र बना दिया. हालांकि सवाल यह है कि यूआईडी को लेकर, अब तक सरकार सारे कामकाज को क्यों गोपनीय रखा है. इस स्कीम में आख़िर ऐसी क्या बात है, जिसकी वजह से सरकार सारे नियम क़ानून को ताक पर रख दिया है. सरकार अजीबो-ग़रीब तरी़के से काम करती है. केंद्रीय सरकार ने यूआईडी/आधार नंबर को प्रॉविडेंट फंड के ऑपरेशन के लिए अनिवार्य बना दिया है, जबकि अब तक इसके लिए कोई क़ानूनी आदेश जारी नहीं किया गया है. मतलब यह कि इस कार्ड को प्रॉविडेंट फंड के लिए ग़ैरक़ानूनी तरी़के से अनिवार्य बना दिया गया है. हैरानी की बात यह है कि इसकी वेबसाइट पर आज भी यह लिखा हुआ है कि यह कार्ड स्वेच्छी है, यानी वॉलेनटरी है. इसका मतलब तो यही हुआ कि यूआईडी को लेकर सरकार कोई क़ानून नहीं बनाएगी, लेकिन अपने अलग- अलग विभागों में इसे अनिवार्य कर देगी. यहां ग़ौर करने वाली बात यह भी है कि यूआईडी तो सिर्फ देश के आधे हिस्से में लागू किया गया है और बाकी हिस्से में एनपीआर कार्ड बनेगा, तो फिर ऐसी स्थिति में आधार कार्ड को प्रॉविडेंट फंड जैसे स्कीम में अनिवार्य कैसे किया जा सकता है. और अगर सरकार इसे पीएफ में अनिवार्य करना चाहती है, तो जिन राज्यों में आधार कार्ड नहीं बनेगा, वहां किस कार्ड को वैध माना जाएगा. सरकार ने यूआईडी के नाम पर ऐसा चक्रव्यूह बना दिया है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब देश के सारे मज़दूर यूआईडी कार्ड पर ही निर्भर हो जाएंगे. यूआईडी/आधार कार्ड के फार्म के कॉलम नंबर ९ में एक अजीबो-ग़रीब बात लिखी हुई है. इसे एक शपथ के रूप में लिखा गया है. कॉलम 9 में लिखा है कि यूडीआईएआई को उनके द्वारा दी गई सारी जानकारियों को किसी कल्याणकारी सेवा में लगी एजेंसियों को देने में उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं है. इस कॉलम के आगे हां और ना के बॉक्स बने हैं. दरअसल, इस हां और ना का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि फॉर्म भरने वाले लोग हां पर टिक लगा देते हैं. बंगलुरु में यूआईडीएआई के डिप्टी चेयरमैन ने यह घोषणा की, यूडीआईएआई पुलिस जांच में लोगों की जानकारी मुहैया कराएगा. सवाल यह है कि क्या पुलिस एक कल्याणकारी सेवा करने वाली एजेंसी है. समस्या यह है कि इस फॉर्म पर कल्याणकारी सेवा में लगी एजेंसियों के नाम ही नहीं हैं. इसका मतलब यह है कि यूआईडीएआई जिसे भी कल्याणकारी सेवा में लगी एजेंसियां मान लेगी, उसके साथ लोगों की जानकारियां शेयर कर सकती हैं. यानी एक बार लोगों ने अपनी जानकारियां दे दी, तो उसके बाद उन जानकारियों के इस्तेमाल पर लोगों का कोई अधिकार नहीं रह जाएगा. दरअसल, इन जानकारियों को सरकार सेंट्रलाइज्ड आईडेंटिटी डाटा रजिस्टर (सीआईडीआर) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्ट्रार के लिए जमा इसलिए कर रही है, ताकि पूरे देश के लोगों का एक डाटा बेस तैयार हो सके, लेकिन इसका एक ख़तरनाक पहलू भी है. इन जानकारियों को बायोमैट्रिक टेक्नोलॉजी कंपनियों को दे दिया जाएगा, क्योंकि यूआईडीएआई ने इन जानकारियों को ऑपरेट करने का ठेका निजी कंपनियों को दे दिया है. इन कंपनियों में सत्यम कम्प्यूटर सर्विसेज (सेगेम मोर्फो), एल 1 आईडेंटिटी सॉल्युशन, एसेंचर आदि हैं. जैसा कि चौथी दुनिया में पहले भी बताया जा चुका है कि इन कंपनियों के तार अमेरिका की ख़ुफिया एजेंसी के अधिकारियों से जुड़ी हुई है, इसलिए यह मामला और भी गंभीर हो जाता है. सरकार न तो संसद में और न ही मीडिया में यह साफ़ कर पाई है कि ऐसी क्या मजबूरी है कि देश के लोगों की जानकारियां ऐसी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है, जिनका बैकग्राउंड न स़िर्फ संदिग्ध हैं, बल्कि ख़तरनाक भी है. अब यह समझ में नहीं आता है कि मनमोहन सिंह की सरकार यूआईडीएआई और उसके चेयरमैन नंदन नेलकानी को लेकर इतनी गोपनीयता क्यों बरत रही है. सारे क़ायदे क़ानून को ताक पर रखकर सरकार उन्हें इतना महत्व क्यों दे रही है. इसका क्या राज है. 2 जुलाई, 2010 को यूआईडीएआई की तरफ से बयान जारी होता है कि कैबिनेट सेक्रेटेरिएट में चेयरमैन की नियुक्ति का फैसला ले लिया गया है. योजना आयोग 2 जुलाई, 2009 के नोटिफिकेशन में यह बताया गया कि सक्षम प्राधिकारी यानी कॉम्पीटेंट अथॉरिटी के द्वारा यह पारित किया गया है कि नंदन नेलकानी, इंफोसिस के को-चेयरमैन, को यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया का अगले पांच साल तक चेयरमैन रहेंगे. यहां दो चूक हुई. उन्हें यूआईडी का चेयरमैन उस वक्त बनाया गया, जब वह इंफोसिस के को-चेयरमैन की कुर्सी पर विराजमान थे. मतलब यह कि कुछ समय के लिए वे यूआईडीएआई के साथ-साथ इंफोसिस के को-चेयरमैन बने रहे. अगर कोई दूसरा होता, तो वह दोनों जगहों से जाता. ग़ौरतलब है कि सोनिया गांधी को ऐसी ही ग़लती की वजह से त्यागपत्र देना पड़ा था, लेकिन नेलकानी का बाल भी बांका नहीं हुआ. दूसरी ग़लती यह कि नंदन नेलकानी ने कोई गोपनीयता की शपथ भी नहीं ली, जैसा कि हर कैबिनेट मंत्री को लेना होता है, लेकिन मनमोहन सिंह की सरकार ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया. सरकार ने देश के सभी नागरिकों की गुप्त जानकारियों को उनके हाथ सौंप दिया. अब तो मनमोहन सिंह ही बता सकते हैं कि नेलकानी पर इतना भरोसा करने की वजह क्या है. वैसे यह भी जानना ज़रूरी है कि भारत में किसी भी व्यक्ति के बायोमैट्रिक को कलेक्ट करना क़ानूनी रूप से ग़लत है, लेकिन सरकार ने नंदन नेलकानी साहब के लिए खुली छूट दे रखी है. नंदन नेलकानी और यूपीए सरकार ने यूआईडी को लेकर जितने भी दावे किए, वे सब झूठे साबित हुए. नंदन नेलकानी का सबसे बड़ा दावा यह था कि इसका डुप्लीकेट नहीं बन सकता. कहने का मतलब कि यह कार्ड इस तरह के तकनीकी से युक्त है, जो इसे फुलप्रूफ बनाता है, लेकिन यह दावा खोखला साबित हुआ. अब इस तरह की शिकायतें आने लगी हैं, जिससे यह पता चलता है कि यह न तो फुलप्रूफ है और इसका डुप्लीकेशन भी पूरी तरह संभव है. अब नंदन नेलकानी को यह भी जबाव देना चाहिए कि उन्होंने देश के सामने झूठे वायदे क्यों किए और लोगों को गुमराह क्यों किया. वैसे शर्मसार होकर यूआईडीएआई ने इन गड़बड़ियों पर जांच के आदेश दे दिए हैं. अब तक 300 ऑपरेटरों को स़िर्फ महाराष्ट्र में ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है, जिनमें 22 ऑपरेटर मुंबई में स्थित हैं. दिसंबर 2012 में यूआईडीएआई क़रीब 3.84 लाख आधार नंबर  कैंसिल कर चुकी है, क्योंकि वे नंबर फर्जी थे. नंदन नेलकानी के बड़े-बड़े वायदों की सच्चाई यह है कि अभी आधार कार्ड का काम सही ढंग से शुरू भी नहीं हो पाया और गड़बड़ियां शुरू हो गई हैं. यूपीए सरकार वही सरकार है, जिसने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जब अन्ना हजारे ने जनलोकपाल के लिए अनशन किया था, तो चीख-चीखकर कहा था कि क़ानून सड़क पर नहीं बनते. यह काम संसद का है. संसद में क़ानून बनाने की एक प्रक्रिया है, लेकिन जब बात यूआईडी यानी आधार कार्ड की आई, तो सरकार ने सारे नियम क़ानून को ताक पर ऱख दिया. यूआईडी के लिए क़ानून संसद में तो नहीं बनी, लेकिन लगता है यूआईडी के सारे नियम किसी ड्राइंग रूम में दोस्तों के बीच बनाया गया है. देश में धड़ल्ले से आधार कार्ड बनाए ज़रूर गए, लेकिन सरकार ने इस बात की ज़रूरत भी नहीं समझी कि इस बाबत कोई ठोस क़ानून बन सके. हालांकि क़ानून बनाने की प्रक्रिया भी शुरू हुई और यह मामला संसदीय समिति के पास भी गया, लेकिन आज स्थिति यह है कि बिना संसद की सहमति के इस स्कीम को देश के ऊपर थोप दिया गया. आधार कार्ड का एक और पहलू है. संसदीय समिति ने इसे निरस्त कर आधारहीन घोषित कर दिया है. संसदीय समिति ने सिर्फ इसकी वैधता पर ही सवाल नहीं उठाया, बल्कि संसदीय समिति ने इस प्रोजेक्ट को ही रिजेक्ट कर दिया. संसदीय समिति ने पहले इसके जानकारों और विशेषज्ञों से पूछताछ की और उसके बाद यूआईडीएआई के अधिकारियों को पूरा समय दिया कि उनके सवालों का सही तरह से जवाब दें, लेकिन यूआईडीएआई के अधिकारी इन सवालों का जवाब नहीं दे सके. संसदीय समिति ने उन्हीं सवालों को दोहराया, जिन्हें हम चौथी दुनिया में पिछले तीन वर्षों से लगातार छापते आए हैं. 31 सदस्यों वाली संसदीय समिति के 28 लोगों ने यूआईडी प्रोजेक्ट को सिरे से नकार दिया और जो तीन बचे थे, उनमें से एक ने कहा कि वह संसदीय समिति में बिल्कुल नए हैं, इसलिए उन्हें यूआईडी के बारे में पूरी जानकारी नहीं है. एक वरिष्ठ कांग्रेसी सांसद थे, जिन्होंने बिना कोई कारण बताए संसदीय समिति के फैसले के विपरीत अपना रुख रखा. संसदीय समिति ने सात मुख्य बिंदुओं पर यूआईडी को निरस्त किया, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा, जल्दीबाज़ी, दिशाहीनता, ग़ैर भरोसेमंद टेक्नोलॉजी, प्राईवेसी का हक़, व्यावहारिकता, अध्ययन की कमी और सरकार के अलग-अलग विभागों में तालमेल की कमी शामिल है. ससंदीय समिति का कहना है कि यूआईडी स्कीम को बिना सोचे समझे ही बना दिया गया है. इस स्कीम का उद्देश्य क्या है यह भी साफ नहीं है और अब तक दिशाहीन तरी़के से इसे लागू किया गया है, जो आने वाले दिनों में इस स्कीम को निजी कंपनियों पर आश्रित कर सकता है. संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस प्रोजेक्ट को दिशाहीन बताकर और इस बिल को नामंजूर करते हुए सरकार से अपील की है कि वह इस स्कीम पर पुनर्विचार करे. सरकार को यह बताना चाहिए कि क्या उन्होंने इस कार्ड को लेकर कोई फिजिबिलिटी टेस्ट किया है. अगर नहीं किया है, तो फिर पूरे देश पर क्यों थोप दिया. क्या दुनिया के किसी देश में इस तरह के कार्ड का इस्तेमाल हो रहा है. क्या इस तरह की टेक्नोलॉजी दुनिया के किसी भी देश में सफल हो पाया है. क्या दुनिया के किसी भी देश में सरकारी योजनाओं को इस तरह के नंबर से जोड़ा गया है. अगर नहीं, तो फिर भारत सरकार यह अक्लमंदी का काम क्यों कर रही है, जबकि इंग्लैंड में इस योजना में आधा ख़र्च करने के बाद इसे अंततः रोक दिया गया. सच्चाई यह है कि यह कोई नहीं जानता कि यह कार्ड कैसे काम करता है. यह टेक्नोलॉजी किस तरह से ऑपरेट होती है. दुनिया भर के एक्सपर्ट्स का मानना है कि बायोमैट्रिक से पहचान पत्र बनाने की कोई सटीकटेक्नोलॉजी नहीं है. दरअसल, यह पूरा प्रोजेक्ट विदेशी कंपनियां अपनी टेक्नॉलाजी को भारत में टेस्ट कर रहे हैं और हमारी महान सरकार ने पूरे देश की जनता को बलि का बकरा बना दिया है. अब इस सवाल का जवाब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ही दे सकते हैं कि सरकार ने राष्ट्रीय ख़जाने से हज़ारों करोड़ रुपये बिना बिल पास कराए क्यों ख़र्च किया. यह मामला गृह मंत्रालय का है, लेकिन जवाब प्रधानमंत्री को देना चाहिए, क्योंकि यूआईडी के सर्वेसर्वा नंदन नेलकानी मनमोहन सिंह के ख़ास मित्र हैं. यह कैसा प्रजातंत्र है और यह सरकार चलाने का कौन सा तरीक़ा है, जहां किसी स्कीम का बिल संसद में लटका पड़ा हो, जिस बिल पर संसदीय समिति की ऐसी राय हो और जिस बिल पर संसद में भीषण विरोध हो रहा हो, लेकिन सरकार इन सब को नज़रअंदाज़ कर हज़ारों करोड़ रुपये ख़र्च कर देती है. सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि इस प्रोजेक्ट पर कितना पैसा ख़र्च होगा, यह बात अब तक गुप्त रखा गया है. ऐसी स्थिति में हमें यह मान लेना चाहिए कि हर साल इस प्रोजेक्ट में हज़ारों करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए जाएंगे, वह भी बिना किसी क़ानून के. यहां सवाल यह भी उठता है कि अगर संसद में यूआईडीएआई बिल पास न हुआ और इस योजना को बंद करना पड़ा, तब क्या होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अगर इस मामले में प्रतिकूल फैसला सुना दिया, तो क्या होगा. योजना तो बंद हो ही जाएगी, लेकिन ग़रीब जनता का हज़ारों करोड़ रुपया, जो कि पानी की तरह बहा दिया गया है, उसे कौन लौटाएगा. क्या नंदन नेलकानी उसे वापस करेंगे या फिर उन्हें नियुक्त करने वाले मनमोहन सिंह इस ज़िम्मेदारी को उठाएंगे. यूआईडी कार्ड है या नंबर, इससे देश की जनता को कोई फ़़र्क नहीं पड़ता है, लेकिन सरकार को अगर लोगों का विश्‍वास जीतना है, तो इस पूरे प्रोजेक्ट की स्वतंत्र जांच कराकर सरकार को श्‍वेत पत्र  पेश करना चाहिए, ताकि देश की जनता आधार कार्ड की हक़ीक़त जान सके.

 



आधारकार्ड या घोडे की लगाम ?

आधारकार्ड या घोडे की लगाम ?

अगर आप कोई बडी होटल या कोइ बडे मोल में या बडी होस्पिटल में गये, भले पेहली बार गये, और वहां के रिसेप्शन पर आप को कोइ मिठी आवाज में आपका नाम ले कर आपका स्वागत करे तो कैसा लगेगा ? आप खूश हो जायेंगे, आपको लगने लगेगा सारी दुनिया मुझे पहचानती है, आप का अहम संतुष्ट होगा, आप चने के पेड पर चड जाएन्गे । ये लेख आपको चने के पेड से उतारने के लिए लिखा है ।
पहले चौथी दुनियावाले मनिषभाई की बात पढ लिजीए । इस लेख की शुरुआत ही उनकी बातों से है, जो बातें उनसे छुट गई है वो मैंने आगे बढाई है ।

बिना कोइ आप की हैसियत कौन आपको पहचानेगा ? लेकिन आपको पहचाना जायेगा वो भी हकिकत है । आप के शरीरमें एक छोटासा केप्शुल लगा दिया जाएगा जो “RFID CHIP” (Radio-frequency identification ) के नामसे जाना जाता है । ये मानव के लिए एक लगाम है, जैसे घोडे के मुह में लगी लगाम, बैल के नाक में लगी नकेल, इतर प्राणी के कान में लगे डिवाईस । आप जहां भी जाओगे सेटेलाईट द्वार आप सिस्टम के साथ जुडे रहोगे । आप गूगल करना जानते हैं । आप कीसी भी बेंक, होस्पिटल, मोल में जाओगे तो वहां जाते ही वहां के कोंप्युटरमें आप खूद गूगल हो जाओगे । आप का सारा बायोडेटा उन कोम्प्युटरों में आ जायेगा । आप को पहचानने का यही तरिका है ।
rfid.verichip-details
“RFID CHIP” आपका “आधारकार्ड” है । इस के साथ बायोडाटा के अलावा आपकी पूरी प्रोपर्टी, आप के बेंक अकाउन्ट, आप की विमा कंपनी, जहां नौकरी करते हैं वो ओफिस, ये सब जोड दिया जायेगा । “न्यु वर्ल्ड ओर्डर” वाले केशलेस सोसाईटी बनाने जा रहे हैं, तो आप खूद अपना एटीएम बन जाओगे, चलन या नोट की जरूरत ही नही और वो होन्गे भी नही । कोइ भी सेवा या सामान की खरीदारी करो रकम दुकानदार आपके बेंक खाते से अपने बैंक खाते में ले लेगा । आप की पगार आप के बैंक खाते में आयेगी, आप को अपने बच्चों की जेब खर्ची उनके बैंक खातों में डालनी होगी । घर चलाने के लिए पत्नि को भी एटीएम बनाना पडेगा उस के खातेमें रकम डाल के ।
एक तरिके से आदमी सिस्टम का गुलाम हो जायेगा । अगर आदमी सरकार के विरोध में जंतरमंतर चला जाता है तो जीतने भी लोग वहां गये सब को घर वापस आना हो सब को पैदल ही आना पडेगा । सब के बेंक खाते डिजेबल कर दिये जायेन्गे । ना वो बस का टिकट ले पायेगा ना टेक्सी ना रिक्षा ।
आप की इमेल आईडी से, आप सोसियल साईट में क्या क्या गुल खिला रहे हो उस की स्टडी कर के आप की विचार धारा, आप के ईरादे समज लिये जायेंगे और आप के साथ कैसा सलुक करना है वो डेटा भी ईस आधार कार्ड में जोड दिया जायेगा ।
एक उदाहरण । अगर आप दबंग हो, सरकार विरोधी हो तो आप को “न्यु वर्ल्ड ओर्डर” का शीकार पहले बनना है, उन के डिपोप्युलेशन के एजंडे की तहत । समज लो आप बिमार पडे, अस्पताल गये, डोक्टर आप को देखने से पहले कोंप्युटर देख लेगा । सिस्टम ने आप के लिए डोक्टरों को क्या निर्देश दिये हैं देख लेगा । अगर सिस्टम आप को मारना चाहती हो तो डोक्टर आप को गलत दवा देने के लिए मजबूर होगा । अगर वो ऐसा नही करेगा तो खूद फंस जाएगा ।
इस केप्श्युअल की साईज गेहु के दाने बराबर है । लेकिन नेनो टेक्नोलोजी के कारण इसमें बहुत से डिवाईस लगे हैं । कहा जाता है की इसमें एक नेनो बंब भी लगाया गया है जो इसे शरीरे के अंदर ही तोड देता है, अंदर छूपये साईनाईड को रिलीज कर देता है । जब कोइ पोलिस अधिकारी  कीसी क्रिमिनल को शुट करना चाहता हो तो सिस्टम को अक्सेस कर के करवा सकता है ।
Micro Chip Implants Coming March 23, 2013?
You will be Microchipped – Soon!
RFID Chip Kills you if you disobey
170px-Sheep's_face,_Malta
भारत की जनता सचमुच भेंड जैसा बर्ताव करती है । एक ने बताया हम लोगों ने आधार कार्ड बनवा लिया है आपने नही बनाया ? सब भेडों की तरह दौड पडते हैं । किसी के भी मन में मनमोहन की टोली के बारे में सवाल नही उठता । निलकेणी किस हैसियत से सरकार में निर्णायक भूमिका निभा रहा है ? उस का बोस, नारायण मुर्ति फोर्ड फाउंडेशन की टीम में किस पद पर और क्या कर रहा है ? मनमोहन सबसिडी के खेल खेल कर क्यों गरीब आदमी को भी बेंक खाते खुलवा रहा है ? रिजर्व बेंक क्यों चेक की लेन देन प्रथा बंद कराने की कोशीश में हैं ?
भारत में आज भले कार्ड है केप्शुल नही । प्रमुख काम है डेटा कलेक्शन । एकबार डेटा इकठ्ठा हो जाये तो केप्शुल डालने में देर कितनी ?

Wednesday, March 27, 2013

देखो राहुल गाँधी का दिमाग

राहुल गाँधी इंग्लंड की यात्रा पर
गया और वहा रानी एलिज़ाबेथ
को मिला ..
और कहा की मुझे भी भारत
को सुपर पावर बनाना है
में क्या करू ?

रानी : सबसे पहले तो आपके आसपास के लोग इंटेलिजेंट होने चाहिए ..

राहुल : पर वो कैसे पता चले की मेरे आसपास वाले इंटेलिजेंट है ?

रानी : देखो आपको एक उदाहरण
दिखाती हु और उन्होंने बेल बजाकर '
डेविड केमरून' को अपनी केबिन में बुलाया
और पूछा डेविड ये बताओ की आपके
माता- पिता की एक ही संतान है
और वो आपका भाई या बहन
नहीं बताओ वो कौन है ?

डेविड केमरून :
रानी साहिबा वो इंसान मैं खुद हु ....

रानी : बहुत खूब , आप जा सकते हो डेविड
केमरून अब राहुल बाबा भारत
आये और सोचा में भी रानी की तरह मन्नू
को चेक करता हु

राहुल ने केबिन से बेल बजाई और मन्नू
जी को बुलावा भेजा मन्नू जी केबिन में आये

राहुल : मन्नू जी ये बताओ की आपके माता-
पिता की एक ही संतान है और वो आपके
भाई या बहेन नहीं ....

बताओ वो कौन है ?

मन्नू भाई कन्फ्यूज हो गए ...
कहा राहुल बाबा मुझे
सोचने
का थोडा वक्त दे ..

मन्नू भाई सीधे आये नरेन्द्र मोदी जी के
पास और कहा नरेन्द्र भाई आप अपने
आपको भारत का सबसे काबिल
मुख्यमंत्री मानते हो तो मेरे सवाल
का जवाब दो ...

नरेन्द्र भाई : पूछो मन्नू
जी

मन्नू जी : ये बताओ
की आपके माता- पिता की एक ही संतान है
और वो आपके भाई या बहेन नहीं ....

बताओ वो कौन है ?

नरेन्द्र भाई :अरे पाजी ........ मैं खुद हु

मन्नू : धन्यवाद नरेन्द्र भाई
मन्नू जी सीधे पोहचे १०
जनपथ और राहुल जी से कहा " मुझे जवाब
मिल गया है !"

राहुल : बताओ फिर !

मन्नू : जवाब है ' नरेन्द्र मोदी '

राहुल गुस्से में : इसी लिए
अपना देश तरक्की नहीं कर रहा ....
सही जवाब में बताता हु
सही जवाब है ' डेविड
केमरून " 

Tuesday, March 26, 2013

कांग्रेस किस तरह से भारत का अपमान करवा रहा है पुरे विश्व में

कांग्रेस किस तरह से भारत का अपमान करवा रहा है पुरे विश्व में..इसका उदाहरण!

भारत- हमें दाऊद, अजहर मसूदसौंप दो..
पाकिस्तान - हा हा हा हा
भारत- हमें भारतीय सैनिकों के सिर वापस कर दो..
पाकिस्तान - हा हा हा
भारत-- :( :(

भारत- पाकिस्तान की मदद करना बंद करो..
चीन- हा हा हा
भारत - 'ब्रहमपुत्र' नदी का पानी मत रोको ..
चीन - हा हा हा
भारत-- :( :(

भारत - 'हेडली' और 'एंडरसन' हमें सौंप दो
अमेरिका - हा हा हा
भारत-- :( :(

भारत - क्वात्रोची और हत्यारोपी नौसैनिक हमें
सौंप दो
इटली - हा हा हा
भारत-- :( :(

पिरधान मन्तरी - कांग्रेस शाषित भारत एक 'कमजोर' मुल्क नहीं ....
जनता-हा हा हा हा हा हा हा

राष्ट्रपति पूतिन ने उनके देश में रह रहे अल्पसंख्यकों को कड़ा सन्देश दिया

नमस्ते मित्रों,

पूरी पोस्ट पढ़ें और अपने मित्रों को टैग भी करें ....

मित्रों,आज एक ओर जहाँ पूरा विश्व अपनी-अपनी संस्कृति व् सभ्यता की रक्षा के लिए सक्रीय रूप से कार्य कर रहा है वहीँ दूसरी ओर हमारा अपना भारत देश उलटी दिशा में जा रहा है,यहाँ होड़ मची है की कैसे अल्पसंख्यको को अपने नीजी स्वार्थ के लिए खुश किया जाए,और इस चक्कर में हमारे कुछ नेता हमारी संस्कृति को ख़त्म करने में लगे हुए हैं...विश्व के बड़े से बड़े देश जो अब तक सेकुलरिज्म का गाना गाते थे,वे भी अपनी संस्कृति को बचाने हेतु सक्रीय हो रहे हैं,और हमारे नेता हमारी वो संस्कृति जो विश्व की सबसे महान संस्कृति है उसे केवल अपने वोट बैंक के चक्कर में लगभग ख़त्म करने की राह पकड़ चुके हैं,अगर समय रहते इस ओर कड़े कदम नहीं उठाये गए तो परिणाम गंभीर होंगे ये निश्चित है...

ऐसा ही एक कदम रूस के राष्ट्रपति पूतिन ने उठाया और उनके देश में रह रहे अल्पसंख्यकों को कड़ा सन्देश दिया

पढ़िए क्या कहा उन्होंने..

"रूस में रूसी रहते हैं,कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय चाहे वो कहीं का भी हो,अगर उन्हें रूस में रहना है,काम करना है,अपना पेट भरना है तो उसे रूसी भाषा बोलनी होगी एवं रूस के कानूनों का पूरी तरह सम्मान करना होगा,
अगर उन्हें शरियत कानून (इस्लामिक कानून) चाहिए तो मेरी उन्हें सलाह है की वो किसी ऐसे देश में चले जाएँ जहाँ उनके इस कानून को मान्यता प्राप्त हो,

अप्ल्संख्यको को रूस की जरूरत है ना की रूस को अल्पसंख्यकों की,हम अल्पसंख्यको को कोई विशेष सुविधा नहीं देंगे, न ही हम अपने कानून में किसी तरह का बदलाव करेंगे उनकी इच्छानुसार,चाहे वो कितना ही जोर जोर से चीखें की ये अन्याय है,
अगर हमें अपने देश को बचान है तो हमें अमेरिका,इंग्लैंड,फ्रांस और हॉलैंड जैसे देशों से सीखना होगा,
कानून बनाने वालों को भी मेरी सलाह है की जब भी वे कोई कानून बनाएं तो उसमे राष्ट्र सर्वोपरि की भावना का ख्याल रखें और इतना याद रखे की अल्पसंख्यक रूसी नहीं हैं"

पुतिनजी के इस भाषण पर वहां मौजूद सभी नेता इतने प्रभावित हुए की सारे नेताओं ने करीब ५ मिनट तक उनके सम्मान खड़े होकर तालियाँ बजाई...

आज सम्पूर्ण विश्व में अगर इस प्रकार आक्रमक रुख अपनाने की जरुरत सबसे ज्यादा किसी देश को है तो वो हैं हमारा भारत देश,लेकिन ये हमारा दुर्भाग्य है की देश की सत्ता उन चंद भूखे और नीच लोगों के हाथ में है जिन्हें हमारी संस्कृति से न तो कोई मतलब है न ही उन्हें इसकी महानता का ज्ञान है...
और उससे भी दुर्भाग्यपूर्ण है आम जनता का सुस्त रवैया और हर ज़ुल्म को चुपचाप सहना...

http://beforeitsnews.com/eu/2013/03/americans-must-read-this-2513402.html

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हर एक मिनिट मे बदलती ईन्टरनेट कि दुनिया

हर एक मिनिट मे बदलती ईन्टरनेट कि दुनिया

1) ईमेल
1 मिनिट मे 639800 GB डेटा ट्रान्सफर होती हे
यानी 20 करोड 40 लाख ईमेल लोग एक दुसरे को भेजते हे 

2) सोशियल नेटवकिँग
1 मिनिट मे टिवटर पर 320 नये लोग शामिल हो रहे हे और 1 लाख टिवट्स होती हे
वही 1 मिनिट मे फेसबुक पर 277000 लोग लोग ईन करते हे और 60 लाख पोस्ट होती हे

3) फोटो वीडियो
एक मिनिट मे नेट पर 2 करोड फोटो देखने मे आते हे और 3000 फोटो अपलोड होते हे

4) मोबाईल पर नेट
1 मिनिट मे 47000 ऐप्लिकेशन डाउनलोड होती हे और 1300 नये मोबाईल युञर नेट पर आते हे

5) साइबर क्राईम
नेट पर 1 मिनिट मे 80 लोग साइबर क्राईम के होते हे

चुनावी मैदान में प्रियंका


चुनावी मैदान में प्रियंका के उतरने की आहट ==========================

राजनीति की रायबरेली में सोमवार को सोनिया गांधी के एक दिवसीय संक्षिप्त दौरे की चर्चा भले ही खूब हुई हो लेकिन उनके दौरे से पहले एक दौरा उनकी बेटी प्रियंका गांधी का भीहुआ था, जिसके बारे में कोई खबर नहीं आई थी। अपने गाल ब्लैडर के संक्षिप्तआपरेशन के बाद प्रियंका गांधी का यह दौरा सिर्फ हवा पानी बदलने के लिए नहीं था। वे 17 मार्च को जब रायबरेली आईं थी तो रायबरेली में बने गांधी परिवार के राजीव गांधी गेस्ट हाउस में रुकीं तो उन्होंने एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया। इससे बहुत पहले अपनी बीमारी के दौरानभी उन्होंने अपने परिचियों को यह संकेत दे दिया था कि वे राजनीति के चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कररही हैं।
अभी तक इस बात के कयास ही लगाये जा रहे थे कि क्या प्रियंका गांधी कभी राजनीति के मैदान में उतरेंगी या भाईराहुल गांधी के लिए ही काम करती रहेंगी लेकिन अब खुद प्रियंका गांधी ने यह कहना शुरू कर दिया है कि वे सक्रिय राजनीति में उतरने जा रही हैं। हाल ही में प्रियंका गांधी वाड्रा एक छोटे से ऑपरेशन के लिए दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती हुईं। अस्पताल में भीड़ न हो, इसलिए मामले को गोपनीय रखा गया था।
लेकिन मामला गांधी परिवार से जुड़ा था, इसलिए खबर तो बननी ही थी। प्रियंका के ऑपरेशन की बात भी आम हो गई। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने परिवार और कुछ गिने-चुने मित्रों के सिवा किसी को भी आस-पास फटकने नहीं दिया। प्रियंका से मिलने र्गइं उनकी एक मित्र ने जब उनसे स्नेहवश कहा कि अब तुम भरपूर आराम करो तो इस पर प्रियंका ने हंसते हुए कहा कि जो राजनैतिक हालात बन रहे हैं, उससे तो लगता है कि अब उन्हें खुद ही सक्रिय राजनीति में उतरना होगा। प्रियंका ने कहा कि हो सकता है कि उन्हें चुनावभी लड़ना पड़े। शायद यह पहला अवसर है कि प्रियंका ने खुद के चुनाव लड़ने की बात की हो। गांधी परिवार के करीबी एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक 'यह सही है, सोनिया ने रायबरेली को प्रियंका के हवाले कर दिया है।'
सिर्फ बात नहीं हो रही है बल्कि पिछले कुछ समय से जमीनी स्तर पर इसकी तैयारियां भी चल रही हैं। प्रबल संकेत हैं कि जिस तरह सोनिया ने पहले राहुल के लिए अमेठी लोकसभा सीट छोड़ीथी, इस दफा प्रियंका अपनी मां की मौजूदा रायबरेली संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगी। यानी बेटे को पति की विरासत सौंप चुकी सोनिया ने सास इंदिरा गांधी की संसदीय सीट रायबरेली को बेटी प्रियंका के हवाले कर दिया है। सोनिया के संसदीय सीट की प्रतिनिधि के रूप में इस पूरे इलाके में प्रियंका ने लोस चुनाव लड़ने से पहले न सिर्फ अपनी फौज न तैयार कर ली है, बल्कि उसे मैदान पर भी उतार दिया है। अप्रैल से रायबरेली के हर गांव, ब्लाक व तहसील स्तर पर कार्यकर्ता कांग्रेस आपके द्वार कार्यक्रम शुरूकर देंगे। प्रियंका की जमीन पुख्ता करने का काम बिना शोर मचाए, बेहद सुविचरित ढंग से किया गया है।
प्रियंका रायबरेली में रिहर्सल कर चुकी हैं। उन्होंने जिले के सभी 16 ब्लाकों के पार्टी अध्यक्षों के साक्षात्कार लिए और फार्म भरवाकर नियुक्ति की। पांच-छह ग्राम पंचायतों को मिलकर बनने वाली न्याय पंचायत अध्यक्षों के स्तर तक के चुनाव खुद किए। अब यह पूरी टीम तैयार हो गई है तो बाकायदा इनका प्रशिक्षण चल रहा है। पिछले दिनों दिल्ली में राजीव गांधी फाउंडेशन भवन में रायबरेली जिला कांग्रेस कमेटी के 31 सदस्यों, प्रदेश कमेटी में शामिल जिले के लोगों समेत कुल 45 लोगों को सूचना अधिकार कानून के बारे में अरुणा राय के सहायक शंकर ने प्रशिक्षित किया। 17 से 21 मार्च तक रायबरेली और अमेठी सीमा स्थिति राजीव गांधी फाउंडेशन के अतिथिगृह में न्याय पंचायत सदस्यों को पांच दिन तक प्रशिक्षित किया गया। पहले दिन तो प्रियंका खुद रहीं।
सोनिया के क्षेत्र का पूरा जिम्मा संभाल रहीं प्रियंका ने पिछले साल उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में रायबरेली संसदीय क्षेत्र की पांचों सीटों पर कांग्रेस के परास्त होने कोचुनौती की तरह लिया। नेताओं- कार्यकर्ताओं में संवादहीनता को सबसे बड़ी समस्या मानते हुए उन्होंने एक साल में यहां का पूरा संगठन खड़ा कर लिया है।

हमारे शास्त्री जी


ये वही शास्त्री जी है जिन्होंने अपने प्रधानमंत्री रहते समय लाहौर पे ऐसा
कब्ज़ा जमाया था की पुरे विश्व ने जोर लगा लिया लेकिन लाहौर देने से इनकार कर
दिया था | आख़िरकार उनकी एक बड़ी साजिस के तहत हत्या कर दी गयी | जिसका आज तक
पता नहीं लगाया जा सका है |

1. जब इंदिरा शाश्त्रीजी के घर (प्रधान मंत्री आवास ) पर पहुची तो कहा कि यह
तो चपरासी का घर लग रहा है, इतनी सादगी थी हमारे शास्त्रीजी में...

2.जब 1965 मे पाकिस्तान से युद्ध हुआ था तो शासत्री जी ने भारतीय सेना का
मनोबल इतना बड़ा दिया था की भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को गाजर मूली की तरह
काटती चली गयी थी और पाकिस्तान का बहुत बड़ा हिस्सा जीत लिया था ।

3.जब भारत पाकिस्तान का युद्ध चल रहा तो अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाने के लिए
कहाथा की भारत युद्ध खत्मकर दे नहीं तो अमेरिकाभारत को खाने के लिए गेहू देना
बंद कर देगातो इसके जवाब मे शास्त्री जी ने कहाकीहम स्वाभिमान से भूखे रहना
पसंद करेंगे किसी के सामने भीख मांगने की जगह । और शास्त्री जी देशवासियों से
निवेदन किया की जब तक अनाज की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक सब लोग सोमवार का
व्रत रखना चालू कर दे और खाना कम खाया करे ।

4.जब शास्त्री जी तस्केंत समझोते के लिए जा रहे थे तो उनकी पत्नी के कहा की अब
तो इस पुरानी फटी धोती कीजगह नई धोती खरीद लीजिये तो शास्त्री जी ने कहा इस
देश मे अभी भी ऐसे बहुत से किसान है जो फटी हुई धोती पहनते है इसलिए मै अच्छे
कपडे कैसे पहन सकता हु क्योकि मै उन गरीबो का ही नेता हूँ अमीरों का नहीं और
फिरशास्त्री जी उनकी फटी पुरानी धोती को अपने हाथ से सिलकर तस्केंत समझोते के
लिए गए ।

5. जब पाकिस्तान से युद्ध चल रहा था तो शास्त्री जी ने देशवासियों से कहा की
युद्ध मे बहुत रूपये खर्च हो सकते है इसलिएसभी लोग अपने फालतू केखर्च कम कर
देऔर जितना हो सके सेना को धन राशि देकर सहयोगकरें । और खर्च कम करने वाली बात
शास्त्री जी ने उनके खुद के दैनिक जीवन मे भी उतारी । उन्होने उनके घर के सारे
काम करने वाले नौकरो को हटा दिया था और वो खुद ही उनके कपड़े धोते थे, और खुद
ही उनके घर की साफ सफाई और झाड़ू पोंछा करते थे ।

6. शास्त्री जी दिखन?े मे जरूर छोटे थे पर वो सच मे बहुत बहादुर और स्वाभिमानी
थे ।

7. जब शास्त्री जी की मृत्यु हुई तो कुछ नीचलोगों ने उन पर इल्ज़ाम लगाया की
शास्त्री जी भ्रस्टाचारी थे पर जांच होने के बाद पता चला की शास्त्री जी
केबैंक के खाते मे मात्र365/- रूपये थे । इससे पता चलता है की शास्त्री जी
कितने ईमानदार थे ।

8. शास्त्री जी अभी तक के एक मात्र ऐसे प्रधान मंत्री रहे हैं जिनहोने देश के
बजट मे से 25 प्रतिशत सेना के ऊपर खर्च करनेका फैसला लिया था । शास्त्री जी
हमेशा कहते थे की देश का जवान और देश का किसान देश के सबसे महत्वपूर्ण इंसान
हैं इसलिए इन्हे कोई भी तकलीफ नहीं होना चाहिए और फिर शास्त्री जी ने 'जय जवान
जय किसान' का नारा दिया ।

9.जब शास्त्रीजि तस्केंत गए थे तो उन्हे जहर देकर मार दिया गया था और देश मे
झूठी खबर फैला दी गयी थी की शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई ।
और सरकार ने इस बात पर आज तक पर्दा डाल रखा है ।

10 शास्त्री जी जातिवाद के खिलाफ थे इसलिए उन्होने उनके नाम के आगे श्रीवास्तव
लिखना बंद कर दिया था ।

हम धन्य हैं की हमारी भूमि पर ऐसे स्वाभिमानी और देश भक्त इंसान ने जन्म लिया
। यह बहुत गौरव की बात है की हमे शास्त्री जी जैसे प्रधान मंत्री मिले ।
जय जवान जय किसान !
शास्त्री जी ज़िंदाबाद !
इंकलाब ज़िंदाबाद !.
ये वही शास्त्री जी है जिन्होंने अपने प्रधानमंत्री रहते समय लाहौर पे ऐसा
कब्ज़ा जमाया था की पुरे विश्व ने जोर लगा लिया लेकिन लाहौर देने से इनकार कर
दिया था | आख़िरकार उनकी एक बड़ी साजिस के तहत हत्या कर दी गयी | जिसका आज तक
पता नहीं लगाया जा सका है |

1. जब इंदिरा शाश्त्रीजी के घर (प्रधान मंत्री आवास ) पर पहुची तो कहा कि यह
तो चपरासी का घर लग रहा है, इतनी सादगी थी हमारे शास्त्रीजी में...

2.जब 1965 मे पाकिस्तान से युद्ध हुआ था तो शासत्री जी ने भारतीय सेना का
मनोबल इतना बड़ा दिया था की भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को गाजर मूली की तरह
काटती चली गयी थी और पाकिस्तान का बहुत बड़ा हिस्सा जीत लिया था ।

3.जब भारत पाकिस्तान का युद्ध चल रहा तो अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाने के लिए
कहाथा की भारत युद्ध खत्मकर दे नहीं तो अमेरिकाभारत को खाने के लिए गेहू देना
बंद कर देगातो इसके जवाब मे शास्त्री जी ने कहाकीहम स्वाभिमान से भूखे रहना
पसंद करेंगे किसी के सामने भीख मांगने की जगह । और शास्त्री जी देशवासियों से
निवेदन किया की जब तक अनाज की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक सब लोग सोमवार का
व्रत रखना चालू कर दे और खाना कम खाया करे ।

4.जब शास्त्री जी तस्केंत समझोते के लिए जा रहे थे तो उनकी पत्नी के कहा की अब
तो इस पुरानी फटी धोती कीजगह नई धोती खरीद लीजिये तो शास्त्री जी ने कहा इस
देश मे अभी भी ऐसे बहुत से किसान है जो फटी हुई धोती पहनते है इसलिए मै अच्छे
कपडे कैसे पहन सकता हु क्योकि मै उन गरीबो का ही नेता हूँ अमीरों का नहीं और
फिरशास्त्री जी उनकी फटी पुरानी धोती को अपने हाथ से सिलकर तस्केंत समझोते के
लिए गए ।

5. जब पाकिस्तान से युद्ध चल रहा था तो शास्त्री जी ने देशवासियों से कहा की
युद्ध मे बहुत रूपये खर्च हो सकते है इसलिएसभी लोग अपने फालतू केखर्च कम कर
देऔर जितना हो सके सेना को धन राशि देकर सहयोगकरें । और खर्च कम करने वाली बात
शास्त्री जी ने उनके खुद के दैनिक जीवन मे भी उतारी । उन्होने उनके घर के सारे
काम करने वाले नौकरो को हटा दिया था और वो खुद ही उनके कपड़े धोते थे, और खुद
ही उनके घर की साफ सफाई और झाड़ू पोंछा करते थे ।

6. शास्त्री जी दिखन?े मे जरूर छोटे थे पर वो सच मे बहुत बहादुर और स्वाभिमानी
थे ।

7. जब शास्त्री जी की मृत्यु हुई तो कुछ नीचलोगों ने उन पर इल्ज़ाम लगाया की
शास्त्री जी भ्रस्टाचारी थे पर जांच होने के बाद पता चला की शास्त्री जी
केबैंक के खाते मे मात्र365/- रूपये थे । इससे पता चलता है की शास्त्री जी
कितने ईमानदार थे ।

8. शास्त्री जी अभी तक के एक मात्र ऐसे प्रधान मंत्री रहे हैं जिनहोने देश के
बजट मे से 25 प्रतिशत सेना के ऊपर खर्च करनेका फैसला लिया था । शास्त्री जी
हमेशा कहते थे की देश का जवान और देश का किसान देश के सबसे महत्वपूर्ण इंसान
हैं इसलिए इन्हे कोई भी तकलीफ नहीं होना चाहिए और फिर शास्त्री जी ने 'जय जवान
जय किसान' का नारा दिया ।

9.जब शास्त्रीजि तस्केंत गए थे तो उन्हे जहर देकर मार दिया गया था और देश मे
झूठी खबर फैला दी गयी थी की शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई ।
और सरकार ने इस बात पर आज तक पर्दा डाल रखा है ।

10 शास्त्री जी जातिवाद के खिलाफ थे इसलिए उन्होने उनके नाम के आगे श्रीवास्तव
लिखना बंद कर दिया था ।

हम धन्य हैं की हमारी भूमि पर ऐसे स्वाभिमानी और देश भक्त इंसान ने जन्म लिया
। यह बहुत गौरव की बात है की हमे शास्त्री जी जैसे प्रधान मंत्री मिले ।
जय जवान जय किसान !
शास्त्री जी ज़िंदाबाद !
इंकलाब ज़िंदाबाद !.

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...