Tuesday, March 19, 2013

महाराष्ट्र में सूखा

Drought in Maharashtra - Government and Beer Companies


रोटी नहीं मिलती तो केक खाओ... जलसंकट है तो बियर पियो...

महाराष्ट्र में विदर्भ सहित कई हिस्सों में अभी से भीषण सूखा पड़ रहा है. पीने के पानी की भारी किल्लत के बीच नगरपालिका द्वारा मनमाड जैसे शहर में "बीस दिन" छोड़कर एक टाइम पानी दिया जा रहा है. गाँव के गाँव खाली हो रहे हैं, क्योंकि लगभग सभी जलस्रोत मार्च में ही सूख चुके हैं...

अब हम आते हैं किसानों की परम-हितैषी(?) महाराष्ट्र सरकार और "तथाकथित" कृषि मंत्री शरद पवार के राज्य की नीतियों पर... इतने भयानक जल संकट के बावजूद राज्य में कार्यरत बियर कंपनियों को नियमित रूप से पानी की सप्लाय में वृद्धि की जा रही है.("तथाकथित" कृषि मंत्री, इसलिए लिखा, क्योंकि खेती और किसानों की दशा सुधारने का काम छोड़कर पवार साहब बाकी सारे काम करते हैं, चाहे वह बिल्डरों के हित साधना हो या क्रिकेट के छिछोरेपन और इसमें शामिल काले धन को बढ़ावा देने का काम हो...)


अब देखते हैं... महाराष्ट्र सरकार की अजब-गजब नीतियों की एक झलक -


१) मिलेनियम बियर इंडिया लिमिटेड :- जनवरी २०१२ में 12880 मिलियन लीटर पानी दिया जा रहा था, जिसे नवंबर २०१२ तक बढ़ाकर 22140 मिलियन लीटर कर दिया गया...




२) फ़ॉस्टर इंडिया लि. :- जनवरी २०१२ में 8887मिलियन लीटर पानी मिलता था, आज इसे 10,100 मिलियन लीटर पानी दिया जा रहा है.




३) इंडो-यूरोपियन ब्रोअरीज :- जनवरी २०१२ में कंपनी को 2521 मिलियन लीटर पानी दिया जा रहा था, जो अब बढ़कर 4701 मिलियन लीटर तक पहुँच गया है...




४) औरंगाबाद ब्रुअरीज :- हाल ही में इस कंपनी को जारी पानी के कोटे को 14,000 से 14621 मिलियन लीटर कर दिया गया है.




तात्पर्य यह है कि किसानों को देने के लिए पानी नहीं है...भूजल स्तर चार सौ फुट से भी नीचे जा चुका है... शहरों-गाँवों को पीने के लिए पानी नहीं है, परन्तु बियर कम्पनियाँ बंद न हो जाएँ इसकी चिंता सरकार को अधिक है.




उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधानसभा में सेना-भाजपा-रिपब्लिकन के संयुक्त मोर्चा ने सूखे से सम्बन्धित हर बात के घोटालों को प्रमुखता से उठाया है, परन्तु चूँकि केन्द्र में भी काँग्रेस सरकार है और पवार इसके प्रमुख घटक हैं, इसलिए न सिर्फ अजित पवार का सिंचाई घोटाला सफाई से दबा दिया गया है, बल्कि अब सूखे की वजह से चारा घोटाला तथा नया-नवेला "टैंकर घोटाला" भी सामने आ गया है.




(टैंकर घोटाला = महाराष्ट्र में विदर्भ तथा अन्य सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जहाँ टैंकरों से पानी सप्लाय किया जा रहा है, उनमें से अधिकाँश टैंकर NCP और काँग्रेस के बड़े और छुटभैये नेताओं के हैं, जो जनता से मनमाना पैसा वसूल रहे हैं)




हाल ही में केन्द्र सरकार ने राज्य में सूखे से निपटने के लिए सत्रह सौ करोड़ रूपए का पॅकेज जारी किया है, लेकिन किसी को भी विश्वास नहीं है कि इसमें से सत्रह करोड़ रूपए भी वास्तविक किसानों और पानी के लिए मारामारी और हाहाकार कर रहे लोगों तक पहुँचेगी.




अलबत्ता मूल मुद्दे और पानी में भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने के लिए आसाराम बापू द्वारा भक्तों के साथ सिर्फ चार टैंकरों से खेली गई होली को मुद्दा बनाकर NCP और कांग्रेसी नेता अपनी छाती कूट रहे हैं...




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कुल मिलाकर यह कि सरकार का सन्देश स्पष्ट है...




- रोटी नहीं मिल रही, तो केक खाओ... जलसंकट के कारण पानी नहीं मिल रहा, तो बियर पियो...




महाराष्ट्र के कफ़न-खसोट नेताओं पर जितनी भी लानत भेजी जाए वह कम ही होगी..

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पिछले कई सालो से जमीन से करोड़ो लिटर पानी बेफाम निकाला है और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग के लिए कुछ नही किया .. महाराष्ट्र में पेप्सी, कोकाकोला और दुसरे पैकेज्ड बोतल पानी बनाने वाली सैकड़ो युनिटे है जो हर रोज हजारो लिटर पानी जमीन से और तालाब से ले रही है .. महाराष्ट्र सरकार ने गठबंधन चलाने के लिए सिंचाई विभाग जो एनसीपी के पास है उसे लुट की खुली छूट दे दी है .. बीस हजार करोड़ का सिंचाई घोटाला हुआ .. अगर इस पैसे से केनाल बने होते तो आज महाराष्ट्र में जलसंकट नही होता ..

मीडिया आशाराम बापू जी के होली खेलने के बाद विधवा विलाप करता है लेकिन इन सब मुद्दों पर चुप क्यों है ... आइये हम आपको बताएं

अभी तीन दिन पहले महाराष्ट्र विधान सभा में पूछे गये एक सवाल के जबाब में सरकार ने बताया की मुकेश अंबानी के बंगले एंटीलिया का पानी का बिल हर महीने चालीस लाख रूपये आता है .. और सिर्फ चार जने का परिवार हर महीने चालीस लाख रूपये का पानी बर्बाद कर देता है क्योकि उनके बंगले में चार स्वीमिग पुल भी है ...

लेकिन इस खबर पर किसी भी मीडिया ने हल्ला नही मचाया .. क्योकि चार चार चैनेलो में खुद मुकेश अंबानी पार्टनर है .. और दुसरे चैनेलो ने इसलिए इस खबर को मुद्दा नही बनाया क्योकि रिलाएंस से हर रोज लाखो रूपये मिलने वाला विज्ञापन बंद होने का डर था ..

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