Tuesday, March 5, 2013

आप अपने को गुलाम की जगह बुद्धिमान मानते हे तो बताये

यदि आप अपने को गुलाम की जगह बुद्धिमान मानते हे तो बताये इन मेसे कोण सा कानून देश के आजाद होने के बाद इस सरकार ने बदला हे
आज भी चल रहे अंग्रेजो द्वारा बनाये गए काले कानून साथियों , आजादी के 64 साल बाद भी देश मे सारे वही 34735 कानून अभी तक है, जो अन्ग्रेजों ने हमें लूटने कि लिये बनाये थे
1. Indian Education Act - 1858 में Indian Education Act बनाया गया | इसकी ड्राफ्टिंग लोर्ड मैकोले ने की थी (जिसकेतहत गुरुकुल शिक्छा को अवैध घोषित कर एजुकेशन बोर्ड ही मान्य किये जिसने हाई स्कूल हायर सेकंड्री और स्नातक नाम दिए गए जो आज तक प्रचलन में हे
2. Indian Police Act - 1860 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया गया (धारा 144 से लेकर 90% बही का बही कानून आज भी हे)
3. Indian Civil Services Act - 1860 में ही इंडियन सिविल सर्विसेस एक्ट बनाया गया | ये जो Collector हैं वो इसी कानून की देन हैं
4. इस कानून का नाम Indian Civil Services Act से बदल कर Indian Civil Administrative Act हो गया है,

5. Indian Income Tax Act - इस एक्ट पर जब ब्रिटिश संसद में चर्चा हो रही थी तो एक सदस्य ने कहा कि "ये तो बड़ा confusing है, कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है", तो दुसरे ने कहा कि हाँ इसे जानबूझ कर ऐसा रखा गया है

6. Indian Forest Act - 1865 में Indian Forest Act बनाया गया और ये लागू हुआ 1872 में | इस कानून के बनने के पहले जंगल गाँव की सम्पति माने जाते थे और गाँव के लोगों की सामूहिक हिस्सेदारी होती थी इन जंगलों में, वो ही इसकी देखभाल किया करते थे, इनके संरक्षण के लिए हर तरह का उपाय करते थे, नए पेड़ लगाते थे और इन्ही जंगलों से जलावन की लकड़ी इस्तेमाल कर के वो खाना बनाते थे | अंग्रेजों ने इस कानून को लागू कर के जंगल के लकड़ी के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया | साधारण आदमी अपने घर का खाना बनाने के लिए लकड़ी नहीं काट सकता और अगर काटे तो वो अपराध है और उसे जेल हो जाएगी.

7. Indian Penal Code - अंग्रेजों ने एक कानून हमारे देश में लागू किया था जिसका नाम है Indian Penal Code (IPC ) | ये Indian Penal Code अंग्रेजों के एक और गुलाम देश Ireland के Irish Penal Code की फोटोकॉपी है, वहां भी ये IPC ही है लेकिन Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वहीं भारत में इस "I" का मतलब Indian है, इन दोनों IPC में बस इतना ही अंतर है बाकि कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है | अंग्रेजों का एक अधिकारी था .वी.मैकोले, उसका कहना था कि भारत को हमेशा के लिए गुलाम बनाना है तो इसके शिक्षा तंत्र और न्याय व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करना होगा.

8. Land Acquisition Act - एक अंग्रेज आया इस देश में उसका नाम था डलहौजी | ब्रिटिश पार्लियामेंट ने उसे एक ही काम के लिए भारत भेजा था कि तुम जाओ और भारत के किसानों के पास जितनी जमीन है उसे छिनकर अंग्रेजों के हवाले करो | डलहौजी ने इस "जमीन को हड़पने के कानून" को भारत में लागू करवाया, इस कानून को लागू कर के किसानों से जमीने छिनी गयी | जो जमीन किसानों की थी वो ईस्ट इंडिया कंपनी की हो गयी.

9. Indian Citizenship Act - अंग्रेजों ने एक कानून लाया था Indian Citizenship Act, आप और हम भारत के नागरिक हैं तो कैसे हैं, उसके Terms और Condition अंग्रेज तय कर के गए हैं | अंग्रेजों ने ये कानून इसलिए बनाया था कि अंग्रेज भी इस देश के नागरिक हो सकें | तो इसलिए इस कानून में ऐसा प्रावधान है कि कोई व्यक्ति (पुरुष या महिला) एक खास अवधि तक इस देश में रह ले तो उसे भारत की नागरिकता मिल सकती है (जैसे बंगलादेशी शरणार्थी) | लेकिन हमने इसमें आज 2011 तक के 64 सालों में रत्ती भर का भी संशोधन नहीं किया | इस कानून के अनुसार कोई भी विदेशी आकर भारत का नागरिक हो सकता है.

10. Indian Advocates Act - हमारे देश में जो अंग्रेज जज होते थे वो काला टोपा लगाते थे और उसपर नकली बालों का विग लगाते थे | ये व्यवस्था आजादी के 40-50 साल बाद तक चलता रहा था | हमारे यहाँ वकीलों का जो ड्रेस कोड है वो इसी कानून के आधार पर है, काला कोट, उजला शर्ट और बो ये हैं वकीलों का ड्रेस कोड | काला कोट जो होता है वो आप जानते हैं कि गर्मी को सोखता है, और अन्दर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देता, और इंग्लैंड में चुकी साल में 8-9 महीने भयंकर ठण्ड पड़ती है तो उन्होंने ऐसा ड्रेस अपनाया.

11. Indian Motor Vehicle Act - उस ज़माने में कार/मोटर जो था वो सिर्फ अंग्रेजों, रजवाड़ों और पैसे वालों के पास होता था तो इस कानून में प्रावधान डाला गया कि अगर किसी को मोटर से धक्का लगे या धक्के से मौत हो जाये तो सजा नहीं होनी चाहिए या हो भी तो कम से कम | साल डेढ़ साल की सजा हो ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए उसको हत्या नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि हत्या में तो धारा 302 लग जाएगी और वहां हो जाएगी फाँसी या आजीवन कारावास, तो अंग्रेजों ने इस एक्ट में ये प्रावधान रखा कि अगर कोई (अंग्रेजों के) मोटर के नीचे दब के मरा तो उसे कठोर और लम्बी सजा ना मिले | ये व्यवस्था आज भी जारी है और इसीलिए मोटर के धक्के से होने वाली मौत में किसी को सजा नहीं होती.

12. Indian Agricultural Price Commission Act - ये भी अंग्रेजों के ज़माने का कानून है | पहले ये होता था कि किसान, जो फसल उगाते थे तो उनको ले के मंडियों में बेचने जाते थे और अपने लागत के हिसाब से उसका दाम तय करते थे | अंग्रेजों ने हमारे कृषि व्यवस्था को ख़त्म करने के लिए ये कानून लाया और किसानों को उनके फसल का दाम तय करने का अधिकार समाप्त कर दिया | अंग्रेज अधिकारी मंडियों में जाते थे और वो किसानों के फसल का मूल्य तय करते थे कि आज ये अनाज इस मूल्य में बिकेगा और ये अनाज इस मूल्य में बिकेगा, ऐसे ही हर अनाज का दाम वो तय करते थे | आप हर साल समाचारों में सुनते होंगे कि "सरकार ने गेंहू का,धान का, खरीफ का, रबी का समर्थन मूल्य तय किया" | ये किसानों के फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य होता है, मतलब किसानों के फसलों का आधिकारिक मूल्य होता है | इससे ज्यादा आपके फसल का दाम नहीं होगा | किसानों को अपने उपजाए अनाजों का दाम तय करने का अधिकार आज भी नहीं है इस आजाद भारत में | उनका मूल्य तय करना सरकार के हाथ में होता है | और आज दिल्ली के AC Room में बैठ कर वो लोग किसानों के फसलों का दाम तय करते हैं जिन्होंने खेतों में कभी पसीना नहीं बहाया.

13. 1935 में अंग्रेजों ने एक कानून बनाया था उसका नाम था Government of India Act , ये अंग्रेजों ने भारत को 1000 साल गुलाम बनाने के लिए बनाया था और यही कानून हमारे संविधान का आधार बना |

- 1939 में राशन कार्ड का कानून बनाया गया क्योंकि उसी साल द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ और अंग्रेजों को धन के साथ-साथ भोजन की भी आवश्यकता थी तो उन्होंने भारत से धन भी लिया और अनाज भी लिया और इसी समय राशन कार्ड की शुरुआत की गयी | और जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें सस्ते दाम पर अनाज मिलता था और जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें ही वोट देने का अधिकार था | और अंग्रेजों ने उस द्वितीय विश्वयुद्ध में 1732 करोड़ स्टर्लिंग पोंड का कर्ज लिया था भारत से जो आज भी उन्होंने नहीं चुकाया है और ना ही किसी भारतीय सरकार ने उनसे ये मांगने की हिम्मत की पिछले 64 सालों में |
- अंग्रेजों को यहाँ से चीनी की आपूर्ति होती थी | और भारत के लोग चीनी के बजाय गुड (Jaggary) बनाना पसंद करते थे और गन्ना चीनी मीलों को नहीं देते थे | तो अंग्रेजों ने गन्ना उत्पादक इलाकों में गुड बनाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया और गुड बनाना गैरकानूनी घोषित कर दिया था और वो काननों आज भी इस देश में चल रहा है.
14. Central Excise Duty Act

15. Road Tax, Toll Tax, Municipal Corporation tax, Octroi, House Tax, Property Tax

16. स्वतंत्रता का मतलब होता है अपना तंत्र/अपनी व्यवस्था | ये स्वतंत्रता है या परतंत्रता ? हमने अपना कौन सा तंत्र विकसित किया है इन 64 सालों में ? सब तो अंग्रेजों का ही है | अगर झंडा फहराना ही स्वतंत्रता है तो भीकाजी कामा ने बहुत पहले तिरंगा फहरा दिया था तो क्या हम आजाद हो गए थे | स्वतंत्रता का मतलब है अपनी व्यवस्था जिसमे आप गुलामी की एक एक निशानी को, एक एक व्यवस्था को उखाड़ फेंकते हैं, उन सब चीजों को अपने समाज से हटाते हैं जिससे गुलामी आयी थी, वो तो हम नहीं कर पाए हैं, इसलिए मैं मानता हूँ कि आजादी अधूरी है, इस अधूरी आजादी को पूर्ण आजादी में बदलना है, अपनी व्यवस्था लानी है, स्वराज्य लाना है, इसके लिए आपको और हमको ही आगे आना होगा | गुलामी के कानूनों को ही अगर हमारी संसद आगे बढाती जाये और चलाती जाये इसके लिए संसद नहीं बनाई हमने और इसके लिए चुनाव नहीं होते और करोडो रूपये खर्च नहीं किये जाते | हमने हमारी अपनी व्यवस्थाओं को चलाने के लिए संसद बनाई है | ये जो गुलामी की व्यवस्था आजादी के 64 साल बाद भी चल रही है तो उसे तो ख़त्म करना ही पड़ेगा | आज नहीं तो कल किसी को तो ये सवाल करना ही होगा | भारत की राजनितिक पार्टियाँ ये सवाल नहीं उठाती है, है, इन कानूनों को जो गुलामी की निशानी है उनका सवाल नहीं उठती हैं | समाज को बाँट देने वाले जितने प्रश्न है वो ये उठाती हैं लेकिन गुलामी वाले कानूनों
के सवाल नहीं उठाती हैं |
यकीन मानिये हमारे देश की आजादी की लड़ाई के समय जितने भी देशभक्त शहीद हुए, जैसे खुदीराम बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, वीर सावरकर, सुभाष चन्द्र बोस, उधम सिंह आदि आदि, ये तो कुछ नाम हैं ऐसे 7 लाख से ऊपर देशभक्त थे, उन सब की आत्मा आज भी भटक रही होगी, और वो आपस में एक दुसरे से यही सवाल कर रहे होंगे कि हम कितने मुर्ख थे जो ऐसे देश के लिए जान दिए | या तो वो मुर्ख थे या फिर हम महामूर्ख हैं जो इन सब व्यवस्थाओं को सहेज के और संभाल के रखे हुए हैं |
हमारे सारे दुखों का कारण ये व्यवस्था है जब हम इस व्यवस्था को हटायेंगे तभी हमें सुख की प्राप्ति होगी | जिस देश में धर्मग्रन्थ गीता की रचना हुई और जिसमे कर्म करने को कहा गया और कर्म की प्रधानता बताई गयी, उसी देश के लोग भाग्यवादी हो गए | भाग्य के भरोसे बैठने से कुछ नहीं होगा, उठिए, जागिये और इस व्यवस्था को बदलिए क्योंकि दुःख हमें है नेताओं को नहीं
 — withAlkesh Kumar SinghAmit SaxsenaJayesh Jain and 17 others.
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  • Manish Soni Ved Prakash Rai ji can u give any single line in new ammidmanet hich is diffrent from british income tax rule ...माना की आप कहा रहे हे की 1960 में इनकम टेक्स में परिवर्तन किया क्या आप बता सकते हे जो परिवर्तन किया हे वो क्या आज के ब्रिटिश इनकम टेक्स की...See More
  • Ved Prakash Rai Manish Ji there are so many difference b/w Indian and British income tax act..
    1) British in come tax combined with insurance authority in India both are separate acts
    2) Dividend received by domestic company include in British but its exempt in India.
    3) every one are local resident in British but only India that's are computing.
    4) rate of tax are different 
    so many different we can't company any act ..
  • Addy Shukla guru ji har cheez ko rectify & redefine karne me or kitna paisa barbaad karwaoge, usse aapki chori ki hui cheez aapki apni nahi kahi ja sakti..
  • Addy Shukla agar cheeze badalne ki itni hi khujli thi to patel ji ka savidaan ku nahi paarit kiya?????????
  • Geeta Sastra Mishra Jaagne kaa Vakt hae !! Kahin SO naa Jaayen !! JAY HIND !! vANDE mAATRAM !!!
  • Rabi Singh जय हिंद

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