Monday, February 20, 2017

दुनिया में सबसे बड़ा शस्त्र आयातक है भारत: सीपरी

दुनिया में सबसे बड़ा शस्त्र आयातक है भारत: सीपरी


स्टॉकहोम के एक थिंकटैंक ने कहा कि भारत पिछले पांच साल में बड़े हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक रहा है और विदेशों से उसकी शस्त्र खरीद चीन और पाकिस्तान से अधिक है। स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपरी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2012 से 2016 के बीच दुनिया के कुल आर्म्स इंपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत रही जो सभी देशों में सर्वाधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार, चीन स्वदेशी उत्पादन के साथ शस्त्र आयात को कम करने में सफल रहा है, वहीं भारत रूस, अमेरिका, यूरोप, इस्राएल और दक्षिण कोरिया की वेपंस टेक्नॉलजी पर निर्भर बना हुआ है। इस संगठन का कहना है, 'भारत 2012 से 2016 में बड़े हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक था और दुनिया के कुल आयात में 13 प्रतिशत हिस्सेदारी उसकी रही।' रिपोर्ट के अनुसार, 2007-2011 और 2012-16 के बीच भारत का शस्त्र आयात 43 प्रतिशत बढ़ गया और पिछले चार साल में उसकी वैश्विक खरीद उसके क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों चीन और पाकिस्तान से कहीं अधिक थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच साल में बड़े हथियारों का व्यापार शीतयुद्ध के बाद से सर्वाधिक हो गया है और इसकी मुख्य वजह पश्चिम एशिया और एशिया में मांग में तेजी आना है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012-16 के दौरान दुनिया के कुल आर्म्स एक्सपोर्ट में रूस की भागीदारी 23 प्रतिशत रही और इसका 70 फीसदी निर्यात भारत, वियतनाम, चीन और अल्जीरिया को हुआ।

इस दौरान अमेरिका एक तिहाई हिस्सेदारी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश रहा। इसका करीब-करीब आधा माल मध्य पूर्व के देशों में पहुंचा। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक हथियार निर्यात में चीन की हिस्सेदारी 2007-11 के 3.8 प्रतिशत से बढ़कर 2012-16 में 6.2 प्रतिशत हो गयी है। रिपोर्ट कहती है, 'यह (चीन) अब फ्रांस (6 प्रतिशत) और जर्मनी (5.6 प्रतिशत) की तरह टॉप-टीयर का सप्लायर बन चुका है।'


http://navbharattimes.indiatimes.com/india/india-is-worlds-largest-arms-importer-sipri/articleshow/57260649.cms

होम्योपथी और आयुर्वेद काउंसिल को बंद करना चाहता है नीति आयोग

होम्योपथी और आयुर्वेद काउंसिल को बंद करना चाहता है नीति आयोग



देश के मेडिकल सिस्टम को बेहतर बनाने की कोशिश के तहत नीति आयोग सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपथी (CCH) और सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (CCIM) को बंद करने की सिफारिश कर सकता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया कि आयोग दो नए बिलों पर काम कर रहा है, जिनमें स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाली इन दोनों काउंसिलों को बदलने के सुझाव हैं। ये काउंसिल देश में होम्योपथी और आयुर्वेद सहित चिकित्सा की भारतीय पद्धतियों में उच्च शिक्षा पर नियंत्रण करती हैं।

दशकों पुरानी इन काउंसिलों के स्थान पर एक नया संगठन बनाने के सुझाव वाला एक ड्राफ्ट बिल तैयार है, लेकिन इस बारे में अंतिम फैसला नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की अगुवाई वाला पैनल लेगा। इस पैनल का गठन हेल्थ मिनिस्ट्री के तहत आने वाले आयुष विभाग में बड़े सुधारों का सुझाव देने के लिए किया गया है। पैनल ने पिछले वर्ष मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से मेडिकल एजुकेशन के खराब रेग्युलेशन की समस्या पर विचार किया था और इसके स्थान पर नैशनल मेडिकल कमीशन बनाने का सुझाव दिया था। इस प्रपोजल को अनुमति के लिए कैबिनेट के पास भेजा जाएगा। इसके बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा।


http://navbharattimes.indiatimes.com/india/niti-aayog-wants-axe-on-homoeopathy-ayurveda-bodies/articleshow/57261917.cms

Wednesday, February 15, 2017

मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार मंदिरों को प्रशासन के अधीन....

मध्यप्रदेश संत एवं पुजारी संयुक्त महासंघ मठ-मंदिरों की जमीन को प्रशासन के अधीन करने के सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ दो दिन से मुख्यमंत्री निवास के नजदीक धरना दे रहा था। प्रदेश भर से आये सैकड़ों साधु संत इस धरने में शामिल थे।

साधु-संतों का आरोप यह भी है कि मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार मंदिरों के मामले में लगातार हस्तक्षेप कर रही है, उसकी साजिश मंदिरों को प्रशासन के अधीन लाना है।

ये हैं प्रमुख मांगें
मठ-मंदिरों का प्रबंधक कलेक्टर को हटाकर सरकारीकरण रोका जाए।
मठ-मंदिरों के संबंध में सरकार द्वारा लाए जा रहे विधेयक को निरस्त किया जाए।
मंदिरों की भूमि पर किए गए अतिक्रमण हटाए जाएं।
मंदिरों की कृषि भूमि की नीलामी पर स्थाई रूप से रोक लगाई जाए।
गौचर भूमि को मुक्त कराकर गौ शालाओं को दी जाए व गुरू-शिष्य परंपरा का ध्यान रखते हुए मंदिरों में पुजारी व उत्तराधिकारी के नामांतरण की नीति बनाई जाए।

http://navbharattimes.indiatimes.com/state/madhya-pradesh/bhopal/indore/sadhus-withdraw-stir-against-mp-bill-on-cms-assurance/articleshow/57171728.cms

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...