Please read : - http://en.wikipedia.org/wiki/Macaulayism
1858 में अंग्रेजोँ द्वारा Indian Education Act बनाया गया |
इसकी ड्राफ्टिंग लोर्ड मैकोले ने की थी | और मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में ही काम करेंगे, । और इस दौरान मैकोले एक मुहावरा इस्तेमाल करते हुए कहता है "कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इस भारत को जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी" |
इसलिए उसने सबसे पहले भारतीय वैदिक गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया,और जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता ,जो समाज के तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी, फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया, और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया उनमे आग लगा दी गई, उसमे पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा-पीटा,और जेलोँ में भी डाला |
इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म करवा दिया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे फ्री स्कूल कहा जाता था, इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने की यूनिवर्सिटीज आज भी इस देश में जूँ की तूँ हैं |
और मैकोले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी । जो आज भी उपलब्ध है । बहुत मशहूर चिट्ठी है वो,
उसमे वो लिखता है कि " पिता जी ,इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ । इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी "
और उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है |
1858 में अंग्रेजोँ द्वारा Indian Education Act बनाया गया |
इसकी ड्राफ्टिंग लोर्ड मैकोले ने की थी | और मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में ही काम करेंगे, । और इस दौरान मैकोले एक मुहावरा इस्तेमाल करते हुए कहता है "कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इस भारत को जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी" |
इसलिए उसने सबसे पहले भारतीय वैदिक गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया,और जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता ,जो समाज के तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी, फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया, और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया उनमे आग लगा दी गई, उसमे पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा-पीटा,और जेलोँ में भी डाला |
इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म करवा दिया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे फ्री स्कूल कहा जाता था, इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने की यूनिवर्सिटीज आज भी इस देश में जूँ की तूँ हैं |
और मैकोले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी । जो आज भी उपलब्ध है । बहुत मशहूर चिट्ठी है वो,
उसमे वो लिखता है कि " पिता जी ,इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ । इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी "
और उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है |
true but very bad.Since 2002 I fighting against it
ReplyDeletetrue but very bad.Since 2002 I fighting against it
ReplyDeleteऐसी शिक्षा की फिर से जरूरत है । हमारे देश को , यदि ऐसी शिक्षा पदृति फिर से सुरु हो गयी तो , भारत देश फिर से शोने की चिड़िया कहलाएगी।
ReplyDeletehttps://youtu.be/8VqeTGY2wvg
ReplyDeleteइसे श्री राजीव दीक्षित जी ने कई वष॔ पहले ही कह चुके थे ।
गुरूकुल के बीना संस्कार संभव नही है, आज जो व्यवसायिक शिक्षा दी जा रही इससे सिर्फ़ समाज मे असमानता के अलावा और कुछ नही होगा। पुनः व्यवहारिक शिक्षा के लिए गुरूकुल का निर्माण कराना है। हम कुछ मित्र मिलकर बिहार मे शुरू कर दिए है। वंदे मातरम्
ReplyDeleteजी हां गुरुकुल के बिना संस्कार नहींं मिल सकता आप कितनी भी शिक्षा लेलो मगर सम्मान और संस्कार गुरुकुल् से he प्रप्त होगी
ReplyDeleteजागो हिंदू जागो
ReplyDeleteGurukul ke Bina Bhartiya Sanskar nahin mil sakte kyunki Sanskar aur Shiksha mein antar hai.
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