हम बचपन से ही एक शब्द सुनते आ रहे हैं- नजर लगना।
ऐसी मान्यता है कि यदि किसी बच्चे को नजर लग जाए तो उसकी तबियत खराब हो जाती है या फिर वह थोड़ा अनमना सा हो जाता है। कुछ लोग नजर लगने को सिर्फ एक वहम मानते हैं। जबकि नजर लगना कोई मन का वहम नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक क्रिया है।
विज्ञान के अनुसार शरीर में विद्युत तरंगें होती है। इन विद्युत तरंगों से किसी प्रकार से बाधित होने पर शरीर लकवे का शिकार हो जाता है अत: शरीर की विद्युतीय तरंगता से नजर लगने का सीधा संबंध है।
बड़ों की तुलना में बच्चों को अधिक नजर लगती है क्योंकि बच्चों का शरीर कोमल होता है तथा उनके शरीर में विद्युतीय क्षमता बड़ों की तुलना में कम होती है। यदि कोई बच्चों को एकटक देखता रहता है तो उसकी नजरों की ऊर्जा बच्चे की ऊर्जा को प्रभावित करती है जिसके कारण बच्चा अनमना या बीमार हो जाता है।
बुरी नजर से बचने के लिए ही बच्चों को काला टीका लगाया जाता है या काला धागा पहनाया जाता है। इसका भी वैज्ञानिक कारण है। विज्ञान यह मानता है कि काला रंग ऊष्मा का अवशोषक है। अत: जब बच्चे को काला टीका या काला धागा बांधा जाता है तो वह किसी भी प्रकार की ऊष्मा (बुरी नजर) को बच्चों में प्रवेश नहीं करने देता तथा स्वयं ही अवशोषित कर लेता है। इसी वजह से बच्चों को नजर नहीं लगती।
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