Tuesday, May 14, 2013

इस्लाम में बुर्के की शुरुआत क्यों और कैसे हुई है...?



क्या आप जानते हैं कि...... इस्लाम में बुर्के की शुरुआत क्यों और कैसे हुई है...????
दरअसल ... बुर्के की कहानी जानने से पहले हमें आज से लगभग१४०० साल पहले के अरब और मिस्रको जानना होगा...!
यहाँ यह ... यह सर्वविदित है कि....... मुहम्मद के समय अरब के लोग...... मुहम्मद के सामान ही लुटेरे, अय्याश और अत्याचारी रहे...... और, उस समय औरतें बाजार में बिकती थी.
उस समय अरब की हालत यह थी कि......हिन्दा नाम की औरत ने तो अमीर हमजा का सीना चीरकर उसका कलेजा तक चबा लिया था.....!
इसके अलावा...... उस समय की अरबी औरते अनपढ़ ,अन्धविश्वासी और मूर्ख थीं....!
यहाँ तक कि.... इस्लाम के प्रतिपादक और अल्लाह के तथाकथित रसूल मुहम्मद की भी सारी औरतें अनपढ़ थी ,और अधिकांश अन्धविश्वासी थीं......इसलिए वे वासना पूर्ति और अपना पेट भरने के लिए मुहम्मद के पास जाती थी....क्योंकि.. ... उन्हें डर था कि कहीं उन्हें भी कोई लूट कर बेच न दे....!
लेकिन.... अब असली कारण और बुर्के की शुरुआत पर आते हैं.....!
अबू बकर की एक नौ साल की बेटी आयशा थी ....... तथा , मुहम्मद की पहली पत्नी खदीजा मर चुकी थी...!
उस समय मुहम्मद 54 साल का था......जब उसकी नजर आयशा पर पड़ी....!
उसने अबू बकर को खलीफा बनाने का लालच दिया और उस छोटी सी मासूम बच्ची आयशा से शादी का दवाब डाला.......आयशा को शादी के बारे में ज्ञान ही नहीं था....!
इस पर .... मुहम्मद की दासियाँ आयशा को उठाकर मुहम्मद के कमरे में ले गयीं...... और, मुहम्मद ने उसका बलात्कार किया....!
आयशा चिल्लाती रही... और, रोती रही..... तथा उसकी आवाज दवाने के लिए औरतें शोर करती रही.........सही मुस्लिम-किताब8, हदीस-3309 & बुखारी-खंड 7, हदीस -65
जब तक मुहम्मद अपनी मनमानी नहीं कर चुका .... तब तक औरतें शोरमचाती रही ,ताकि किसी को पता नहीं चले कि क्या हो रहा है.....सही मुस्लिम -खंड 2 हदीस 3309
सिर्फ इतना ही नहीं......
मुहम्मद का एक जैद नामक बेटा था...... जिसे मुहम्मद ने गोद लिया था....!
मुहम्मद ने अपने बेटे जैद की शादी अपनी फूफी की लड़की जैनब से करवा दी थी और शादी के लिए सारा सामान भी दिया था...!
लेकिन एक बार जब जैद घर में नहीं था...... उस समय मुहम्मद की जैनब पर भी नजर पड़ गयी जब वह घर में कपडे धो रही थी...!
समय का लाभ उठाते हुए मुहम्मद ने अपनी भतीजी और बेटे की पत्नी जैनब का भी बलात्कार कर लिया ... और, उसने कुरान में ये आयत जोड़ दी....
मुहम्मद ने कहा कि... यह मैं अल्लाह के आदेश से कर रहा हूँ..और , इसमे अल्लाह नेअ नुमति दीहै....कुरआन-सूर ा अह्जाब -३३.३७
अल्लाह ने कहा है लूट में पकड़ी गयी औरतों से तुम सम्भोग कर सकते हो....यह तुम्हारी संपत्ति हैं.......कुरआन -सूरा निसा ४/२३-२४
लेकिन.... अपने बाप द्वारा अपनी पत्नी के बलात्कार किये जाने से जैद काफी कुपित हो गया..... और, उसने मुहम्मद के करतूत का भांडा फोड़ देने की धमकी दी...!
इसी घटना के बाद इस्लाम में .....बुर्के प्रथा की शुरुआत हुई ... ताकि अन्य औरतों को .... रसूल मुहम्मद की बलात्कारी दृष्टि से बचाया जा सके....!
और.... इसे कुरान में इस तरह परिभाषित कर दिया गया.....
अल्लाह पर ईमान रखने वाली औरतों से कह दो कि... वे अपनी नज़रे नीची रखें और अपनी इज्जत की सुरक्षा करें तथा वे अपने बनाव-श्रृंगार और आभूषणों को न दिखाएँ ,
इसमें कोई आपत्ति नहीं जो सामान्य रूप से नज़र आता हैं...और, उन्हे चाहिए कि वे अपने सीनों पर ओढ़नियॉ ओढ़ ले और अपने पतियों, बापों, अपने बेटों के अतिरिक्त किसी के सामने अपने बनाव-श्रृंगार प्रकट न करें।......क़ुर आन...24:31
( रिमार्क: लेकिन, अब इसका क्याकिया जाए कि....... इस्लाम में... बाप, बेटे और भाइयों से भी यौन सम्बन्ध बनाना जायज बता दिया गया है..... और, ऐसा खुद अल्लाह के उस तथाकथित रसूल मुहम्मद ने भी अपनी सगी बेटी फातिमा केसाथ किया था )
इस तरह..... बुर्का प्रथा ...... किसी अच्छे संस्कार की वजह से नहीं.... बल्कि.... मुहम्मद की कुदृष्टि से बचने के लिए अपनाई गयी एक प्रथा है....!
जय महाकाल...!!!
नोट: उपरोक्त लेख कुरान के गहनअध्धयन के बाद उसके reference से ही लिखी गयी है.... इसीलिए यदि किसी सज्जन अथवा दुर्जन को..... लेख को कोई आपत्ति हो तो..... वो पहले लेख में दिए गए कुरान की आयत एवं कहानी को गलतसाबित करे....!

4 comments:

  1. Besharmi aur jhuth ki sari simaye paar kar di aapne. Taras aata hai aapki vichardhara aur gyan par.

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  2. पहले से ही गलत धारणा बना रखी है आपने. आपने कभी इस्लाम को समझने का प्रयास नहीं किया.

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  3. कुरान में लिखा है कि 40साल की उम्र आते आते मोहम्मद अमिर से गरीब हो गये तीन तीन महीने तक उनके घर में चुल्ला नहीं जलपाता था भीख में मिले एक दो खजुर खाकर गुजारा होता था फिर कैसे मोहम्मद ने सैकड़ो बीबीयां पाली आज एक गरीब यदि दो बीबी रख ले तो ------और मोहम्मद सभी बीबीयों को परदे में भी रख लिया और रसुल भी बन गया । किसी भी आत्मा का वजुद नियमत:खत्म नहीं होता है ,सिर्फ उसकी सोचने समझने, एक सिस्टम में रहकर हरकत करने की, क्षमता शरीर के मृत होते ही ,अबोध हो जाती है ,यानि आत्मा वह शक्ति है, जिसको हरकत में आने के लिए शरीर की आवश्यकता होती है , यानि ध्यान, याद ,डर जिसने जैसा विश्वास किया ,अपने दिमाग की गतिविधि से उसे परिपूर्ण कर ,अपने आपको प्रभावित कर लिया ,यानि शरीर मरती है, उसका ज्ञान मरता है ,लेकिन आत्मा सदा के लिए उस स्वरुप में कैद हो जाती है । ध्यान मतलब एक समय में दो आत्मा ,एक शरीर एक दिमाग ,प्यार विश्वास से अच्छी शक्ति बना लिया ,चाहे डर विश्वास से बूरी शक्ति बना लिया । कहने का मतलब, आत्मा भी हवा का अंश, परमात्मा भी हवा का अंश, दोनों को मिलाते रहने से ध्यान में वह योग मिलता है ,जो दिमाग और शरीर को जल्द थकान मुक्त कर देता है ,जो सिर्फ पोथी पढ़ते रहने से हाशिल नहीं होता , जबकि प्यार से, एक कोई भी मंत्र के विश्वासमय जप से, हाशिल हो सकता है । केशव गुप्ता । समझ लो तो ज्ञान ,न समझ में आऐ तो ,मेरे मन की बात ।

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