क्या आप जानते है की जब जनता पार्टी की केंद्र में सरकार थी और अटल जी भारत के विदेशमंत्री थे तब उन्होंने १२ भारतीयों की अरब देशो में हुई फांसी की सजा को खूब रियाद और दुबई जाकर खत्म करवाया था ...
अरब देशो के इतिहास की पहली घटना है जब अरब देशो ने किसी के फांसी की सजा को बिना ब्लडमनी लिए माफ़ करते हुए रिहा कर दिया था ..
पहली घटना सऊदी अरब की है जिसमे भारत का एक परिवार सऊदी गया था जिसके कुछ रिश्तेदार सऊदी में रहते थे ... उन लोगो को ये नही पता था कि खसखस को सऊदी में एक नशीला पदार्थ माना जाता है और भारत में लोग इसे एक मसाला मानते है और नानवेज में इसे डाला जाता है .. उस परिवार ने अपने रिश्तेदारों के लिए तीन किलो खसखस लेकर गये थे .. और उन्हें रियाद हवाईअड्डे पर ही गिरफ्तार कर लिया गया और सर कलम करने की सजा दी गयी थी ... लेकिन अटल जी तुंरत ही रियाद पहुंचे और किंग अब्दुल अजीज से मिलकर उनको रिहा करवा दिया ...
बाद में मजलिसे सूरा में किंग अब्दुल अजीज ने कहा था की कुछ भी कहो बंदे में गजब की कशिश है उसने जैसे मुझे सम्मोहित कर दिया था |
दूसरी घटना दुबई में हुई थी जब एक आदमी के पास आचार्य दयानन्द सरस्वती की लिखी किताब सत्यार्थ प्रकाश मिली .. उसे नही मालूम था की सत्यार्थ प्रकाश के कुछ अध्याय में इस्लाम के झूठ को बेनकाब किया गया है इसलिए ये किताब अरब देशो में प्रतिबंधित है और यदि किसी के पास सत्यार्थ प्रकाश मिली तो उसे फांसी दी जाती है ...
फिर अटल जी तुरंत ही दुबई पहुंचे और उस आदमी को रिहा करवाकर भारत वापस भेज दिया था ...
धन्य है अटल जी ..
अरब देशो के इतिहास की पहली घटना है जब अरब देशो ने किसी के फांसी की सजा को बिना ब्लडमनी लिए माफ़ करते हुए रिहा कर दिया था ..
पहली घटना सऊदी अरब की है जिसमे भारत का एक परिवार सऊदी गया था जिसके कुछ रिश्तेदार सऊदी में रहते थे ... उन लोगो को ये नही पता था कि खसखस को सऊदी में एक नशीला पदार्थ माना जाता है और भारत में लोग इसे एक मसाला मानते है और नानवेज में इसे डाला जाता है .. उस परिवार ने अपने रिश्तेदारों के लिए तीन किलो खसखस लेकर गये थे .. और उन्हें रियाद हवाईअड्डे पर ही गिरफ्तार कर लिया गया और सर कलम करने की सजा दी गयी थी ... लेकिन अटल जी तुंरत ही रियाद पहुंचे और किंग अब्दुल अजीज से मिलकर उनको रिहा करवा दिया ...
बाद में मजलिसे सूरा में किंग अब्दुल अजीज ने कहा था की कुछ भी कहो बंदे में गजब की कशिश है उसने जैसे मुझे सम्मोहित कर दिया था |
दूसरी घटना दुबई में हुई थी जब एक आदमी के पास आचार्य दयानन्द सरस्वती की लिखी किताब सत्यार्थ प्रकाश मिली .. उसे नही मालूम था की सत्यार्थ प्रकाश के कुछ अध्याय में इस्लाम के झूठ को बेनकाब किया गया है इसलिए ये किताब अरब देशो में प्रतिबंधित है और यदि किसी के पास सत्यार्थ प्रकाश मिली तो उसे फांसी दी जाती है ...
फिर अटल जी तुरंत ही दुबई पहुंचे और उस आदमी को रिहा करवाकर भारत वापस भेज दिया था ...
धन्य है अटल जी ..
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