"तिलक, तराजू और तलवार – इनको मारो जूते चार"
चार जूते बहुत कम हैं – इनको तो हजार हजार जूते मारने चाहिए |
क्यूँ भाई ? आखिर इनका गुनाह क्या है ?
इनका गुनाह ? बस पूछो मत | भारत की दुर्दशा का कारण ये लोग ही हैं |
भला कैसे ?
वो ऐसे कि :
इन तिलक वालों ने जीवन भर चिंतन – मनन किया – बहुत ज्ञान प्राप्त किया – उस ज्ञान को दुनिया वालो की तरह पेटेंट करा के खूब पैसा ले कर थोड़ा थोड़ा देने के बजाय इन दुष्टों ने बिना पैसा लिए दूसरों को बांटा – युद्ध – व्यापार – नीति – इत्यादि सभी विषयों पर खुद ज्ञान प्राप्त कर के भी कभी खुद राज नहीं किया – इसलिए ये लोग जूते मारे जाने के हक़दार हैं | सेक्यूलर विचार धारा के देशों में यहाँ के तिलक वालों की तरह के मूर्ख लोग नहीं होते हैं |
इन तराजू वालों ने खूब व्यापार कर के भारत को समृद्ध किया और इतना समृद्ध किया कि विश्व के हर कोने में भारत निर्मित वस्तुओं का व्यापार होता था और इस वजह से भारत सोने की चिड़िया कहलाने लगा | इन तराजू वाले दुष्टों की वजह से भारत की सम्पनता की चर्चा सुन सुन कर कई भिखारी + लुटेरी प्रवृत्ति वाली विचार धारा के देशों ने पिछले २००० वर्षों से यहाँ पर लूट मचा रखी है | न तो ये तराजू वाले भारत को समृद्ध करते – न ही विदेशी लुटेरे यहाँ पर आते | इसलिए इन तराजू वालों को जूते मारने का हिसाब बनता है |
इन तलवार वालों को तो तिलक + तराजू वालों को मारे जाने वाले जूतों जितने जूते मारने की जरुरत है | इनके जैसी आन बान और शान वाला पूरी दुनिया में कोई नहीं होता है – ऐसा ये तलवार वाले लोग कहते और मानते हैं | एक से बढ़ कर एक महाप्रतापी राजा इन तलवार वालों के कुल में पैदा होते रहें है क्योंकि ऐसी इनकी वंशानुगत परंपरा है | इतने वीर और पराक्रमी होने के बावजूद ये तलवार वाले केवल अपने देश में ही तलवार भांजते रहे – कभी भी पड़ोसी मुल्कों पर आक्रमण नहीं किया | भारत आने वाले विदेशी घुमक्कड़ लेखकों और इतिहासकारों का लिखना है कि भारत के पिछले १०००० वर्षों के इतिहास में कहीं भी यह प्रमाण नहीं मिलता है कि भारत ने किसी पर आक्रमण किया हो | सेक्यूलर विचार धारा के अनुसार वीरता शौर्य पराक्रम तो तभी होता है जब किसी दूसरे मुल्क पर आक्रमण कर के उनकी जमीन पर कब्ज़ा कर लिया जाय – उनकी स्त्रियों पर खूब बलात्कार किया जाय और उन्हें अपनी काम पिपासा शमन हेतु गुलाम बना लिया जाय – उस बलात्कार से पैदा हुए लड़कों को सेक्यूलर वोटर बना दिया जाय और बलात्कार से पैदा हुई लड़कियों को वैश्या – उस देश की सम्पत्ति लूट ली जाय और बच्चों बूढों को मार देने के बाद जवान लोगों को गुलाम बना कर बेच कर पैसे कमाए जाय | परन्तु बहुत शर्म करने वाली बात है कि भारत के तलवार वालों ने कभी भी ऐसा कुछ नहीं किया – और इसी कारण विदेशी सेक्यूलर लुटेरे छोटे छोटे गिरोह में आकर इन तलवार वालों को हरा कर यहाँ राज करने लगे – इसलिए ये तलवार वाले तो सबसे ज्यादा जूते मारे जाने के हक़दार हैं |
भाई – इस दलील में तो दम है – लेकिन इन को जूते मारेगा कौन ? कब ? कैसे ? कहाँ ?
ऐसा है – जिसमें ज़रा सी भी शर्म बची होगी – वो खुद ही अकेले में खुद को जूते मार लेगा !!!
चार जूते बहुत कम हैं – इनको तो हजार हजार जूते मारने चाहिए |
क्यूँ भाई ? आखिर इनका गुनाह क्या है ?
इनका गुनाह ? बस पूछो मत | भारत की दुर्दशा का कारण ये लोग ही हैं |
भला कैसे ?
वो ऐसे कि :
इन तिलक वालों ने जीवन भर चिंतन – मनन किया – बहुत ज्ञान प्राप्त किया – उस ज्ञान को दुनिया वालो की तरह पेटेंट करा के खूब पैसा ले कर थोड़ा थोड़ा देने के बजाय इन दुष्टों ने बिना पैसा लिए दूसरों को बांटा – युद्ध – व्यापार – नीति – इत्यादि सभी विषयों पर खुद ज्ञान प्राप्त कर के भी कभी खुद राज नहीं किया – इसलिए ये लोग जूते मारे जाने के हक़दार हैं | सेक्यूलर विचार धारा के देशों में यहाँ के तिलक वालों की तरह के मूर्ख लोग नहीं होते हैं |
इन तराजू वालों ने खूब व्यापार कर के भारत को समृद्ध किया और इतना समृद्ध किया कि विश्व के हर कोने में भारत निर्मित वस्तुओं का व्यापार होता था और इस वजह से भारत सोने की चिड़िया कहलाने लगा | इन तराजू वाले दुष्टों की वजह से भारत की सम्पनता की चर्चा सुन सुन कर कई भिखारी + लुटेरी प्रवृत्ति वाली विचार धारा के देशों ने पिछले २००० वर्षों से यहाँ पर लूट मचा रखी है | न तो ये तराजू वाले भारत को समृद्ध करते – न ही विदेशी लुटेरे यहाँ पर आते | इसलिए इन तराजू वालों को जूते मारने का हिसाब बनता है |
इन तलवार वालों को तो तिलक + तराजू वालों को मारे जाने वाले जूतों जितने जूते मारने की जरुरत है | इनके जैसी आन बान और शान वाला पूरी दुनिया में कोई नहीं होता है – ऐसा ये तलवार वाले लोग कहते और मानते हैं | एक से बढ़ कर एक महाप्रतापी राजा इन तलवार वालों के कुल में पैदा होते रहें है क्योंकि ऐसी इनकी वंशानुगत परंपरा है | इतने वीर और पराक्रमी होने के बावजूद ये तलवार वाले केवल अपने देश में ही तलवार भांजते रहे – कभी भी पड़ोसी मुल्कों पर आक्रमण नहीं किया | भारत आने वाले विदेशी घुमक्कड़ लेखकों और इतिहासकारों का लिखना है कि भारत के पिछले १०००० वर्षों के इतिहास में कहीं भी यह प्रमाण नहीं मिलता है कि भारत ने किसी पर आक्रमण किया हो | सेक्यूलर विचार धारा के अनुसार वीरता शौर्य पराक्रम तो तभी होता है जब किसी दूसरे मुल्क पर आक्रमण कर के उनकी जमीन पर कब्ज़ा कर लिया जाय – उनकी स्त्रियों पर खूब बलात्कार किया जाय और उन्हें अपनी काम पिपासा शमन हेतु गुलाम बना लिया जाय – उस बलात्कार से पैदा हुए लड़कों को सेक्यूलर वोटर बना दिया जाय और बलात्कार से पैदा हुई लड़कियों को वैश्या – उस देश की सम्पत्ति लूट ली जाय और बच्चों बूढों को मार देने के बाद जवान लोगों को गुलाम बना कर बेच कर पैसे कमाए जाय | परन्तु बहुत शर्म करने वाली बात है कि भारत के तलवार वालों ने कभी भी ऐसा कुछ नहीं किया – और इसी कारण विदेशी सेक्यूलर लुटेरे छोटे छोटे गिरोह में आकर इन तलवार वालों को हरा कर यहाँ राज करने लगे – इसलिए ये तलवार वाले तो सबसे ज्यादा जूते मारे जाने के हक़दार हैं |
भाई – इस दलील में तो दम है – लेकिन इन को जूते मारेगा कौन ? कब ? कैसे ? कहाँ ?
ऐसा है – जिसमें ज़रा सी भी शर्म बची होगी – वो खुद ही अकेले में खुद को जूते मार लेगा !!!
No comments:
Post a Comment