कैसे-कैसे लोग...
१) नरेंद्र मोदी द्वारा दो स्थानों से चुनाव लड़ने को लेकर आलोचना करने वाले लोग वही हैं, जिन्होंने कभी भी इंदिरा गाँधी द्वारा रायबरेली-मेडक अथवा सोनिया गाँधी द्वारा अमेठी-बेल्लारी से चुनाव लड़ने के दौरान कोई उपदेश नहीं दिया था...
२) आडवानी को लेकर "अचानक" उमड़े प्रेम की वजह से बुजुर्गों के अपमान की नसीहत देने वाले लोग वही हैं, जिन्होंने एक दलित सीताराम केसरी को थप्पड़ मारते, कपड़े फाड़ते हुए धक्के देकर पार्टी दफ्तर से निकाला था...
३) पार्टी में मोदी के बढते वर्चस्व और "अबकी बार मोदी सरकार" के नारे पर आपत्ति जताने वाले बुद्धिजीवी वही लोग हैं, जिन्होंने "इंदिरा इज़ इण्डिया" के नारे पर चुप्पी साध रखी थी... और नमाजवादी पार्टी को "यादव परिवार" की जागीर बनाने पर इनके बोल नहीं फूटते....
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गजब है भई... सारे उपदेश, नैतिकता की सारी दुहाईयाँ, अनुशासन की माँगें सब कुछ भाजपा से ही करोगे??? कभी खुद की गिरेबान में भी तो झाँक लिया करो...
१) नरेंद्र मोदी द्वारा दो स्थानों से चुनाव लड़ने को लेकर आलोचना करने वाले लोग वही हैं, जिन्होंने कभी भी इंदिरा गाँधी द्वारा रायबरेली-मेडक अथवा सोनिया गाँधी द्वारा अमेठी-बेल्लारी से चुनाव लड़ने के दौरान कोई उपदेश नहीं दिया था...
२) आडवानी को लेकर "अचानक" उमड़े प्रेम की वजह से बुजुर्गों के अपमान की नसीहत देने वाले लोग वही हैं, जिन्होंने एक दलित सीताराम केसरी को थप्पड़ मारते, कपड़े फाड़ते हुए धक्के देकर पार्टी दफ्तर से निकाला था...
३) पार्टी में मोदी के बढते वर्चस्व और "अबकी बार मोदी सरकार" के नारे पर आपत्ति जताने वाले बुद्धिजीवी वही लोग हैं, जिन्होंने "इंदिरा इज़ इण्डिया" के नारे पर चुप्पी साध रखी थी... और नमाजवादी पार्टी को "यादव परिवार" की जागीर बनाने पर इनके बोल नहीं फूटते....
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गजब है भई... सारे उपदेश, नैतिकता की सारी दुहाईयाँ, अनुशासन की माँगें सब कुछ भाजपा से ही करोगे??? कभी खुद की गिरेबान में भी तो झाँक लिया करो...
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