Saturday, December 28, 2013

मोदी और केजरीवाल

केजरीवाल जी ने तो आज घोषणा किया की हम भ्रष्ट अधिकारियो को घूस मांगने पर पकडवाने के लिए एक नम्बर देंगे, गुजरात सरकार ने ये काम पांच साल पहले ही किया है...

गुजरात सरकार ने पुलिस में अलग से ही एक विभाग एंटी करप्शन युनिट बनाया है जिसके डीजी से लेकर एसपी लेवल तक के सारे अधिकारी अलग होते है ताकि पुलिस अधिकारियो के खिलाफ भी ईमानदारी के जाँच हो सके...

गुजरात सरकार ने एक टोल फ्री नम्बर 1800 233 44444 भी बनाया है, ये नम्बर 7*24 चालू रहता है, साथ ही कोई भी किसी भी घुसखोर अधिकारी या कर्मचारी के बारे में इस साईट के द्वारा भी शिकायत कर सकता है, अब तक सैकड़ो भ्रष्ट सरकारी कर्मचारी इस पहल से जेल के पीछे जा चुके है और गुजरात के सरकारी कर्मचारियों के घूसखोरी रोकने के ये पहल बहुत कामयाब हुई है...

ये बात अलग है की कभी मोदी जी ने खांसते हुए इस बात का प्रचार नही किया...


जब कभी मैं गूगल पर जाकर 'भारतीय क्रांतिकारी' शब्द टाइप कर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के चित्र ढूँढता हूँ और वहाँ पर आज़ाद, बिस्मिल, भगतसिंह, खुदीराम बोस और वीर सावरकर जैसे हुतात्माओं के साथ अरविन्द केजरीवाल, गोपाल राय, संजय सिंह और मनीष सिसौदिया जैसों के चित्र भी पाता हूँ, तो सच कहता हूँ कि हृदय रो पड़ता है। या तो इस युग में शब्दों का अवमूल्यन हो गया है जो किसी भी ऐरे गैरे को क्रांतिकारी की श्रेणी में रखा जाने लगा है या हममें अब अपने नायकों की पहचान करने की क्षमता नहीं रही जो किसी को भी हम क्रांतिकारी समझ मान देने लगे हैं और सर पर बैठाने लगे हैं। वजह चाहे जो भी हो, पर ये स्थिति हृदय को कचोटने वाली है।


जो लोग अपनी कार का स्टीयरिंग भी किसी ड्राइवर के हाथ में देने से पहले सौ बार ये ठोक बजा कर देख लेते हैं कि अगले को कार चलाने का कोई तजुर्बा है भी या नहीं, उन्हीं लोगों को बड़ा कैज्युली जब देश की कमान कभी अरविन्द केजरीवाल, कभी नंदन नीलकेणी और कभी सचिन तेंदुलकर को सौंपने की बातें करते देखता सुनता हूँ तो कई बार सोचने पर मजबूर जाता हूँ कि ये देश क्या हमारी कार से भी गया बीता है, जिसे किसी भी अनाड़ी के हाथों सौंपा जा सकता है, खासतौर पर तब जब हमारे पास खुद को बार बार साबित कर चुका शख्स मौजूद है।

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