सत्ता मिलते ही सत्य का गला घोटना शुरू ???
हर बात पर आम आदमी की राय लेने वाला केजरीवाल आज मुख्या मंत्री बनाते ही उसी आम आदमी का मुह बंद करने लगे ?? आगे आगे देखो होता है क्या ? रामलीला मैदान में केजरीवाल के शपथ ग्रहण के दौरान एक पुलिसकर्मी ने भी आवाज उठाने की कोशिश की, मगर उसके साथ क्या हुआ, खुद देखें। तस्वीरें देखें और Share भी करें:
ठीक लालू प्रसाद यादव के नक़्शे कदम पर केजरीवाल >>>>
जेपी की लड़ाई से उपजे राजनेता लालू प्रसाद यादव के लिए जेपी के निधन के लगभग चार दशक बाद आज जेपी के मूल्य, सिद्धांत और उनके आदर्श शायद उतने प्रासंगिक नज़र नहीं आते हैं, नब्बे के शुरूआती साल में लालू प्रसाद का बिहार का मुख्यमंत्री बनना एक स्मरणीय घटना थी. लालू ने पटना के गाँधी मैदान में खुले आकाश के नीचे जब लोकनायक जयप्रकाश जी की प्रतिमा के सामने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अपने फ़ैसले का ऐलान किया तो एक बारगी बिहार ही क्यों, समूचे देश को यह अनुभव होना स्वाभाविक था कि अब वहाँ जनता का राज कायम होगा. शपथ लेने के बाद लालू साइकिल से मुख्यमंत्री सचिवालय गए. उस शुरूआती छवि और आज की उनकी छवि में परस्पर विरोधी चेहरे देखे जा सकते हैं
लालूप्रसाद यादव भ्रष्टाचार के जिस नारे के ख़िलाफ़ सत्ता पर क़ाबिज़ हुए थे, वह उनका राजनीति आधार बन गया. पशुपालन घोटाले में उनकी संलिप्तता की घटना और इन्ही आरोपों में उनकी ग़िरफ़्तारी और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ उनकी राजनीतिक स्थिति आज सबकी ज़ुबान पर है.
ठीक इसी नक़्शे कदम पर आज केजरीवाल है, मुझे लगता अब आप लोगों को विस्तार में कुछ भी समझाने की आवश्यकता है...... आप खुद समझदार हैं........!!!!
हर बात पर आम आदमी की राय लेने वाला केजरीवाल आज मुख्या मंत्री बनाते ही उसी आम आदमी का मुह बंद करने लगे ?? आगे आगे देखो होता है क्या ? रामलीला मैदान में केजरीवाल के शपथ ग्रहण के दौरान एक पुलिसकर्मी ने भी आवाज उठाने की कोशिश की, मगर उसके साथ क्या हुआ, खुद देखें। तस्वीरें देखें और Share भी करें:
ठीक लालू प्रसाद यादव के नक़्शे कदम पर केजरीवाल >>>>
जेपी की लड़ाई से उपजे राजनेता लालू प्रसाद यादव के लिए जेपी के निधन के लगभग चार दशक बाद आज जेपी के मूल्य, सिद्धांत और उनके आदर्श शायद उतने प्रासंगिक नज़र नहीं आते हैं, नब्बे के शुरूआती साल में लालू प्रसाद का बिहार का मुख्यमंत्री बनना एक स्मरणीय घटना थी. लालू ने पटना के गाँधी मैदान में खुले आकाश के नीचे जब लोकनायक जयप्रकाश जी की प्रतिमा के सामने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अपने फ़ैसले का ऐलान किया तो एक बारगी बिहार ही क्यों, समूचे देश को यह अनुभव होना स्वाभाविक था कि अब वहाँ जनता का राज कायम होगा. शपथ लेने के बाद लालू साइकिल से मुख्यमंत्री सचिवालय गए. उस शुरूआती छवि और आज की उनकी छवि में परस्पर विरोधी चेहरे देखे जा सकते हैं
लालूप्रसाद यादव भ्रष्टाचार के जिस नारे के ख़िलाफ़ सत्ता पर क़ाबिज़ हुए थे, वह उनका राजनीति आधार बन गया. पशुपालन घोटाले में उनकी संलिप्तता की घटना और इन्ही आरोपों में उनकी ग़िरफ़्तारी और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ उनकी राजनीतिक स्थिति आज सबकी ज़ुबान पर है.
ठीक इसी नक़्शे कदम पर आज केजरीवाल है, मुझे लगता अब आप लोगों को विस्तार में कुछ भी समझाने की आवश्यकता है...... आप खुद समझदार हैं........!!!!
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