लोकपाल क़ानून पढ़ा तो नहीं है पूरा, पर उसकी नियुक्ति और उस पर "आप" की आपतियां कुछ इस तरह हैं:
नियुक्ति पांच सदस्यीय मंडल करेगा, जिसमे शामिल होंगे: प्रधानमन्त्री, लोकसभा स्पीकर, नेता प्रतिपक्ष, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, और एक प्रख्यात कानूनविद.
आप की आपतियां: मेरा विचार
१. प्रधानमंत्री चोर है: सहमत
२. लोकसभा स्पीकर चोर है: बहुत हद तक, चोर नहीं तो उनके साथ तो है.
३. नेता प्रतिपक्ष: वो भी चोर है, उनका साथी है.: ऐसा?
४. मुख्य न्यायाधीश: वो भी चोर है:??????????????
अब ये क्या है?
५. एक प्रख्यात कानूनविद: वो भी चोर है:?????
भाई, तो ये बताओ, अब इमानदार कौन बचा जिसे नियोक्ता मंडल में चुने?
अमरीका के राष्ट्रपति को? फोर्ड के चेयरमैन को? नक्सली बिनायक सेन को? जमीन रजिस्ट्री घोटाले के दोषी प्रदुषण पिता पुत्र को? तौकीर रजा को? बुखारी को? कुमार बकवास, अंजलि दमानिया, देसराज राघव, धरमेंदर कोली, मयंक गाँधी, शाजिया इल्मी, गालीबाज रघु राजीव को?
क्योंकि बाकी सब तो चोर हैं, अन्ना मूर्ख हैं, जस्टिस हेगड़े भ्रष्ट हैं, किरण बेदी जी और जनरल वी के सिंह जी दलाल हैं,(आप समर्थकों के अनुसार). तो एक काम क्यूँ नहीं करते, अपने नक्सली आकाओं को बोल कर संसद वंसद भंग करवा दो, विधानसभाओं को ख़त्म करवा दो और देश का हाल नेपाल और सीरिया जैसा करवा दो, शायद भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाए.
अभी अभी महापुरुष अरविन्द जी का बयान आया है कि अनशन से कुछ हासिल नहीं होता, तो मियां स्टील के गिलास लेकर अनशन का नाटक क्यूँ किया था, और आज जहाँ ये महाशय हैं न, वहाँ अनशन की वजह से ही हैं..
No comments:
Post a Comment