जीता-जागता नरक बनता जा रहा है गुरुग्राम: स्टडी
गुरुग्राम
गुरुग्राम में तेजी से हो रहे शहरीकरण और संसाधनों के दोहन को लेकर एक स्टडी में चेतावनी दी गई है। स्टडी के मुताबिक, अगर गुरुग्राम के विकास का धारणीय मॉडल नहीं अपनाया गया तो गुरुग्राम जीता-जागता नरक बन जाएगा। सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वायरनमेंट्स (सीएसई) और गुड़गांव फर्स्ट नाम की एक एनजीओ ने यह स्टडी कराई है।
स्टडी के मुताबिक, बीते सालों में शहर में प्रदूषण कई गुना बढ़ गया है। यहां दिल्ली से भी ज्यादा प्रदूषण है, जिसे फैलाने में सबसे बड़ा हाथ गाड़ियों का है। दिल्ली के मुकाबले गुरुग्राम में प्रति 1000 व्यक्ति पर चार गुना ज्यादा गाड़ियां हैं और चिंताजनक बात यह है कि शहर की ऊर्जा की जरूरत ज्यादातर डीजल से पूरी की जाती है।
सीएसई की अनुमिता रॉय चौधरी ने बताया, 'गुरुग्राम में डीजल से चलने वाले 10,000 जेनरेटर सेट्स हैं। एक जेनरेटर सेट से चार भारी कमर्शल गाड़ियों के बराबर धुआं निकलता है। डीजल के जेनरेटर सेट्स के स्थान पर सोलर पावर पैदा करने पर जोर देने की जरूरत है। इस सोलर एनर्जी का उस समय इस्तेमाल किया जा सकता है, जब बिजली कटौती हो।'
अनुमिता चौधरी ने गुरुग्राम की समस्या पर एक किताब लिखी है, जिसका नाम 'गुरुग्राम: अ फ्रेमवर्क फॉर सस्टेनेबल डिवेलपमेंट' है। इस पुस्तक में प्रदूषण की समस्या से निपटने के हल भी सुझाए गए हैं। गुरुवार को इस पुस्तक का विमोचन हुआ है। पुस्तक में उल्लेख किया गया है, 'इस तरह के ग्रोथ के कारण पानी, बिजली, परिवहन के साधन का दोहन हो रहा है जिससे कचरों का पहाड़ बनता जा रहा है। अगर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो गुरुग्राम जीता-जागता नरक बन जाएगा।'
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