Sunday, March 24, 2019

सोने की चींटी या कागज के गजराज

*सोने की चींटी या कागज के गजराज' ?*

हर देश में अंतर्देशीय विनिमय के लिए स्थानीय मुद्रा होती है , इसका महत्त्व सिर्फ देश की सीमाओं के भीतर ही होता है. अंतर्राष्ट्रीय विनिमय में इसकी कोई कीमत नही होती.

*भारत की आंतरिक मुद्रा रुपया है. रुपया ,मुद्रा का एक प्रतीक है वास्तविक मुद्रा नही. भौतिक रूप से रुपया सिर्फ एक कागज है.*
*देशो के बीच सभी लेनदेन अन्तराष्ट्रीय मुद्रा में होते है. डॉलर और सोना अन्तराष्ट्रीय मुद्रा है.आर्थिक संकट या युद्ध के दौरान हथियार, अनाज, दवाईयां आदि खरीदने के लिए अन्तराष्ट्रीय मुद्रा ही जीवन रेखा साबित होती है.*
*अभी के समय में डॉलर ही अन्तराष्ट्रीय मुद्रा है.*

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2420167104878368&id=100006553053580

*भारत का डॉलर रिज़र्व 300 बिलियन है , जबकि भारत पर 380 बिलियन डॉलर का क़र्ज़ है ।भारत में 350 बिलियन डॉलर का पूंजीगत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) है.*
कुल क़र्ज़ : 350+380 = 730 बिलियन डॉलर. MNCs द्वारा जो मुनाफा देश में रूपये के रूप में कमाया जा रहा है उसका डॉलर भी हमें चुकाना है.
स्पष्ट है हम डॉलर के क़र्ज़ में डूब रहे है.
[ उपाय जो हम-आप एवं समस्त भारतीयों द्वारा किये जा सकते हैं, के लिए कृपया धैर्य-पूर्वक पढ़ें. ]*

*लेकिन डॉलर की कीमत भी जब तक है तब तक है, यदि अमेरिका आर्थिक रूप से डूबता है या डॉलर को मेंटेन करने का उसका मेकेनिज्म फेल हो जाता है तो डॉलर भी एक कागज़ का टुकड़ा भर रह जाएगा. आखिर डॉलर भी भौतिक रूप से एक कागज़ ही है, और कुछ नही. मानिए कि आपके बेंक में 1 करोड़ रूपये है, और बेंक डूब जाता है, तो पासबुक का क्या ?*

*मतलब जो मुद्रा कभी भी उड़ सकती है उसमे हम पहले से ही उड़े हुए है.*
*सोना - पिछले 10 हजार वर्षो से सोना सबसे कीमती धातु और मुद्रा रही है. सोना शाश्वत खजाना है, सबसे मूल्यवान द्रव्य ।भौतिक रूप से सोना वास्तविक मुद्रा है.*
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*सोने की लूट और भारत :-*
*प्राचीन काल से ही भारत में विपुल सोना रहा है , सोने की प्रचुरता ने विदेशी आक्रमणकारियो को प्रेरित किया और भारत का सोना लूटा गया. गौरतलब है कि मध्य काल में भारत के नागरिक हथियार विहीन थे इसलिए भारत के राजाओं के हार जाने पर आतताइयो को नगरो में घुसने के लिए किसी बाधा का सामना नही करना पड़ता था , फलस्वरूप 10-20 हज़ार की टुकडियां भी देश के भीतर तक घुस कर बड़े पैमाने पर कत्ले आम और सोने की लूटपाट कर पाती थी .*

*नागरिको द्वारा जो सोने का दान मंदिरों को दिया जाता था उसके संग्रह की प्रवृति मध्य काल में बढ़ने लगी , फलस्वरूप हमारे मंदिर सोने के विशाल भंडारों में तब्दील हो गए. धार्मिक मठो तथा मंदिरों के पुजारियो ,महन्तो में विरासत प्रथा के कारण समाज कल्याण के खर्चो में गिरावट आयी और स्वर्ण संग्रह को बढ़ावा मिला.*

*मध्य काल में भारत के कई मंदिर लूटे गए, जिसमे महमूद ग़जनी द्वारा सोमनाथ के स्वर्ण भंडारों की लूट एतिहासिक रूप से विख्यात है.*
*आधुनिक काल में फ्रांस और पुर्तगाल के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत के सोने को लूटा. ये लूट आज भी बदस्तूर जारी है.*
*किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का आधार देश के स्वर्ण भंडार होते है और आर्थिक बदहाली या आपत्तिकाल में सिर्फ सोना ही राष्ट्र को बचाता है.*

*ग़जनी के आधुनिक वंशज :*
*सारा कुछ लुट गया ,जरा सा रहता है... कभी भारत सोने की चिड़िया कहाता था पर अब चींटी भी नही बचा है. उतने पर भी ग़जनी के वंशज इसे लूटने में लगे है. ग़जनी के पास लूटने के लिए सेना थी पर तब नागरिको के पास हथियार नही थे.आज उसके वंशज क़ानून बना कर बाकायदा सोना लूट रहे है पर नागरिको के पास राईट टू रिकाल नही है.*
पिछले दो दशक से राजनेता विदेशी सत्ताओ से घूस लेकर ऐसे क़ानून पास कर रहे है जिस से देश के स्वर्ण भंडारों की क्षति हो रही है.*

*- UPA ने सोने पर 4% कस्टम ड्यूटी लगाई, इसे बढ़ा कर 6%, फिर 10% किया । आज कस्टम ड्यूटी 12% है.*
*परिणाम - विदेश से सोना खरीदकर लाने वाले भारतीय हतोत्साहित हुए और भारत में सोना आना कम हो गया.*

*- UPA ने सोने पर 1% संपत्ति कर लागू किया इस से नागरिको ने सोने में निवेश करना बंद कर दिया.*

- *सरकार ने सोने के बदले गोल्ड बांड जारी किये, गोल्ड बांड को कर मुक्त रखा गया. इस तरह नागरिको का काफी सोना सरकार ने खींच लिया और बदले में बांड थमा दिए.*

- *बैंक सस्ती ब्याज दर पे गोल्ड लोन देने लगे. कई लोग सोना वापिस छुड़ा नही पाते और सोना बेंक में खिंच जाता है.*

- *पेड मिडिया और पेड इकोनोमिस्ट और मंत्रियो ने 'सोना एक बुरा निवेश है' के ऐलान दिए और नागरिको को सोना खरीदने से हतोत्साहित किया.*
*मंदिरों का सोना खींचने के लिए सरकार ने दक्षिण भारत के कई मंदिरों के ट्रस्टो को अपने नियंत्रण में ले लिया है ताकि सदियों से संचित निधियो को लूटा जा स2012 में चिदम्बरम ने सिद्धि विनायक, पद्मनाभन और तिरुपति आदि मंदिरों को नोटिस भेज कर खजाने के स्वर्ण भण्डारो की जानकारी मांगी.*

- *पद्मनाभन मंदिर के ट्रस्ट को हाईकोर्ट ने अप्रेल 2014 में अपने नियंत्रण में ले लिया और ट्रस्ट को शेषन जज के अधिनस्थ कर दिया.*

- *खजाने के मूल्यांकन और निपटारे के लिए पूर्व न्यायाधीश गोपाल सुब्रमनियम को नियुक्त किया.*
*चूंकि हमारी सुप्रीम और हाई कोर्ट MNCs और मिशनरीज़ लोबी के प्रभाव में है इसलिए ये सभी खजाने अब कोर्ट के माध्यम से लूटे जाने वाले है.*

- *पिछले सप्ताह नरेन्द्र मोदी के आदेश पर IMF एजेंट रघुराम ग़जनी ने तिरुपति मंदिर से 1800 किलो सोना लूटा और बदले में मंदिर को गोल्ड बांड थमाए.*

*पिछले तीन वर्ष से आइएमऍफ़, वर्ल्ड बेंक , मिशनरीज़, MNCs की नज़र हमारे मंदिरों के खजाने पर टिकी हुयी है, ये लोबी नेताओं को धमका कर और घूस देकर ये लूट कर रही है*

यदि नमो को सोना चाहिए तो ओपन मार्केट से खरीद सकते थे, सदियों से संचित नागरिको के दान को उन्होंने क्यों लूटा ?
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*- नमो की नियत साफ़ है तो इस विषय को मिडिया कवरेज की अनुमति क्यों नही दी ?*
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*इन आभूषणो को गला कर ईंटो में क्यों तब्दील किया जा रहा है ?*

- आरएसएस, विहिप और अन्य भगवा ब्रिगेड इस विषय पर चुप क्यों है ?*

- क्या नमो को बहुमत मंदिरों का सोना लूटने के लिए दिया गया है ?

*विश्व में ये इतिहास रहा है कि गोल्ड बांड सिर्फ बांड ही साबित हुए है उनसे गोल्ड कभी वापिस नही मिला.*

*सभी पार्टिया मंदिरों का सोना लूट लिए जाने के पक्ष में है, कोई विरोध नही कर रहा.*

*जो सोना मुग़ल और अंग्रेज नही लूट पाए उसे अब हमारे 'हिंदूवादी' नेता लूट रहे है.*

जब मेवाड़ के राणा प्रताप को मुगलों से लड़ने के लिए सेना बनाने की आवश्यकता थी तब भामाशाह ने उन्हें सोना दान किया था, उसी सोने से प्रताप अपनी सेना खड़ी कर पाए. यदि भामाशाह के पास अकबर के दिए हुए बांड होते तो भामाशाह राणा की मदद नही कर पाते.

जैसी कि संभावना है, यदि भारत डॉलर के क़र्ज़ में गले गले डूब जाता है और दिवालिया हो जाता है तो देश में मौजूद यह सोना ही हमें बचाने वाला है. यदि हमारे पास सोना नही रहा तो हमारी राष्ट्रीय सम्पत्तिया और खनिज बिक जायेंगे.

मान लीजिये की अमेरिका, चीन या पाकिस्तान की सेनाये शहरो के भीतर तक घुस आती है और आपको घर छोड़ कर जंगलो में भागना पड़ता है तो अपने साथ आप सोने के अलावा क्या संपत्ति ढो कर ले जा पायेंगे ?

ऐसे आपात काल में सिर्फ दो ही वस्तुए रक्षा करती है , सोना और हथियार.
सरकार ने नागरिको को हथियार रखने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, और नित नए क़ानून बना कर नागरिको से सोना खींच रही है और मंदिरों के खजाने लूट रही है.

*चिंता न करें मित्रों,
हमारे समूह ने उपरोक्त सभी समस्याओं का समाधान http://www.righttorecall.info/301.pdf में सुझाया है, आप भी पढ़ें और फॉलो करें. अर्थात सुझाए गए क़ानून-ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप देकर प्रस्ताव लागू करने का दबाव डालें, ये भी याद रखें कि बिना लड़ाई लड़े, कभी विजय नहीं मिलती. आप भी लडें और अपने साथियों तथा अन्य सभी भारतीयों को करने को प्रेरित करें, ये लड़ाई, हमको, आपको सबको मिलकर लड़ना होगा.*

: उपाय-

- *पीएम, वित्त मंत्री और RBI गवर्नर को प्रजा अधीन किया जाए ताकि ऐसी हरकत करने पर जनता इन्हें नौकरी से निकाल सके.*

- सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट एवं शेषन जज को प्रजा अधीन किया जाए ताकि न्यायपालिका प्रजा के प्रति जवाबदेह रहे.*

- *प्रजा अधीन राजा समूह द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय हिन्दू देवालय प्रबंधन तथा राज्य हिन्दू देवालय प्रबंधन कमेटी क़ानून ड्राफ्ट को गेजेट में छापा जाए, ताकि मंदिरों का प्रबंधन तथा खजाना जनता के नियंत्रण में रहे.*

- *सोने पर लगायी गयी कस्टम ड्यूटी समाप्त की जाए.*

- सोने पर लगाए गए सम्पति कर को समाप्त किया जाए , जमीन पर संपत्ति कर लागू किया जाए.

- *दूरदर्शन चेयरमेन को प्रजा अधीन किया जाए, ताकि ऐसी खबरे दबाने वाले को जनता नौकरी से निकाल सके.*

- हथियार बंद नागरिक समाज की रचना की जाए ताकि युद्ध की स्थिति में नागरिक देश के आंतरिक हिस्सों की रक्षा आतताइयो से कर सके.*

- *विदेशी मुद्रा भण्डार डॉलर की जगह क्रूड ऑयल में रखा जाए.*

*इन सभी कानूूनों के ड्राफ्ट मुफ्त में पढ़ें और सरकार , मंत्रियों , सांसदों , अधिकारियों को ऊपर के कानूनों को गजेट में छापकर प्रकाशित करने को प्रेरित करें* -
http://www.righttorecall.info/301.pdf for English
http://www.righttorecall.info/301.h.pdf हिंदी में*

*प्रजा अधीन राजा समूह*

जय हिंद

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