Monday, March 11, 2019

कौन बड़ा दोषी? एक नजरिया ये भी

इंदिरा गांधी ने बंगलादेश जैसे ही अलग करवाया तब अमेरिका की आंखें बड़ी हो गईं, एक क्षेत्र में इंदिरा महाशक्ति न बन जाये इस हेतु गैर कांग्रेस सरकार बनाने के मंसूबे पाले हुए था ब्रिटिश अमेरिका नेक्सस।
इसके लिए फोर्ड फाउंडेशन से जेपी को खड़ा किया।
इंदिरा नही झुकी।
निक्सन ने बहुत गालियां दीं।
फिर जनरल नियाज़ी से खालिस्तान को समर्थन दिलवाया उसमे अंततः इंदिरा ने विजय पाई। यह और बात है कि इसमें ब्रिटिश अपने ही जाल में फंस गए थे।
फिर कांग्रेस को इंदिरा की मृत्यु से अभूतपूर्व लाभ हुआ।
तब जाकर इन्होंने बीजेपी को पकड़ा जो 1986 तक हाशिये पर थी, इनको मुद्दा दिलवाया।
जबकि 1980 से 1986 तक भाजपा हिन्दुत्व से दूर समाजवाद पर केंद्रित थी और इनके पोस्टर बॉय गांधी और लोहिया थे।
मजे मक बात यह है कि इन 6 वर्षों में संघ द्वारा टूटकर कमजोर हो चुके जनसंघ को उबारने का कोई प्रयास नही किया गया ।
अमेरिकी ब्रिटिश नेक्सस का यह हाल था कि वह परेशान थे कि जो उंन्होने सोचा वैसा नही हो रहा था। उंन्होने सोचा था कि बाहर बैठकर आराम से सरकार चलाएंगे परन्तु कांग्रेस के उस समय के नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स ने ब्रिटिशर्स अमेरिकन्स को धूल चटाई।
आज की तरह तब भी दबाव होते थे विदेशी नीतियों पर कार्य करने के परन्तु कांग्रेस उन्हें दबा देती थी, टाल देती थी, लटका देती थी... जैसे जय राम रमेश ने बीटी-बैंगन लटकाया भाजपा द्वारा प्रचंड विरोध प्रदर्शन किए जाने का हवाला देकर, कि जनता विरोध कर रही है, सरकार गिर जाएगी।
एक ऐसी ही लटकाने वाला प्रोजेक्ट टिहरी dam था जो ब्रिटिश दबाव में 1957 में पारित हुआ परन्तु कॉंग्रेस ने 40 साल लगवा दिए उसे कागजों में ही घुमाने में, कहीं मुआवजा, कहीं अधिग्रहण आदि का बहाना लगाकर... पर जब वाजपेयी सरकार आई तो 4 साल में ही उसे पूरा करवा कर पहली सुरंग का उद्घाटन किया था वाजपेयी ने 2001 में, संसद हमले से कोई 3-4 दिन पहले।
तो हिन्दुओ को किससे लाभ...भाजपा से या कांग्रेस से?
खैर अब अमेरिकी नेक्सस ने यह योजना बनाई कि एक गैर कांग्रेसी दल को मजबूत किया जाए जो यदा कदा सरकार बनाकर आकर हमारी योजनाएं फलीभूत कर दिया करे ।
अब यही हुआ
फिर
आरक्षण मुद्दे पर वीपी सिंह को समर्थन देकर उसी समय यह सारे कार्य किये गये, जो आज विष वृक्ष वन हुए हैं, बाद में ऐसे ही बहुत से कार्य देवेगौड़ा और गुजराल सरकार में भी हुए।
राम मंदिर विषय पर ब्रिटिश खुफिया एजेंसी ने पूरा समर्थन दिया जिससे उधर मुलायम और इधर बीजेपी को मजबूती मिली। मुलायम भी इसमें पूरा लिप्त है।
कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान यूपी बिहार में ही हुआ है।
वैश्विक घटनाक्रमो पर गंभीरता से नज़र डालें तो 1975-1980 के बीच बहुत बड़े घटनाकर्मो के षड्यंत्र रचे गए।
2004 से 2014 के मनमोहन सिंह को देखें तो उसने अमेरिकन्स को हर मामले में पटखनी दी, परन्तु हमने भी उसे समझने मे भूल की और बेहिसाब गालियां दी हैं।
यदि भक्तों के वैशाखनन्दन पीएम न बनते तो हमे सोने और पीतल की परख नही हो सकती थी, यह भी बढिया रहा कि छद्म हिन्दू दल की सरकार बनी, मोदी पीएम बना और दोगलेपन की पराकाष्ठाएं जो पर हुईं वह आंखे खोलने वाली सिद्ध हुईं।
अब मनमोहन ने जो इंटरनेशनल माफियाओं के षड्यंत्रों की गति नियंत्रित की उसको मोदी वैशाखनन्दन नाइट्रोजन गैस लगाकर दौड़ा रहे हैं।
10 साल के gap को भरना भी है, Digitalisation की गुलामी सबसे बड़ा विषय है। 2019 के बाद अध्यादेश लगाकर आधार कार्ड लागू किया जाएगा।
खेल बहुत गहरा है थोड़े से शब्दों में समझाना संभव नही है ।
भाजपा को मुद्दे दिए गए, पैदा करवाये गए, उन्ही की राजनीति आज की जा रही है... मुलायम, लालू और माया भी उसी माली के पौधे हैं जिसका वृक्ष भाजपा है।

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