तेजपाल और संत आशारामजी बापू दोनों पर आरोप
तो एक समान लगे है पर मीडिया और जन साधारण के
व्यवहार में भी ज़मीन आसमान का अंतर है-
- बापू के...
लिए अपमान जनक शब्दों का इस्तेमाल
जबकि तेजपाल के लिए आयेंगे जायेंगे इस तरह के मानदेयक
शब्द
- बापू के आश्रम में तोड़ फोड़ और मूर्तियों पर कालिख ,
पुतला जलाने जैसी घटनाओं पर कोई आपत्ति नहीं.
जबकि विजय जॉली के एक ऐसी महिला जिसे बराबर का आरोपी मानना चाहिए के घर पर आरोपी लिखने
पर आपत्ति .
- प्लेन में तक सीक्युरिटी को ठेंगा बता कर केमेरा ले जाना और बापू के प्रत्येक हावभाव पर अपमानजनक
टिपण्णी
- पुलिस द्वारा कोई समय नहीं दिया गया.
-
तथाकथित प्रगतिशील महिलाओं(?) द्वारा तेजपाल
पर कोई स्टेटस या टिपण्णी पढने में नहीं आई .
- तेजपाल द्वारा पीड़ित महिला को कोई सुरक्षा नहीं. जबकि उस लड़की को जिसने बापू पर
इलज़ाम लगाए है को भरपूर सुरक्षा और सहानुभूति .
- सरकारी नेताओं द्वारा बापू पर तल्ख़ टिप्पणियाँ पर
तेजपाल पर नर्म रुख .
- न्यूज़ चेनल पर चौबीसों घंटे बापू पर मनगढ़ंत ख़बरें
चलाना , बहस में समर्थकों को बोलने ना देना , अपमानित करना आदि
- शिल्पी और शोमा के साथ व्यवहार में ज़मीन आसमान
का अंतर जबकि दोनों को ही सह आरोपी कहा जा सकता है.
- बापू ने इलाज के लिए अपनी महिला वैद्य के लिए
पूछा तो उपहास किया गया. तेजपाल की तो वकील ही एक महिला है !
- बापू के परिवार का भी मान भंग
किया गया जबकि तेजपाल के परिवार के मान
की रक्षा हो रही है.
- बापू को पेश होने में थोड़े दिन की देरी हुई तो उन्हें
फरार , भगोड़ा आदि नामों से अपमानित किया गया जबकि उनके प्रवचन पहले से ही निश्चित
कार्यक्रम के अनुसार चल रहे थे , जबकि तेजपाल के लिए
ऐसा कुछ नहीं बोला गया.
- जान बुझ कर बापू के पुराने
क्लिपिंग और चेहरे दिखाए
जा रहे है जिनमें वे अच्छे नहीं दिख रहे जैसे आँखें बड़ी करते
हुए , नाचते हुए आदि. तेजपाल के ऐसे कोई क्लिपिंग नहीं दिखाए जा रहे.
- बापू को अब तक ज़मानत नहीं मिली ,
जबकि तेजपाल को तुरंत अंतरिम राहत दी गई है.
- ये हम हिन्दुओं के कायर होने का सूचक है. पर मज़े की बात यह है की वे कायर लोग इसे प्रगतिशील
होना मानते है !प्रतिशील होना मानते है
व्यवहार में भी ज़मीन आसमान का अंतर है-
- बापू के...
लिए अपमान जनक शब्दों का इस्तेमाल
जबकि तेजपाल के लिए आयेंगे जायेंगे इस तरह के मानदेयक
शब्द
- बापू के आश्रम में तोड़ फोड़ और मूर्तियों पर कालिख ,
पुतला जलाने जैसी घटनाओं पर कोई आपत्ति नहीं.
जबकि विजय जॉली के एक ऐसी महिला जिसे बराबर का आरोपी मानना चाहिए के घर पर आरोपी लिखने
पर आपत्ति .
- प्लेन में तक सीक्युरिटी को ठेंगा बता कर केमेरा ले जाना और बापू के प्रत्येक हावभाव पर अपमानजनक
टिपण्णी
- पुलिस द्वारा कोई समय नहीं दिया गया.
-
तथाकथित प्रगतिशील महिलाओं(?) द्वारा तेजपाल
पर कोई स्टेटस या टिपण्णी पढने में नहीं आई .
- तेजपाल द्वारा पीड़ित महिला को कोई सुरक्षा नहीं. जबकि उस लड़की को जिसने बापू पर
इलज़ाम लगाए है को भरपूर सुरक्षा और सहानुभूति .
- सरकारी नेताओं द्वारा बापू पर तल्ख़ टिप्पणियाँ पर
तेजपाल पर नर्म रुख .
- न्यूज़ चेनल पर चौबीसों घंटे बापू पर मनगढ़ंत ख़बरें
चलाना , बहस में समर्थकों को बोलने ना देना , अपमानित करना आदि
- शिल्पी और शोमा के साथ व्यवहार में ज़मीन आसमान
का अंतर जबकि दोनों को ही सह आरोपी कहा जा सकता है.
- बापू ने इलाज के लिए अपनी महिला वैद्य के लिए
पूछा तो उपहास किया गया. तेजपाल की तो वकील ही एक महिला है !
- बापू के परिवार का भी मान भंग
किया गया जबकि तेजपाल के परिवार के मान
की रक्षा हो रही है.
- बापू को पेश होने में थोड़े दिन की देरी हुई तो उन्हें
फरार , भगोड़ा आदि नामों से अपमानित किया गया जबकि उनके प्रवचन पहले से ही निश्चित
कार्यक्रम के अनुसार चल रहे थे , जबकि तेजपाल के लिए
ऐसा कुछ नहीं बोला गया.
- जान बुझ कर बापू के पुराने
क्लिपिंग और चेहरे दिखाए
जा रहे है जिनमें वे अच्छे नहीं दिख रहे जैसे आँखें बड़ी करते
हुए , नाचते हुए आदि. तेजपाल के ऐसे कोई क्लिपिंग नहीं दिखाए जा रहे.
- बापू को अब तक ज़मानत नहीं मिली ,
जबकि तेजपाल को तुरंत अंतरिम राहत दी गई है.
- ये हम हिन्दुओं के कायर होने का सूचक है. पर मज़े की बात यह है की वे कायर लोग इसे प्रगतिशील
होना मानते है !प्रतिशील होना मानते है