आरुषी हत्याकांड का फैसला आ गया ....!
लेकिन इस काण्ड ने समाज को एक सन्देश दिया है कि आज पैसे की होड़ में माता पिता अंधाधुंध इस तरह भाग रहे हैं कि उनके पास अपनी संतानों के लिए समय तक नहीं है और वो अकेले घर में क्या करती हैं उस से कोई सरोकार भी नहीं है , मेरा मानना यह है कि अगर एक सदस्य की आय से आपका घर सही चलता है तो दुसरे को नौकरी नहीं करनी चाहिए ...!
मैं आरुषी द्वारा अपने माँ-बाप को किये गए मेल को देख रहा था तो मुझे इस काण्ड के पीछे एक और तरह के गुनाहगार नजर आये जो चुपचाप भारतीय संस्कृति को तहस नहस करने में लगे हुए हैं और इसीलिए मैं उन्हें ''सांस्कृतिक आतंकी'' भी कहता हूँ और अकेलेपन में बच्चे उन्हें ही देख कर वक्त से पहले जवान होने और दिखने की होड़ में हैं ....!
इन सांस्कृतिक आतंकियों ने आज ये सन्देश दिया है कि आप लोग इस इस पृथ्वी पर सिर्फ मौज मस्ती करने के लिए भेजे गए हो और ''सेक्स'' जैसे एक मुद्दे को एक आम सी वस्तु बना के परोस दिया है जैसा आप मेल में भी पढ़ सकते हैं कि उस चौदह वर्ष की लड़की ने लिखा है कि इसमें कोई बुराई नहीं और बस एक ट्राई के तौर पे उसने ऐसा किया ..!
अभी एक ऐसी फिल्म ( समोसे वाली) भी आई थी जिसमे इसी उम्र के बच्चों को इसी बारे में बातें करते दिखाया गया और हमारे प्रगतिशील (सिर्फ व्याभिचार में) समाज के कुछ सदस्यों ने उसकी बड़ी तारीफ़ भी की जिसमे कुछ आधुनिक महिलायें भी शामिल थी. तो और हम अब समाज से उम्मीद भी क्या कर सकते हैं जहां पे पोर्न स्टार और नंगे होने का झंडा बुलंद किये कुछ महिलाओं और पुरुषों को बड़े चाव से देखा जाता है......! तो ऐसे समाज से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है ...........''
मैं आरुषी द्वारा अपने माँ-बाप को किये गए मेल को देख रहा था तो मुझे इस काण्ड के पीछे एक और तरह के गुनाहगार नजर आये जो चुपचाप भारतीय संस्कृति को तहस नहस करने में लगे हुए हैं और इसीलिए मैं उन्हें ''सांस्कृतिक आतंकी'' भी कहता हूँ और अकेलेपन में बच्चे उन्हें ही देख कर वक्त से पहले जवान होने और दिखने की होड़ में हैं ....!
इन सांस्कृतिक आतंकियों ने आज ये सन्देश दिया है कि आप लोग इस इस पृथ्वी पर सिर्फ मौज मस्ती करने के लिए भेजे गए हो और ''सेक्स'' जैसे एक मुद्दे को एक आम सी वस्तु बना के परोस दिया है जैसा आप मेल में भी पढ़ सकते हैं कि उस चौदह वर्ष की लड़की ने लिखा है कि इसमें कोई बुराई नहीं और बस एक ट्राई के तौर पे उसने ऐसा किया ..!
अभी एक ऐसी फिल्म ( समोसे वाली) भी आई थी जिसमे इसी उम्र के बच्चों को इसी बारे में बातें करते दिखाया गया और हमारे प्रगतिशील (सिर्फ व्याभिचार में) समाज के कुछ सदस्यों ने उसकी बड़ी तारीफ़ भी की जिसमे कुछ आधुनिक महिलायें भी शामिल थी. तो और हम अब समाज से उम्मीद भी क्या कर सकते हैं जहां पे पोर्न स्टार और नंगे होने का झंडा बुलंद किये कुछ महिलाओं और पुरुषों को बड़े चाव से देखा जाता है......! तो ऐसे समाज से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है ...........''
''आधुनिक परिवार''
''माम'' अपनी तो ''डैड'' अपनी ''मायावी'' दुनिया में मस्त हैं ..!
''संताने'' अपने अपने महंगे गैजेट्स में अस्त-व्यस्त हैं ...!!
उनको नहीं मतलब संताने क्या गुल खिला रही हैं ..!
किस से कर रही हैं डेटिंग और किसे घर बुला रही हैं..!!
दादा-दादी तो अब ऐसे कम ही घरों में नजर आते हैं..!
आते भी हैं तो ये सब देख देख कोने में पड़े कराहते हैं ..!!
''डैड'' बस माया देकर अपना कर्तव्य की इतिश्री समझते हैं..!
मस्ती में अपनी खलल ना पड़े इसलिए नाजायज मांगे भी पुरी करते हैं ..!!
''माम'' की तो पूछो ही मत उसकी हर रोज ''किटी'' होती है ..!
किसी भी वक्त इनको देखो कई किलो मेकअप में ''लिपटी'' होती है...!!
ऐसे परिवारों के बच्चे ''कूल ड्यूड'' और ''हॉट बेबज'' होते हैं..!
उनकी उलटी कारस्तानियाँ देख देख के बड़े बुजुर्ग रोते हैं ..!!
अगर देना चाहते हो अपनी संतान को अच्छे और ऊँचे संस्कार..!
''अमित'' की मानो और बदलो पहले अपना आचार-विचार और व्यवहार..!!
साथ बिठा के संतानों को दिखाइये अपने देश के महान लोगों के उच्च विचार..!!!
''जय सिया राम''..
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