गरीबी जाति देखकर नहीं आती तो आरक्षण क्यूं जातिगत होता है...?
अगर जातिगत आरक्षण से देश समाज और जातियों का भला हो सकता तो आज इस देश में सिर्फ चंद दलित ही मजे ना लूट रहे होते बल्कि सभी दलित समानता से जीवन यापन कर रहे होते ...!
मेरे जितने भी मित्र हैं चाहें वो कोई भी हों वो इमानदारी से सोचें और देखें तो आरक्षण का लाभ चंद परिवार ही उठा रहे हैं जिनके परिवार पहले से ही इस आरक्षण का लाभ उठाकर ''माया'' वान हो चुके हैं और असली दबले-कुचले दलितों को वो खुद ही नहीं उभरने देते ...!
बाबा साहेब ने ऐसा कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि उनके बनाए नियम समाज में खाई पाटने की बजाय और चौडी कर देंगे..........!
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