Sunday, September 8, 2013

अमेरिकी नागरिक है नए आरबीआई गवर्नर रघुराम गोविंद राजन

अमेरिकी नागरिक है नए आरबीआई गवर्नर रघुराम गोविंद राजन

भारतीय रिजर्ब बैंक के गवर्नर के रूप में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जिस नाम पर मुहर लगाई है, उससे बखेड़ा खड़ा हो गया है। रघुराम गोविंद राजन आरबीआई के नए गवर्नर नियुक्त हुए हैं, पर वे अमेरिकी नागरिक हैं।

विशेषज्ञों की राय में डी.सुब्बाराव ने बढ़ती मुद्रास्फीति और रुपए की गिरावट को ध्यान में रखते हुए सख्त मौद्रिक नीति अपनाई थी, जो अमेरिकी हित के अनुकूल नहीं थी। अब माना जा रहा है कि रघुराम गोविंद राजन के आने से अमेरिकी लॉबी को फायदा होगा।

रघुराम राजन ने डी. सुब्बाराव का स्थान लिया है। अंग्रेजी के दैनिक अखबार ‘मिलेनियम पोस्ट’ के मुताबिक रघुराम गोविंद राजन के पास अमेरिकी नागरिकता भी है। वे यूएस फेडरल रिजर्ब बोर्ड से भी जुड़े रहे हैं। इसके साथ-साथ विश्व बैंक को भी उन्होंने अपनी सेवा दी है।

अखबार ने प्रेक्षकों के हवाले से दावा किया है कि उनके इन पदों पर पहुंचने की वजह अमेरिकी लॉबी का उनके पीछ रहना है। इससे शंका गहरी हुई है। राजन को आरबीआई का गवर्नर बनाने में कहीं अमेरिकी लॉबी का तो हाथ नहीं है!

अगस्त 2012 में वित्त मंत्री ने रघुराम गोविंद राजन को वित्त मंत्रालय का प्रमुख आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया था। तब वे शिकागो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। रघुराम गोविंद राजन 2003-2006 तक अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में भी सेवा दे चुके हैं। अब वे आरबीआई के 23 वें गवर्नर बन रहे हैं। अखबार के मुताबिक रघुराम गोविंद राजन की नियुक्ति से प्रेक्षकों ने दावा किया है कि इस नियुक्ति से उस आशंका को बल मिला है जिसमें दावा किया गया था कि राजन के आने से भारतीय हित की जगह अमेरिकी हित को प्रमुखता मिलेगी।

विशेषज्ञों की राय में डी.सुब्बाराव ने बढ़ती मुद्रास्फीति और रुपए की गिरावट को ध्यान में रखते हुए सख्त मौद्रिक नीति अपनाई थी, जो अमेरिकी हित के अनुकूल नहीं थी। अब माना जा रहा है कि रघुराम गोविंद राजन के आने से अमेरिकी लॉबी को फायदा होगा।

=========

एफ़डीआई के जरिये भारत निर्माण के तर्ज पर अब कॉंग्रेस सरकार कल को प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति भी अमेरिका या अन्य देशों से आयात करे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए

No comments:

Post a Comment

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...