कापसहेड़ा बॉर्डर जो नयी दिल्ली में है वहा फ़िलहाल एक ही घर में करीब 505 लोग बुरी हालत में जी रहे हैं . वो पाकिस्तान जाने की बजाए मौत को बेहतर समझ रहे हैं. अब आप आगे खुद सोच लीजिये की पाकिस्तान में इनके साथ क्या क्या होता है. समय
समय पर आपने भी खबरों में देखा ही होगा l
लड़कियों की शादी 10 साल की उम्र में कर देना पड़ता है क्योंकि
लडकियोँ का बलात्कार होता है जबरदस्ती उठा के ले जाते है ।
छोटी छोटी बच्चियोँ को भी घरोँ मे छिपकर रहना पडता है ।
ना कोई शिक्षा ना कोई मौलिक अधिकार ।
मै पुछता हुँ भारत के उन तथाकथित मानवधिकार के चुतिया नुमाईनदोँ से....
जो अफजल की फासी पर हा हुल्ला करते है .सोनिया गधी से जो सोहराबुद्दीन मे आँसु बहाती है अब कहाँ हैँ आप के मानवधिकार के पैमाने क्युकी हर इस्लामी राष्ट्र में हिन्दुओ पर ऐसे अत्त्याचार हो रहे हैं की सोचकर भी रूह काँप उठती है... तो वो लोग मेरी इस पोस्ट के ऊपर भी थोडा सोचे
अगर हम इन पीड़ित हिन्दुओं को वापिस भेजने की बात करते हैं तो कुछ
सवाल उठते हैं –
१) बांग्लादेशी घुसपैठियों और तिब्बत के शरनारथियो , नेपाली नागरिको के
प्रति भारत में उदारता दिखाई गयी, तो फिर इन पीड़ित हिन्दुओं के प्रति इतनी कठोरता क्यों?
२) भारत में लगभग ३ करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिये घुस चुके हैं, इन पीड़ित
हिन्दुओं की संख्या तो बहुत कम है, सुरक्षा का खतरा तो इन बांग्लादेशी घुसपैठियों से है |
३) पाकिस्तान से आये आतंकवादी भारत में अपने मंसूबों में इसलिए कामयाब होते हैं क्योंकि उन्हें यहाँ के स्थानीय निवासी पनाह देते हैं, और वोट बैंक की नीति के कारण इन स्थानीय लोगों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती |
४) विश्व की कुल जनसँख्या में अल्पसंख्यक हो गए हिन्दुओं की मुसीबत में
सहायता करना क्या हमारा फ़र्ज़ नहीं बनता...?
समय पर आपने भी खबरों में देखा ही होगा l
लड़कियों की शादी 10 साल की उम्र में कर देना पड़ता है क्योंकि
लडकियोँ का बलात्कार होता है जबरदस्ती उठा के ले जाते है ।
छोटी छोटी बच्चियोँ को भी घरोँ मे छिपकर रहना पडता है ।
ना कोई शिक्षा ना कोई मौलिक अधिकार ।
मै पुछता हुँ भारत के उन तथाकथित मानवधिकार के चुतिया नुमाईनदोँ से....
जो अफजल की फासी पर हा हुल्ला करते है .सोनिया गधी से जो सोहराबुद्दीन मे आँसु बहाती है अब कहाँ हैँ आप के मानवधिकार के पैमाने क्युकी हर इस्लामी राष्ट्र में हिन्दुओ पर ऐसे अत्त्याचार हो रहे हैं की सोचकर भी रूह काँप उठती है... तो वो लोग मेरी इस पोस्ट के ऊपर भी थोडा सोचे
अगर हम इन पीड़ित हिन्दुओं को वापिस भेजने की बात करते हैं तो कुछ
सवाल उठते हैं –
१) बांग्लादेशी घुसपैठियों और तिब्बत के शरनारथियो , नेपाली नागरिको के
प्रति भारत में उदारता दिखाई गयी, तो फिर इन पीड़ित हिन्दुओं के प्रति इतनी कठोरता क्यों?
२) भारत में लगभग ३ करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिये घुस चुके हैं, इन पीड़ित
हिन्दुओं की संख्या तो बहुत कम है, सुरक्षा का खतरा तो इन बांग्लादेशी घुसपैठियों से है |
३) पाकिस्तान से आये आतंकवादी भारत में अपने मंसूबों में इसलिए कामयाब होते हैं क्योंकि उन्हें यहाँ के स्थानीय निवासी पनाह देते हैं, और वोट बैंक की नीति के कारण इन स्थानीय लोगों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती |
४) विश्व की कुल जनसँख्या में अल्पसंख्यक हो गए हिन्दुओं की मुसीबत में
सहायता करना क्या हमारा फ़र्ज़ नहीं बनता...?
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