Tuesday, April 9, 2013

जनता की याददाश्त

जनता की याददाश्त....... ­..
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दो नेता आपस में बतिया रहे थे।
जनता का मजाक उड़ा रहे थे,
एक बात कहूँ प्यारे मित्र,
जनता की याददास्त है बहुत विचित्र,
हमारी बुराइयाँ भूलकर अच्छाइयाँ याद रखती है,
मुझे भारत की जनता बहुत अच्छी लगती है,
स्टाम्प, चारा जैसे घोटालों में आया था हमारा नाम,
कुछ दिन बाद जनता बोली तुम हमारे धर्म जाति के हो हमें घोटालों से क्या काम,
हमारा जातिवाद का नारा काम आ गया,
यही नारा हमें जिता गया.
हमने पैसे लेकर काँग्रेस की सरकार बचाई थी,
बोफोर्स में हमने ही दलाली खाई थी,
हमने जनता को जाँच आयोग का पकड़ा दिया झुनझुना,
अपने आदमियों का जाँच आयोग बना,
और हम हो गये बेदाग बरी,
हमें दुबारा चुनाव लड़ने की मिल गई झंडी हरी,
2G, कॉमन वेल्थ, आदर्श सोसाइटी, NHRM कुछ दिन बाद किसी को याद नहीं रहेंगे,
देख लेना हम भ्रष्टाचारी इस दयालू, श्रृद्धालु एवं मूर्ख जनता पर दोबारा शासन करेंगे।

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