Saturday, January 18, 2014

महिला विरोधी अरविंद केजरीवाल द्वारा गृहमंत्रालय के समक्ष अनशन के पीछे की गहरी साजिश को समझिए!

महिला विरोधी अरविंद केजरीवाल द्वारा गृहमंत्रालय के समक्ष अनशन के पीछे की गहरी साजिश को समझिए!


संदीप देव, नई दिल्‍ली। दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके पूरे मंत्रीमंडल का महिला विरोधी चेहरा सामने आ गया है। अराजकता फैलाते हुए जिस तरह से आम आदमी पार्टी के कानून मंत्री ने विदेशी महिलाओं के घर में जबरन प्रवेश किया और उनके लोगों ने जिस तरह से उन महिलाओं का शारीरिक शोषण किया, वह दर्शाता है कि यह सरकार नहीं, बल्कि अराजक लोगों का समूह है, जो देश की कानून व्‍यवस्‍था को खुलेआम ठेंगा दिखा रहा । वैसे भी निचले से लेकर ऊपरी अदालत द्वारा अवैध और आपत्तिजनक ठहराए जा चुके कानून मंत्री के समर्थन में जिस तरह से मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अदालत को गलत ठहराया था, उससे जाहिर होता है कि वह संवैधानिक पद पर आसीन व्‍यक्ति की नहीं, बल्कि नक्‍सलियों की भाषा बोल रहे हैं। देवयानी के मामले में अमेरिकी बत्‍तमीजी पर देश की मीडिया और बुद्धिजीवियों ने तो खूब बबाल मचा था, लेकिन आज वही मीडिया और बुद्धिजीवी इस देश में दूसरे देश की महिलाओं के साथ एक चुनी हुई सरकार के मंत्री व उसके समर्थकों द्वारा किए गए गैरकानूनी काम पर मौन हैं। यह साबित करने के लिए काफी है कि वामपंथी धरातल पर दिल्‍ली की सरकार, मीडिया और बुद्धिजीवियों का महागठजोड़ काम कर रहा है। इतना ही नहीं, विदेशी महिलाओं के यौन उत्‍पीड़न मामले को हल्‍का बनाने के लिए पुलिस और गृहमंत्रालय पर दबाव का जो खेल अरविंद केजरीवाल मंत्रीमंडल खेलने जा रहा है, उसका मकसद इस पूरे मामले से ध्‍यान भटकाने के अलावा अपने खिलाफ चल रही फॉरन फंडिंग की जांच को प्रभावित करना भी है।





आइए पहले मामले को समझें
15 जनवरी 2014 की रात दिल्‍ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती अपने समर्थकों के साथ दिल्‍ली के खिड़की गांव में किराए पर रही रहीं नाइजीरिया और युगांडा की महिलाओं के घर में न केवल जबरन घुसे, बल्कि उन्‍हें जबरन रोक कर बंधक बनाने का प्रयास किया, उन पर वेश्यावृत्ति और ड्रग्स स्मगलिंग का गलत आरोप लगाया और यहां तक कि उन्‍हें अपने सामने ही पेशाब और शौच करने के लिए बाध्‍य किया। यही नहीं, उन विदेशी महिलाओं के साथ आम आदमी पार्टी की टोपी लगाए कानून मंत्री के साथ मौजूद समर्थकों ने मारपीट भी की और उन्‍हें जबरन गाड़ी में घुमाते रहे। नाइजीरिया और युगांडा के दूतावासों ने इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है।

यही नहीं, दिल्‍ली के इस अराजक कानून मंत्री के कारण इन दोनों देशों में रह रहे भारतीयों और खासकर भारतीय महिलाओं पर भी यौन और शारीरिक हिंसा की आशंका बढ़ गई है। विदेशी महिलाओं ने सोमनाथ भारती और उनके समर्थकों के खिलाफ मालवीय नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस के मुताबिक इन आरोपों में आईपीसी की धारा 342, 509 और अन्य कई धाराओं के तहत जबरन बंद करने और महिला की मर्यादा भंग करने में केस दर्ज हो सकता है। मंत्री महोदय पुलिस के साथ खुद ही चारों महिलाओं को एम्‍स ले गए थे और वहां उनका मेडिकल जांच कराया था। जांच में महिलाओं के ड्रग लेने की पुष्टि नहीं हुई है, जबकि कानून मंत्री ने इन महिलाओं पर ड्रग व वेश्‍यावृत्ति रैकेट चलाने का आरोप लगाते हुए छापा मारा था। विदेशी महिलाओं के वकील और पूर्व सलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने सोमनाथ भारती पर आरोप लगाया है कि कानून मंत्री की ओर से की गई छापेमारी के दौरान उन्होंने अपने समर्थकों के साथ महिलाओं को जबरन बंधक बनाकर उन्हें धमकी दी। साल्वे ने आरोप लगाते हुए कहा कि इनमें से एक महिला को शौचलय तक नहीं जाने दिया और मजबूरन उसे लोगों के सामने ही शौच करना पड़ा।

कानून क्‍या कहता है?

दिल्‍ली के कानून मंत्री को वेश्‍यावृत्ति व ड्रग रैकेट चलने की यदि शिकायत मिली थी तो कानून उन्‍हें इसकी शिकायत स्‍थानीय पुलिस प्रशासन से करना था और उनकी जांच रिपोर्ट के आने का इंतजार करना चाहिए था। यदि वह छापा ही मारना चाहते थे तो उन्‍हें पुलिस से कह कर अरेस्‍ट वारंट जारी कराना चाहिए था, लेकिन इसमें से किसी भी कानूनी पहलू का अनुपालन नहीं किया गया। हद देखिए कि इस नौटंकीबाज सरकार के मंत्रियों ने अपने छापेमारी की सूचना मीडिया को तो दी और मीडिया को लेकर घटना स्‍थल पर भी पहुंच गए ताकि उनके हीरोगिरी की जानकारी पूरे देश में फैले, जिसका फायदा लोकसभा चुनाव में उठा सकें। सरकार बनने के बाद से ही केजरीवाल सरकार के सभी मंत्री रात के औचक निरीक्षण के नाम पर पहले मीडिया को फोन पर इसकी जानकारी देते हैं और बाद में उनके कैमरे के समक्ष कार्रवाई का नाटक करते हैं। इस मामले में भी यही हुआ, लेकिन जो जरूरी था उसे भुला दिया गया। मसलन, स्‍थानीय पुलिस को सूचना नहीं दी गई।

देश के कानून पर अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को नहीं है भरोसा!
संवैधानिक पदों पर आसीन मुख्‍यमंत्री और मंत्री पद के विपरीत अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने इस पूरे मामले को नौटंकी में तब्‍दील कर दिया जबकि यह साफ तौर पर विदेशी महिलाओं के साथ अभद्रता और यौन उत्‍पीड़न से जुड़ा मामला है। दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पुलिस कमीश्‍नर से उस रात कानून मंत्री को कानून सिखाने की कोशिश करने वाले चार पुलिस अधिकारियों को तत्‍काल निलंबित करने की मांग की। उन्‍होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो सोमवार सुबह 11 बजे नॉर्थ ब्लॉक मतलब गृहमंत्रालय के समक्ष धरना दिया जाएगा। हद देखिए कि दिल्‍ली के उपराज्यपाल ने इस पूरे मामले की जांच सेवानिवृत जजों से कराने का फैसला 17 जनवरी को लिया था और इसका आदेश भी दिया था, लेकिन अरविंद केजरीवाल को तो न देश के संविधान की इज्‍जत है और न ही न्‍यायपालिका पर भरोसा है! वह इस जांच आदेश को कूड़ा समझते हुए गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के पास जा पहुंचे और धरने की धमकी दे दी।

कानून के जानकारों के मुताबिक यदि जजों का पैनल जांच करता है तो अरविंद केजरीवाल मंत्रीमंडल के कानून मंत्री सोमनाथ भारती कटघरे में होंगे, इसलिए अरविंद केजरीवाल लोगों को गुमराह करने के पुराने खेल पर उतर आए हैं और धरने की बातें कर रहे हैं।

नक्‍सलियों की राह पर दिल्‍ली सरकार!

'राजा हरिचंद्र की कलयुगी संतान श्रीमान ईमानदार' अरविंद केजरीवाल सरकार के कानून मंत्री सोमनाथ भारती के बारे में अदालत ने क्‍या कहा था, देखिए, 'आरोपी पवन कुमार और उनके वकील (सोमनाथ भारती) का व्यवहार न सिर्फ बेहद आपत्तिजनक और अनैतिक है, बल्कि इससे सबूत भी प्रभावित होते हैं।' सीबीआई अदालत की इस कठोर टिप्‍पणी के बाद भ्रष्‍टाचार के आरोपी पवन कुमार के वकील सोमनाथ भारती ने अपनी ही पार्टी के एक और सदस्‍य प्रशांत भूषण की मदद से पहले हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन दोनों अदालतों ने इसे आपत्तिजनक मानते हुए याचिका रदद कर दी थी। इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि उनके कानून मंत्री सोमनाथ भारती ईमानदार हैं और अदालत ने गलत फैसला दिया है। मतलब देश की नीचे से लेकर ऊपर तक की सभी अदालतें गलत है और जो केजरीवाल कह दें वह सही है। यह एकदम से नक्‍सली व्‍यवहार है, जिनका भरोसा देश के कानून व्‍यवस्‍था में नहीं होता है।

इसी के नक्‍शेकदम पर चलत हुए दिल्‍ली सरकार में नंबर-2 के मंत्री मनीष सिसोदिया ने इस पूरे विवाद पर एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि इस देश में किस संवैधानिक संस्‍था की बात की जा रही है। उनका भरोसा ऐसी संस्‍था में नहीं है। अब देश में ऐसी बात केवल और केवल माओवादी-नक्‍सलवादी करते हैं। इस टीम का आचरण भी नक्‍सलवादियों के समान ही लग रहा है।

इस अनशन के पीछे की गहरी साजिश को समझिए!

दूसरी तरफ दिल्‍ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को अवैध रूप से प्राप्‍त हुए विदेशी फंडिंग की जांच करने के लिए केंद्र सरकार को आदेश दिया है। केजरीवाल को मालूम है कि चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान अमेरिका से हो रही उनकी समूची फंडिंग का काला चिटठा खुल जाएगा। वैसे तो वह देश की कानून व्‍यवस्‍था पर अविश्‍वास जता कर पहले ही दर्शा चुके है कि इस पर आने वाले अदालती आदेश को भी वह नहीं मानेंगे और आम जनता को फिर से गुमराह करने का खेल खेलेंगे। लेकिन दूसरी तरफ वह गृहमंत्रालय पर अनशन के जरिए दबाव बनाने का खेल भी खेल रहे हैं। अरविंद केजरीवाल और मनीष‍ सिसोदिया व उनकी पूरी आम आदमी पार्टी विदेशी फंडिंग के मामले में फंस रही है। अरविंद की कोशिश है कि वह अनशन के जरिए गृहमंत्रालय को ब्‍लैकमेल करें ताकि लोकसभा चुनाव से पहले मंत्रालय अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक न करे और वह आम आदमी पार्टी के नाम पर दिल्‍ली की ही तरह पूरे देश की जनता को गुमराह कर सकें।

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