Thursday, January 2, 2014

अरविन्द केजरीवाल के समर्थक


सोशल मीडिया पर अरविन्द केजरीवाल के समर्थकों को ध्यान से देख कर मुझे अब तक जो समझ आया है, वो ये है कि इस पार्टी के प्रारम्भिक प्रचारक घोर राष्ट्रविरोधी, वामपंथी, हिन्दूद्वेषी मानसिकता के लोग थे पर धीरे धीरे इसने अपने प्रभाव में युवावर्ग को लिया जिस पर ताज्जुब भी नहीं किया जा सकता क्योंकि बहुत पहले ही किसी ने कहा था कि जिसने अट्ठारह की उम्र में वामपंथ को अपनाया नहीं तो समझो उसके दिल नहीं और जिसने तीस की उम्र तक आते आते वामपंथ को छोड़ा नहीं तो समझो उसके दिमाग नहीं (आम आदमी पार्टी वामपंथ के एक बदले हुए रूप के अलावा कुछ नहीं)। 

इस पार्टी के चुनाव जीतने के बाद इसके प्रचारकों में शामिल हो गए हैं--कांग्रेसी, जो अपनी पार्टी, सरकार और नेताओं के भरोसे तो मोदी से लड़ नहीं सकते तो आम आदमी पार्टी का सहारा ले रहे हैं; मोदी विरोधी (पत्रकारों को इसी में शामिल मानिये), जो हर उस व्यक्ति के साथी हो सकते हैं जो मोदी का विरोध करता ही, फिर वो चाहे पाकिस्तानी, चीनी या अमेरिकी ही क्यों न हो; मुस्लिम राजनीति करने वाले, जिनकी रोजी रोटी ही मुसलमानों को संघ, भाजपा और मोदी का भय दिखा कर चलती है और अन्यान्य किस्म के राष्ट्रद्रोही, जिन्हें पता है कि मोदी के सत्ता में आने पर उनके लिए चीजें बहुत मुश्किल होने वाली हैं। 

केजरीवाल के पक्ष में इन सबके द्वारा मीडिया और सोशल मीडिया पर लगातार किये जा रहे प्रचार का असर हो रहा है उन लोगों पर जो कहीं ना कहीं भाजपा के समर्थक हैं। ये लोग संघ की विचारधारा के नहीं हैं, इनके मन में हिन्दुत्व या राष्ट्रवाद को लेकर भी कोई ख़ास आग्रह नहीं है पर भाजपा के एक दो नेताओं के प्रशंसक होने के कारण या कांग्रेस के कुशासन से भाजपा को बेहतर समझने के कारण भाजपा के साथ रहते हैं। 

इन्हीं लोगों का छिटकना भाजपा और मोदी जी के अभियान के मार्ग में बाधा बन सकता है क्योंकि ये लोग राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं, हमारे आपके जैसे आम आदमी हैं और जब ये केजरीवाल की तारीफ करेंगे या आम आदमी पार्टी को देश का भविष्य बताएँगे तो अपने जैसे कई और लोगों के मन को भी प्रभावित करेंगे। इसी को रोकना होगा भाजपा और मोदी जी के समर्थकों को वरना आगे की राह कठिन से कठिन होने वाली है।

by विशाल अग्रवाल

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