जब हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नरेंद्र मोदी को मास मर्डर कहते हैं तो वह यह भूल जाते हैं कि 59 रामभक्तों को जिंदा जलाकर मारने में अदालत से फांसी की सजा पाने वाला हाजी बिलाल उन्हीं की पार्टी का था,
मनमोहन सिंह भूल जाते हैं कि उनकी ही पार्टी के तत्कालीन जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव फार्रुख बाना व अब्दुल रहमान दांतिया ने हिंदुओं को किस तरह जलाया था, वो भूल जाते हैं कि एहसान जाफरी की हत्या में उनकी ही पार्टी के नेता मेघ सिंह चौधरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी ने गिरफतार किया था,
वो भूल जाते हैं कि उनकी पार्टी का सलीम पानवाला करांची में दाउद की मेहमाननवाजी में आज तक रह रहा है,
वह यह भी भूल जाते हैं कि तत्कालीन अहमदाबाद म्यूनिसिपल कारपोरेशन के प्रमुख हिम्मत सिंह पटेल का नाम न केवल एहसान जाफरी की हत्या में सामने आ चुका है, बल्कि दंगे का आड़ लेकर उन्होंने वली दक्कनी के मजार को बुलडोजर से रौंद दिया था,
हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शायद यह भी भूल चुके हैं कि गुजरात दंगे में निहत्थे हिंदू-मुस्लिमों को मारने वालों में उनकी पार्टी के करीब 25 कार्यकर्ता व पदाधिकारियों को अदालत से सजा हो चुकी है।
मिस्टर मनमोहन सिंह शुक्र मनाइए कि आपके कार्यकाल में हुए 2जी, कोलगेट, कॉमनवेल्थ गेम्स के घोटाले की में प्रेस्टीटयूट मीडिया बराबर की साझीदार है, अन्यथा यदि देश की मीडिया निष्पक्ष होती तो आप इतने दिनों तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान नहीं होते...।
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