Thursday, January 2, 2014

जिस बात का डर था वो ही होने लगा

जिस बात का डर था वो ही होने लगा...

नरेन्द्र मोदी 12 साल तक मेहनत, मशक्कत करके देश में विकास की राजनीति को मुख्य धारा में लाने में कामयाब हो पाए थे. लोग अब जाति,पंथ भूलकर विकास के नाम पर वोट देने लगे थे और 2014 के लिए तैयार बैठे थे. लेकिन मुफ्त की राजनीति फिर से लौटती दिख रही है. केजरीवाल भ्रष्टाचार हटाकर सस्ती बिजली, पानी के नाम पर सत्ता में आया लेकिन सरकारी खजाने से सब्सिडी देकर दाम कम कर दिए. जनता खुश हो गयी, इसे प्रभावित होकर अब कांग्रेसी सांसद संजय निरुपम ने महाराष्ट्र सरकार को चिट्ठी लिखी है कि महाराष्ट्र में भी बिजली सस्ती की जाए. इतना ही नहीं, हरयाणा के मुख्यमंत्री हुड्डा ने भी कांग्रेस आलाकमान से इस बारे में बात की है, हुड्डा कई हज़ार करोड़ की मुफ्त देने की योजना बना रहा है क्यूंकि उसे पता है कि अगले चुनावों में उसकी सरकार वापस आनी मुश्किल लग रही है.

अब विकास की राजनीति फिर खो जायेगी क्यूंकि इस देश की जनता मुफ्तखोरी पर बहुत भरोसा करती है. तमिलनाडु जैसे राज्य में तो TV, Radio, सिलाई मशीन तक बांटे जाने का प्रचलन है, अब उसको और बल मिलेगा, जिस आर्थिक समृद्धि का सपना हम 2014 में नयी सरकार बनने पर देख रहे थे, अब मुझे मुश्किल लग रहा है. मोदी जी द्वारा फैलाई गयी सारी जागरूकता बेकार जाती दिख रही है. केजरीवाल और कुछ कर पाया हो या नहीं, लेकिन खान्ग्रेस, मुलायम, मायावती आदि निकम्मों के लिए उसने ये राह तो दिखा ही दी कि रेवड़ियां बांटों, यही आसान रास्ता है जीत का और यही तुम्हे सत्ता तक पहुंचायेगा.

अब विकास की राजनीति फिर खो जायेगी क्यूंकि इस देश की जनता मुफ्तखोरी पर बहुत भरोसा करती है. तमिलनाडु जैसे राज्य में तो TV, Radio, सिलाई मशीन तक बांटे जाने का प्रचलन है, अब उसको और बल मिलेगा, जिस आर्थिक समृद्धि का सपना हम 2014 में नयी सरकार बनने पर देख रहे थे, अब मुझे मुश्किल लग रहा है. मोदी जी द्वारा फैलाई गयी सारी जागरूकता बेकार जाती दिख रही है. केजरीवाल और कुछ कर पाया हो या नहीं, लेकिन खान्ग्रेस, मुलायम, मायावती आदि निकम्मों के लिए उसने ये राह तो दिखा ही दी कि रेवड़ियां बांटों, यही आसान रास्ता है जीत का और यही तुम्हे सत्ता तक पहुंचायेगा.

https://www.facebook.com/kumargaurav81/posts/246990472136610

No comments:

Post a Comment

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...