मित्रों आप देख रहे होंगे आजकल मीडिया एक हौव्वा बना रही है......
"कॉर्पोरेट जगत के कुछ बड़े नाम "आप" में शामिल हो रहे हैं और ये सुबूत है कि "आप" का राजनैतिक कद बढ़ रहा है "
अब ज़रा गहराई से इन तथाकथित कॉर्पोरेट जगत के बड़े नामों पर नज़र डालें तो तस्वीर का दूसरा रुख नज़र आयेगा.....
चाहे वो एयर डेक्कन के फाउंडर गोपीनाथ हों,इनफ़ोसिस के पूर्व डायरेक्टर बालाकृष्णन हों ,रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड की भूतपूर्व चेयरमैन मीरा सान्याल या फिर ऐसे ही तमाम लोग जो "आप" से जुड़ रहे हों....इन सब में एक बात समान है...
ये सभी पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं और बुरी तरह से हारे हैं....... सो इनका "आप" में शामिल होना कोई राष्ट्रभक्ति या सेवाभाव नहीं बल्कि अपनी असफल राजनैतिक अभिलाषाओं की पूर्ती के लिए एक माध्यम तलाशना मात्र है....पैसे की इनमे से किसी के पास कमी नहीं है......वर्तमान में "आप" को मिली क्षणिक सफलता ने इनकी मरी हुई उम्मीदों को एक नई किरण दिखाई है बस.....शायद पहले किसी बड़े दल ने इनमे रूचि ना दिखाई हो.....
बाकी अपनी मीडिया कितनी भरोसेमंद है ये तो आप जानते ही हैं.......
"कॉर्पोरेट जगत के कुछ बड़े नाम "आप" में शामिल हो रहे हैं और ये सुबूत है कि "आप" का राजनैतिक कद बढ़ रहा है "
अब ज़रा गहराई से इन तथाकथित कॉर्पोरेट जगत के बड़े नामों पर नज़र डालें तो तस्वीर का दूसरा रुख नज़र आयेगा.....
चाहे वो एयर डेक्कन के फाउंडर गोपीनाथ हों,इनफ़ोसिस के पूर्व डायरेक्टर बालाकृष्णन हों ,रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड की भूतपूर्व चेयरमैन मीरा सान्याल या फिर ऐसे ही तमाम लोग जो "आप" से जुड़ रहे हों....इन सब में एक बात समान है...
ये सभी पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं और बुरी तरह से हारे हैं....... सो इनका "आप" में शामिल होना कोई राष्ट्रभक्ति या सेवाभाव नहीं बल्कि अपनी असफल राजनैतिक अभिलाषाओं की पूर्ती के लिए एक माध्यम तलाशना मात्र है....पैसे की इनमे से किसी के पास कमी नहीं है......वर्तमान में "आप" को मिली क्षणिक सफलता ने इनकी मरी हुई उम्मीदों को एक नई किरण दिखाई है बस.....शायद पहले किसी बड़े दल ने इनमे रूचि ना दिखाई हो.....
बाकी अपनी मीडिया कितनी भरोसेमंद है ये तो आप जानते ही हैं.......
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