प्लास्टिक के बोतल और कंटेनर के इस्तेमाल से कैंसर - अल्ज़ाइमर्स-
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प्लास्टिक के कंटेनर बनाने के उपयोग मे लिया जाने वाला बाइसफेनोल ए दिमाग के कार्यकलापों को प्रभावित कर सकता है और इंसान की समझने और याद रखने की शक्ति को क्षीण करता है. कनाडा की ग्वेल्फ विश्वविद्यालय की संशोधकों ने अपनी रपट में बताया कि बीपीए का उपयोग प्लास्टिक की बोतलों, बेबीफूड की बोतलों को बनाने में किया जाता है. यह पदार्थ दिमाग के लिए हानिकारक है और इसके सेवन से आगे चलकर अल्ज़ाइमर्स जैसी बीमारी भी हो सकती है.
बीपीए नामक रसायन पेट मे जाने के बाद धमनियों द्वारा दिमाग तक पहुँचता है और संचार प्रणाली और न्यूरोंस पर विपरित असर पैदा करता है. इससे इंसान की सोचने और समझने की शक्ति बाधित होती है.
प्लास्टिक के बोतल और कंटेनर के इस्तेमाल से कैंसर -
हाल ही में रिसर्च से ये बात सामने आई है कि प्लास्टिक के बोतल और कंटेनर के इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है। हवाई के कैंसर हॉस्पिटल के डॉक्टर एडवर्ड फुजीमोटो ने प्लास्टिक और कैंसर पर काफी शोध किया है। उनका कहना है कि प्लास्टिक के बर्तन में खाना गर्म करना और कार में रखे बोतल का पानी कैंसर की वजह हो सकते हैं। फुजीमोटो के मुताबिक कार में रखी प्लास्टिक की बोतल जब धूप या ज्यादा तापमान की वजह से गर्म होती है तो प्लास्टिक में मौजूद नुकसानदेह केमिकल डाइऑक्सिन का रिसाव शुरू हो जाता है। ये डाईऑक्सिन पानी में घुलकर हमारे शरीर में पहुंचता है। जानकारों का कहना है कि डाइऑक्सिन हमारे शरीर में मौजूद कोशिकाओं पर बुरा असर डालता है। इसकी वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
संलग्न चित्र "अमर उजाला" से साभार लिया है जिसमें रिपोर्टर रश्मि ओझा ने अच्छे तरीके से प्लास्टिक की बोतलों की पहचान व् खतरों के बारे में बताया है . प्रत्येक बोतल पर एक PET के लेविल का निशान बना होता है और 7 लेविल के निशान वाली प्लास्टिक की बोतल ही सुरक्षित होती हैं , बाकी की बोतलों को तो एक बार इस्तेमाल के बाद क्रश करके फेंक देना चाहिए .
पर्यावरण के लिए प्लास्टिक कचरा एक गंभीर संकट बना हुआ है =- Read full story on this link –http://www.samaylive.com/article-analysis-in-hindi/106896/.html
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प्लास्टिक के कंटेनर बनाने के उपयोग मे लिया जाने वाला बाइसफेनोल ए दिमाग के कार्यकलापों को प्रभावित कर सकता है और इंसान की समझने और याद रखने की शक्ति को क्षीण करता है. कनाडा की ग्वेल्फ विश्वविद्यालय की संशोधकों ने अपनी रपट में बताया कि बीपीए का उपयोग प्लास्टिक की बोतलों, बेबीफूड की बोतलों को बनाने में किया जाता है. यह पदार्थ दिमाग के लिए हानिकारक है और इसके सेवन से आगे चलकर अल्ज़ाइमर्स जैसी बीमारी भी हो सकती है.
बीपीए नामक रसायन पेट मे जाने के बाद धमनियों द्वारा दिमाग तक पहुँचता है और संचार प्रणाली और न्यूरोंस पर विपरित असर पैदा करता है. इससे इंसान की सोचने और समझने की शक्ति बाधित होती है.
प्लास्टिक के बोतल और कंटेनर के इस्तेमाल से कैंसर -
हाल ही में रिसर्च से ये बात सामने आई है कि प्लास्टिक के बोतल और कंटेनर के इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है। हवाई के कैंसर हॉस्पिटल के डॉक्टर एडवर्ड फुजीमोटो ने प्लास्टिक और कैंसर पर काफी शोध किया है। उनका कहना है कि प्लास्टिक के बर्तन में खाना गर्म करना और कार में रखे बोतल का पानी कैंसर की वजह हो सकते हैं। फुजीमोटो के मुताबिक कार में रखी प्लास्टिक की बोतल जब धूप या ज्यादा तापमान की वजह से गर्म होती है तो प्लास्टिक में मौजूद नुकसानदेह केमिकल डाइऑक्सिन का रिसाव शुरू हो जाता है। ये डाईऑक्सिन पानी में घुलकर हमारे शरीर में पहुंचता है। जानकारों का कहना है कि डाइऑक्सिन हमारे शरीर में मौजूद कोशिकाओं पर बुरा असर डालता है। इसकी वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
संलग्न चित्र "अमर उजाला" से साभार लिया है जिसमें रिपोर्टर रश्मि ओझा ने अच्छे तरीके से प्लास्टिक की बोतलों की पहचान व् खतरों के बारे में बताया है . प्रत्येक बोतल पर एक PET के लेविल का निशान बना होता है और 7 लेविल के निशान वाली प्लास्टिक की बोतल ही सुरक्षित होती हैं , बाकी की बोतलों को तो एक बार इस्तेमाल के बाद क्रश करके फेंक देना चाहिए .
पर्यावरण के लिए प्लास्टिक कचरा एक गंभीर संकट बना हुआ है =- Read full story on this link –http://www.samaylive.com/article-analysis-in-hindi/106896/.html
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