Sunday, June 9, 2013

मैंने क्या किया फेसबुक पर मोदी के समर्थन में

 मैंने क्या किया फेसबुक पर मोदी के समर्थन में

मित्रों  नीचे लिखे हुए मेरे वो कमेंट्स हैं जो मैंने फेस बुक पर पोस्ट लिए ताकि अडवानी ग्रुप दबाव में आये........और हम सफल रहे......


अगर मोदी 2002 का दोषी है तो बाबरी मस्जिद का तो दोषी आडवाणी भी है. वाजपाई जी के भी समय इसके ढाई चावल अलग ही पक रहे थे. अब मोदी को लेकर भी वही हाल है.
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क्या ....विकास बनाम भ्रष्टाचार मुद्दा नही हे ?
क्या ....सुशासन बनाम कुशासन मुद्दा नही हे ?
क्या ....कानून व्यवस्था बनाम अराजकता मुद्दा नही हे ?
क्या ...उद्योग रोजगार बनाम बेरोजगारी मुद्दा नही हे ?
क्या ....सुरक्षा व्यवस्था बनाम ..असुरक्षित सीमाए मुद्दा नही हे ?
क्या .....आर्थिक आतंकवाद बनाम काला धन मुद्दा नही हे ?
क्या .....अच्छा जीवन स्तर बनाम छद्दम धर्म निरपेक्षता मुद्दा नही हे ?

आडवानी जी एक अकेले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अब तक आप ने कितनी फलिया फोड़ ली कुछ बताने के कष्ट करेंगे ?
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सीधी सी बात है अब ये लड़ाई ओम vs रोमकी है

आगे इश्वर की मर्जी.

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रेणुका जी आपको भी तो कभी नायडुआयसिस तो कभी हसनअलीआयसिस होता ही रहता है..उसका भी कुछ काहे अगला कों सा करोड़पति आपका आयसिस होगा....


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तबियत खराब बीजेपी के नेताओं का......... तो फिर कॉंग्रेस को पेट में दर्द क्यों हो रहा है. बीजेपी की मीटिंग है, उसमे कोई जाये या ना जाये, इससे कॉंग्रेस को क्या करना., लेकिन देखिये, मोदी के लिये ए कॉंग्रेसी भोंकेंगे ज़रूर. मोदी का नाम सुनते ही कॉंग्रेस का पेट खराब हो जाता है. इनकी बौखलाहट साफ़ नज़र आने लगती है. खैर, देखते जाइये, शेर अपनी राह चल रहा है. जितने घोटालेबाज़ और दोगले नेता हैं चाहे वो बीजेपी मे ही क्यों ना हों, अभी सबका तबियत खराब होगा. बस देखते रहिये.
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कांग्रेस ने देश को ही बीमार कर दिया है. देश की विकास दर पिछले 11 सालो के निम्नतम स्तर पर है. रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले लगातार नीचे गिर रही है. देश मे भ्रष्टाचार महामारी बन चुका है. आम आदमी सभी प्रकार से परेशान है.
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मोदी से कांग्रेस शुरु से ही डरती है और अपने रास्ते से मोदी को हटाने का इससे अच्छा मौका नही मिल सकता. कांग्रेस मोदी को अपने रास्ते से हटाने का कोई भी मौका जाने देना नही चाहती है,, वैसे कांग्रेस बीमारी का बात करे तो अच्छा नही लगता है क्योंकि बीमारों की सांख्या और खासकर अपंगों की सांख्या कांग्रेस मे है ज्यादा है,, मनमोहन सिंह गूंगा हैं और राहुल पागल. और सोनिया गाँधी लालच के बीमारी से त्रस्त हैं. तो इससे बड़ा देश का दुर्भाग्या क्या हो सकता है की ऐसे लोग देश चला रहे हैं..

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आज जो आडवाणी को बीमारी हुई है ऐसी बीमारी एक बार और इतिहास मे हुई थिजब महाराणा प्रताप अकबर से लड़ाई करने जा रहे थे और मान सिंह के पेट मे दर्द हो गया था तब महाराणा प्रताप ने कहा था की जब वापस लौटूंगा तो आप केलिये पेट दर्द की दवा लेकर आऊँगा .वैसी ही दवा आज आडवाणी जी को देनी पड़ेगी मोदी जी को.

आडवाणी इतने मत्ववाकांक्षी हो गये है की इनको ए नही पता है की मोदी का विरोध कर के कॉंग्रेससीओं का क्या हश्र गुजरातियों ने किया वही इस आडवाणी का होने वाला है.इस बार पी एम तो क्या एम पी भी नही बन पायेंगे.

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गुजरात की विकास दर सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक 10 प्रतिशत से उपर हैं ये कोई पी आर अजेंसी की रिपोर्ट नही है! गुजरात में 24 घंटे बिजली आती है सारे बिज़्नेसमॅन गुजरात में जमा है नरेन्द्र मोदी को कई बार बेस्ट चीफ मिनिस्टर का अवॉर्ड मिल चुका है इसलिये नरेन्द्रा मोदी को विकास पुरुष कहा जाता है

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हिदुस्तान में पिछले 65 सालों में पहली बार एक ऐसा नेता मोदी के रूप में अवतरित हुआ है जिसकी एक आवाज पर कांग्रेस और तथाकथित सेक्यूलरिस्तों के पसीने छूट जाते हैं. जब चुनाव के समय मोदी दहाडेंगे तो इनकी पैंट / धोती आगे से गीली और पीछे से पीली हो जाएगी. कांग्रेस की इतनी दयनीय स्थिति के लिये कांग्रेस के कुकर्म, कुशासन और अशासन ही जिम्मेदार है. मोदी के तूफान में यह अखिलेश, मुलायम, लालू, पासवान जैसे तो तिनकों के समन हवा में उड़ते नजर आएंगे. मित्रों धैर्य रक्खो अच्छे दिन आने वाले हैं. जय हिन्द, वन्देमातरम. मोदी जैसा कोई नहीं.

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लगता है आडवाणीजी पार्टी को जहां से शुरु किया था वही वापस लाना चाहते है! क़र्नाटका मे सफल होने के बाद अब गुजरात उनके निशाने पर है! अगर आज जो वातावरण बी जे पी मे है यही चलता रहा तो आडवाणीजी गुजरात को भी पार्टी से अलग करने मे सफल हो जायेगे! कही आडवाणीजी का कांग्रेस के लिये सॉफ्ट कॉर्नर तो नही हो गया?

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राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त होता है न दुश्मन. आडवाणी भाजपा का कट्टरवादी चेहरा थे. उनकी रथ यात्राओं ने पार्टी में उनकी स्वीकार्यता बढाई थी परंतु अब समय बदल गया है. उनका प्रभा मंडल अपना तेज खो चुका है. उनके भाषण व नीतियाँ कार्यकर्ताओं में जोश का संचार नहीं करते. आडवाणी की जगह अब मोदी ने लेली है. कार्यकर्ता उन्हें ही हिन्दुत्व के नये अवतार के रूप में देखता है. आडवाणी को यह वास्तविकता स्वीकार कर लेनी चाहिये.

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