Monday, June 3, 2013

कुरआन को चुनौती ! अल फुरकान !!

कुरआन को चुनौती ! अल फुरकान !!


इस समय विश्व का शायद ही कोई देश होगा जो इस्लामी आतंक से त्रस्त नहीं हो, अथवा जहां मुसलमान देश विरोधी गतिविधियाँ नहीं चला रहे हों. इससे कई देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है. और रोज हजारों निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं. काफी विचार करने के बाद लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आतंक की जड़ केवल वर्त्तमान कुरआन है. क्योंकि मुहम्मद तो मर चुका है. लेकिन आज भी कुरआन की शिक्षा के कारण रोज रोज नए आतंकवादी, अपराधी, और देशद्रोही बन रहे हैं.



जब मुस्लिम विद्वानों से कहा गया कि वे कुरआन की वे आयतें बच्चों को न पढाये जिस से बच्चे आतंकवादी बनते हैं , या कुरआन में संशोधन कर दें. ताकि दुनिया के लोग शांति से जी सकें. लेकिन मुल्ले मौलवी नहीं माने. और बोले कि ऐसा नहीं हो सकता.



फिर लोगों ने विवश होकर कुरान को जलाने की योजना बनाई. ताकि दुनिया भर के लोगों को बताया जाए कि कुरआन की हकीकत क्या है. जब कुरआन को जलाने की बात चली तो हमने उसका विरोध किया था. क्योंकि इससे वातावरण प्रदूषित होता. हमने सुझाव दिया था कि कुरआन का खंडन करने के लिए वैचारिक युद्ध किया जाये. और उसमे सारे देश शामिल हों.



चूंकि मुसलमानों का दावा है, कि कोई भी व्यक्ति कुरआन जैसी किताब नहीं बना सकता. जैसा खुद कुरआन में लिखा है.



“यदि जिन्न और इंसान इकट्ठे हो जाएँ तो, कुरआन जैसी किताब नहीं बना सकते. सूरा -बनी इस्राइल 17 : 88.



“कहदो, तुम इस कुरान जैसी सिर्फ दस सूरतें बनाकर लाओ, और किसी को बुला लो. यदि तुम सच्चे हो. सूरा -हुद-11 : 13.



“यदि किसी को शक हो, कुरान जैसी एक सूरा बना कर दिखाओ, सूरा -अल बकरा -2 :23.





लेकिन आप सबको यह जानकर हर्ष होगा कि इन सारे दावों को झुठलाते हुए एक नयी कुरआन नाजिल हो चुकी है जो दुबई में पढाई जा रही है इसका नाम الفرقان الحق “अल फुराकानुल हक़” यानी सच्ची कुरआन. अंगरेजी में “The True Furqan” है.





इस फुरकान में कुरआन की वे सारी आयतें निकाल दी गयीं है जो, आतंक, हिंसा, नफ़रत, अत्याचार सिखाती थीं . इसलिए फुरकान में केवल वही आयतें हैं जो मानवता कि बात सिखाती हैं. फुरकान में “बिस्मिल्ल्लाह” की आयत भी नहीं हैं इसी लिए फुरकान को इस सदी की कुरआन भी कहा जा रहा है. “The 21 st Century furakan”.



इस फुरकान का विश्व भर में स्वागत हो रहा है, यहां तक दुबई कि इस्लामी सरकार फुरकान को प्राथमिक कक्षा के बच्चों को पढ़ा रही है, ताकि वे आतंकवादी न बनें. देखिये -



A new Quran is being distributed in Kuwait, titled “The True Furqan”. It is being described as the ayats of the



Shaytan and Al-Furqan weekly magazine has found out that the two American printing companies; ‘Omega 2001′ and ‘Wine Press’ are involved in the publishing of ‘The True Furqan’, a book which has also been titled ‘The 21st Century Quran’!



It is over 366 pages and is inboth the Arabic and English languages…it is being distributed to our children in Kuwait in the private English schools! The book contains 77 Surats, which include Al-Fatiha, Al-Jana and Al-Injil. Instead of Bismillah, each Surat begins with a longer vesion of

this incorporating the Christian belief of the three spirits.



Quran opposes many Islamic beliefs. in one of its ayats it describes having more than one wife as fornication, divorce being non-permissable and it uses a new system for the sharing out of the will, opposing the current one. It And this so! called states that Jihad is HARAAM.



इस फुरकान में सिर्फ 77 सूरा हैं. और इसकी भाषा भी वही अरबी है जो मुहम्मद की बनाई कुरआन की है. विशेष बात यह है कि फुरकान में जिहाद को हराम बताया गया है. अल्लाह की जगह “सुबहानाहू तआला” लिखा है इस फुरकान के अध्याय यानी सूरा के नाम भी अच्छे है. जैसे कि फातिहा, नूर, सलाम, हब्ब यानी प्रेम अदि,



फुरकान नेट पर भी उपलब्ध है. और Amezon के द्वारा भी भेजी जा रही है. इसका मूल्य भी काफी कम है सिर्फ 3 $.







फुरकान के नाजिल होने से मुसलमानों के इस दावे की पोल खुल गयी, कि कुरआन जैसी एक लाइन भी नहीं बन सकती



फुरकान को प्राप्त करने के लिए – Omega 2001 PObox 29627 ,Sacramento CA 95829 .USA



अगर आप फुरकान को सुनना चाहें तो -Al-Furqan Al-Haqq vs. Quran/Koran यू ट्यूब पर सर्च करें

हमने तो जिस दिन फुरकान को पढ़ा उसी समय उस पर ईमान ले आये .ताकि कुरआन की पोल खोल सके



आप भी फुरकान के बारे में सबको बता कर दुनिया को जन्नत बनाने का पुण्य कमायें.

No comments:

Post a Comment

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...