*60 वर्षों पहले बद्रीनाथ केदारनाथ जैंसा था आज लगभग वैसा ही हो गया हैं ..... !
जो हुआ वह बहुत बुरा हुआ ... लेकिन हमें आज घटी इस घटना से सबक लेना भी जरुरी है , हिमालयी क्षेत्रों में अनावश्यक भारी जनदबाव अनैतिक दोहन व बेतरतीब ढंग से हो रहा विकास भी इस सब के लिए जिम्मेदार है ।
देखिये जरा गौर से 50 से 60 साल पहले के केदारनाथ धाम की यह तस्वीर तब यहाँ सिर्फ गिनती की 8 - 9 झोपड़ियां हुवा करती थी , वह भी घास फूस की , क्या आम और क्या खाश सबके आशियाने यही थे । लेकिन देश स्वतंत्र हुवा महत्वकांक्षाएं भी बढ़ी इस सब के बीच बेतहाशा विकास की दौड़ भी चलने लगी नतीजतन चन्द सालों में ही साधना के इस धाम में विकास रूपी कंक्रीट के जंगल ने एक आधुनिक नगर की शक्ल ले ली थी.....
क्या कहियेगा इसे प्रकृति का प्रकोप या चतुर इंसान को प्रकृति का तमाचा ..... ?
जो हुआ वह बहुत बुरा हुआ ... लेकिन हमें आज घटी इस घटना से सबक लेना भी जरुरी है , हिमालयी क्षेत्रों में अनावश्यक भारी जनदबाव अनैतिक दोहन व बेतरतीब ढंग से हो रहा विकास भी इस सब के लिए जिम्मेदार है ।
देखिये जरा गौर से 50 से 60 साल पहले के केदारनाथ धाम की यह तस्वीर तब यहाँ सिर्फ गिनती की 8 - 9 झोपड़ियां हुवा करती थी , वह भी घास फूस की , क्या आम और क्या खाश सबके आशियाने यही थे । लेकिन देश स्वतंत्र हुवा महत्वकांक्षाएं भी बढ़ी इस सब के बीच बेतहाशा विकास की दौड़ भी चलने लगी नतीजतन चन्द सालों में ही साधना के इस धाम में विकास रूपी कंक्रीट के जंगल ने एक आधुनिक नगर की शक्ल ले ली थी.....
क्या कहियेगा इसे प्रकृति का प्रकोप या चतुर इंसान को प्रकृति का तमाचा ..... ?
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