श्री केदारनाथ में तबाही का करण
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एक पहाड़ी बुजुर्ग से गहरी और लंबी बात चीत के आधार पर निष्कर्ष ये निकला कि ये प्रत्यक्ष देवी विपदा है.
यहाँ पर देवी विपदा से मेरा वो मतलब नहीं जैसा कि सरकार समझती है या आमतौर पर समझा जाता है.
ये प्रत्यक्ष देवी का प्रकोप है. यो लोग पहाड के निवासी है वो ये बात जानते है कि पहाड के देवी देवता कितने जल्दी रुष्ट होते है.
जिस दिन ये देवी आपदा हुई , मतलब शनिवार की शाम को, उसी दिन शाम को "धारी देवी" के मंदिर को विस्तापित किया गया था. लगभग शाम को ६ बजे और केदारनाथ में जो भरी तबाही हुई वो भी लगभग ८ बजे शुरू हुई.
मौसम विभाग के अनुसार जहा जून के मानसून में 70mm बारिश का अनुमान होता है परन्तु वहा 300mm बारिश हुई. वो भी सिर्फ ३० घंटो में.
माँ धारी देवी बड़ी प्रत्यक्ष शक्ति है उस क्षेत्र की. वो दिन में ३ बार अपना रूप बदलती है. वहां के निवासी ये सब जानते है. किन्तु कांग्रेस सरकार वह पर एक बाँध बना रही है जिससे मंदिर को uplift करने की जरुरत थी. स्थानीय लोग दो गुटो में बाते हुए थे. एक मंदिर को हटाना चाहता था और एक गुट नहीं.
पर सरकार ने मंदिर की मूर्ति को विस्थापित कर ही दिया. जिसका परिणाम आपके सामने है.
मेरा मानना है कि यदि ऐसी स्थिति किसी मस्जिद या माजर को लेकर होती टो सारकार कोई दूसरा रास्ता खोजती. जैसा दिल्ली में सुभाष मेट्रो station के पास किया.
मित्रों हम माँ धारी देवी से क्षमाप्रार्थना करते है कि वो हम सबको क्षमा करे व सरकार को अकल दे.
जय श्री राम
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दूसरा कारन
मित्रो एक बहुत बड़ी खबर, कृपया अवश्य ध्यान दें|
इस दैवीय आपदा के दोषी सी एम ( श्री विजय बहुगुणा ) साहब है ..............!!
जोत्यिसाचार्यो , पडितो , मंदिर के पुजारियों ,पंडो की मानें तो---------------
...
बाबा केदार नाथ जी के कपाट सहस्त्र वर्षो से अक्षय त्रतीय तिथी को खुलते है ..!!
इस बार भी ऐसा ही होना था कपाट खुलने का समय अक्षय त्रतीय 12.45 था ..!!
लेकिन क्या करें सी एम साहब 1 बजे पहुचे ............और कपाट 2 बजे खुले..!!
तब तक देर हो चुकी थी...समय ही नहीं तिथि भी बदल चुकी थी चतुर्थी तिथि..!!
ये शायद ...वर्षो से आ रही परम्परा को बदलाव रुद्ध नाथ को स्वीकार न था ...!!
और परिणाम हम सब के सामने है बहुगुणा जी ......आप आराम फरमाइए ....!!अ
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एक पहाड़ी बुजुर्ग से गहरी और लंबी बात चीत के आधार पर निष्कर्ष ये निकला कि ये प्रत्यक्ष देवी विपदा है.
यहाँ पर देवी विपदा से मेरा वो मतलब नहीं जैसा कि सरकार समझती है या आमतौर पर समझा जाता है.
ये प्रत्यक्ष देवी का प्रकोप है. यो लोग पहाड के निवासी है वो ये बात जानते है कि पहाड के देवी देवता कितने जल्दी रुष्ट होते है.
जिस दिन ये देवी आपदा हुई , मतलब शनिवार की शाम को, उसी दिन शाम को "धारी देवी" के मंदिर को विस्तापित किया गया था. लगभग शाम को ६ बजे और केदारनाथ में जो भरी तबाही हुई वो भी लगभग ८ बजे शुरू हुई.
मौसम विभाग के अनुसार जहा जून के मानसून में 70mm बारिश का अनुमान होता है परन्तु वहा 300mm बारिश हुई. वो भी सिर्फ ३० घंटो में.
माँ धारी देवी बड़ी प्रत्यक्ष शक्ति है उस क्षेत्र की. वो दिन में ३ बार अपना रूप बदलती है. वहां के निवासी ये सब जानते है. किन्तु कांग्रेस सरकार वह पर एक बाँध बना रही है जिससे मंदिर को uplift करने की जरुरत थी. स्थानीय लोग दो गुटो में बाते हुए थे. एक मंदिर को हटाना चाहता था और एक गुट नहीं.
पर सरकार ने मंदिर की मूर्ति को विस्थापित कर ही दिया. जिसका परिणाम आपके सामने है.
मेरा मानना है कि यदि ऐसी स्थिति किसी मस्जिद या माजर को लेकर होती टो सारकार कोई दूसरा रास्ता खोजती. जैसा दिल्ली में सुभाष मेट्रो station के पास किया.
मित्रों हम माँ धारी देवी से क्षमाप्रार्थना करते है कि वो हम सबको क्षमा करे व सरकार को अकल दे.
जय श्री राम
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दूसरा कारन
मित्रो एक बहुत बड़ी खबर, कृपया अवश्य ध्यान दें|
इस दैवीय आपदा के दोषी सी एम ( श्री विजय बहुगुणा ) साहब है ..............!!
जोत्यिसाचार्यो , पडितो , मंदिर के पुजारियों ,पंडो की मानें तो---------------
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बाबा केदार नाथ जी के कपाट सहस्त्र वर्षो से अक्षय त्रतीय तिथी को खुलते है ..!!
इस बार भी ऐसा ही होना था कपाट खुलने का समय अक्षय त्रतीय 12.45 था ..!!
लेकिन क्या करें सी एम साहब 1 बजे पहुचे ............और कपाट 2 बजे खुले..!!
तब तक देर हो चुकी थी...समय ही नहीं तिथि भी बदल चुकी थी चतुर्थी तिथि..!!
ये शायद ...वर्षो से आ रही परम्परा को बदलाव रुद्ध नाथ को स्वीकार न था ...!!
और परिणाम हम सब के सामने है बहुगुणा जी ......आप आराम फरमाइए ....!!अ
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